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ज्योतिष अनुसार इन कारणों से होती है तंत्र विधा आप पर
अक्सर कुछ लोग दुकानों पर और घरों के बाहर नींबू-मिर्च टांगकर रखते हैं। ऐसा माना जाता है कि इससे हमारे घर और दुकान की बुरी नजरों से रक्षा हो जाती है। वैसे तो यह तंत्र-मंत्र से जुड़ा एक टोटका है, लेकिन इस परंपरा के पीछे मनोविज्ञान से जुड़ी हुई एक वजह भी है।
तंत्र-मंत्र में नींबू, तरबूज, सफेद कद्दू और मिर्च का विशेष रूप से उपयोग किया जाता है।
सामान्यत: नींबू का उपयोग बुरी नजर से बचने के लिए किया जाता है। बुरी नजर लगने का मुख्य कारण यह है कि जब कोई व्यक्ति किसी दुकान को, किसी चीज को, किसी बच्चे या अन्य इंसान को लगातार अधिक समय देखता रहता है तो उसे बुरी नजर लग जाती है।
आइये समझे ज्योतिष शास्त्र के कुछ नियम :-
*ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य से पितृ दोष, गुरु से
देवदोष, चंद्र व शुक्र से जल छाया, शनि से यम दोष, राहु
व केतु से प्रेत दोष, मंगल से सर्प व शाकिनी दोष, बुध कुल देवता दोष राहु, केतु शनि ऊपरी
हवाओ के प्रबल कारक हैं ।
*चतुर्थेश अष्टम स्थान में हो, चंद्र पाप ग्रह से
दृष्ट हो, तथा शनि,राहु के द्वारा लग्न व लग्नेश
पीड़ित हो तो अनियंत्रित शक्तियो के
द्वारा वह व्यक्ति परेशान रहता हैं ।
*अश्विनि, आद्रा, अश्लेषा, मघा, स्वाती,मूल, शतभिषा में जन्मे जातक पर इनका प्रभाव
बडी जल्दी पडता हैं ।
*राहु तथा अष्टम भाव के मालिक का प्रभाव लग्न,
लग्नेश चतुर्थ भाव व भावेश, तथा नवम भाव पर हो तो
व्यक्ति निश्चित रूपसे प्रभावित होता हैं ,इन पर तंत्र प्रयोग जल्दी होते हैं ।
*लग्न में राहु तथा चंद्र और त्रिकोण में मंगल व शनि
हों, तो जातक पर भूत, प्रेत, तन्त्र-मंत्र या ऊपरी बाधाओ का प्रभाव होता हैं ।
*किसी जातक के पंचम व नवम भाव पर पापी ग्रहो का प्रभाव हो तो जातक के उपर तांत्रिक प्रभाव होता हैं ।
*अगर जन्म कुण्डली के पहले भाव में चन्द्र के साथ राहु हो और पांचवे और नौवें भाव में क्रूर
ग्रह स्थित हों। जब चन्द्र या राहू की दशा आएगी तब इस योग के होने पर जातक पर भूत-प्रेत या उपरी हवा का प्रकोप शीघ्र होता है,साथ ही तंत्र प्रयोग भी होते हैं ।
*यदि कुण्डली में शनि, राहु, केतु या मंगल तथा आठवे व द्वादश भाव के मालिक में से कोई
भी दो ग्रह एवम उससे अधिक ग्रह सप्तम भाव में हो तो ऐसे व्यक्ति को भूत-प्रेत बाधा या
पिशाच या ऊपरी हवा आदि से परेशानी होती हैं ।
*यदि दूसरे भाव में पाप ग्रह हो तथा राहु केतु या मंगल कि दशा हो तो व्यक्ति को कुछ खिला कर उस पर प्रयोग किया जाता हैं ।
इस पोस्ट का मतलब आपको टोना टोटका के प्रति जागरूक करना था ।हर धर्म की अपनी प्रथा,अपने विचार और अपनी मान्यता होती हैं, कई धर्म आज भी टोना, टोटका नही मानते ।लेकिन पुरातन काल से इस विद्या का सदुपयोग,और दुरूपयोग हम इंसान करते आ रहे हैं ।
दरअसल हम इन टोटको के बुरे प्रभाव से बच सकते हैं, आवश्यकता हैं कि हम अपने धर्म का पालन करे, ईश्वर मे आस्था हो, धर्म के प्रति सम्मान हो । हम अपने ईश्वर के प्रति आस्था,विश्वास कम करते हैं, और दूसरे धर्म की बुराई पर ज्यादा ध्यान देते हैं। जो गलत हैं। जिंदगी मे सब कुछ पाने के लिये साधना जरूरी होती हैं, साधना का मतलब ये नही की आप साधू, महात्मा, सन्यासी ,मुनि बन जाओ । इसका मूल मतलब हैं कि किसी एक भगवान को जीवन मे बसा लो ।
आप मंदिर, मस्जिद, चर्च,गुरुद्वारे, समाधि,दरगाह कंही भी जाओ, वो कोई परेशानी नही, पर आपका कोई इष्ट देव होना जरूरी हैं । जैसे पिता एक ही होता हैं लेकिन पिता तुल्य हम किसी सहारे देने वाले को भी मानते हैं। जब आप किसी एक ईश्वर को साध लेते हैं, हर पल मन मे उनका नाम, स्मरण रहता है तो संसार के बड़े से बड़े टोने, टोटके, जादू,मन्त्र का बुरा असर आप पर कभी नही पड सकता।
अगर फिर भी कोई समस्या हो तो आप एक अच्छे ज्योतिषी से सलाह लेकर अपनी समस्या को दूर कर सकते हैं.

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