‼कही हम् महापापी तो नहीं❓‼
यत्पापं ब्रह्महत्यायां द्विगुणं गर्भवातेन।
प्रायश्चित न तस्यतिस …त्यागो।।
पुत्र की अभीप्सा में गर्भपात करने वाला व्यक्ति महापापी से भी दुगुना महापापी है। उसे दंड भुगतना होगा। उसका कोई प्रयाश्चित नही अगले जन्म उसे निःसंतान ही रहना होगा।
आज संसार मे अनेक लोग है जो इस महापाप को कर रहे है कारण भी ओर उसका दोष केवल माता-पिता ही नही समाज भी दोषी है क्योंकि कही न कही समाज के हालात देखकर वो भी मजबूर हो जाते है।
थोड़ा गहराई से सोचिएगा की आखिर इसका जड़ है कहाँ❓
सभी को बेटों की मांग होती है बेटियों की नही लेकिन ये बताइए कि बिना बेटी के बेटा का जन्म हो सकता है क्या❓ बेटी है तो बेटा है।
लेकिन मजबूर होकर गलत कार्य करना ये कोई महान कार्य नही बल्कि कायरता का कार्य है अगर माता-पिता मजबूर करते है तो वे पाप के दोषी है। भारत देश मे जितना पूजा पुरुष का नही होता है उससे अधिक नारी का होता है। एक नारी के अपमान पर महाभारत का युद्ध हो गया आज तो हर घर मे नारी का अपमान हो रहा है तो सोचिए कि आगे क्या होगा❓❓🙏🏻
कोई नही सोचा था कि महाभारत का युद्ध इतना भयानक होगा जहाँ लाशें ही लाशें बिछी रहेगी। लेकिन दृश्य को जो देखता है बिना रोए रहा नही जाता तो सोचिए आने वाला समय मे क्या-क्या नही हो सकता है।
तन से व्यक्ति कमजोर हो लेकिन मन से बलशाली हो तो हर वो कार्य सम्भव हो सकता है जो असम्भव लगता है और इसी मन को हम् अपने भीतर ज्ञान से बलशाली कर सकते है क्योंकि ज्ञान ही वो आधार है ज्ञान का अर्थ बाहरी रटन विद्या से नही न ही बाहरी सुनने से या पढ़ने वाला विद्या बल्कि आंतरिक विद्या की बात कही है जो भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को दिए थे जो मीराबाई को सन्त रविदास दिए थे जो सहजोबाई को चरणदास दिए थे।
कई लोग ये मानते है कि पुत्र ही माता-पिता को मोक्ष प्रदान करने में सक्षम है लेकिन ये अर्धसत्य है *पुर्नसत्य तो ये है चाहे पुत्र हो या पुत्री दोनों ही मोक्ष के सहायक है और वो भी तब तक आंतरिक ज्ञान के द्वारा हम् अपने भीतर के कर्मों को भष्म करेंगे *लेकिन प्रश्न उठता है—-🙏🏻*
हम् अपने भीतर उस ज्ञान की अग्नि को प्रकट कैसे करें❓❓🙏🏻