जानें, क्यों नारियल के बिना अधूरी है पूजा :-
बाधाएं दूर होती हैं- नारियल को संस्कृत भाषा में
श्रीफल कहा गया है। श्री का अर्थ होता है लक्ष्मी।
लक्ष्मी के बिना कोई भी शुभ कार्य पूर्ण नहीं हो
सकता है इसलिए शुभ कार्यों में नारियल अवश्य रखा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इससे कार्य में बाधा नहीं आती है।
नारियल ऊपर से सख्त आवरण से ढका होता है। इसलिए बाहरी प्रदूषण का इसपर असर नहीं होता है। यह अंदर से निर्मल और पवित्र होता है।
वास्तु दोष दूर करने में सहायक- ज्योतिषशास्त्र के अनुसार सफेद और जल वाले स्थान पर चन्द्र का वास होता है। चन्द्रमा मन का कारक ग्रह है। किसी कार्य में सफलता के लिए मन का शांत होना जरूरी है।
वास्तुशास्त्र के अनुसार जलीय जीवों और जल युक्त वस्तुओं से वास्तु दोष दूर होता है।
ऊर्जा का भंडार- नारियल की शिखाओं में
सकारात्मक ऊर्जा का भंडार पाया जाता है। यही
वजह है कि पूजन कार्यों और शुभ कार्यों में नारियल कलश पर रखकर इसकी पूजा की जाती है।
बनी रहती है लक्ष्मी की कृपा- महालक्ष्मी की
प्राप्ति में एकाक्षी नारियल का विशेष महत्व है।
आमतौर पर नारियल में दो काले बिंदू होते हैं। बहुत कम मात्रा में ऐसे नारियल मिलते हैं जिस पर एक ही काला बिंदू होता है। इसे ही एकाक्षी नारियल कहतेहैं।
एकाक्षी नारियल घर में स्थायी सम्पति, ऐश्वर्य
और आनन्द देता है।
क्यों फोड़ते हैं नारियल- नारियल फोडऩे का मतलब है अपने अहंकार और स्वयं को भगवान के सामने समर्पित करना। माना जाता है कि ऐसा करने पर अज्ञानत और अहंकार का कठोर कवच टूट जाता है और ये आत्मा की शुद्धता और ज्ञान का द्वार खोलता है, जिसे
नारियल के सफेद हिस्से के रूप में देखा जाता है।