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प्रेरक प्रसंग
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आत्मा की खोज
यूनान में एक कथा है। एक बहुत सुंदर युवक हुआ,नार्सीसस। वह इतना सुंदर था कि वह अपने ही प्रेम में पड़ गया। उसने अपनी छांह देख ली एक सरोवर में। तब दर्पण न रहे होंगे। बहुत पुरानी कथा है। एक सरोवर में अपनी छांह देख ली; इतनी सुंदर थी! निश्चित ही युवक बहुत सुंदर था। फिर बहुत युवतियों ने उस पर अपने तीर फेंके, वे कारगर न हो सकीं। क्योंकि वह जो छांव में उसने देख लिया था वैसा सुंदर फिर उसने किसी को पाया नहीं। वह भटकता रहा, वह खोजता रहा उस व्यक्ति को, जो उसने देख लिया था सरोवर के भीतर छिपा हुआ। वह घंटों, और दिनों,और महीनों सरोवर के किनारे बैठा रहता और देखता रहता टकटकी लगा कर। पानी में छलांग लगाता, प्रतिबिंब खो जाता;डुबकी मारता, खोजता, कुछ भी न पाता। वहां कुछ था तो नहीं,वहां तो बस प्रतिफलन था, वहां तो सिर्फ प्रतिछाया थी। उसके कूदते ही खो जाती। कहते हैं, नार्सीसस पागल हो गया। सरोवर दर्पण, प्रतिफलन, छलांग लगाना, खोजना; खाना-पीना भूल गया। जंगल-जंगल खोजता फिरा। पहाड़-पहाड़ उसकी आवाज से गूंजने लगे।जो नार्सीसस की कथा है,
वही तुम्हारी कथा है। तुम जिसे खोज रहे हो वह तुम्हारे भीतर छिपा है।हो सकता है किसी की आंख के सरोवर में तुम्हें दिखाई पड़ा हो अपना प्रतिबिंब। हो सकता है किसी के चेहरे पर तुम्हारा प्रतिबिंब दिखाई पड़ा हो। हो सकता है कभी संगीत के माधुर्य में झलक गई हो बात। किसी सुबह सूरज के उगते क्षण में, आकाश के मौन में, पक्षियों के कलरव में, खिलते हुए गुलाब के फूल में तुम्हें दर्पण मिल गया हो। लेकिन जो तुमने देखा है, जो तुमने सुना है, जो तुमने पाया है कहीं भी बाहर, सब खोजियों की खोज एक है कि वह तुम्हारे भीतर छिपा है।
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