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राशि विशेष में शुक्र का प्रभाव एवं प्रथम भाव मे शुक्र का अनुभव आधारित फल
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पत्रिका में शुक्र यदि उच्च राशि में है तो जातक सुशील व सौम्य, गीत -संगीत
में रुचि रखने वाला. विलासी. कामी स्वभाव, भाग्यवान व समस्त ऐश्वर्य से युत होता है।। शुक्र यदि नीच राशि में हो तो व्यक्ति गुप्त रोग अथवा शीघ्रपतन रोग से ग्रस्त व दुखी होता है। शुक्र के मित्र क्षेत्री होने पर व्यक्ति सुखी, पुत्रवान, तथा भोग करने वाला होता है, शुक्र के शत्रु ग्रह की राशि में होने पर भी जातक साधारण नौकरी करने वाला अथवा दास प्रवृत्ति का होता है। शुक्र मूलत्रिकोण राशि में होने पर जातक किसी भी क्षेत्र में हो, उसे किसी भी प्रकार का पुरस्कार विजेता बनाता है। सम्पत्ति का स्वामी व काम प्रिय होता है।

प्रथम भाव में शुक्र
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शुक्र एक नैसर्गिक शुभ ग्रह है। पत्रिका में केवल इनकी शुभ स्थिति ही जातक के जीवन को संवार देती है। इस भाव में शुक्र जातक को दीर्घायू, सुन्दर, ऐश्वर्यशाली. मधुर बोलने वाला, भोग-विलास में लीन, कामी प्रवृत्ति के साथ काम कला प्रवीण व राज्य से लाभ लेने वाला होता है। ऐसा जातक कला के साथ गीत-संगीत में भी रुचि रखता है। अपने शरीर को स्वच्छ रखने के साथ अच्छे वस्त्र धारण करने का शौकीन व सुगन्धित वस्तुओं का प्रयोग करने वाला होता है। यहां पर शुक्र जातक
को विपरीत लिंग में प्रिय बनाता है। वह विपरीत लिंग को कैसे और कब वश में करता यह कोई नहीं समझ पाता है। इसके साथ ही वह अपनी आयु से कम दिखाई देता है। यदि शनि साथ में बैठा हो तो जातक का विवाह विलम्ब से होता है। घर के बाहर शारीरिक सम्बन्ध अवश्य बनाता है। मैंने इस शुक्र के शोध में यह देखा है कि ऐसा जातक शारीरिक रूप से सुन्दर बहुत होता है लेकिन उसका दिमाग वासना में अधिक रहता है। वह अपने से नीचे कार्य करने वालों से भी सम्बन्ध बनाने में नहीं चूकता है। वह स्वयं बहुत कंजूस होता है। वह जिससे भी सम्बन्ध बनाता है, उससे आर्थिक लाभ लेता है। उसका विवाह जिससे होता है, वह बहुत ही खर्चीले स्वभाव का होता है। यहां पर शुक्र यदि अग्नि तत्व (मेष, सिंह व धनु राशि में हो तो जातक को वैवाहिक सुख विलम्ब से मिलता है लेकिन वह शारीरिक सुख कम आयु से ही लेने लगता है। विवाह होने पर अपने जीवनसाथी से बहुत प्रेम करता है। वह उससे अधिक शारीरिक सुख की कामना करता है। जीवनसाथी के मामले में भी वह भाग्यशाली होता है, क्योंकि उसका जीवनसाथी अत्यधिक प्रेम व सेवा करने वाला होता है। अनजान कारणों से अथवा अत्यधिक शारीरिक सुख की मांग अथवा बाहरी सम्बन्धों के कारण विवाह विच्छेद भी शीघ्र हो जाता है लेकिन जातक को इससे कोई अन्तर नहीं पड़ता है। वह शीघ्र ही दूसरा विवाह कर लेता है। ऐसे जातक को कम सन्तति होती है। भाग्योदय भी विलम्ब से होता है। इस भाव में शुक्र जल तत्व (कर्क, वृश्चिक व मीन) में मीन के
अतिरिक्त जातक को पूर्ण वैवाहिक सुख प्रदान करता है परन्तु यहा उच्च अर्थात् मीन राशि के शुक्र के प्रभाव से जातक अनेक लोगों से अवैध शारीरिक सम्बन्ध बनाने में निपुण होता है। वायु तत्व (मिथुन, तुला व कुंभ) राशि के शुक्र के प्रभाव से जातक को अपना जीवनसाथी अत्यधिक सुन्दर व शारीरिक रूप से सक्षम मिलता है लेकिन फिर भी जातक का मन उसके प्रति न होकर अवैध सम्बन्धों में अधिक रहता है। स्वराशि अर्थात् वृषभ राशि के शुक्र के प्रभाव से जातक अत्यधिक कामुक होता है। वह एक ही समय में कई लोगों से सम्बन्ध बनाता है तथा एक से सम्बन्ध खत्म होते ही वह दूसरे से सम्बन्ध बना लेता है।
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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मंगल ग्रह को कर्ज का कारक ग्रह माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार मंगलवार को कर्ज लेना निषेध माना गया है। वहीं बुधवार को कर्ज देना अशुभ है क्योंकि बुधवार को दिया गया कर्ज कभी नही मिलता। मंगलवार को कर्ज लेने वाला जीवनभर कर्ज नहीं चुका पाता तथा उस व्यक्ति की संतान भी इस वजह परेशानियां उठाती हैं।जन्म कुंडली के छठे भाव से रोग, ऋण, शत्रु, ननिहाल पक्ष, दुर्घटना का अध्ययन किया जाता है। ऋणग्रस्तता के लिए इस भाव के आलावा दूसरा भाव जो धन का है, दशम-भाव जो कर्म व रोजगार का है, एकादश भाव जो आय का है एवं द्वादश भाव जो व्यय भाव है, का भी अध्ययन किया जाता है। इसके आलावा ऋण के लिए कुंडली में मौजूद कुछ योग जैसे सर्प दोष व वास्तु दोष भी इसके कारण बनते हैं। इस भाव के कारक ग्रह शनि व मंगल हैं।
दूसरे भाव का स्वामी बुध यदि गुरु के साथ अष्टम भाव में हो तो यह योग बनता है। जातक पिता के कमाए धन से आधा जीवन काटता है या फिर ऋण लेकर अपना जीवन यापन करता है। सूर्य लग्न में शनि के साथ हो तो जातक मुकदमों में उलझा रहता है और कर्ज लेकर जीवनयापन व मुकदमेबाजी करता रहता है।12 वें भाव का सूर्य व्ययों में वृद्धि कर व्यक्ति को ऋणी रखता है। अष्टम भाव का राहू दशम भाव के माध्यम से दूसरे भाव पर विष-वमन कर धन का नाश करता है और इंसान को ऋणी होने के लिए मजबूर कर देता है इनके आलावा कुछ और योग हैं जो व्यक्ति को ऋणग्रस्त बनाते हैं।

👉 उपर बताएं पाप ग्रह अगर मंगल को देख रहे हों तो भी कर्जा होता है।

👉 कुंडली में खराब फल देने वाले घरों (छठे, आठवें या बारहवें) घर में कर्क राशि के साथ हो तो व्यक्ति का कर्ज लंबे समय तक बना रहता है।
👉 षष्ठेश पाप ग्रह हो व 8 वें या 12 वें भाव में स्थित हो तो व्यक्ति ऋणग्रस्त रहता है।
👉 छठे भाव का स्वामी हीन-बली होकर पापकर्तरी में हो या पाप ग्रहों से देखा जा रहा हो।
👉 अगर कुंडली में मंगल कमजोर हो यानि कम अंश का हो तो ऋण लेने की स्थिति बनती है।
👉 अगर मंगल कुंडली में शनि, सूर्य या बुध आदि पापग्रहों के साथ हो तो व्यक्ति को जीवन में एक बार ऋण तो लेना ही पड़ता है।
👉 दूसरा व दशम भाव कमजोर हो, एकादश भाव में पाप ग्रह हो या दशम भाव में सिंह राशि हो, ऐसे लोग कर्म के प्रति अनिच्छुक होते हैं।
👉 यदि व्यक्ति का 12 वां भाव प्रबल हो व दूसरा तथा दशम कमजोर तो जातक उच्च स्तरीय व्यय वाला होता है और 5. निरंतर ऋण लेकर अपनी जरूरतों की पूर्ति करता है।
👉 आवास में वास्तु-दोष-पूर्वोत्तर कोण में निर्माण हो या उत्तर दिशा का निर्माण भारी व दक्षिण दिशा का निर्माण हल्का हो तो व्यक्ति के व्यय अधिक होते हैं और ऋण लेना ही पड़ता है।

उपाय

👉नित्य गोपाल विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।
👉रविवार तक 10 वर्ष से कम उम्र की कन्याओं को भोजन कराएं।
👉हर मंगलवार लाल गाय को गुड़ खिलाएं।
👉शनिवार को ऋणमुक्तेश्वर महादेव का पूजन करें।
👉मंगल की भातपूजा, दान, होम और जप करें।
👉विधि-विधान पूर्वक लक्ष्मी-यन्त्र की स्थापना कर लक्ष्मी-स्तोत्र व कवच का पाठ करें या कराएं।
👉मंगल एवं बुधवार को कर्ज का लेन-देन न करें।
👉लाल, सफेद वस्त्रों का अधिकतम प्रयोग करें।
👉श्रीगणेश को प्रतिदिन दूर्वा और मोदक का भोग लगाएं।
👉लक्ष्मी- गायत्री मंत्र ‘ॐ महालक्ष्म्मै च विद्महे, विष्णु पत्नये च धीमहि, तन्नो लक्ष्मिः प्रचोदयात’ का जप करें या कराएं|
👉श्रीगणेश का अथर्वशीर्ष का पाठ प्रति बुधवार करें।
👉शिवलिंग पर प्रतिदिन कच्चा दूध चढ़ाएं।

अपनी राशी अनुसार जाने उधार और कर्ज से बचने के लिए उपाय
मेष🐐 घोड़े को हरा चारा खिलाए या रोगीयों को औषधि का दान दें।
वृष🐂 विद्यार्थियों को अध्ययन की सामग्री दान दें।
मिथुन👫 हरे पौधों को पानी दें या तोते को हरी मिर्च खिलाए।
कर्क🦀 10 वर्ष से कम उम्र वाली कन्या को मिठाई खिला कर भेंट दें।
सिंह🦁 किन्नर को हरी चुडिय़ां दान दें।
कन्या👩 गाय को हरे मूंग खिलाए और हरे वस्त्र पहनें।
तुला⚖️ जरूरतमंद को हरे वस्त्र दान दें।

वृश्चिक🦂 कुल देवी देवता को कांसे का दीपक लगांए।
धनु🏹 जीवनसाथी को आभूषण या पन्ना रत्न पहनाएं।
मकर🐊 किसी को ऋण दें या ऋण दिलाने में मदद करें।
कुंभ🍯 किसी वृद्ध को हरे वस्त्र का दान दें।
मीन🐳 गणेश जी को दूर्वा चढ़ाए।

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