ध्यान पूर्वक समझिए
सनातन संस्कृति की अद्भुत वास्तुकला और शिल्पकला को
हजारो वर्ष पुराना यह पूरा मंदिर एक ही चट्टान को काटकर बना है , आदमी कितनी भी मेहनत कर ले, यह बिना मशीनों के संभव नही है । मोहन जोदड़ो हड़प्पा सभ्यता कैसे समाप्त हुई ? आज विज्ञान भी कहता है, की ऐसा प्रतीत होता है, जैसे यहां कभी परमाणु बम गिरे हो, जबकि हमारा वर्तमान विज्ञान परमाणु बम का पहली बार उपयोग दूसरे विश्व युद्ध मे मानता है ।
इन चट्टानों को काटना ही बड़ी बात नही है, इस तरह का नक्शा तैयार करना भी बड़ी बात है, ओर उससे भी बड़ी बात है, ऐसे निर्माण की कल्पना करना ।
या तो यह माना जा सकता है, की देवताओं के इनका निर्माण किया है, या हमारे पूर्वज ज्ञान और विज्ञान में हमसे बहुत ज़्यादा आगे थे ।
पश्चिम की प्राचीन एलियंस थ्योरी भी ज़्यादा गलत नही है, सनातन इतिहास हो, या अन्य किसी पंथ का इतिहास , प्रत्येक का मानना है, की अन्य ग्रहों से भी उन्नत संस्कृति के लोग धरती पर आते थे , ओर धरती की संस्कृति को अपना योगदान देने में सहायक थे
महाबलीपुरम के समुद्र तट पर स्थित यह मंदिर प्राचीन वास्तु कला का उदहारण है। मंदिर भगवान शिव और भगवान विष्णु को समर्पित है, इसे स्टोन टेम्पल इसलिए कहते हैं क्योंकि मंदिर वाला भाग ग्रेनाइट पत्थर से बना हुआ है जो देखने में बहुत ही सुंदर दिखता है। मंदिर के प्रांगण में सात पगोडा की पत्थर की मूर्तियां हैं जिन्हें देखना अद्भुत है।
शोर_मंदिर
Shore Temple Mahabalipuram