Phone

9140565719

Email

mindfulyogawithmeenu@gmail.com

Opening Hours

Mon - Fri: 7AM - 7PM

“आत्मचिंतन के क्षण”

जीवन की सर्वाेपरि सफलता इसी बात में है कि मनुष्य अपने लिए सम्माननीय स्थिति प्राप्त करे। संसार से धनी, निर्बल, विद्वान्, मूर्ख, बलवान् सभी को एक दिन जाना पड़ता है। वह जो कुछ धन, दौलत, वैभव-विभूति, सुख-दुःख उपार्जित करता है, सब यहीं इसी संसार में छूट जाता है। साथ यदि कुछ जाता है, तो जाती है वह शांति-अशांति, सुख-दुःख, श्रेष्ठता-निकृष्टता जो मनुष्य के कर्मों के अनुसार आत्मा में संचित होती रहती है।

भाग्यवादी वह है, जो स्वयं अपने में विश्वास नहीं करता। वह सदा दूसरों की सलाह का ही मुहताज बना रहता है। जैसा उचित-अनुचित दूसरे लोग सुझा देते हैं, वह वैसा ही मान बैठता है। अपनी मौलिकता और अपने विवेक को वह काम में नहीं लेता। जैसा किसी दूसरे ने उसे दे दिया, वह वैसा ही स्वीकार कर लेता है।

◾ किसी व्यक्ति की उपासना सच्ची है या झूठी, उसकी एक ही परीक्षा है कि साधक की अन्तरात्मा में संतोष, प्रफुल्लता, आशा, विश्वास और सद्भावना का कितनी मात्रा में अवतरण हुआ? यदि यह गुण नहीं आये हैं और हीन वृत्तियाँ उसे घेरे हुए हैं, तो समझना चाहिए कि वह व्यक्ति पूजा-पाठ कितना ही करता हो, उपासना से दूर ही है।

बड़े-बड़े उपदेश, व्याख्यान, भाषण आदि का समाज पर प्रभाव अवश्य पड़ता है, किन्तु वह क्षणिक होता है। किसी भी भावी क्रान्ति, सुधार, रचनात्मक कार्यक्रम के लिए प्रारंभ में विचार ही देने पड़ते हैं, किन्तु सक्रियता और व्यवहार का संस्पर्श पाये बिना उनका स्थायी और मूर्त रूप नहीं देखा जा सकता।

✍🏻 पं श्रीराम शर्मा आचार्य

Recommended Articles

Leave A Comment