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[ बदहजमी की समस्‍या का पूर्ण समाधान है ये 7 उपाय, पाचन क्रिया को बनाते हैं मजबूत

1. पेट में एसिड का स्तर कम होने पर यह भोजन को ठीक से पचाने में मुश्किल बनाता है। अगर आप भी इसी तरह की समस्या से जूझ रहे हैं तो आपको अपने खान-पान को लेकर अतिरिक्त सावधानी और सतर्कता बरतनी होगी।…

  1. स्वस्थ शरीर के लिए पाचन तंत्र का स्वस्थ होना महत्वपूर्ण है। आपका पेट पाचन की प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जब भोजन पेट में पहुंचता है, तो यह पेट में मौजूद एसिड के साथ मिल जाता है। इस प्रकार, भोजन छोटे और सरल टुकड़ों में टूटने लगता है। यदि एसिड का स्तर कम है तो खाए गए भोजन को पचाने में मुश्किल होगी। इस स्थिति के कारण आपको कई समस्याओं का सामना करना पड़ेगा जैसे कि भोजन को ठीक से पचाने में असमर्थता, भोजन के बाद एसिड रिफ्लक्स, पोषक तत्वों की कमी आदि। इसलिए अगर आप कम एसिड की समस्या से जूझ रहे हैं तो पेट में एसिड का स्तर बढ़ना महत्वपूर्ण है। आइए जानें कि ऐसा करने के लिए हमें क्या करना चाहिए।

3. भोजन करने के तुरंत बाद पानी न पीएं यह सबसे बड़ी गलती है जो आप पेट में कम एसिड के स्तर के मामले में कर सकते हैं। पानी पेट में मौजूद एसिड को पतला करता है, ये एसिड आपके भोजन को पचाने के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। इसलिए, भोजन करने के 30 मिनट बाद तक पानी पीने से बचें।

4. किण्वित खाद्य पदार्थ खाएं किण्वित खाद्य (fermented foods) पदार्थ कार्बनिक अम्ल और एंजाइमों से भरे होते हैं। इनमें प्रीबायोटिक्स भी होते हैं। तो, वे पाचन रस के स्राव में सुधार करने के लिए अद्भुत हैं। किण्वित खाद्य पदार्थों में इडली, अचार, दही आदि शामिल हैं।

5. सेब का सिरका एपल साइडर विनेगर आपको पेट में बेहतर पीएच स्तर प्रदान करने के लिए अद्भुत है। सेब का सिरका में पीएच का संतुलन कम होता है। तो, पाचन और एसिड के स्तर में सुधार के लिए भोजन से ठीक पहले ऐपल साइडर विनेगर ले सकते हैं।

6. भोजन ठीक से चबाएं यदि आप पेट में कम एसिड स्तर से निपट रहे हैं तो आपको चबाने के बारे में सावधान रहना चाहिए। अपने पेट के लिए काम आसान बनाने की कोशिश करें। इसलिए, भोजन को ठीक से और धीरे-धीरे चबा चबाकर खाएं।

7. अदरक अदरक पाचन रस में सुधार के लिए अद्भुत है। तो, आप अदरक की चाय को अपनी दिनचर्या में शामिल कर सकते हैं। इसके अलावा आप अजवाइन की चाय भी बनाकर पी सकते हैं। यह पाचन तंत्र को मजबूत बनाते हैं।

[: बदलते मौसम में कई रोगों को दूर रखता है अदरक, इस्तेमाल करने से पहले जरूर बरतें ये सावधानियां

  1. सिरदर्द में राहत दिलाए- सिरदर्द होने पर अदरक के चूर्ण या इसके रस को गर्म पानी में मिलाकर हल्दी के साथ सिर पर इसका लेप करने से लाभ मिलता है। सर्दी के मौसम में पेट या दांत में दर्द होने पर अदरक को चबाकर खाने से तत्काल लाभ मिलता है। दांत के दर्द में अदरक को लौंग के साथ चबाकर खाना चाहिए।
  2. जॉन्डिस में लाभकारी-जॉन्डिस में अदरक, त्रिफला और गुड़ को साथ मिलाकर सेवन करना चाहिए।
  3. जोड़ों के दर्द में-अदरक में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो आथ्र्राइटिस यानी जोड़ों के दर्द में राहत दिलाता है। पुराने जोड़ों के दर्द में अदरक का रस, अश्वगंधा चूर्ण, शैलाकी चूर्ण, हल्दी का चूर्ण बराबर-बराबर भाग में मिलाकर शहद के साथ सेवन कर बाद में गर्म दूध, चाय या गर्म पानी पीने से जोड़ों के दर्द में लाभ मिलता है।
  4. सर्दी, जुकाम, बुखार में फायदेमंद-खांसी, जुकाम, गले में खराश, गला बैठने जैसी स्थिति में अदरक को पीसकर घी या शहद के साथ लेना चाहिए। हिचकी आने पर अदरक के रस का सेवन शहद व तुलसी के साथ करें। सांस के रोगी को शहद के साथ इसका रस देने से कफ पतला होता है, जिससे आराम मिलता है।
    [: कफ पित वात
    ★सिर से लेकर छाती के बीच तक जितने रोग होते हैं वो सब कफ बिगड़ने के कारण होते हैं.!
    ★ छाती के बीच से लेकर पेट और कमर के अंत तक जितने रोग होते हैं वो पित्त बिगड़ने के कारण होते हैं.!

★ कमर से लेकर घुटने और पैरों के अंत तक जितने रोग होते हैं वो सब वात बिगड़ने के कारण होते हैं.!

☆ वात-पित्त-कफ दिखने मे कैसे होते हैं ???

■ कफ और पित्त लगभग एक जैसे होते हैं.!
आम भाषा मे नाक से निकलने वाली बलगम को कफ कहते हैं.!
कफ थोड़ा गाढ़ा और चिपचिपा होता है.!

■ मुंह मे से निकलने वाली बलगम को पित्त कहते हैं तथा ये कम चिपचिपा और द्रव्य जैसा होता है.!

■ शरीर से निकलेने वाली वायु को वात कहते हैं और ये अदृश्य होती है !

☆ ये तीनों ही मनुष्य की आयु के साथ अलग अलग ढंग से बढ़ते हैं.!

■ बच्चे के पैदा होने से 14 वर्ष की आयु तक कफ के रोग ज्यादा होते है जैसे बार बार खांसी, सर्दी, छींके आना आदि होगा.!

▪ 14 वर्ष से 60 साल तक पित्त के रोग सबसे ज्यादा होते हैं जैसे
बार बार पेट दर्द करना, गैस बनना, खट्टी खट्टी डकारे आना आदि.!

▪ और उसके बाद बुढ़ापे मे वात के रोग सबसे ज्यादा होते हैं जैसे घुटने दुखना, जोड़ो का दर्द आदि.!

☆ हमारे हाथ की कलाई मे ये वात-पित्त और कफ की तीन नाड़ियाँ होती हैं.!

ऐसे नाड़ी विशेषज्ञ रहे हैं जो आपकी नाड़ी पकड़ कर ये बता दिया करते थे कि
“आपने एक सप्ताह पहले क्या खाया, एक दिन पहले क्या खाया, दो पहले क्या खाया और आपको क्या रोग है.?”

☆ कई बार पेट मे गैस बनने के कारण सिर दर्द होता है तो इसे आप कफ का रोग नहीं कहेंगे इसे पित्त का रोग कहेंगे, क्यूंकि पित्त बिगड़ने से गैस हो रही है और सिर दर्द हो रहा है.!

☆ “अष्टांग हृदयं” मे वाग्बट्टजी कहते हैं कि जिंदगी मे वात्त, पित्त और कफ संतुलित रखना ही सबसे अच्छी कला है और कौशल्य है सारी जिंदगी प्रयास पूर्वक आपको एक ही काम करना है की हमारा वात्त, पित्त और कफ नियमित रहे, संतुलित रहे और सुरक्षित रहे.!
{ सर्दी-जुकाम दूर करने के लिए अपनाएं ये घरेलू उपाय सर्दी में अपनाएं ये घरेलू उपाय
इस मौसम में थोड़ी सी भी लापरवाही बीमारी को न्योता देने के बराबर है. सर्दियां शुरू होते ही ज्यादातर लोगों को सर्दी-जुकाम की समस्या सताने लग जाती है. हालांकि ये बेहद सामान्य बीमारी है पर अगर ये बढ़ जाए तो तकलीफ बढ़ते देर नहीं लगती.

यूं तो बाजार में सर्दी-जुकाम के इलाज के लिए कई तरह की दवाइयां मौजूद हैं लेकिन इन घरेलू उपायों को अपनाकर आप बिना किसी साइड-इफेक्ट के राहत पा सकते हैं:

  1. जुकाम की वजह से अगर आपका सिर भारी हो रहा हो तो अजवायन को गर्म करके एक पोटली बना लें. इसे बार-बार अपनी हथेली पर रगड़ें और सूंघें. इससे राहत मिलेगी.
  2. अगर सर्दी की वजह से हल्का बुखार महसूस हो रहा हो तो अजवायन को दो कप पानी में उबालें. जब ये एक कप रह जाए तो इसमें गुड़ भी डाल दें. कुछ देर पकाने के बाद इस मिश्रण को पी लें. फायदा मिलेगा.
  3. तुलसी, काली मिर्च से काढ़ा तैयार करें. इसे गर्मागर्म पिएं. इसे पीने से गले की खराश तो कम होगी ही साथ ही संक्रमण भी दूर हो जाएगा.
  4. दालचनी और जायफल को बराबर मात्रा में पीसकर सुबह शाम शहद के साथ चाटना भी सर्दी-जुकाम में फायदेमंद होता है.
  5. एक चम्मच प्याज के रस में आधी मात्रा में शहद मिलाकर चाटना भी सर्दी-जुकाम में फायदेमंद होता
    [प्लेटलेट्स बढ़ाने के उपाय

🌹1. डेंगू , चिकेन्गुनिया बुखार में शरीर के प्लेटलेट्स (platelates) तेजी से गिरते हैं, जिन्हें पपीते की पत्तियां तेजी से बढ़ाती हैं। मात्र तीन घंटे में पपीते की पत्तियां शरीर में रक्त के प्लेटलेट्स को बढ़ा देती हैं। उपचार के लिए पपीते की पत्तियों से डंठल को अलग करें और केवल पत्ती को पीसकर उसका जूस निकाल लें। दो चम्मच जूस दिन में तीन बार लें।

🌹2. आधा गिलास ताजा कददू के रस में 1 चम्मच शहद मिलाएं और इसे एक दिन में 2 या 3 बार पियें।

🌹3.ताजे पालक के 4 या 5 पत्तों को कुछ मिनट के लिए 2 कप पानी में उबालें। इसे ठंडा होने दें और आधा गिलास टमाटर के रस में मिक्स करें और इसे दिन में 3 बार पीयें।

🌹4. आंवला में विटामिन सी प्लेटलेट्स के उत्पादन को बढ़ाने और आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है।
रोज सुबह खाली पेट 3-4 आंवला खाएं।

🌹5.चुकंदर प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट और हेमोस्टेटिक गुणों में संपन्न है प्लेटलेट्स की संख्या वृद्धि के लिए दैनिक रूप से एक स्पून ताजा चुकंदर का रस दिन में 3 बार पीयें।

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[ फेफड़ों को स्वस्थ रखना है? तो रोज खाएं ये 5 चीजें

फेफड़े यानी कि लंग्स जो कि शरीर का एक बहुत अहम हिस्सा है। फेफड़ों के अस्वस्थ रहने पर कई बीमारियां हो सकती है जैसे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, निमोनिया, टीबी, फेफड़ों का कैंसर आदि। इसलिए फेफड़ों की सेहत का ध्यान रखना भी बहुत जरूरी है। आइए, आपको बताते हैं कुछ ऐसी चीजें जिन्हें खाने से फेफड़ों की सेहत बेहतर होती है –

1. विटामिन सी से भरपूर आहार :-
खट्टे फल जैसे- संतरा, नींबू, टमाटर, कीवी, स्ट्रॉबेरी, अंगूर, अनानास, आम आदि में भरपूर मात्रा में विटामिन सी होता है। ‘विटामिन सी’ से भरपूर आहार का सेवन करने से शरीर में मौजूद विषैले पदार्थ बाहर निकल जाते हैं। ‘विटामिन सी’ से भरपूर आहार में एंटीऑक्सीडेंट होते है, जो सांस लेने के बाद ऑक्सीजन को सभी अंगों तक पहुंचाने में मदद करते है।

2. लहसुन का सेवन :-
लहसुन का सेवन कफ को खत्म करने में सहायक होता है और अगर खाना खाने के बाद लहसुन खाया जाए तो ये छाती को साफ रखता है। लहसुन में एंटीऑक्सीडेंट भी होते हैं जो संक्रमण से लड़ते हैं और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं।

3. लाइकोपेन युक्त आहार का सेवन :-
ऐसे आहार का सेवन करें जो लाइकोपेन युक्त हो जैसे टमाटर, गाजर, तरबूज, पपीता, शकरकंद और हरी सब्जियां। इस तरह के आहार में कैरोटीनॉयड एंटीऑक्सीडेंट होता है जो अस्थमा से बचाने में भी सहायक होता है, साथ ही इन्हें खाने से फेफड़ों के कैंसर का खतरा कम होता है।

4. मुनक्का का सेवन :-
रोजाना भिगे हुए मुनक्का का सेवन करने से भी फेफड़े मजबूत होते हैं और बीमारियों से लड़ने की उनकी क्षमता बढ़ती है।

5. तुलसी की पत्तियों का सेवन:-
अगर फेफड़ों में कफ जमा हो तो इसे खत्म करने के लिए तुलसी के सूखे पत्ते, कत्थान, कपूर और इलायची को बराबर मात्रा में पीस लें। अब इसमें नौ गुना चीनी मिलाकर पीस लें। इस मिश्रण को चुटकी भर दिन में दो बार खाएं। इससे फेफड़ों में जमा कफ खत्म होने में मदद मिलती है।
[बच्चों की खांसी का आयुर्वेदिक इलाज

1. सर्दी खांसी होने पर बच्चे को तुलसी का रस पीने के लिए दें। इसके अलावा आप उन्हें काढ़ा बनाकर भी दे सकते हैं। इसके लिए 1/2 इंच अदरक, 1 ग्राम तेजपत्‍ते को 1 कप पानी में भिगो दें। इसके बाद इसमें 1 चम्मच मिश्री मिलाकर दिन में तीन बार बच्चों को पिलाएं।

2. खांसी को दूर करने के लिए 2 चम्मच सरसों के तेल को थोड़ा गर्म करें। इसके बाद इसमें लहसुन की कलियां डालकर भून लें। इसके बाद इस तेल से बच्चे की छाती और गले की मालिश करें।

3. एक कटोरी में 2 चम्मच शहद और 2 चुटकी काली मिर्च पाउडर को मिक्स करके हर दो घंटे में बच्चे को पीलाएं। इससे खांसी कुछ समय में ही दूर हो जाएगी।

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