Phone

9140565719

Email

mindfulyogawithmeenu@gmail.com

Opening Hours

Mon - Fri: 7AM - 7PM


दीपावली की मंगल बधाई
दीपावली अंतर्मन के दीप जलाने का पर्व है। काम-क्रोध-लोभ और मोह जैसी घनघोर अमावस में ज्ञान रुपी दीप प्रज्वलित कर भीतर के तम का नाश करना ही इस पर्व का मुख्य उद्देश्य है।। जहाँ प्रेम रूप दीए जले हों श्री राम उसी हृदय रुपी अयोध्या में विराजते हैं। या तो हृदय में प्रेम की ज्योत जलने पर श्री राम आयेंगे अथवा तो श्री राम के विराजमान होने पर हृदय में स्वतः ही प्रेम का प्रकाश विखरने लगेगा अतः इस दीपावली पर मिठाई ही नहीं प्रेम भी बाँटो। पटाखे ही नहीं दुर्गुणों को भी जलाओ। घर को ही नहीं ह्रदय को भी सजाओ। फिर जीवन को राममय होते देर ना लगेगी। और जहाँ राम (धर्म) हैं, वहाँ लक्ष्मी तो आती ही हैं।। आप सबके स्वस्थ, समृद्ध, आनंदमय एवं भक्तिमय जीवन की शुभकामनाओं सहित दीपोत्सव की बधाई। अपना गम सोच समझ कर बांटना चाहिए दुनिया में हमदर्द कम, सिरदर्द ज्यादा मिलते हैं।।

[: 🌻सबक🌻

एक औरत अपने परिवार के सदस्यों के लिए रोज़ाना भोजन पकाती थी और एक रोटी वह वहाँ से गुजरने वाले किसी भी भूखे के लिए पकाती थी वह उस रोटी को खिड़की के सहारे रख दिया करती थी, जिसे कोई भी ले सकता था एक कुबड़ा व्यक्ति रोज उस रोटी को ले जाता और बजाय धन्यवाद देने के अपने रस्ते पर चलता हुआ वह कुछ इस तरह बड़बड़ाता जो तुम बुरा करोगे वह तुम्हारे साथ रहेगा और जो तुम अच्छा करोगे वह तुम तक लौट के आएगा दिन गुजरते गए और ये सिलसिला चलता रहा वो कुबड़ा रोज रोटी लेके जाता रहा और इन्ही शब्दों को बड़बड़ाता-“जो तुम बुरा करोगे वह तुम्हारे साथ रहेगा और जो तुम अच्छा करोगे वह तुम तक लौट के आएगा वह औरत उसकी इस हरकत से तंग आ गयी और मन ही मन खुद से कहने लगी कि “कितना अजीब व्यक्ति है, एक शब्द धन्यवाद का तो देता नहीं है, और न जाने क्या-क्या बड़बड़ाता रहता है, मतलब क्या है इसका एक दिन क्रोधित होकर उसने एक निर्णय लिया और बोली “मैं इस कुबड़े से निजात पाकर रहूंगी।” और उसने क्या किया कि उसने उस रोटी में जहर मिला दिया जो वो रोज़ उसके लिए बनाती थी, और जैसे ही उसने रोटी को खिड़की पर रखने कि कोशिश की, कि अचानक उसके हाथ कांपने लगे और वह रुक गई ओर वह बोली – “हे भगवन, मैं ये क्या करने जा रही थी और उसने तुरंत उस रोटी को चूल्हे की आँच में जला दिया। एक ताजा रोटी बनायीं और खिड़की के सहारे रख दी हर रोज कि तरह वह कुबड़ा आया और रोटी लेके, “जो तुम बुरा करोगे वह तुम्हारे साथ रहेगा, और जो तुम अच्छा करोगे वह तुम तक लौट के आएगा” बड़बड़ाता हुआ चला गया इस बात से बिलकुल बेख़बर कि उस महिला के दिमाग में क्या चल रहा है। हर रोज जब वह महिला खिड़की पर रोटी रखती थी तो वह भगवान से अपने पुत्र कि सलामती और अच्छी सेहत और घर वापसी के लिए प्रार्थना करती थी, जो कि अपने सुन्दर भविष्य के निर्माण के लिए कहीं बाहर गया हुआ था महीनों से उसकी कोई खबर नहीं थी ठीक उसी शाम को उसके दरवाज़े पर एक दस्तक होती है।। वह दरवाजा खोलती है। और भोंचक्की रह जाती है, अपने बेटे को अपने सामने खड़ा देखती है।। वह पतला और दुबला हो गया था उसके कपडे फटे हुए थे और वह भूखा भी था, भूख से वह कमजोर हो गया था जैसे ही उसने अपनी माँ को देखा, उसने कहा- “माँ, यह एक चमत्कार है कि मैं यहाँ हूँ.. आज जब मैं घर से एक मील दूर था, मैं इतना भूखा था कि मैं गिर गया.. मैं मर गया होता।। लेकिन तभी एक कुबड़ा वहां से गुजर रहा था उसकी नजर मुझ पर पड़ी और उसने मुझे अपनी गोद में उठा लिया.. भूख के मरे मेरे प्राण निकल रहे थे.. मैंने उससे खाने को कुछ माँगा उसने नि:संकोच अपनी रोटी मुझे यह कह कर दे दी कि- “मैं हर रोज यही खाता हूँ, लेकिन आज मुझसे ज़्यादा जरुरत इसकी तुम्हें है.. सो ये लो और अपनी भूख को तृप्त करो।” जैसे ही माँ ने उसकी बात सुनी, माँ का चेहरा पीला पड़ गया और अपने आप को सँभालने के लिए उसने दरवाजे का सहारा लिया उसके मस्तिष्क में वह बात घुमने लगी कि कैसे उसने सुबह रोटी में जहर मिलाया था, अगर उसने वह रोटी आग में जला कर नष्ट नहीं की होती तो उसका बेटा उस रोटी को खा लेता और अंजाम होता उसकी मौत और इसके बाद उसे उन शब्दों का मतलब बिलकुल स्पष्ट हो चूका था “जो तुम बुरा करोगे वह तुम्हारे साथ रहेगा,और जो तुम अच्छा करोगे वह तुम तक लौट के आएगा।”
” निष्कर्ष “
==========
हमेशा अच्छा करो और अच्छा करने से अपने आप को कभी मत रोको, फिर चाहे उसके लिए उस समय आपकी सराहना या प्रशंसा हो या ना हो।।
[प्रेम, करुणा और सहानुभूति के आंसू पवित्र होते हैं, अपने स्वभाव का सुधार व्यक्ति खुद ही कर सकता है। दूसरे तो केवल आपको राह दिखा सकते हैं।। यदि दूसरों को पहचानना है। तो सबसे पहले खुद को पहचानना होगा अहंकार मानव को दानव बनाता है॥ रूबरू व्यक्ति मुझसे कही न कही श्रेष्ठ है। अतः सभी व्यक्तियों को हृदय की गहराईयों से प्रणाम।।
[धर्म और विज्ञान दो अलग रास्ते नहीं हैं, ना ही उनमे कहीं टकराव है। धर्म और विज्ञान के रास्ते अलग-अलग भले हों पर दोनों का उददेश्य सत्य को ही प्राप्त करना है। विज्ञान वाहर के पदार्थों को जानना चाहता है, धर्म उस परम को जानने का माध्यम है।। विज्ञान कहता है, कि पहले जानो तब मानों, धर्म कहता है पहले मानो तब जानों। एक तर्क पर चलता है दूसरा श्रद्धा पर चलता है। विज्ञान से संसार की बहुत बड़ी ऊर्जा हमें मिल जाएगी।। पर उसके उपयोग की प्रेरणा तो धर्म से ही मिलेगी। विज्ञान से बहुत सारे साधन मिल जायेंगे पर मन की शांति तो धर्म से ही मिलेगी। भीतर का सुख तो धर्म के मार्ग से ही मिलेगा। नए-नए साधन तो विज्ञान से ही मिलेंगे पर उनका सही उपयोग तो धर्म ही सिखाएगा। हमें विज्ञानी होने के साथ ज्ञानी होना भी जरूरी है।।

Recommended Articles

Leave A Comment