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अयोध्या में क्यो जन्मे थे श्रीराम…………
भगवान विष्णु ने अलग-अलग युग में अलग अवतार लेकर धरती पर चमत्कार दिखाए।
धर्म की विजय और अधर्म के नाश का संदेश दिया। भगवान विष्णु त्रिदेवों में से एक माने जाते हैं। ब्रह्मा जी को सृष्टि के सृजनकर्ता, विष्णु जी को संसार के पालनहार के रूप में
और शिव जी को सृष्टि के संहारक के रूप में जाना जाता है।
ऐसा कहा जाता है कि भगवान विष्णु के कुल 10 अवतार होंगे जिसमें से 9 अवतार हो चुके हैं और दसवां अवतार कलयुग के अंतिम चरण में कल्की के रूप में होगा। भगवान विष्णु के हर अवतार की अपनी अलग कहानी है। भगवान राम का जन्म मनु के दशवें पुत्र इक्ष्वाकु के वंश में हुआ था।
श्रीराम को भी भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। त्रेतायुग में श्रीराम ने अयोध्या में अवतार लिया । राम के रूप में विष्णु के इस मानव अवतार को धर्म और मर्यादा के पर्याय के रूप में पूजा जाता है।
श्रीराम ने मां सीता से विवाह किया और उसके बाद अपने पिता के वचन का मान रखने के लिए 14 वर्ष वन में व्यतीत किए। जहां रावण ने सीता मां का अपहरण किया और श्रीराम ने रावण का वध किया। ये वो कहानी है जो हमने किताबों में पढ़ी और टीवी पर देखी है।
श्री राम के अयोध्या में जन्म लेने के पीछे भी एक विशेष कारण है। मनु और उनकी पत्नी शतरूपा, जिन्होने मनुष्य जाति की उत्पत्ति की। ये दोनो पति-पत्नी अपने जीवन के अंतिम पड़ाव पर अपने पुत्र को राजसिंहासन पर बैठाकर पवित्र हृदय से भगवान विष्णु की भक्ति करने के लिए राजपाठ त्याग कर वनवास करने चले गए।
वन में रहकर, अन्न त्याग कर उन्होने कईं हज़ार सालों तक भगवान विष्णु की भक्ति की। अगर कथाओं पर यकीन किया जाए तो उन्होने 6 हज़ार सालों तक केवल जल ग्रहण कर जीवन व्यतीत किया। मनु और शतरूपा की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हे मनचाहा वर मांगने के लिए कहा। तब मनु और शतरूपा ने भगवान विष्णु जैसे पुत्र को पाने की इच्छा ज़ाहिर की। उनकी इच्छा का मान रखते हुए भगवान विष्णु ने कहा कि इस संसार में उनके जैसा कोई नहीं है। पर क्योकि मनु और शतरूपा ने उनकी पूरी श्रध्दा और समर्पण के साथ तपस्या की है इसलिए वो उनकी इच्छा का मान ज़रूर रखेंगे। और अगले जन्म में जब मनु, दशरथ और शतरूपा कौशल्या के रूप में अवतार लेंगी तो वो उनके पुत्र राम बनकर इस धरती पर अवतरित होंगे।
मनु और शतरूपा की इच्छा को पूरी करने के लिए ही भगवान विष्णु ने अयोध्या में श्रीराम के रूप में अवतार लिया। चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को श्रीराम का जन्म हुआ। कथाओं और किवदन्तियों के आधार पर जो जानकारी वर्णित है, ये उसका संक्षिप्त स्वरूप है।

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