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परेशानियों से जुड़े हैं ग्रह

जीवन में थोड़ी-बहुत परेशानियां हों तो यह आम बात है, लेकिन लगातार परेशानियां आने लगें या छोटी समस्याएं भी बड़ा रूप लेने लगें तो यह सामान्य बात नहीं कही जा सकती। आपकी हर ऐसी परेशानी किसी कमजोर ग्रह की निशानी हो सकती है। आपको जानकर हैरानी होगी कि कई स्वास्थ्य समस्याएं भी आपकी कुंडली में ग्रहों के कमजोर होने की वजह से हो सकती हैं।

छोटी लगने वाली ये परेशानियां कई बार इतनी बुरी तरह प्रभावित करते हैं कि आप जीवनभर उससे उबर नहीं पाते। इससे जुड़े कमजोर ग्रहों की शांति के उपाय कर आप इन परेशानियों से भी आसानी से बच सकते हैं। इसलिए इसके लक्षण समझकर तुरंत इसके उपाय करें।

सूर्य
सूर्य से पूरी पृथ्वी प्रकाशमान होती है, यह जीवन में उजाले और बढ़ते हुए वर्चस्व का प्रतीक है। इसलिए कुंडली में कमजोर सूर्य शिक्षा और कॅरियर को सीधे प्रभावित करता है और व्यक्ति को हर जगह असफलता का सामना करना पड़ता है, वहीं यह आंखों के कई रोग देता है क्योंकि आंखें जीवन में ज्योति यानि कि प्रकाश का प्रतीक होती हैं।

इसके अलावा भी कमजोर सूर्य कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएं पैदा करता है। ऐसे व्यक्ति को दिल की बीमारियां, सिरदर्द और चर्म रोग भी परेशान करते हैं। उसका पारिवारिक जीवन कलहपूर्ण हो जाता है, विशेषकर अपने पिता से उसके संबंध खराब हो जाते हैं जो कई बार उसके लिए बड़ी परेशानियां पैदा करता है।

चंद्रमा
कमजोर चंद्रमा व्यक्ति को मानसिक रोगी बनाता है। इसके अलावा गठिया, सर्दी-जुकाम, अस्थमा, कफ, निमोनिया जैसे ठंड से जुड़े रोग उसे वर्ष भर परेशान करते हैं। ऐसे व्यक्ति हमेशा किसी ना किसी समस्या से घिरे रहते हैं। ये अक्सर अवसाद के शिकार भी हो जात हैं जो अंतत: इनकी असफलता का कारण बनता है।

मंगल
लाल ग्रह यानि कि मंगल को ग्रहों का सेनापति माना जाता है। कमजोर मंगल से प्रभावित व्यक्ति मति-भ्रम का शिकार होता है। गुस्सा उनकी सबसे बड़ी परेशानी होती है जो अक्सर उन्हें गलत निर्णय लेने के लिए उकसाती है। बवासीर या रक्त से जुड़े रोग इनकी सामान्य जीवनशैली को प्रभावित करते हैं।

ऐसे लोगों के जीवन में में भाइयों से अनबन होता है और वो आए दिन किसी ना किसी छोटी-मोटी दुर्घटना का शिकार होते रहते हैं। कई बार ये बड़ी दुर्घटना के शिकार भी हो जाते हैं जो उम्र भर इन्हें तकलीफ देते हैं। इसलिए कमजोर मंगल की निशानी दिखे, तो तुरंत इसके ज्योतिषीय उपाय करें।

बुध
ज्योतिष शास्त्र में बुध को ग्रहों का राजकुमार माना गया है। बलवान बुध व्यक्ति को बौद्धिक क्षमता देता है, वहीं बुध के कमजोर होने से व्यक्ति को याददाश्त कमजोर होने की परेशानी होती है। ऐसे व्यक्ति तर्क नहीं कर पाते या सही समय पर सही निर्णय नहीं ले पाते। इन्हें कान, नाक और गले के रोग भी परेशान करते हैं।

बृहस्पति
देवगुरु बृहस्पति की नाराजगी व्यक्ति को आर्थिक और सामाजिक परेशानियां देता है। ऐसे लोगों या परिवार के मुखिया की कुंडली में गुरु के कमजोर होने पर पूरे परिवार को धन की कमी का सामना करना पड़ता है। हो सकता है इनके पास अच्छी नौकरी या आय के स्रोत हों, लेकिन ये कभी भी धन संचित नहीं कर पाते।

इनका कमाया हुआ धन अक्सर बेकार की चीजों में ही व्यय होता है या फिजूलखर्च में। ऐसे लोगों के विवाह में भी बाधाएं आती हैं या विवाह के पश्चात संतान उत्पत्ति में परेशानियां आती हैं या देरी होती है। इन्हें गठिया, कब्ज जैसे रोग भी परेशान करते हैं।

शुक्र
शुक्र ग्रह सीधे तौर पर दांपत्य जीवन को प्रभावित करता है। इसलिए कमजोर शुक्र की दशा में व्यक्ति का वैवाहिक जीवन बुरी तरह कलह का शिकार होता है। ऐसे लोग नपुंसकता, डायबिटीज और यकृत या मूत्र संबंधित रोगों के भी शिकार होते हैं। शुक्र भौतिक सुख-सुविधाओं का भी कारक माना जाता है, इसलिए कमजोर शुक्र की दशा में व्यक्ति कभी भी लग्ज़री लाइफ नहीं जी पाता।

शनि
ऐसा माना गया है कि न्याय के देवता शनिदेव व्यक्ति के बुरे कर्मों का ही दंड देते हैं। इसलिए बुरे कार्यों के साथ शनि कमजोर हो सकता है और कमजोर शनि जीवन में कई बड़ी परेशानियां लाता है। गैस, लकवा, कैंसर, मिर्गी, पैरों या हड्डी की परेशानियां ऐसे लोगों को विशेषकर परेशान करती हैं जिसके ठीक होने के बाद भी व्यक्ति किसी ना किसी रूप में इससे प्रभावित रहता है।

राहु
कुंडली में इसकी अशुभ दशा होने पर यह आलस्य की प्रवृत्ति बढ़ाता है। बुद्धि भ्रमित होती है अर्थात व्यक्ति किसी भी चीज के लिए सही निर्णय नहीं ले पाता। अशुभ राहु सीधा तंत्रिका तंत्र पर बुरा असर करता है, इसलिए ये मस्तिष्क से संबंधित बीमारियों जैसे पक्षाघात आदि का जल्दी शिकार होते हैं।

केतु
केतु की बुरी दशा व्यक्ति को गले से नीचे के हिस्सों यानि सिर के अलावा शरीर के अन्य हिस्सों को प्रभावित करता है। ऐसे व्यक्तियों को फेफड़े, पेट और पैरों की परेशानियां लगी रहती हैं।

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