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कुंडली से जाने फलादेश के नियम

  1. लग्न :आपका स्वभाव रंग कद जीवन सम्बन्धित\
  2. धन कुटुम्ब :सम्पत्ति,वाणी ,विद्या
    3.पराक्रम :नोकरी भाई बहन ,यात्रा ,शक्ति ,वीरता |
    4.भवन :वाहन भवन माता सुख जनता से लाभ |
    5.विद्या :विद्या बुद्द्धि सन्तान प्रेम विवाह मन्त्र यंत्र लाटरी शास्त्र ज्ञान |
    6 रोग :ऋण रोग शुत्रु मुकदमा जल भय |
    7 दाम्पत्य एवम व्यापार :विवाह , सझे दरी ,दाम्पत्य सुख |
    8 आयु :रोग गुप्त ज्ञान सोभाग्य धन वसीयत क्लेश कष्ट |
    9 भाग्य :धर्म :यात्रा भाग्य भक्ति धर्मिक कार्य
    10 कर्म :पद नोकरी व्यापार व् पद का लाभ हानी कार्यो में बाधा |
    11 आय :लाभ आय अचनाक लाभ हानी के सयोग आदी |
    12 खर्च :सभी प्रकार का व्यय गुप्त शत्रु कष्ट
    ग्रह शुभ है या अशुभ। शुभता ग्रह के बल में वृद्धि करेगी और अशुभता ग्रह के बल में कमी करेगी।
    ग्रह अपनी उच्च, अपनी या अपने मित्र ग्रह की राशि में हो : शुभ फलदायक, नीच राशि में या अपने शत्रु की राशि :ग्रह अशुभफल दायक ।
    -ग्रह अपनी राशि पर दृष्टि डालता है: शुभ फल।
  • जो ग्रह अपने मित्र ग्रहों के साथ या मध्य हो : शुभ फलदायक ।
  • जो ग्रह लग्नेहश का मित्र हो।
  • त्रिकोण के स्वा‍मी : शुभ फल ।
  • केन्द्र का स्वामी शुभ ग्रह : शुभता छोड़ देता है, अशुभ ग्रह अपनी अशुभता छोड़ता है।
  • क्रूर भावों (3, 6, 11) के स्वामी: अशुभ फल।
  • उपाच्य भावों (1, 3, 6, 10, 11) में ग्रह : कारकत्वत में वृद्धि।
  • दुष्ट स्थानों (6, 8, 12) में ग्रह :अशुभ फल।
  • शुभ ग्रह केन्द्र (1, 4, 7, 10) में: शुभफल ,
    पाप ग्रह केन्द्र में :अशुभ फल ।
  • पूर्णिमा के पास का चन्द्र :शुभफलदायक .
    अमावस्या के पास का चंद्र: अशुभफलदायक ।
  • बुध, राहु और केतु :जिस ग्रह के साथ होते हैं, वैसा ही फल देते हैं।
  • सूर्य के निकट ग्रह अस्त : अशुभ फल देते हैं।
  • दशाफल निर्धारण :
  • ग्रह किस भाव में बैठा है। ग्रह उस भाव का फल देते हैं
  • ग्रह अपने कारकत्‍व के हिसाब से भी फल देते हैं। सूर्य सरकारी नौकरी का कारक है ;: सूर्य की दशा में सरकारी नौकरी मिल सकती है।
  • दृष्टि का असर भी ग्रहों की दशा के समय मिलता है।
  • राहु और केतु उन ग्रहों का फल: जिनके साथ वे बैठे होते हैं।
  • महादशा का स्‍वामी ग्रह अपनी अन्‍तर्दशा : फल नहीं देता।
    ध्‍यान रखै । –
    भावकारक ग्रह :-प्रथम भाव का कारक सूर्य, द्वितीय भाव का गुरु, तृतीय भाव का मंगल, चतुर्थ भाव के चंद्रमा एवं बुध, पंचम भाव का गुरु, षष्ठ भाव के मंगल एवं शनि, सप्तम भाव का शुक्र, अष्टम भाव का शनि, नवम भाव का सूर्य एवं गुरु, दशम भाव के सूर्य, बुध, गुरु एवं शनि, एकादश भाव का गुरु तथा द्वादश भाव का कारक शनि होता है।
    शुक्र एवं चंद्रमा एक-एक भाव के, मंगल एवं बुध दो-दो भावों के, सूर्य तीन भावों का, शनि चार भावों का और गुरु पांच भावों का कारक होता है।
    गुरु, शुक्र, शुभ ग्रह से युक्त बुध एवं पूर्ण चंद्रमा। सूर्य, मंगल एवं शनि: पाप ग्रह हैं.क्षीण चंद्रमा एवं पापग्रह से युक्त बुध भी पाप ग्रह कहलाते हं।
    राहु एवं केतु दोनों को पाप ग्रह : पाप ग्रहों की अधिकतम संख्या : सात होती है- सूर्य, मंगल, शनि, राहु, केतु, पापयुक्त बुध, क्षीण चंद्रमा।
    सूर्य एवं चंद्रमा को राजा, बुध को युवराज, शुक्र को मंत्री, मंगल को नेता (सेनापति), गुरु को पुराहित तथा शनि को सेवक माना गया है।
    क्योंकि ग्रहों की षोडशवर्ग में, लग्नादि भावों में, मेषादि राशियों में, केंद्र-त्रिकोण आदि शुभ भावों में, त्रिक आदि अशुभ भावों में या उच्च-मूल त्रिकोण आदि राशियों में स्थिति के बिना फलादेश नहीं किया जा सकता।
    ग्रहों के प्रमुख बल छः प्रकार के होते हैं: स्थानबल, कालबल, दिग्बल, चेष्टा बल, नैसर्गिक बल एवं दृग्बल।
    दशाफल देखने के नियम –
    परम ऊंच-इस अवस्था का ग्रह अपनी दशा मे श्रेष्ठ फल देता हैं | ऊंच –ऊंच राशि का ग्रह अपनी दशा मे प्रत्येक प्रकार का सुख प्रदान करता हैं |-आरोही-अपनी ऊंच राशि से एक राशि पहले का ग्रह अपनी दशा आने पर धन्य धान्य की वृद्दि एवं आर्थिक दृस्ती से संपन्नता देता हैं |- अवरोही-अपनी ऊंच राशि से अगली राशि पर स्थित ग्रह अपनी दशा मे रोग,परेशानी,मानसिक व्यथा व धन हानी प्रदान करता हैं | नीच- नीच राशि का ग्रह अपनी दशा मे मान व धन हानी करवाता हैं |
    परम नीच –इस अवस्था का ग्रह अपनी दशा मे ग्रह क्लेश,परिवार से अलगाव,दिवालियापन,चोरी व अग्नि का भय प्रदान करता हैं |
    मूल त्रिकोण –इसमे स्थित ग्रह अपनी दशा आने पर भाग्यवर्धक एवं धन लाभ कराने वाला होता हैं |
    स्वग्रही-इसमे स्थित ग्रह अपनी दशा आने पर विद्या प्राप्ति,यश बढ़ोतरी व पदोन्नति करवाता हैं |
    अति मित्र-अति मित्र ग्रह स्थित ग्रह अपनी दशा मे वाहन व स्त्री सुख देने वाला तथा विभिन्न मनोरथ पूर्ण करवाने वाला होता हैं |
    मित्र ग्रह-इसका ग्रह अपनी दशा मे सुख,आरोग्य व सम्मान प्रदान करने वाला होता हैं |
    सम ग्रह- इसमे बैठा ग्रह अपनी दशा मे सामान्य फल प्रदान करने वाला व विशेष भ्रमण करवाने वाला होता हैं |
    शत्र ग्रह-इसमे बैठे ग्रह की दशा मे स्त्री से झगडे के कारण मानसिक अशांति प्रदान करता हैं |
    अति शत्रु- इसमे बैठा ग्रह अपनी दशा मे मुकद्दमेबाजी,व्यापार मे हानी,व बंटवारा करवाने वाला होता हैं |
    ऊंच ग्रह संग ग्रह –यह ग्रह अपनी दशा मे तीर्थ यात्रा वा भूमि लाभ करवाने वाला होता हैं |
    पाप ग्रह संग ग्रह- यह ग्रह अपनी दशा मे घर मे मरण,धन हानी प्रदान करता हैं |
    शुभ ग्रह के साथ ग्रह –यह ग्रह अपनी दशा आने पर धन धन्य की वृद्धि,धनोपार्जन व स्वजन प्रेम आदि का लाभ देता हैं |
    शुभ द्रस्ट ग्रह-यह ग्रह अपनी दशा मे विधा लाभ,परीक्षा मे सफलता,तथा ख्याति प्राप्त करवाता हैं |
    अशुभ द्रस्ट-इस ग्रह की दशा मे संतान बाधा,अग्निभय,तबादला तथा माता पिता मे से एक की मृत्यु होती हैं |
    इनके अलावा कुंडली मे दशाओ का फलादेश करते समय कई अन्य बातों का भी ध्यान रखना चाहिए जिनमे कुछ बाते निम्न हैं |
    लग्न से 3,6,10,व 11वे भाव मे स्थित ग्रह की दशा उन्नतिकारक व सुखवर्धक होती हैं |
    दशानाथ यदि लग्नेश,नवांशेश,होरेश,द्वादशेश व द्रेष्कानेश हो तो उसकी दशा जीवन मे मोड या बदलाव लाने मे सक्षम होती हैं |
    -अस्त/वक्री/_ ग्रह की दशा अशुभ फल प्रदान करती हैं
    -ग्रह,6,8,12 वे भाव के स्वामी की दशा : पतन की ओर ले जाती हैं |
    -नीच और शत्रु ग्रह की दशा :परदेश मे निवास,शत्रुओ व व्यापार से हानी तथा मुकदमे मे हार होती हैं |

फलादेश कैसे करते है —-

  • जो ग्रह अपनी उच्च, अपनी या अपने मित्र ग्रह की राशि में हो – शुभ फलदायक होगा।
  • इसके विपरीत नीच राशि में या अपने शत्रु की राशि में ग्रह अशुभफल दायक होगा।
  • जो ग्रह अपनी राशि पर दृष्टि डालता है, वह शुभ फल देता है।
    -त्रिकोण के स्वा‍मी सदा शुभ फल देते हैं।
  • क्रूर भावों (3, 6, 11) के स्वामी सदा अशुभ फल देते हैं।
  • दुष्ट स्थानों (6, 8, 12) में ग्रह अशुभ फल देते हैं।
  • शुभ ग्रह केन्द्र (1, 4, 7, 10) में शुभफल देते हैं, पाप ग्रह केन्द्र में अशुभ फल देते हैं।
    -बुध, राहु और केतु जिस ग्रह के साथ होते हैं, वैसा ही फल देते हैं।
  • सूर्य के निकट ग्रह अस्त हो जाते हैं और अशुभ फल देते हैं।
    बाधा के योग :
    भाव दूषित हो तो अशुभ फल देते है।
    ग्रह निर्बल पाप ग्रह अस्त ,शत्रु –नीच राशि में लग्न से 6,8 12 वें भाव में स्थित हों , तो काम मे बाधा आती है |
    लग्नेश बलों में कमजोर, पीड़ित, नीच, अस्त, पाप मध्य, 6,8,12वें भाव में ,तो भी बाधा आती है .
    नशे के कारण आज बहुत से घर बर्बाद हो रहे हैं | नशा बहुत शादियों के टूटने का भी कारण भी बन रहा है | परन्तु व्यक्ति कई बार चाहते हुए भी नशा नहीं छोड़ पाता है | जन्म-कुंडली में ऐसे योग बनते हैं जिनको देख कर हम जान सकते हैं की जातक नशे का आदि हो सकता है |
    १) यदि जन्म-कुंडली में लग्न में राहु अशुभ होकर बैठा हो और लग्नेश कमज़ोर हो तो व्यक्ति शराबी हो जाता है।
    २) कुंडली में यदि मंगल नीच का होकर बैठा हो और उसकी दृष्टि लग्न पर हो,चन्द्रमा भी पीड़ित हो तो भी व्यक्ति नशे का आदि हो जाता है।
    ३) अगर राहु दूसरे भाव में हो,बारहवें भाव में हो या राहु की दूसरे भाव और बारहवें भाव पर दृष्टि हो तो जातक अत्यधिक नशा करने वाला हो सकता है |
    ४) लग्न में नीच का मंगल हो और साथ में राहु या केतु बैठा हो तो व्यक्ति शराब के साथ- साथ माँस का शौकीन भी होता है।
    ५)कुंडली में शनि दूषित हो जैसे कि नीच राशि में, अस्त अवस्था में, सूर्य के साथ युति या राहु केतु के साथ हो और शनि की दशा चल रही हो तो व्यक्ति को शराबी बना सकता है |
    ६) यदि शुक्र कुंडली में खराब अवस्था में हो,अस्त हो और चन्द्रमा भी पीड़ित या अस्त हो तो व्यक्ति नशा करता है।
    ७)लग्न में पाप ग्रह हो और लग्नेश कमज़ोर हो तो व्यक्ति की रुचि नशे में रहेगी।
    ८) लग्नेश और चन्द्रमा निर्बल हो, पाप प्रभाव में हो, तो नशे में रुचि रहेगी।
    ९)यदि लग्नेश नीच का हो, शत्रु क्षेत्री हो, चंद्रमा भी वीक हो तो नशे में रुचि रहेगी।
    १०)व्यय स्थान का पापी ग्रह नशे आदि पर धन खर्च करवाता है।
    ११)शुक्र-राहु या केतु के साथ हो, लग्नेश व चंद्रमा कमजोर हो तो व्यसन में रुचि होती है।
    १२) शनि यदि लग्नेश हो, शुक्र अष्टस्थ हो और शनि से दृष्ट हो तो जातक नशे का आदि हो सकता है। १३)लग्न और लग्नेश पर सूर्य की दृष्टि माँस-मदिरा में, शनि की दृष्टि सिगरेट-गांजा आदि, मंगल की दृष्टि मदिरापान में रुचि जगाती है।
    १४)लग्नेश अस्त हो और चन्द्रमा नीच राशी वृश्चिक में हो तो अक्सर जातक को मादक पदार्थो का सेवन कराता है |
    १५)क्रूर गृह शनि , राहू से पीड़ित बुध और क्षीण चन्द्रमा नशे का आदि बना सकते हैं |
    १६)जिस जातक की कुंडली में एक या दो ग्रह नीच राशी में होते है और चन्द्रमा पीड़ित होकर शत्रु ग्रह में दूषित होता है उसमे मादक पदार्थो के सेवन की इच्छा प्रबल होती है |
    जन्म कुंडली मे राहु का खराब होना-
    जब कुन्डली में राहु खराब होता है,तो दिमागी तकलीफ़ें बढ जाती है,बिना किसी कारण के दिमाग में पता नही कितनी टेन्सन पैदा हो जाती है,बिना किसी कारण के सामने वाले पर शक किया जाने लगता है,और जो अपने होते हैं वे पराये हो जाते है,और जो पराये और घर को बिगाडने वाले होते है,उन पर जानबूझ कर विश्वास किया जाता है,घर के मुखिया का राहु खराब होता है,तो पूरा घर ही बेकार सा हो जाता है,संतान अपने कारणो से आत्महत्या तक कर लेती है,पुत्र या पुत्र वधू का स्वभाव खराब हो जाता है,वह अपने शंकित दिमाग से किसी भी परिवार वाले पर विश्वास नही कर पाती है,घर के अन्दर साले की पत्नी,पुत्रवधू, मामी,भानजे की पत्नी,और नौकरानी इन सबकी उपाधि राहु से दी जाती है,कारण केतु का सप्तम राहु होता है,और राहु के खराब होने की स्थिति में इन सब पर असर पडना चालू हो जाता है,राहु के समय में इन लोगों का प्रवेश घर के अन्दर हो जाता है,और यह लोग ही घर और परिवार में फ़ूट डालना इधर की बात को उधर करना चालू कर देते है,साले की पत्नी घर में आकर पत्नी को परिवार के प्रति उल्टा सीधा भरना चालू कर देती है,और पत्नी का मिजाज गर्म होना चालू हो जाता है,वह अपने सामने वाले सदस्यों को अपनी गतिविधियों से परेशान करना चालू कर देती है,उसके दिमाग में राहु का असर बढना चालू हो जाता है,और राहु का असर एक शराब के नशे के बराबर होता है,वह समय पर उतरता ही नही है,केवल अपनी ही झोंक में आगे से आगे चला जाता है,उसे सोचने का मौका ही नही मिलता है,कि वह क्या कर रहा है,जबकि सामने वाला जो साले की पत्नी और पुत्रवधू के रूप में कोई भी हो सकता है,केवल अपने स्वार्थ के लिये ही अपना काम निकालने के प्रति ही अपना रवैया घर के अन्दर चालू करता है,उसका एक ही उद्देश्य होता है,कि राहु की माफ़िक घर के अन्दर झाडू लगाना और किसी प्रकार के पारिवारिक दखलंदाजी को समाप्त कर देना,गाली देना,दवाइयों का प्रयोग करने लग जाना,शराब और तामसी कारणो का प्रयोग करने लग जाना,लगातार यात्राओं की तरफ़ भागते रहने की आदत पड जाना,जब भी दिमाग में अधिक तनाव हो तो जहर आदि को खाने या अधिक नींद की गोलियों को लेने की आदत डाल लेना,अपने ऊपर मिट्टी का तेल या पैट्रोल डालकर आग लगाने की कोशिश करना,राहु ही वाहन की श्रेणी में आता है,उसका चोरी हो जाना,शराब और शराब वाले कामो की तरफ़ मन का लगना,शहर या गांव की सफ़ाई कमेटी का सदस्य बन जाना,नगर पालिका के चुनावों की तरफ़ मन लगना,घर के किसी पूर्वज का इन्तकाल हो जाना और अपने कामों की बजह से उसके क्रिया कर्म के अन्दर शामिल नही कर पाना आदि बातें सामने आने लगती है,जब व्यक्ति इतनी सभी बातो से ग्रसित हो जाता है,तो राहु के लिये वैदिक रीति से काफ़ी सारी बातें जैसे पूजा पाठ और हवन आदि काम बताये जाते है,जाप करने के लिये राहु के मन्त्रों को बताया जाता है।
    परिवार में चन्द्रमा के खराब होने की पहिचान होती है कि घर के किसी व्यक्ति को ह्रदय वाली बीमारी हो जाती है,और घर का पैसा अस्पताल में ह्रदय रोग को ठीक करने के लिये जाने लगता है,ह्रदय का सीधा सा सम्बन्ध नशों से होता है,किसी कारण से ह्रदय के अन्दर के वाल्व अपना काम नही कर पाते है,उनके अन्दर अवरोध पैदा हो जाता है,और ह्रदय के अन्दर आने और जाने वाले खून की सप्लाई बाधित हो जाती है,लोग अस्पताल में जाते है,लाखो रुपये का ट्रीटमेंट करवाते है,दो चार साल ठीक रहते है फ़िर वहीं जाकर अपना इलाज करवाते है,मगर हो वास्तब में होता है,उसके ऊपर उनकी नजर नही जाती है,ह्रदय रोग के लिये चन्द्रमा बाधित होता है,तभी ह्रदय रोग होता है,और चन्द्रमा का दुश्मन लालकिताब के अनुसार केवल बुध को ही माना गया है,कुन्डली का तीसरा भाव ही ह्रदय के लिये जिम्मेदार माना जाता है,इसका मतलब होता है,कि कुन्डली का तीसरे भाव का चन्द्रमा खराब है,इस के लिये बुध का उपाय करना जरूरी इसलिये होता है कि बुध ही नशों का मालिक होता है,और किसी भी शारीरिक प्रवाह में अपना काम करता है,बुध के उपाय के लिये कन्या भोजन करवाना और कन्या दान करना बहुत उत्तम उपाय बताये जाते है,इसके अलावा तुरत उपाय के लिये कन्याओं को हरे कपडे दान करना और कन्याओं को खट्टे मीठे भोजन करवाना भी बेहतर उपाय बताये जाते है.
    स्नायु रोगों के लिये बुध को ही जिम्मेदार माना जाता है,संचार का मालिक ग्यारहवां घर ही माना जाता है,आज के वैज्ञानिकों ने साबित कर दिया है,किकि किसी भी प्रकार से ग्यारहवां घर शनि का घर नही है,शनि कर्म का दाता है,और शनि के लिये संचार का मालिक होना नही के बराबर है,युरेनस को संचार का मालिक कहा गया है,और ग्यारहवा,सातवां और तीसरा घर आपस में मुख्य त्रिकोण भी बनाते है,इस प्रकार से यह त्रिकोण जीवन साथी या साझेदार के साथ अपना लगाव भी रखता है,स्नायु रोग का मुख्य कारण अति कामुकता होती है,वीर्य जो शरीर का सूर्य होता है,और इस सूर्य का सहगामी और सबसे पास रहने वाला ग्रह बुध ही इसे संभालकर रखता है,अगर किसी प्रकार से यूरेनस की चाल इसकी समझ मे आजाता है,तो यह शरीर के अन्दर लगातार चलता रहता है,इसके चलते ही और अपने को प्रदर्शित करने के चक्कर में यह उल्टी सीधी जगह पर चला जाता है,दिमाग में विरोधी सेक्स के प्रति अधिक चाहत रहने से यह अपने को अपने स्थान पर रोक नही पाता है,और खराब हो जाता है,इसके कारण ही नशों में दुर्बलता और की चमक चली जाती है,हाथ पैर और शरीर के अवयव सुन्न से हो जाते है,दिमाग में कितनी ही कोशिशों के बाद भी कोई बात नही बैठ पाती है,याददास्त कमजोर हो जाती है,कोई भी किया गया काम कुछ समय बाद दिमाग से निकल जाता है,उचित उपाय करके समस्या पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
    ये पौधे ऑफिस में लगाएं चमक उठेगी किस्‍मत मिलेगी तरक्‍की-?
    *🏡🏡
    ये पौधे आफिस में लगाएं !!
    🏠 हर कोई चाहता है कि पर्सनल लाइफ की ही तरह प्रफेशनल लाइफ भी शानदार हो।

🏠 तरक्‍की मिले और खूब प्रसिद्धि मिले लेकिन कई बार ऐसा होता है कि किसी न किसी तरह का स्‍ट्रेस या फिर टेंशन होती रहती है, जो कि आपके लिए सफलता प्राप्‍त करने की दिशा में रोड़े अटकाती है।

🏠 फेंग शुई में आफिस के माहौल को अनुकूल और सकारात्‍मक बनाने के लिए कुछ विशेष पौधों को लगाने के बारे में बताया गया है।

🏠 इनको लगाने से न सिर्फ आफिस का माहौल खुशनुमा रहता है बल्कि तरक्‍की के रास्‍ते भी खुल जाते हैं। बस ख्‍याल रखना है कि कौन से प्‍लांट लगाए जाएं। तो आइए जानते है।

मनी प्‍लांट

🏠 यह प्‍लांट जीवन को आर्थिक और सामाजिक रूप से समृद्ध करता है। इसे लगाने से आपको खूब तरक्‍की मिलेगी। सफलता के लिए नहीं राहें खुलेंगी।

स्‍नेक प्‍लांट

🏠 यह प्‍लांट आस-पास की सारी जहरीली गैस खींच लेता है और साफ-सुथरी हवा का संचार करता है। साथ ही नकारात्‍मक शक्तियों को दूर करता है।

ड्रासाइना

🏠 यह पौधा आत्‍मविश्‍वास को बढ़ाता है। प्रेरणा से लबरेज कर देता है। किसी भी कार्य को करने के लिए प्रोत्‍साहित करता है साथ ही उसमें सफलता भी दिलाता है।

बैंबू

🏠 यह पौधा लगाने से व्‍यक्ति में गजब का आत्‍मविश्‍वास आ जाता है। उसका पूरा स्‍ट्रेस दूर हो जाता है। इसके अलावा व्‍यक्ति का भाग्‍य खूब चमकता है। धन-धान्‍य की वर्षा होती है।

एरीका पाम

🏠 कई सारे ऐसे पौधे होते हैं जो हमारे आस-पास सकारात्‍मकता लाते हैं। एरीका पाम उनमें से ही एक है। इसे लगाने से आपको नकारात्‍मक विचारों से मुक्ति मिलती है। स्थितियां कैसी भी हों आप सकारात्‍मक सोच ही रखते हैं। यह जीवन में सफलता लाने का मूलमंत्र भी है।

चाइनीज मनी ट्री

🏠 मनी प्‍लांट तो सभी अपने घरों में लगाते ही हैं लेकिन आफिस टेबल पर इसे लगाने से आपकी तरक्‍की की राहें खुल जाती। खूब पैसा मिलता है।

मोथ आर्किड

🏠 यह पौधा अंधेरे में प्रकाश का संचार करने का संदेश देता है। इस‍े लगाने से व्‍यक्ति को विपरीत परिस्थितियों से डर नहीं लगता। इसके अलावा किसी भी स्थिति का सामना करने की हिम्‍मत आती है और सफलता भी मिलती है।

जेड प्‍लांट

🏠 यह पौधा लगाने से खूब तरक्‍की मिलती है। कहते हैं कि जैसे-जैसे जेड प्‍लांट बढ़ता है वैसे ही तरक्‍की और समृद्धि भी आती है।
वास्तु शास्त्र कहता है यह १२ पौधे , घर मैं लाते हैं शुभ लाभ ।

वास्‍तु के हिसाब से कई पेड़-पौधे बेहद शुभ होते हैं और इनको घर में लगाने के क्‍या-क्‍या फायदे हो सकते हैं ये जान आप वाकई में हैरान रह जाएंगे।

समय के साथ कई बदलाव देखने को मिले हैं, इनमें एक घर का छोटा होना भी शामिल है। खास तौर से शहरों में, जहां आंगन का अस्तित्व तो लगभग खत्म ही हो गया है, जहां बड़ों की बैठकी लगती थी, बच्चे खेलते थे और साथ ही हरे-भरे पेड़-पौधे भी आंगन की शोभा बढ़ाते थे।

मगर इनका सिर्फ ये ही महत्व नहीं था, बल्कि इनसे घर की सुख-समृद्धि व संपन्नता भी जुड़ी होती थी। वास्तु के हिसाब से आइए आपको ऐसे पेड़-पौधों के बारे में बताते हैं, जो आपके घर के लिए बेहद लाभकारी हैं। अब भले ही घर में आंगन नहीं रहा, मगर शुक्र मनाइए बालकनी तो है।

तुलसी का पौधा

सबसे पहले शुरुआत तुलसी के पौधे से करते हैं, जो हर दूसरे भारतीय के घर में आपको मिल जाएगा। हिंदूू धर्म में इसे एक तरह से लक्ष्मी का दूसरा रूप माना गया है। सेहत के लिहाज से भी इसमें अद्भुत औषधीय गुण हैं। साथ ही तुलसी के पौधे के बारे में यह भी कहा जाता है कि यह घर में विपत्ति को आने से रोकता है और जिनको नहीं रोक पाता उसके संकेत देता है।

तुलसी का पौधा घर में उत्तर, उत्तर-पूर्व या पूर्व दिशा में लगाना चाहिए। यह घर से निगेटिव एनर्जी को दूर रखता है। वहीं यह अपने चारों ओर 50 मीटर तक का वातावरण भी शुद्ध रखता है। मगर गलती से भी तुलसी के पौधे को दक्षिण दिशा में नहीं लगाना चाहिए, क्योंकि फिर यह आपको फायदे की जगह काफी नुकसान पहुंचा सकता है।

बांस का पेड़

वास्तु में बांस के पेड़ को लेकर ऐसी मान्यताएं हैं कि इसे लगाने से आपकी तरक्की होती है और घर में सुख-समृद्धि आती है। वहीं घर की निगेटिव एनर्जी भी दूर होती है। बांस के पेड़ के बारे में कहा जाता है कि यह हर वातारण में तमाम मुश्किलों के बाद भी तेजी से बढ़ता है।

इसलिए इसे उन्नति, दीर्घ आयु और सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। वहीं हिंदू धर्म के अनुसार भी बांस का घर में होना बेहद शुभ है। भगवान श्री कृष्ण हमेशा अपने पास बांस की बनी बांसुरी रखते थे। सभी शुभ अवसरों जैसे मुंडन, जनेउ व शादी आदि में बांस का जरूर उपयोग किया जाता है। इसे आप घर में कहीं भी लगा सकते हैं।

केले का पेड़

केला भी एक दिव्य गुणों से भरा पौधा है। यह एक फलदार पौधा होने के साथ ही घर में सुख और संपत्ति का संकेत भी देता है। हिंदु धर्म के अनुसार केले के पौधे में भगवान विष्णु का वास होता है और जिन घरों में होता है उन घरों की यह आर्थिक स्थिति कभी खराब नहीं होने देता है। ईशान कोण की दिशा में इसे लगाया जाना शुभ्ा बताया गया है।

हल्दी

तुलसी की तरह हल्दी भी वरदान प्राप्त पौधा है। यह गुणकारी और चमत्कारी है। यह ऐसी चीज है जिसका हर चीज में इस्तेमाल किया जाता है, जैसे कि पूजा, औषधी, आहार, सौन्दर्य प्रसाधन।

आंवले का पेड़

कहते हैं कि आंवले के पेड़ की पूजा करने से आपकी सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। इसकी हर रोज पूजा करने से सारे पापों का नाश भी होता है। इसे उत्तर या पूर्व दिशा में लगाना अत्यंत लाभकारी माना गया है।

श्वेतार्क का पौधा

इसे गणपति का पौधा मानते हैं और यह दूध वाला होता है। अब वैसे तो वास्तु के हिसाब से ऐसे पौधों का घर के भीतर होना अशुभ होता है, मगर श्वेतार्क इस मामले में अपवाद है। ऐसी भी मान्यता है कि जिसके घर के समीप यह पौधा फलता-फुलता है वहां हमेशा बरकत बनी रहती है।

अनार का पेड़

अनार भी एक गुणकारी पौधा है। वास्तु के अनुसार, यह ग्रह दोष को दूर करने और व्यक्ति को समृद्धि बनाने वाला है। घर में अनार का पेड़ होने से ग्रह दोषों से बचा जा सकता है।

परिजात का पौधा

परिजात के पौधे के बारे में शास्त्रों में कहा गया है कि यह समुद्रमंथन से निकला था। इसके फूूल को भगवान के चरणों में चढ़ाने से स्वर्ण दान का पुण्य मिलता है और इसके घर में होने से सारे देवी-देवताआें की कृपा बनी रहती है।

शमी का पेड़

शमी का पेड़ भी घर में होना शुभ माना गया है। ज्योतिष शास्त्र में इसका संबंध शनि से जोड़ा गया है और शनि की कृपा पाने के लिए शमी का पेड़ लगाकर इसकी पूजा-उपासना की जाती है। घर के मुख्य द्वार के बाईं ओर इस पौधे को लगाना शुभ बताया गया है। शमी के पेड़ के नीचे नियमित रूप से सरसों के तेल का दीपक जलाने से शनिक के प्रकोप से बचा जा सकता है

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