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जानिये घर में किस चीज़ की धूनी (धूप) करने से होता है क्या फायदा

हिंदू धर्म के अनुसार घरों में धूनी (धूप) देने की परंपरा काफी प्राचीन है। धूप देने से मन को शांति और प्रसन्नता मिलती है। साथ ही, मानसिक तनाव दूर करने में भी इससे बहुत लाभ मिलता है। घरों में धूनी देने के लिए कई तरह की चीज़ें आती है। आइए जानते है किस चीज़ की धूनी करने से क्या फायदे होते है।

1- कर्पूर और लौंग

रोज़ाना सुबह और शाम घर में कर्पूर और लौंग जरूर जलाएं। आरती या प्रार्थना के बाद कर्पूर जलाकर उसकी आरती लेनी चाहिए। इससे घर के वास्तुदोष ख़त्म होते हैं। साथ ही पैसों की कमी नहीं होती।

2- गुग्गल की धूनी

हफ्ते में 1 बार किसी भी दिन घर में कंडे जलाकर गुग्गल की धूनी देने से गृहकलह शांत होता है। गुग्गल सुगंधित होने के साथ ही दिमाग के रोगों के लिए भी लाभदायक है।

3- पीली सरसों

पीली सरसों, गुग्गल, लोबान, गौघृत को मिलाकर सूर्यास्त के समय उपले (कंडे) जलाकर उस पर ये सारी सामग्री डाल दें। नकारात्मकता दूर हो जाएगी।

4- धूपबत्ती

घर में पैसा नहीं टिकता हो तो रोज़ाना महाकाली के आगे एक धूपबत्ती लगाएं। हर शुक्रवार को काली के मंदिर में जाकर पूजा करें।

5- नीम के पत्ते

घर में सप्ताह में एक या दो बार नीम के पत्ते की धूनी जलाएं। इससे जहां एक और सभी तरह के जीवाणु नष्ट हो जाएंगे। वही वास्तुदोष भी समाप्त हो जाएगा।

6- षोडशांग धूप

अगर, तगर, कुष्ठ, शैलज, शर्करा, नागर, चंदन, इलायची, तज, नखनखी, मुशीर, जटामांसी, कर्पूर, ताली, सदलन और गुग्गल, ये सोलह तरह के धूप माने गए हैं। इनकी धूनी से आकस्मिक दुर्घटना नहीं होती है।

7- लोबान धूनी

लोबान को सुलगते हुए कंडे या अंगारे पर रख कर जलाया जाता है, लेकिन लोबान को जलाने के नियम होते हैं इसको जलाने से पारलौकिक शक्तियां आकर्षित होती है। इसलिए बिना विशेषज्ञ से पूछे इसे न जलाएं।

8- दशांग धूप

चंदन, कुष्ठ, नखल, राल, गुड़, शर्करा, नखगंध, जटामांसी, लघु और क्षौद्र सभी को समान मात्रा में मिलाकर जलाने से उत्तम धूप बनती है। इसे दशांग धूप कहते हैं। इससे घर में शांति रहती है।

9- गायत्री केसर

घर पर यदि किसी ने कुछ तंत्र कर रखा है तो जावित्री, गायत्री केसर लाकर उसे कूटकर मिला लें। इसके बाद उसमें उचित मात्रा में गुग्गल मिला लें। अब इस मिश्रण की धुप रोज़ाना शाम को दें। ऐसा 21 दिन तक करें।

शंख में छिपे है सेहत के राज

पूजा-पाठ में शंख बजाने का चलन युगों-युगों से है. देश के कई भागों में लोग शंख को पूजाघर में रखते हैं और इसे नियम‍ित रूप से बजाते हैं. ऐसे में यह उत्सुकता एकदम स्वाभाविक है कि शंख केवल पूजा-अर्चना में ही उपयोगी है या इसका सीधे तौर पर कुछ लाभ भी है. शंख रखने, बजाने व इसके जल का उचित इस्तेमाल करने से कई तरह के लाभ होते हैं. कई फायदे तो सीधे तौर पर सेहत से जुड़े हैं. शंख की उत्पत्ति कैसे हुयी? इस परिपेक्ष्य में पौराणिक ग्रन्थ कहते है कि सृष्टि से आत्मा, आत्मा से प्रकाश, प्रकाश से आकाश, आकाश से वायु, वायु से अग्नि, अग्नि से जल और जल से पृथ्वी की उत्पति हुयी है। इन सभी तत्वों से मिलकर शंख का निर्माण हुआ है। ब्रहमवैवर्तपुराण के अनुसार शंख सूर्य और चन्द्रमा के समान देवस्वरूप है। इसके अग्र भाग में गंगा सरस्वती, पृष्ठ भाग में वरूण और मध्य में स्वयं ब्रहमा जी विराजमान है।

भागवत पुराण के अनुसार संदीपन ऋषि आश्रम में कृष्ण की शिक्षा पूरी होने पर उन्हे गुरू दक्षिणा लेने का आग्रह किया। तब ऋषि ने कहा समुद्र में डूबे हुये मेरे पुत्र को ले आओ। श्री कृष्ण ने समुद्र तट पर जाकर शंखासुर को मारने से उसका खोल (शंख) शेष रह गया था। मान्यता है उसी से शंख की उतपत्ति हुयी। शायद उसी शंख का नाम पांचजन्य था।

➡ऐसी मान्यता है कि जिस घर में शंख होता है, वहां लक्ष्मी का वास होता है. धार्मिक ग्रंथों में शंख को लक्ष्मी का भाई बताया गया है, क्योंकि लक्ष्मी की तरह शंख भी सागर से ही उत्पन्न हुआ है. शंख की गिनती समुद्र मंथन से निकले चौदह रत्नों में होती है.

➡ शंख को इसलिए भी शुभ माना गया है, क्योंकि माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु, दोनों ही अपने हाथों में इसे धारण करते हैं.

➡ पूजा-पाठ में शंख बजाने से वातावरण पवित्र होता है. जहां तक इसकी आवाज जाती है, इसे सुनकर लोगों के मन में सकारात्मक विचार पैदा होते हैं.

➡ ब्रह्मवैवर्त पुराण में कहा गया है कि शंख में जल रखने और इसे छिड़कने से वातावरण शुद्ध होता है.

➡ वैज्ञानिकों का मानना है कि शंख की आवाज से वातावरण में मौजूद कई तरह के जीवाणुओं-कीटाणुओं का नाश हो जाता है।

➡ आयुर्वेद के मुताबिक, शंखोदक के भस्म के उपयोग से पेट की बीमारियां, पथरी, पीलिया आदि कई तरह की बीमारियां दूर होती हैं. हालांकि इसका उपयोग एक्सपर्ट वैद्य की सलाह से ही किया जाना चाहिए.

➡ शंख बजाने से फेफड़े का व्यायाम होता है. पुराणों के जिक्र मिलता है कि अगर श्वास का रोगी नियमि‍त तौर पर शंख बजाए, तो वह बीमारी से मुक्त हो सकता है.

➡ शंख में रखे पानी का सेवन करने से हड्डियां मजबूत होती हैं. यह दांतों के लिए भी लाभदायक है. शंख में कैल्शि यम, फास्फोरस व गंधक के गुण होने की वजह से यह फायदेमंद है.

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