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भाव के प्रकार

केन्द्र भाव: वैदिक ज्योतिष में केन्द्र भाव को सबसे शुभ भाव माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार यह लक्ष्मी जी की स्थान होता है। केन्द्र भाव में प्रथम भाव, चतुर्थ भाव, सप्तम भाव और दशम भाव आते हैं। शुभ भाव होने के साथ-साथ केन्द्र भाव जीवन के अधिकांश क्षेत्र को दायरे में लेता है। केन्द्र भाव में आने वाले सभी ग्रह कुंडली में बहुत ही मजबूत माने जाते हैं। इनमें दसवाँ भाव करियर और व्यवसाय का भाव होता है। जबकि सातवां भाव वैवाहिक जीवन को दर्शाता है और चौथा भाव माँ और आनंद का भाव है। वहीं प्रथम भाव व्यक्ति के स्वभाव को बताता है। यदि आपकी जन्म कुंडली में केन्द्र भाव मजबूत है तो आप जीवन के विभिन्न क्षेत्र में सफलता अर्जित करेंगे।

त्रिकोण भाव: वैदिक ज्योतिष में त्रिकोण भाव को भी शुभ माना जाता है। दरअसल त्रिकोण भाव में आने वाले भाव धर्म भाव कहलाते हैं। इनमें प्रथम, पंचम और नवम भाव आते हैं। प्रथम भाव स्वयं का भाव होता है। वहीं पंचम भाव जातक की कलात्मक शैली को दर्शाता है जबकि नवम भाव सामूहिकता का परिचय देता है। ये भाव जन्म कुंडली में को मजबूत बनाते हैं। त्रिकोण भाव बहुत ही पुण्य भाव होते हैं केन्द्र भाव से इनका संबंध राज योग को बनाता है। इन्हें केंद्र भाव का सहायक भाव माना जा सकता है। त्रिकोण भाव का संबंध अध्यात्म से है। नवम और पंचम भाव को विष्णु स्थान भी कहा जाता है।

उपचय भाव: कुंडली में तीसरा, छठवाँ, दसवाँ और ग्यारहवाँ भाव उपचय भाव कहलाते हैं। ज्योतिष में ऐसा माना जाता है कि ये भाव, भाव के कारकत्व में वृद्धि करते हैं। यदि इन भाव में अशुभ ग्रह मंगल, शनि, राहु और सूर्य विराजमान हों तो जातकों के लिए यह अच्छा माना जाता है। ये ग्रह इन भावों में नकारात्मक प्रभावों को कम करते हैं।

मोक्ष भाव: कुंडली में चतुर्थ, अष्टम और द्वादश भाव को मोक्ष भाव कहा जाता है। इन भावों का संबंध अध्यात्म जीवन से है। मोक्ष की प्राप्ति में इन भावों का महत्वपूर्ण योगदान होता है।
धर्म भाव: कुंडली में प्रथम, पंचम और नवम भाव को धर्म भाव कहते हैं। इन्हें विष्णु और लक्ष्मी जी का स्थान कहा जाता है।

अर्थ भाव: कुंडली में द्वितीय, षष्ठम एवं दशम भाव अर्थ भाव कहलाते हैं। यहाँ अर्थ का संबंध भौतिक और सांसारिक सुखों की प्राप्ति के लिए प्रयोग होने वाली पूँजी से है।

काम भाव: कुंडली में तीसरा, सातवां और ग्यारहवां भाव काम भाव कहलाता है। व्यक्ति जीवन के चार पुरुषार्थों (धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष) में तीसरा पुरुषार्थ काम होता है।

दु:स्थान भाव: कुंडली में षष्ठम, अष्टम एवं द्वादश भाव को दुःस्थान भाव कहा जाता है। ये भाव व्यक्ति जीवन में संघर्ष, पीड़ा एवं बाधाओं को दर्शाते हैं।

मारक भाव: कुंडली में द्वितीय और सप्तम भाव मारक भाव कहलाते हैं। मारक भाव के कारण जातक अपने जीवन में धन संचय, अपने साथी की सहायता में अपनी ऊर्जा को ख़र्च करता है।
: मंगलवार विशेष हनुमानजी को प्रसन्न करने के उपाय ?
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धर्म ग्रंथों के अनुसार मंगलवार के दिन ही हनुमानजी का जन्म हुआ था। इसलिए मान्यता है कि मंगलवार के दिन विशेष उपाय करने से हनुमानजी शीघ्र ही प्रसन्न हो जाते हैं। आज हम आपको हनुमानजी को प्रसन्न करने के, मंगलवार के दिन करने योग्य कुछ खास उपाय बता रहे हैं। ये उपाय करने से आपकी हर समस्या का समाधान हो सकता है और मनोकामनाएं भी पूरी हो सकती हैं। ये उपाय इस प्रकार हैं-

1- मंगलवार के दिन सुबह स्नान करने के बाद बड़ के पेड़ का एक पत्ता तोड़ें और इसे साफ स्वच्छ पानी से धो लें। अब इस पत्ते को कुछ देर हनुमानजी की प्रतिमा के सामने रखें और इसके बाद इस पर केसर से श्रीराम लिखें।

अब इस पत्ते को अपने पर्स में रख लें। इस उपाय से आपके पर्स में बरकत बनी रहेगी। जब यह पत्ता पूरी तरह से सूख जाए तो इस पत्ते को नदी में प्रवाहित कर दें और इसी प्रकार से एक और पत्ता अभिमंत्रित कर अपने पर्स में रख लें।
2- मंगलवार के दिन हनुमानजी को चोला चढाएं। हनुमानजी को चोला चढ़ाने से पहले स्वयं स्नान कर शुद्ध हो जाएं और साफ वस्त्र धारण करें। सिर्फ लाल रंग की धोती पहने तो और भी अच्छा रहेगा। चोला चढ़ाने के लिए चमेली के तेल का उपयोग करें। साथ ही चोला चढ़ाते समय एक दीपक हनुमानजी के सामने जला कर रख दें। दीपक में भी चमेली के तेल का ही उपयोग करें।

चोला चढ़ाने के बाद हनुमानजी को गुलाब के फूल की माला पहनाएं और केवड़े का इत्र हनुमानजी की मूर्ति के दोनों कंधों पर थोड़ा-थोड़ा छिटक दें। अब एक साबूत पान का पत्ता लें और इसके ऊपर थोड़ा गुड़ व चना रख कर हनुमानजी को इसका भोग लगाएं। भोग लगाने के बाद उसी स्थान पर थोड़ी देर बैठकर तुलसी की माला से नीचे लिखे मंत्र का जप करें। कम से कम 5 माला जाप अवश्य करें।

मंत्र-
राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे।
सहस्त्र नाम तत्तुन्यं राम नाम वरानने।।

अब हनुमानजी को चढाएं गए गुलाब के फूल की माला से एक फूल तोड़ कर उसे एक लाल कपड़े में लपेटकर अपने धन स्थान यानी तिजोरी में रख लें। आपकी तिजोरी में बरकत बनी रहेगी।

3- मंगलवार को शाम के समय समीप स्थित किसी ऐसे मंदिर जाएं जहां भगवान श्रीराम व हनुमानजी दोनों की ही प्रतिमा हो। वहां जाकर श्रीराम व हनुमानजी की प्रतिमा के सामने शुद्ध घी के दीपक जलाएं। इसके बाद वहीं भगवान श्रीराम की प्रतिमा के सामने बैठकर हनुमान चालीसा तथा हनुमान प्रतिमा के सामने बैठकर राम रक्षा स्त्रोत का पाठ करें। इस उपाय से भगवान श्रीराम व हनुमानजी दोनों की ही कृपा आपको प्राप्त होगी।

4- श्रीराम नवमी के दिन पास ही स्थित हनुमानजी के किसी मंदिर में जाएं और हनुमानजी को सिंदूर व चमेली का तेल अर्पित करें और अपनी मनोकामना कहें। इससे हनुमानजी प्रसन्न होते हैं और भक्त की हर मनोकामना पूरी करते हैं।

5- यदि आप पर कोई संकट है तो मंगलवार के दिन नीचे लिखे हनुमान मंत्र का विधि-विधान से जाप करें।

मंत्र-
ऊं नमो हनुमते रूद्रावताराय सर्वशत्रुसंहारणाय सर्वरोग हराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा

जप विधि
– सुबह जल्दी उठकर सर्वप्रथम स्नान आदि नित्य कर्म से निवृत्त होकर साफ वस्त्र पहनें। इसके बाद अपने माता-पिता, गुरु, इष्ट व कुल देवता को नमन कर कुश का आसन ग्रहण करें। पारद हनुमान प्रतिमा के सामने इस मंत्र का जप करेंगे तो विशेष फल मिलता है। जप के लिए लाल हकीक की माला का प्रयोग करें।

6- मंगलवार के दिन किसी हनुमानजी के मंदिर जाएं और वहां बैठकर राम रक्षा स्त्रोत का पाठ करें। इसके बाद हनुमानजी को गुड़ और चने का भोग लगाएं। जीवन में यदि कोई समस्या है तो उसका निवारण करने के लिए प्रार्थना करें।

7- मंगलवार को सुबह स्नान आदि करने के बाद बड़ के पेड़ से 11 या 21 पत्ते तोड़े लें। ध्यान रखें कि ये पत्ते पूरी तरह से साफ व साबूत हों। अब इन्हें स्वच्छ पानी से धो लें और इनके ऊपर चंदन से भगवान श्रीराम का नाम लिखें। अब इन पत्तों की एक माला बनाएं।

माला बनाने के लिए पूजा में उपयोग किए जाने वाले रंगीन धागे का इस्तेमाल करें। अब समीप स्थित किसी हनुमान मंदिर जाएं और हनुमान प्रतिमा को यह माला पहना दें। हनुमानजी को प्रसन्न करने का यह बहुत प्राचीन टोटका है।

8- अगर आप शनि दोष से पीडि़त हैं तो मंगलवार के दिन काली उड़द व कोयले की एक पोटली बनाएं। इसमें एक रुपए का सिक्का रखें। इसके बाद इस पोटली को अपने ऊपर से उसार कर किसी नदी में प्रवाहित कर दें और फिर किसी हनुमान मंदिर में जाकर राम नाम का जप करें इससे शनि दोष का प्रभाव कम हो सकता है।

9- मंगलवार के दिन सुबह जल्दी उठकर नित्य कर्मों से निवृत्त होकर साफ वस्त्र पहनें। किसी शांत एवं एकांत कमरे में पूर्व दिशा की ओर मुख करके लाल आसन पर बैठें। स्वयं लाल या पीली धोती पहनें। अपने सामने चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर हनुमानजी की मूर्ति स्थापित करें। चित्र के सामने तांबे की प्लेट में लाल रंग के फूल का आसन देकर श्रीहनुमान यंत्र को स्थापित करें। यंत्र पर सिंदूर से टीका करें और लाल फूल चढ़ाएं। मूर्ति तथा यंत्र पर सिंदूर लगाने के बाद धूप, दीप, चावल, फूल व प्रसाद आदि से पूजन करें। सरसों या तिल के तेल का दीपक एवं धूप जलाएं-

ध्यान- दोनों हाथ जोड़कर हनुमानजी का ध्यान करें-

ऊँ रामभक्ताय नम:। ऊँ महातेजसे नम:।
ऊं कपिराजाय नम:। ऊँ महाबलाय नम:।
ऊँ दोणाद्रिहराय नम:। ऊँ सीताशोक हराय नम:।
ऊँ दक्षिणाशाभास्कराय नम:। ऊँ सर्व विघ्न हराय नम:।

आह्वान- हाथ जोड़कर हनुमानजी का आह्वान करें-

हेमकूटगिरिप्रान्त जनानां गिरिसामुगाम्।
पम्पावाहथाम्यस्यां नद्यां ह्रद्यां प्रत्यनत:।।

विनियोग- दाएं हाथ में आचमनी में या चम्मच में जल भरकर यह विनियोग करें-

अस्य श्रीहनुमन्महामन्त्रराजस्य श्रीरामचंद्र ऋषि: जगतीच्छन्द:, श्रीहनुमान, देवता, ह् सौं बीजं, हस्फ्रें शक्ति: श्रीहनुमत् प्रसादसिद्धये जपे विनियोग:।

अब जल छोड़ दें।

इस प्रकार श्रीहनुमान यंत्र की पूजा से सभी मनोकामना पूरी हो सकती हैं।

10- मंगलवार को घर में पारद से निर्मित हनुमानजी की प्रतिमा स्थापित करें। पारद को रसराज कहा जाता है। तंत्र शास्त्र के अनुसार पारद से बनी हनुमान प्रतिमा की पूजा करने से बिगड़े काम भी बन जाते हैं। पारद से निर्मित हनुमान प्रतिमा को घर में रखने से सभी प्रकार के वास्तु दोष स्वत: ही दूर हो जाते हैं साथ ही घर का वातावरण भी शुद्ध होता है।

प्रतिदिन इसकी पूजा करने से किसी भी प्रकार के तंत्र का असर घर में नहीं होता और न ही साधक पर किसी तंत्र क्रिया का प्रभाव पड़ता है। यदि किसी को पितृदोष हो तो उसे प्रतिदिन पारद हनुमान प्रतिमा की पूजा करनी चाहिए। इससे पितृदोष समाप्त हो जाता है।

11- मंगलवार को दिन तेल, बेसन और उड़द के आटे से बनाई हुई हनुमानजी की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा करके तेल और घी का दीपक जलाएं तथा विधिवत पूजन कर पूआ, मिठाई आदि का भोग लगाएं। इसके बाद 27 पान के पत्ते तथा सुपारी आदि मुख शुद्धि की चीजें लेकर इनका बीड़ा बनाकर हनुमानजी को अर्पित करें। इसके बाद इस मंत्र का जाप करें-

मंत्र- नमो भगवते आंजनेयाय महाबलाय स्वाहा।

फिर आरती, स्तुति करके अपने इच्छा बताएं और प्रार्थना करके इस मूर्ति को विसर्जित कर दें। इसके बाद किसी योग्य ब्राह्मण को भोजन कराकर व दान देकर सम्मान विदा करें।
यह उपाय करने से शीघ्र ही आपकी मनोकामना पूरी होगी…..
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यदि आपके जीवन में किसी भी तरह की परेशानी है तो उसका कारण ज्योतिष,
वास्तु एवं तंत्र संबंधी हो सकता है ।

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