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भोजन का परीक्षण दिवस (बासौड़ा) पर विशेष
गर्मी का प्रारम्भ हो रहा है हमारे स्वास्थ्य के लिए ताजी ऋतु अनुकूल और ठंडी तासीर वाली वस्तुएं हितकर और सेवनीय हैं।इसी को ध्यान में रख शायद इस परंपरा की शुरुआत इसी कारण हुई हो जिससे हम ऋतुओं के इस बड़े परिवर्तन को समझ अपने खानपान में भी बदलाव कर स्वस्थ रह सकें।
वस्तुतः यह सर्दी और गर्मी का संधिकाल है यानी सर्दी जा रही है गर्मी आ रही है।
हमारा आहार विहार कैसा हो किन चीजों को हम सेवन में लाएं किनको नहीं शायद इसी संदेश को दे रहा है ये पारम्परिक शीतला सप्तमी पर्व बासौड़ा
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बासी भोजन, बासी पकौड़े और मत पीना चाय।
बासौड़ा करने आया बासी भोजन को अलविदा (बाय )।
आजके दिन से होने लगेंगी खराब खाने पीने की कल की रखी बासी चीजें।
गर्मी के मौसम में खाएं पीएं पेय ठंडे, ताजी रोटी मट्ठा में भींजे।
गर्मी की शुरुआत है,इसलिए शुरू हुआ होगा यह परीक्षणका दिवस।
पता लगता है इससे,आगे से भोजन बनाना उतना ही बस।
मत खाना और खिलाना एक दिन पहले का रखा हुआ भोजन
क्योंकि मौसम परिवर्तन से होने वाले संक्रामक रोगों, चेचक, हैजा आदि बढ़ेगा वमन।
नीम के फूल की सब्जी का गुड डालकर बनाना भोजन
शीतला के पूजने का एकमेव प्रयोजन।
हमारे देश में हर वस्तु,स्थान,दिशा, काल को माँ देवी कह कर पूजना परम्परा का हिस्सा।
पर जानना बहुत जरूरी है, इसके पीछे का किस्सा।
अतः शीतल और गर्म मौसम के अनुकूल हो भोजन।
मत बनना गर्मी के कोप का भाजन।
शीतल करके खाना।
शीतल जगह में जाना।
शीतल दिमाग रखना।
शीतल ही सबसे बतलाना।
इसकी पूरी जानकारी रखना।
यही शीतला का जानो पूजना।
ढोंग, आडम्बर, भ्रम, पाखंड से बहिनों, भाइयों अपना जीवन बचाना।
इस तरह शीतल हो शीतला का महत्व समझना और बतलाना।
अपने घर समाज राष्ट्र की खुशियों हेतु स्वयम् शीतला बन जाना।
तभी इस रीति रिवाज का सार्थक सफल हो पाना।
अन्यथा सिमट सिमट भ्रम में पड़ मिट जाना।
अंत में यही कहना है –
इस ऋतुओं के परिवर्तन को खुशी खुशी मनाना।
जो सोम है,शीतल है उस सोम प्रभु के सोम होकर सब मिल नित गुण गाना।
स्वास्थ्य सम्पदा पाना ।। ☺
उत्तर प्रदेश, राजस्थान आदि क्षेत्रों में मनाए जा रहे होली के बाद आने वाले इस शीतला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
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