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दांत दर्द के कारण :

मसूढ़ा फूलना, मसूढ़ों से खून आना, दाँत हिलना, दाँत गिरना, दाँतों में दर्द होना तथा पायरिया आदि दाँतों के रोग कहलाते हैं। ये रोग उन्हीं लोगों को सताते हैं, जो लोग अपने दाँतों की सुबह और शाम को नियमित रूप से मंजन आदि द्वारा दाँतों को साफस्वच्छ रखकर सफाई नहीं रखते, उनका उचित व्यायाम नहीं होने देते हैं व तीव्र सेवनीय औषधियों का प्रयोग करते हैं, जिनका खान-पान अनियमित और अप्राकृतिक होता है और जो बहुत गर्म अथवा बहुत सर्द चीजों के खाने के आदी होते हैं तथा जिनका पेट साफ नहीं रहता-ऐसे लोगों का रक्त दूषित हो जाता है और उनका शरीर मल से परिपूरित ।

आहार विहार :

जो लोग प्राकृतिक सादा भोजन करते हैं, भोजन के प्रत्येक ग्रास को खूब भली-प्रकार चबाते हैं। सुबह और शाम नीम या ब्रबूल की दातुन, बलुई मिट्टी, नमक, तेल या नीबू के रस से दाँतों की मालिश करके उनको साफ रखते हैं तथा कैल्शियम, फॉस्फोरस एवें विटामिन ‘सी’ वाले खाद्य-पदार्थों अर्थात् कच्चा दूध, अंकुरित गेहूँ, सेम, सेम जाति के बीज, फल और पत्ता गोभी, पपीता, आँवला, करेला, परवल, बैंगन, लालशाक, पोईशाक, लेटिस, पालक, मूली, टमाटर, किशमिश, खजूर, खुबानी, बादाम, नीबू के सजातीय फल, अनन्नास, अंगूर, लहसुन, प्याज आदि को अपने भोजन में स्थान देते हैं, उन लोगों को दाँतों का कोई भी रोग कभी नहीं सताता है।

दांत दर्द के घरेलू उपचार :

1) हींग या लौंग पीसकर (दाँत के गड्डे) में भरने, या मलने, लहसुन पर नमक छिड़क कर चबाने या पिसा तम्बाकू मलने से दाँत का दर्द दूर हो जाता है।

2) कालीमिर्च, अकरकरा, लौंग, राई (सभी समान भाग) पीसकर मंजन करना भी दांतों के दर्द में उपयोगी है।

3) नौसादर 60 ग्राम, फिटकरी 120 ग्राम, बारीक पीसकर सिरका अंगूरी 240 ग्राम मिलाकर उबालें। जब सिरका खुश्क हो जाये तो कपड़े से छानकर रखलें । 250-500 मि.ग्रा. औषधि मसूढ़ों पर मलकर मुँह का पानी (लार) बहने दें। दाँत दर्द को तुरन्त आराम मिलेगा (थोड़ी देर तक कुछ भी खायें-पियें नहीं)

4) कपूर, सत अजवायन, पिपरमेण्ट तीनों समभाग लें और शीशी में डालकर रख दें। थोड़ी देर में तरल बन जायेगा। इसकी ‘अमृत धारा’ भी कहते हैं। रुई के फाहे से 1-2 बूंद औषधि दांतों पर मलें । दर्द में तुरन्त लाभ होगा।

5) लौंग का तेल (क्लोव आयल) फुरैरी में भिगोकर पीड़ित दांत के तले । रखें तथा दूषित लार (स्राव) को बाहर गिरने दें। दन्त-पीड़ा में तुरन्त आराम मिलेगा। नोट-मसूढ़ों, तालु तथा जीभ पर न लगने दें अन्यथा वहाँ सिकुड़न तथा जलन उत्पन्न होगी तथा दांतदर्द के रोगी को ठन्डे पानी तथा मीठी वस्तुएँ भी इस्तेमाल न करने दें ताकि दर्द दुबारा dant dard ka gharelu nuskheप्रारम्भ न हो सके। यह परहेज कम से कम 2-3 दिन आवश्यक है।

6) पहिले पेट साफ करने के लिए अरन्डी का तैल (कैस्टर आयल) देना चाहिए तथा बाद में पीड़ा शामक औषधि ‘कनक सुन्दर रस’ आदि दें। ‘इरमेदादि तैल’ के कुल्लों से पायोरिया जैसे कष्टसाध्य रोग भी नष्ट हो जाते है।

7) एक ग्रेन अफीम को दो ड्राम पानी में मिलाकर, रुई में भिगोकर दांत में रखने से दन्त पीड़ा नष्ट होती है।

8) जिन्हें बार-बार दन्त पीड़ा की शिकायत हो उन्हें भोजन के पश्चात् नमक के पानी से कुल्ले करने चाहिए तथा मंजनादि करके भोजन आदि के मुख में फँसे समस्त कणों को खूब कुल्ला करके बाहर निकाल देना चाहिए। यदि दाँत खोखला हो तो-बायबिडंग का चूर्ण मोम में मिलाकर उसकी गोली बनाकर रखनी चाहिए तथा दांत के ऊपर गरम पानी या पोस्त के ढोके से गरम पानी की सेंक करना चाहिए।

9) दाँढ़ की खोल (गड्ढा) में अफीम 1 मिलीग्राम में समभाग नौसादर मिलाकर गोली सी बनाकर छिद्र में रखकर दबा दें अर्थात दाँत-दाढ़ के सूराख में भर दें। सारी आयु के लिए शिकायत खत्म हो जायेगी। अनुभूत योग है।

10) नौसादर तथा सौंठ समभाग लेकर पीसकर दाँतों पर मलने तथा खोखले स्थान में भरने से दन्तकृमि तथा दन्तपीड़ा नष्ट हो जाती है।

11) नीलाथोथा कां फूला बनाकर पीसकर सुरक्षित रखलें। एक ग्राम की मात्रा में इसे पानी में घोलकर कल्ले करने से दन्त-शुल तथा दन्त-कृमि नष्ट हो जाते हैं।

12) पिसी हुई काली मिर्च 2 ग्रेन की मात्रा में जरा से पानी में घोलकर कान में टपकाने से दन्तपीड़ा तुरन्त मिट जाती है। जब पीड़ा मिट जाये तो कान में 3-4 बूंद घी टपका दें, इससे कान की सूजन दूर हो जायेगी।

13) जरा सा कपूर दर्द वाले दाँत पर रखकर दबा लें, यदि दाढ़ में सूराख हो तो उसमें भर दें। तुरन्त दर्द दूर हो जायेगा।

14) लौंग 10 ग्राम-कपूर 1 ग्राम दोनों को बारीक पीसकर दाँतों पर मलने से समस्त दन्तविकार एवं दन्तपीड़ा नष्ट हो जाती है।

16) मौलश्री की छाल सूखी हुई 250 ग्राम कूटपीस कर कपड़छन करके मंजन बनाकर प्रयोग करने से (दिन में 2 बार, सुबह शाम) तथा आधा घन्टे बाद कुल्ला करने से पायोरिया आदि विकार दूर होकर दाँत मोती की भाँति श्वेत एवं वज्र के समान आजीवन दृढ़ रहते हैं।

17) सीप को जलाकर थोड़े नमक के साथ पीस छानकर प्रतिदिन मंजन करने से दांतों का मैल साफ होकर वे मोती की भाँति चमक जाते हैं।

18) सैन्धी नमक तथा सरसों का तेल मिलाकर मंजन करने से पायोरिया व दांत का हिलना आदि रोग दूर हो जाते है।

19) जामुन की लकड़ी के कोयले को पीसकर मंजन की भाँति प्रयोग करने से दांत चमकीले होते हैं तथा दर्द दूर हो जाता है।

20) सोड़ा बाई कार्ब (खाने का सोडा) और हल्दी दोनों को मिलाकर मंजन करने से दाँतों के समस्त विकारों में लाभ होता है।

21) नीम के सुखाकर जले हुए पत्ते 100 ग्राम में 10 ग्राम सैन्धा नमक मिलाकर मंजन करने से दाँत उज्ज्वल तथा मजबूत हो जाते है।

22) पिसी फिटकरी 250 ग्राम में 25 ग्राम गेरू मिलाकर मंजन करने से दाँतों से रक्त निकलना, पस आना, हिलना तथा दाँतों की गन्दगी आदि दूर हो जाती है।

23) सौंठ, लौंग, कालीमिर्च (प्रत्येक 20-20 ग्राम) सुपारी पुरानी 25 ग्राम, तम्बाकू के पत्ते 25 ग्राम, सेन्धा नमक 200 ग्राम, गेरू 250 ग्राम, सबको कूट-पीसकर मंजन बनाकर प्रयोग करने से हिलते हुए दाँत भी मजबूत होकर मोती की भाँति चमक उठते है।

24) अजवायन खुरासानी, अकरकरा तथा बायविडंग तीनों को समभाग मिलाकर कूट-पीसकर मंजन बनाकर प्रयोग करने से दाँत स्वच्छ एवं दृढ़ होते हैं। 3-4 बार मलने से दन्त पीड़ा शान्त हो जाती है।

25) दालचीनी, कालीमिर्च, धनिया भुनाहुआ, नीलाथोथा भुनाहुआ, कपूरकचरी, सैन्धा नमक, मस्तंगी तथा चोबचीनी प्रत्येक 10-10 ग्राम, पपड़िया कत्था 20 ग्राम तथा माजूफल 5 नग लें। सबको कूटपीस कर मंजन बनाकर प्रयोग करने से दन्त रोग तो दूर होते ही है, इसके अतिरिक्त सिर के बाल जीवन भर सफेद नहीं होते हैं।

26) दाँतों में कृमि लगकर यदि मसूढे खोखले हो गये हों तो उनमें अकरकरा का महीन चूर्ण भर देने से कृमि नष्ट हो जाते हैं।

27) दाढ़ या दांत में दर्द हो तो पके हुए अन्ननास का रस दर्द के स्थान पर लगाने से शीघ्र आराम होता है। छोटे बच्चों को जो दांत निकलने के समय कष्ट (पीड़ा) होती है वह भी इस अनन्नास के पके फलों के रस के मालिश से दूर हो जाती है तथा दांत आसानी से निकल आते हैं।

28) दांतो में टीस मारती हों, मसूढ़ों से रक्तस्राव होता हो, दाँत हिलते हों या उनमें दुर्गन्ध आती हो अथवा पायोरिया की प्रारम्भिक अवस्था हो तो अपामार्ग (चिरचिटा) की मोटी ताजी लकड़ी या जड़ से दातुन करें। कुछ दिनों के नियमित प्रयोग से यह समस्त विकार दूर हो जाते हैं।

29) आम के पत्तों या उसकी गुठली को जलाकर उसकी कपड़छन राख को मंजन की भाँति प्रयोग करने से दाँत दृढ़ होते हैं तथा दन्तपूय आदि विकार नष्ट हो जाते हैं।

30) जंगली गूलर की प्रशाखा (जो कोमल हो) से या उसकी छाल के चूर्ण से दातुन अथवा मंजन करने से दांत स्वच्छ एवं सुदृढ़ होते है तथा दन्तशूल आदि विकार नष्ट हो जाते है।

स्वस्थ व समृद्ध बने रहने हेतु जीवन मे भाई राजीव दीक्षित जी को अवश्य सुनें व उनके बतायें गये खान पान के नियम का कटरता से पालन करें

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वन्देमातरम जयहिंद

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