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आयुर्वेदिक उपचार
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मधुमेह लक्षण 👇🏻👇🏻

बार-बार पेशाब आना।
बहुत ज्यादा प्यास लगना।
बहुत पानी पीने के बाद भी गला सूखना।
खाना खाने के बाद भी बहुत भूख लगना।
मितली होना और कभी-कभी उल्टी होना।
हाथ-पैर में अकड़न और शरीर में झंझनाहट होना।
हर समय कमजोरी और थकान की शिकायत होना।
आंखों से धुंधलापन होना।
त्वचा या मूत्रमार्ग में संक्रमण।
त्वचा में रूखापन आना।
चिड़चिड़ापन।
सिरदर्द।
शरीर का तापमान कम होना।
मांसपेशियों में दर्द।
वजन में कमी होना।

मधुमेह को नियंत्रण करने के कुछ आसन से घरेलू उपाय👇🏻👇🏻
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तुलसी के पत्तों में ऐन्टीआक्सिडन्ट और ज़रूरी तेल होते हैं जो इनसुलिन के लिये सहायक होते है । इसलिए शुगर लेवल को कम करने के लिए दो से तीन तुलसी के पत्ते को प्रतिदिन खाली पेट लें, या एक टेबलस्पून तुलसी के पत्ते का जूस लें।

10 मिग्रा आंवले के जूस को 2 ग्राम हल्दी के पावडर में मिला लीजिए। इस घोल को दिन में दो बार लीजिए। इससे खून में शुगर की मात्रा नियंत्रित होती है।

काले जामुन डायबिटीज के मरीजों के लिए अचूक औषधि मानी जाती है। मधुमेह के रोगियों को काले नमक के साथ जामुन खाना चाहिए। इससे खून में शुगर की मात्रा नियंत्रित होती है।

लगभग एक महीने के लिए अपने रोज़ के आहार में एक ग्राम दालचीनी का इस्तेमाल करें, इससे ब्लड शुगर लेवल को कम करने के साथ वजन को भी नियंत्रण करने में मदद मिलेगी।

करेले को मधुमेह की औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इसका कड़वा रस शुगर की मात्रा कम करता है।अत: इसका रस रोज पीना चाहिए। उबले करेले के पानी से मधुमेह को शीघ्र स्थाई रूप से समाप्त किया जा सकता है।

मधुमेह के उपचार के लिए मैथीदाने का बहुत महत्व है, इससे पुराना मधुमेह भी ठीक हो जाता है। मैथीदानों का चूर्ण नित्य प्रातः खाली पेट दो टी-स्पून पानी के साथ लेना चाहिए ।

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