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मानसिक स्वास्थ्य व योग

अब बात करते हैं मानसिक स्वास्थ्य की, वो कहावत आपने जरूर सुनी होगी कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का वास होता है। इसलिए मन का स्वस्थ होना शरीर के स्वस्थ होने पर ही निर्भर करता है। नियमित रूप से योग किए बिना एक स्वस्थ मन की कल्पना करना बेकार है। योग जिस तरह से आपके शरीर के हर स्तर पर काम करता है ठीक उसी तरह से वो मन की गहराईयों में भी प्रभाव डालता है। तभी तो महज प्राणायाम करने मात्र से ही मन का शांत होना शुरू हो जाता है क्योंकि मन का सीधा सम्बन्ध हमारे प्राणों से होता है।

प्राणों में स्थिरता आते ही मन भी संयमित होना शुरू कर देता है। जहां योगासन के जरिए हमारा शरीर स्वस्थ होता है वहीं प्राणायाम हमारे मन पर काम करता है। प्राणायाम का अर्थ ही है की श्वास के विभिन्न आयामों पर कार्य करना जिससे हमारे जीवन में छुपे जीवन के आयाम प्रकट हो सकें। प्राणायाम के अभ्यास से शरीर और मन अपने शुद्धतम स्वरुप को प्राप्त हो जाना शुरू कर देता है।

यह कहना गलत नहीं होगा कि शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों एक दुसरे के पूरक होते हैं इसलिए बिना किसी एक के अस्वस्थ होने पर उतनी ही समस्या होती है यही कारण है कि दोनों को स्वस्थ होना बेहद जरूरी है। तभी हम एक स्वस्थ जिंदगी जी सकते हैं यानि की हमें दोनों स्तर पर आरोग्य के लिए प्रयास करना करना चाहिए। मानसिक स्वास्थ लाभ के लिए योग में जप का भी महत्व बताया गया है। जप करने से मानसिक शांति मिलती है इसलिए मानसिक शांति ही मानसिक स्वास्थ भी देती है।
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