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जानिए कौन-कौन से योग होते हैं शुभ…

ज्योतिष शास्त्र में पंचांग से तिथि, वार, नक्षत्र, योग, करण के आधार पर मुहूर्तों का निर्धारण किया जाता है। जिन मुहूर्तों में शुभ कार्य किए जाते हैं उन्हें शुभ मुहूर्त कहते हैं। इनमें सिद्धि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, गुरु पुष्य योग, रवि पुष्य योग, पुष्कर योग, अमृत सिद्धि योग, राज योग, द्विपुष्कर एवं त्रिपुष्कर यह कुछ शुभ योगों के नाम हैं।

अमृत सिद्धि योग :- अमृत सिद्धि योग अपने नामानुसार बहुत ही शुभ योग है। इस योग में सभी प्रकार के शुभ कार्य किए जा सकते हैं। यह योग वार और नक्षत्र के तालमेल से बनता है। इस योग के बीच अगर तिथियों का अशुभ मेल हो जाता है तो अमृत योग नष्ट होकर विष योग में परिवर्तित हो जाता है। सोमवार के दिन हस्त नक्षत्र होने पर जहां शुभ योग से शुभ मुहूर्त बनता है लेकिन इस दिन षष्ठी तिथि भी हो तो विष योग बनता है।

सिद्धि योग :- वार, नक्षत्र और तिथि के बीच आपसी तालमेल होने पर सिद्धि योग का निर्माण होता है। उदाहरण स्वरूप सोमवार के दिन अगर नवमी अथवा दशमी तिथि हो एवं रोहिणी, मृगशिरा, पुष्य, श्रवण और शतभिषा में से कोई नक्षत्र हो तो सिद्धि योग बनता है।

सर्वार्थ सिद्धि योग :- यह अत्यंत शुभ योग है। यह वार और नक्षत्र के मेल से बनने वाला योग है। गुरुवार और शुक्रवार के दिन अगर यह योग बनता है तो तिथि कोई भी यह योग नष्ट नहीं होता है अन्यथा कुछ विशेष तिथियों में यह योग निर्मित होने पर यह योग नष्ट भी हो जाता है। सोमवार के दिन रोहिणी, मृगशिरा, पुष्य, अनुराधा, अथवा श्रवण नक्षत्र होने पर सर्वार्थ सिद्धि योग बनता है जबकि द्वितीया और एकादशी तिथि होने पर यह शुभ योग अशुभ मुहूर्त में बदल जाता है।

पुष्कर योग :- इस योग का निर्माण उस स्थिति में होता है जबकि सूर्य विशाखा नक्षत्र में होता है और चन्द्रमा कृतिका नक्षत्र में होता है। सूर्य और चन्द्र की यह अवस्था एक साथ होना अत्यंत दुर्लभ होने से इसे शुभ योगों में विशेष महत्व दिया गया है। यह योग सभी शुभ कार्यों के लिए उत्तम मुहूर्त होता है।

गुरु पुष्य योग :- गुरुवार और पुष्य नक्षत्र के संयोग से निर्मित होने के कारण इस योग को गुरु पुष्य योग के नाम से सम्बोधित किया गया है। यह योग गृह प्रवेश, ग्रह शांति, शिक्षा सम्बन्धी मामलों के लिए अत्यंत श्रेष्ठ माना जाता है। यह योग अन्य शुभ कार्यों के लिए भी शुभ मुहूर्त के रूप में जाना जाता है।

रवि पुष्य योग :- इस योग का निर्माण तब होता है जब रविवार के दिन पुष्य नक्षत्र होता है। यह योग शुभ मुहूर्त का निर्माण करता है जिसमें सभी प्रकार के शुभ कार्य किए जा सकते हैं। इस योग को मुहूर्त में गुरु पुष्य योग के समान ही महत्व दिया गया है।
: किस वजह से उसकी जिंदगी में तूफान थमने का नाम नहीं ले रही. किस वजह से जीना मुहाल हो रहा है. तो क्या हैं नवग्रह दोष के लक्षण और उससे निजात पाने के उपाय.

अगर बिना बात घर में कलह क्लेश हो, हर काम बनते-बनते बिगड़ जाते हैं, शत्रु अकारण परेशान कर रहे हों , सेहत नहीं दे रही साथ, मान सम्मान का हो रहा हो नाश, बच्चे की बुद्धि का नहीं हो रहा विकास तो आप नवग्रह दोषों से ग्रस्त हैं. फिर तो आप जान लीजिए वो 9 उपाय जो खत्म करेगा 9 ग्रहों के दोष. ज्योतिषाचार्य राजकुमार शास्त्री ने हर ग्रह के बारे में विस्तार से बताया है.

  1. सूर्य दोष के लक्षण:
    असाध्य रोगों के कारण परेशानी
    सिरदर्द, बुखार, नेत्र संबंधी कष्ट
    सरकार के कर विभाग से परेशानी, नौकरी में बाधा
    उपाय:
    भगवान विष्णु की आराधना करें
    ऊं नमो भगवते नारायणाय मंत्र का 1 माला लाल चंदन की माला से जाप करें
    गुड़ खाकर पानी पीकर कार्य आरंभ करें
    बहते जल में 250 ग्राम गुड़ प्रवाहित करें
    सवा पांच रत्ती का माणिक तांबे की अंगूठी में बनवायें
    रविवार को सूर्योंदय के समय दाएं हाथ की मध्यमा अंगूली में धारण करें
    मकान के दक्षिण दिशा के कमरे में अंधेरा रखें
    पशु-पक्षियों के लिए पीने के पानी की व्यवस्था करें
    घर में मां, दादी का आशीर्वाद जरूर लें

चंद्रमा दोष के लक्षण:
जुखाम, पेट की बीमारियों से परेशानी
घर में असमय पशुओं की मत्यु की आशंका
अकारण शत्रुओं का बढ़ना, धन का हानि
उपाय:
भगवान शिव की आराधना करें
ऊं नम शिवाय मंत्र का रूद्राक्ष की माला से 11 माला जाप करें
बड़े बुजुर्गों, ब्रह्मणों, गुरूओं का आशीर्वाद लें
सोमवार को सफेद कपड़े में मिश्री बांधकर जल में प्रवाहित करें
चांदी की अंगूठी में चार रत्ती का मोती सोमवार को जाएं हाथ अनामिका में धारण करें
शीशे की गिलास में दूध, पानी पीने से परेहज करें
28 वर्ष के बाद विवाह का निर्णय लें
लाल रंग का रूमाल हमेशा जेब में रखें
माता-पिता की सेवा से विशेष लाभ

मंगल दोष के लक्षण:
घर में चोरी होने का डर
घर-परिवार में लड़ाई-झगड़े की आशंका
भाई के साथ संबंधों में अनबन
दांपत्य जीवन में तनाव, अकाल मृत्यु की आशंका
उपाय:
भगवान हनुमान की आराधना करें
ऊं हं हनुमते रूद्रात्मकाय हुं फट कपिभ्यो नम: का 1 माला जाप करें
हनुमान चालीसा या बजरंगबाण का रोज पाठ करें
त्रिधातु की अंगुठी बाएं हाथ की अनामिका अंगूली में धारण करें
400 ग्राम चावल दूध से धोकर 14 दिन तक पिवत्र जल में प्रवाहित करें
घर में नीम का पौधा लगायें
बहन, बेटी, मौसी, बुआ, साली को मीठा खिलायें
बहन, बुआ को कपड़े भेंट न दें
तंदूर की बनी रोटी कुत्तों को खिलायें

बुध दोष के लक्षण:
स्वभाव में चिड़चिड़ापन
जुए-सट्टे के कारण धन की बड़ी हानि
दांत से जुड़े रोगों के कारण परेशानी
सिर दर्द के कारण अधिक तनाव की स्थिति
उपाय:
मां दुर्गा की आराधना करें
ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे मंत्र का 5 माला जाप करें
देवी के सामने अखंड घी का दीया जलायें
घर की पूर्व दिशा में लाल झंडा लगायें
सोने के आभूषण धारण करें, हरे रंग से परहेज करें
खाली बर्तनों को ढ़ककर न रखें
चौड़े पत्ते वाले पौधे घर में लगायें, मुख्य द्वार पंचपल्लव का तोरण लगायें
100 ग्रíम चावल, चने की दाल बहते जल में प्रवाहित करें

गुरू दोष के लक्षण:
सोने की हानि, चोरी की आशंका
उच्च शिक्षा की राह में बाधाएं
झूठे आरोप के कारण मान-सम्मान में कमी
पिता को हानि होने की आशंका
उपाय:
परमपिता ब्रह्मा की आराधना करें
बहते पानी में बादाम, तेल, नारियल प्रवाहित करें
माथे पर केसर का तिलक लगायें
सोने की अंगूठी में सवा पांच रत्ती का पुखराज गुरूवार को दाएं हाथ की तर्जनी अंगुली में धारण करें
पूजा स्थल की नियमित रूप से सफाई करें
पीपल के पेड़ पर 7 बार पीला धागा लेपटकर जल दें
600 ग्राम पीले चने मंदिर में दान दें
जुए-सट्टे की लत न पालें, मांसाहार-मद्यपान से परहेज करें
कारोबार में भाई का साथ लाभकारी संबंध मधुर बनायें रखें

शुक्र दोष के लक्षण:
बिना किसी बीमारी के अंगूठे, त्वचा संबंधी रोगों से परेशानी
राजनीति के क्षेत्र में हानि, प्रेम व दापंत्य संबंधों में अलगाव
जीवनसाथी के स्वास्थ्य को लेकर तनाव
उपाय:
मां लक्ष्मी की आराधना करें
ऊं श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसिद प्रसिद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम
रोज रात में मंत्र का 1 माला जाप करें
मां लक्ष्मी को कमल के पुष्पों की माला चढ़ायें
मंदिर में आरती पूजा के लिए गाय का घी दान करें
2 किलो आलू में हल्दी या केसर लगाकर गाय को खिलायें
चांदी या मिटटी के बर्तन में शहद भरकर घर की छत पर दबा दें
आडू की गुटली में सूरमा भरकर घास वाले स्थान पर दबा दें
शुक्रवार के दिन मंदिर में कांसे के बर्तन का दान करें
लाल रंग के गाय की सेवा करें, 800 ग्राम जिमीकंद मंदिर में दान करें

शनि दोष के लक्षण:
पैतृक संपत्ति की हानि, हमेशा बीमारी से परेशानी
मुकदमे के कारण परेशानी
बनते हुए काम का बिगड़ जाना
उपाय:
भगवान भैरव की आराधना करें
ऊं प्रां प्रीं प्रौं शं शनिश्चराय नम मंत्र का 1 माला जाप करें
शनिदेव का 1 किलो सरसों के तेल से अभिषेक करें
सिर पर काला तेल लगाने से परहेज करें
43 दिन तक लगातार शनि मंदिर में जाकर नीले पुष्प चढ़ायें
कौवे या सांप को दूध, चावल खिलायें
किसी बर्तन में तेल भरकर अपना चेहरा देखें, बर्तन को जमीन में दबा दें
शनिवार 800 ग्राम दूध, उड़द जल में प्रवाहित करें
जल में दूध मिलाकर लकड़ी या पत्थर पर बैठकर स्नान करें
घर की छत पर साफ-सफाई का ध्यान रखें
12 नेत्रहीन लोगों को भोजन करायें

राहु दोष के लक्षण:
मोटापेके कारण परेशानी
अचानक दुर्घटना, लड़ाई-झगड़े की आशंका
हर तरह के व्यापार में घाटा
उपाय:
मां सरस्वती की आराधना करें
ऊं ऐं सरस्वत्यै नम मंत्र का 1 माला जाप करें
तांबेके बर्तन में गुड़, गेहूं भरकर बहते जल में प्रवाहित करें
माता से संबंध मधुर रखें
400 ग्राम धनिया, बादाम जल में प्रवाहित करें
घर की दहलीज के नीचे चांदी का पत्ता लगायें
सीढ़ियों के नीचे रसोईघर का निर्माण न करवायें
रात में पत्नी के सिर के नीचे 5 मूली रखें, सुबह मंदिर में दान कर दें
मां सरस्वती के चरणों में लगातार 6 दिन तक नीले पुष्प की माला चढ़ायें
चांदी की गोली हमेशा जेब में रखें
लहसुन, प्याज, मसूर के सेवन से परहेज करें

केतु दोष के लक्षण:
बुरी संगत के कारण धन का हानि
जोड़ों के दर्द से परेशानी
संतान का भाग्योदय न होना, स्वास्थ्य के कारण तनाव
उपाय:
भगवान गणेश की आराधना करें
ऊं गं गणपतये नम मंत्र का 1 माला जाप करें
गणेश अथर्व शीर्ष का पाठ करें
कुंवारी कन्याओं का पूजन करें, पत्नी का अपमान न करें
घर के मुख्य द्वार पर दोनों तरफ तांबे की कील लगायें
पीले कपड़े में सोना, गेहूं बांधकर कुल पुरोहित को दान करें
दूध, चावल, मसूर की दाल का दान करें
बाएं हाथ की अंगुली में सोना पहनने से लाभ
43 दिन तक मंदिर में लगातार केला दान करें
काले व सफेद तिल बहते जल में प्रवाहित करें
: ज्योतिष चर्चा
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धनु लग्न में शुभाशुभ एवं योगकारक ग्रह
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सूर्य👉 सूर्य धनु लग्न में शुभ कारक होता है। भाग्येश एवं धर्मेश होने के कारण शुभ भाव में हो तो जातक धार्मिक, आस्थावान एवं भाग्यशाली होगा। सूर्य की दशा में शुभ फल घटित होंगे।

चंद्रमा👉 अष्टमेष होने से यद्यपि स्वास्थ्य की दृष्टि से अच्छा नहीं किंतु कल्पना शक्ति एवं विद्वत्ता की दृष्टि से जातक विद्वान प्रतिष्ठित एवं अध्ययनशील होगा अड़चनों के बाद सफलता मिलेगी।

मंगल👉 पंचमेश होने से जातक को बौद्धिक क्षमत, संतान सुख (पुत्र संतति) एवं शिक्षा के संबंध में शुभ फलदायक परंतु व्ययेश भी होने से आकस्मिक विघ्न बाधाएं, धन का अपव्यय तथा तनाव देता है। अपनी दशा में मिश्रित फल देता है।

बुध👉 सप्तमेश व कर्मेश होने से विवाह एवं व्यवसाय आदि की दृष्टि से प्रायः शुभ फल देता है। परंतु केंद्रश दोष होने से उसके शुभ कार्यकत्व गुणों एवं फल में कमी आ जाती है। अपनी दशा अंतर्दशा में शुभाशुभ फल बुध की स्थिति पर निर्भर करेगा।

गुरु👉 लग्न एवं चतुर्थ (सुख) भाव का स्वामी होने से शुभफली होता है। केंद्राधिपत्य दोष युक्त भी होता है। परंतु लग्नेश होने के कारण मारकत्व आदि दोष नहीं होंगे तथा अशुभ फल कम ही देगा। गुरु यदि कुंडली में अशुभस्त हो तो अपनी दशा में कष्टों के बाद सफलता देगा।

शुक्र👉 त्रिषडायपति अर्थात छठे भाव व 11 वे भाव का स्वामी होने से प्रायः इस लग्न में अशुभ फल देता है। किंतु 2, 3, 4, 7, 8, एवं 11 वे भाव में अपनी दशा में किंचित शुभफल प्रदान करेगा।

शनि👉 धनेश एवं तृतीय होने से अपनी दशा में मिश्रित प्रभाव करता है। 1, 3, 5, 7, 8, 9, 10, एवं 12 वे भावो में शुभ तथा शेष भागों में अशुभ फली होता है। फल दीपिका के अनुसार शनि पंचम भाव में नीच का होने पर भी लाभ स्थान व धन स्थान को उच्च एवं स्वराशि से देखने से अपनी दशा में शुभ फल प्रदान करता है।

राहु👉 2, 3, 5, 8, 9, 10, 11 एवं 12 वे भाव में शुभ शेष अन्य भाव में अशुभ फल करता है। दृष्टि योग आदि से फल में परिवर्तन भी संभव है।

केतु👉 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 11 एवं 12 वे भाव में शुभ तथा अन्य स्थानों में अशुभफल करता है।

विशेष👉 दो तीन या अधिक ग्रहों की स्थिति में अथवा ग्रहों की शुभाशुभ अवस्था एवं पारस्परिक दृष्टि यों के कारण उपरोक्त ग्रहों के शुभाशुभ फलों के संबंध में न्यूनाधिकता की संभावना भी होती है।


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