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दक्षिणावर्ती शंख ( Dakshinavarti Shell )
पूजा पद्धिति में दक्षिणावर्ती शंख का स्थान हमेशा से महत्वपूर्ण रहा है क्योकि इस शंख को देवी लक्ष्मी जी का प्रति स्वरूप माना गया है, साथ यी ये धन संपदा, ऐश्वर्य और समृद्धि का भी प्रतिक है. इसका पूजन करने वाले व्यक्ति हमेशा संपन्न रहते है,उनका व्यापार सदा सफल और कामयाब रहता है. साथ ही इसमें भरकर सूर्य को जल चढ़ाएं तो नेत्रों के रोगों से भी मुक्ति मिलती है और अगर रात के समय समय इसमें जल भर कर रखा जाएँ और दिन में उसे घर में छिडका जाएँ तो घर में सुख शान्ति बढती है, सभी परेशानियाँ दूर हो जाती है.

वैसे तो शंख अनेक प्रकार के होते है किन्तु उनमें से 2 खास है –
दक्षिणावर्ती शंख ( Dakshinavarti Shell ) : दक्षिणावर्ती शंख दाई तरफ से खुला होता है और ये तंत्र विद्या में भी बहुत इस्तेमाल किया जाता है. साथ ही इस शंख का मुख बंद होता है इसीलिए इसे बजाया भी नहीं जा सकता और पूजा के कार्यों में इस्तेमाल किया जाता है.

  • वामवर्ती शंख ( Vaamvarti Shell ) : जबकि वामवर्ती शंख बायीं तरफ से खुला होता है, इसका भी तंत्र विद्या में इस्तेमाल होता है किन्तु दक्षिणावर्ती से कम, अधिकतर तो इस शंख को पूजा में रखना ही शुभ माना जाता है. तो आओ अब जानते है कि इन शंख से क्या क्या लाभ होते है और इनकी स्थापना कैसे की जाती है.

दक्षिणावर्ती शंख ( Dakshinavarti Shell ) :
ये शंख विष्णुप्रिय, पवित्र, शुभ फलदायी और लक्ष्मी सहोदर होता है, ऐसी मान्यता है कि जिस घर में दक्षिणावर्ती शंख की स्थापना होती है उस घर में श्री समृद्धि सदैव रहती है. अगर घर में किसी को दुस्वप्न आते है तो इस शंख की स्थापना से उन्हें इससे भी मुक्ति मिलती है क्योकि इस शंख की सकारात्मक ऊर्जा घर से ओपरी छाया को भी दूर करता है. इस तरह घर का वातावरण शांत बना रहता है. वहीँ अगर इसे व्यापार स्थल पर रखा जाएँ तो कारोबार में दिन प्रतिदिन उन्नति होती रहती है.
दक्षिणवर्ती शंख की स्थापना ( The Establishment of Dakshinavarti Shell ) :
 शुद्धिकरण ( Purification ) : किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले शुद्धिकरण का होना आवश्यक है तो दक्षिणावर्ती शंख को स्थापित करने से पहले आप शंख का शुद्धिकरण कर लें.

 दिन ( Day ) : शंख की स्थापना के लिए बुधवार या वीरवार के दिन शुभ मुहूर्त का चयन करें.

 सामग्री ( Material Required ) : पंचामृत, दूध, गंगाजल, धुप दीप, चाँदी का आसन, लाल कपडा

 विधि ( Process of Setup Shell ) : वीरवार या बुधवार के दिन शुभ मुहूर्त में नहा धोकर शंख को पंचामृत, दूध और गंगाजल से नहलाएं, फिर इसके सामने धुप व दीप जलाकर पूजन करें. अब चांदी के आसन पर लाल कपड़ा बिछाकर शंख को प्रतिष्ठित करें. ध्यान रहें कि शंख का खुला हुआ हिस्सा ऊपर आकाश की तरफ हो और मुख वाला हिस्सा नीचे जमीन की तरफ. अब शंख में अक्षत और रोली भर दें, साथ ही शंख पर रोली से स्वास्तिक का चिह्न बनायें. अब आप शंख पर चन्दन के फुल और धुप दीप इत्यादि करके पंचोपचार करे. इस तरह दक्षिणावर्ती शंख स्थापित किया जाता है.

एक बार दक्षिणावर्ती शंख के स्थापित हो जाने के बाद आप रोजाना शंख का नियमित रूप से पूजन और दर्शन करें. अगर कोई शीघ्र फल प्राप्ति की इच्छा रखता है तो उसे स्फटिक की माला के साथ नीचे दिए मंत्र का रोजाना जाप करना है. इस शंख के प्रभाव से जल्द ही घर की दरिद्रता दूर होती है, यश बनता है,कीर्ति में वृद्धि होती है, संतान की प्राप्ति होती है और शत्रु दूर होते है उनका भय खत्म होता है.
मंत्र ( Mantra ) :

ऊँ ह्रीं श्रीं नम: श्रीधरकरस्थाय पयोनिधिजातायं लक्ष्मीसहोदराय फलप्रदाय फलप्रदाय श्री दक्षिणावर्त्त शंखाय श्रीं ह्रीं नम:।

कार्य स्थल के लिए ( For Work Place ) :
क्योकि इस शंख के अदभुत और चमत्कारिक लाभ होते है इसीलिए ये सर्वाधिक मूल्यवान और दुर्लभ होता है, अगर आपको अलसी दक्षिणावर्ती शंख मिल जाएँ तो उसको प्राण प्रतिष्ठित कर स्थापित करना चाहियें. इससे लक्ष्मी हमेशा के लिए शंख में विराजमान रहती है. जब आप शंख को व्यापार स्थल पर स्थापित कर रहे हो तो आप निम्नलिखित श्लोक का जप करें.

 श्लोक ( Verses ) :

दक्षिणावर्तेशंखाय यस्य सद्मनितिष्ठति।
मंगलानि प्रकुर्वंते तस्य लक्ष्मीः स्वयं स्थिरा।
चंदनागुरुकर्पूरैः पूजयेद यो गृहेडन्वहम्।
स सौभाग्य कृष्णसमो धनदोपमः।।

तंत्र शास्त्र में दक्षिणावर्ती शंख ( Dakshinavarti Shell in Tantra Shastra ) :
तंत्र विद्या या प्रयोगों में भी दक्षिणावर्ती शंख अपना ख़ास स्थान रखता है. उनका मानना है कि पूर्ण विधि विधान से इसमें जल रखने से कई तरह की बाधाएं दूर होती है और इसमें से सकारात्मक ऊर्जा प्रवाहित होती है जो नकारात्मक ऊर्जा व छाया को दूर कर देती है. अगर इसमें भरकर रखें गए जल को व्यक्ति, वास्तु या किसी स्थान पर छिडका जाएँ तो ये जल उनपर लगे तंत्र मंत्र प्रभाव व टोने टोटकों को भी समाप्त कर देता है.

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