कुछ लोगों की कुंडली में शनि अशुभ स्थिति में हो तो उसे
जीवनभर कई प्रकार के कष्ट उठाने पड़ते हैं। ऐसे में
प्रति शनिवार यह उपाय अपनाएं-
शनिवार को प्रात: ब्रह्म मुहूर्त में उठें और नित्यकर्मों से
निवृत्त होकर स्नानादि करके पवित्र हो जाएं। इसके बाद जल,
दूध, तिल्ली के तेल का दीपक लेकर किसी पीपल के वृक्ष के
समीप जाएं। अब पीपल पर जल और दूध अर्पित करें। इसके बाद
पीपल के वृक्ष के नीचे तिल्ली के तेल के दीपक को प्रज्जवलित
करें। शनिदेव प्रार्थना करें कि आपकी सभी समस्याएं दूर हो और
बुरे समय से पीछा छुट जाए। इसके बाद पीपल की सात
परिक्रमा करें।
घर लौट कर एक कटोरी में तेल लें और उसमें
अपना चेहरा देखकर इस तेल का दान करें। ऐसा करने पर कुछ
ही समय में आपको सकारात्मक फल प्राप्त होने लगेंगे। इसके
प्रभाव से आपके घर की पैसों से जुड़ी समस्त समस्याएं दूर होने
लगेंगी और आर्थिक संकट से मुक्ति मिलेगी. सोम विशेष,,,,आइए जानें चंद्रमा का ज्योतिष और पौराणिक महत्व
धार्मिक नजरिए से चंद्रमा का महत्व
सनातन धर्म में चंद्रमा को देवता के रूप में पूजा जाता है। चंद्र देव की आराधना के लिए सोमवार का दिन बहुत शुभ होता है। भगवान शिव के जटाओं में चंद्रमा का वास होता है। चंद्रमा सोलह कलाओं से युक्त होता हैं। शास्त्रों में चंद्रमा को बुध का पिता माना जाता है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार समुद्र मंथन के समय जब अमृत निकला तो उसे पीने के लिए देवताओं और दानवों के बीच लड़ाई होने लगा। देवताओं को मिले अमृत पर दानव भी हक जता रहे थे। इस विवाद को दूर करने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी नाम की सुंदर कन्या का रूप धारण उसका बंटवारा करने की बात कही।
जब मोहिनी के वेष में भगवान विष्णु देवताओं की पंक्ति में अमृत बांट रहे थे तो राहु नामक असुर भी उनके बीच जाकर चुपचाप बैठ गया। लेकिन इस बात की भनक भगवान सूर्यदेव और चंद्रदेव को लग गई। हालांकि तब तक देर हो चुकी थी और राहु ने अमृत प्राप्त कर लिया था, लेकिन उसी समय भगवान विष्णुने अपने सुदर्शन चक्र से उसकी गर्दन धड़ से अलग कर दी।
अमृत पीने के कारण वह मरा नहीं और उसका सिर और धड़ राहु और केतु नामक छाया ग्रह के रूप में स्थापित हो गए। धार्मिक मान्यता के अनुसार राहु और केतु के कारण ही चंद्रग्रहण और सूर्य ग्रहण की घटना घटती है।
चंद्रमा के जन्म को लेकर तमाम तरह की पौराणिक कथाओं का जिक्र मिलता है। मत्स्य एवं अग्नि पुराण में चंद्रदेव के जन्म की कथा के अनुसार एक बार जब ब्रह्मा जी ने सृष्टि रचने का विचार आया तो उन्होंने उससे पहले मानस पुत्रों की रचना की। इन्हीं मानस पुत्रों में से एक ऋषि अत्रि का विवाह ऋषि कर्दम की कन्या अनुसुइया से हुआ था। जिनसे दुर्वासा, दत्तात्रेय व सोम नाम के तीन पुत्र हुए। मान्यता है कि सोम चन्द्रदेव का ही एक नाम है और वह इन्हीं दोनों की संतान हैं।
वैज्ञानिक नजरिए से चंद्रमा का महत्व
विज्ञान के अनुसार जब सूर्य की परिक्रमा करती हुई पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच में आ जाती है तो चंद्रमा पर पड़ने वाली सूर्य की किरणें नहीं पहुंच पाती हैं और उस पर पृथ्वी की छाया पड़ने लगती है। जिसके कारण चांद दिखना बंद हो जाता है और यह खगोलीय घटना चंद्र ग्रहण कहलाती है।
ज्योतिष में चंद्रमा का महत्व
ज्योतिष के अनुसार हर व्यक्ति की जन्म कुंडली में स्थित 12 भावों में चंद्रमा का अलग-अलग प्रभाव पड़ता है।
ज्योतिष में चंद्रमा मन, माता, मानसिक स्थिति का कारक माना जाता है।
सभी 12 ग्रह एक राशि से दूसरी राशि में अपनी राशि बदलते रहते हैं। जिसे ज्योतिष की भाषा में इसे गोचर कहते हैं। चंद्रमा लगभग सवा दो दिनों में एक राशि से दूसरी राशि में संचरण करता है। सभी ग्रहों में चंद्रमा के गोचर की अवधि सबसे कम होती है।
वैदिक ज्योतिष शास्त्र में राशिफल को ज्ञात करने के लिए व्यक्ति की चंद्र राशि को आधार माना जाता है।
किसी व्यक्ति के जन्म के समय चंद्रमा जिस राशि में स्थित होता है वह जातकों की चंद्र राशि कहलाती है।
ज्योतिष शास्त्र मे चंद्रमा को शुभ, सौम्य और स्त्री ग्रह कहा गया है।
ज्योतिष में व्यक्ति पर चंद्रमा का शुभ-अशुभ असर
व्यक्ति का स्वभाव- ज्योतिष के अनुसार जिस व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा लग्न भाव में रहता है वह व्यक्ति बहुत सुंदर और आकर्षक होता है। ऐसा व्यक्ति स्वभाव से साहसी प्रवृत्ति का होता है।
कुंडली में शुभ चंद्रमा का प्रभाव- जिस किसी जातक की कुंडली में चंद्रमा मजबूत होता है उसका जीवन अच्छा बीतता है। कुंडली में चंद्रमा के बली होने पर व्यक्ति को मानसिक सुख और शांति प्राप्त होती है। साथ ही कल्पनाशील होता है।
कुंडली में अशुभ चंद्रमा का प्रभाव- जातक की कुंडली में चंद्रमा कमजोर होने पर मानसिक पीड़ा मिलती है।
शुभ रत्न – मोती।
शुभ यंत्र – चंद्र यंत्र।
शुभ रंग – सफेद
चंद्र ग्रह को मजूबत करने के उपाय- व्यक्ति को सोमवार का व्रत और चंद्र के मंत्रों का जाप करना चाहिए।
चंद्र ग्रह का वैदिक मंत्र_
ॐ इमं देवा असपत्नं सुवध्यं महते क्षत्राय महते ज्यैष्ठ्याय महते जानराज्यायेन्द्रस्येन्द्रियाय। इमममुष्य
पुत्रममुष्यै पुत्रमस्यै विश एष वोऽमी राजा सोमोऽस्माकं ब्राह्मणानां राजा।।
चंद्र ग्रह का तांत्रिक मंत्र_
ॐ सों सोमाय नमः।
चंद्रमा का बीज मंत्र_
ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्रमसे नमः।