ऋषियों के विभिन्न पद
महर्षि – जो विश्व तथा महः (बाह्य आवरण) का सम्बन्ध समझे।
ब्रह्मर्षि – जो अव्यक्त ब्रह्म का स्वरूप, उसके ध्यान आदि के विषय में बताये।
देवर्षि – जो विश्व के प्राण रूप देवों की व्याख्या करे।
श्रुतर्षि – वैदिक तत्त्वों को ग्रहण कर उनका व्यावहारिक प्रयोग आयुर्वेद आदि द्वारा।
राजर्षि – वैदिक सिद्धान्तों का समाज चलाने में प्रयोग करने वाले महान् राजा।
परमर्षि = मूल तत्त्व का वर्गीकरण और व्याख्या करने वाले।
काण्डर्षि = किसी एक शाखा या विद्या की व्याख्या करने वाले।
रत्नकोष-सप्त ब्रह्मर्षि देवर्षि महर्षि परमर्षयः।
काण्डर्षिश्च श्रुतर्षिश्च राजर्षिश्च क्रमावराः॥
1 महर्षि (व्यास आदि)
2 परमर्षि (भेल आदि)
3 देवर्षि (कण्व आदि)
4 ब्रह्मर्षि (वसिष्ठ आदि)
5 श्रुतर्षि (सुश्रुत आदि)
6 राजर्षि (ऋतुपर्ण, जनक आदि)
7 काण्डर्षि (जैमिनि आदि)