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योगनिद्रा क्या है

योगनिद्रा मन को चिंता मुक्त करने की एक अनोखी विधि है’। योगाभ्यास प्रायः जागृत अवस्था में ही किया जाता है, परंतु योगाभ्यास की यह विशेष विधि लेट कर की जाती है। आप या तो जगते हैं या फिर गहरी नींद में सो जाते हैं। लेकिन योगनिद्रा में आप पूर्णतः जागृत होते हुए भी शरीर और मन पर गहरी नींद के तमाम लक्षण अनुभव कर पाते हैं।

योगनिद्रा शरीर को गहन विश्राम देकर पूरी तरह शिथिल करती है। आप यह हमेशा महसूस करते रहोगे कि विश्राम तो आप रात नींद में भी करते हैं। परंतु सारी रात सोने के बाद भी सुबह उठकर अगर आप थका हुआ और बोझिल महसूस करते हैं, तो आपके रात भर नींद में होने का कोई अर्थ नहीं है। किसी भी प्रकार के रोग या तनाव में योग निद्रा एक चमत्कारिक औषधि की तरह काम करती है। इसके अलावा योग निद्रा के निरंतर अभ्यास से आध्यात्मिक लाभ भी प्राप्त किया जा सकता है।

योग निद्रा का अर्थ : योग निद्रा वह नींद है, जिसमें जागते हुए सोना है। सोने व जागने के बीच की स्थिति ही योग निद्रा है । इसे स्वप्न और जाग्रत के बीच ही स्थिति मान सकते हैं। यह झपकी जैसा है या कहें कि अर्धचेतन जैसा है। देवता भी इसी निद्रा में सोते हैं।

समय : योग निद्रा 10 से 45 मिनट तक की जा सकती है।

सावधानी : योग निद्रा खुली जगह पर करें। योग निद्रा में सोना नहीं है और शरीर को किसी भी तरह हिलाना नहीं है। इसमें नींद नहीं निकालना क्योंकि यह एक मनोवैज्ञानिक नींद है। सोचना नहीं है बल्कि सांसों के आवागमन को महसूस करना है।

योग निद्रा प्रक्रिया :
प्रथम चरण : स्वच्छ स्थान पर दरी बिछाकर उस पर एक कंबल बिछाएं। ढीले कपड़े पहनकर कंबल पर शवासन की स्थिति में लेट जाएं। जमीन पर दोनों पैर लगभग एक फुट की दूरी पर हों। हथेली कमर से छह इंच दूरी पर हो और आंखे बंद रखें।

द्वितीय चरण : इसके बाद सिर से पांव तक पूरे शरीर को पूर्णत: शिथिल कर दीजिए और मन-मस्तिष्क से तनाव हटाकर निश्चिंतता से लेटे रहें। इस दौरान पूरी सांस लेना व छोड़ना जारी रखें।

तृतीय चरण : अब कल्पना करें कि आप के हाथ, पांव, पेट, गर्दन, आंखें सब शिथिल हो गए हैं। तब फिर स्वयं से मन ही मन कहें कि मैं योग निद्रा का अभ्यास करने जा रहा हूं। ऐसा तीन बार दोहराएं और गहरी सांस छोड़ना तथा लेना जारी रखें।

चतुर्थ चरण : अब अपने मन को शरीर के विभिन्न अंगों पर ले जाइए और उन्हें शिथिल व तनाव रहित होने का निर्देश दें। पूरे शरीर को शांतिमय स्थिति में रखें। महसूस करें की संपूर्ण शरीर से दर्द बाहर निकल रहा है और मैं आनंदित महसूस कर रहा हूं। गहरी सांस ले।

पंचम चरण : फिर अपने मन को दाहिने पैर के अंगूठे पर ले जाइए। पांव की सभी अंगुलियां कम से कम पांव का तलवा, एड़ी, पिंडली, घुटना, जांघ, नितंब, कमर, कंधा शिथिल होता जा रहा है।

षष्टम चरण इसी तरह बायां पैर भी शिथिल करें। सहज सांस लें व छोड़ें। अब लेटे-लेटे पांच बार पूरी सांस लें व छोड़ें। इसमें पेट व छाती चलेगी। पेट ऊपर-नीचे होगा।

योगनिद्राा के शारीरिक लाभ : योग निद्रा से रक्तचाप, मधुमेह, हृदय रोग, सिरदर्द, पेट में घाव, दमे की बीमारी, गर्दन दर्द, कमर दर्द, घुटनों, जोड़ों का दर्द, साइटिका, प्रसवकाल की पीड़ा में बहुत ही लाभ मिलता है।

योगनिद्रा के मानसिक लाभ : इससे मस्तिष्क से तनाव हट जाता है। यह अनिद्रा, थकान और अवसाद में बहुत ही लाभदायक सिद्ध होती है। योगनिद्रा द्वारा मनुष्य से अच्छे काम भी कराए जा सकते हैं। बुरी आदतें भी इससे छूट जाती हैं। योग निद्रा में किया गया संकल्प बहुत ही शक्तिशाली होता है। योग निद्रा आत्म सम्मोहन नहीं है।
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