Phone

9140565719

Email

mindfulyogawithmeenu@gmail.com

Opening Hours

Mon - Fri: 7AM - 7PM

आइए जानते है मंडी के प्रसिद्ध देवता कमरुनाग जी और उनकी रहस्यमयी झील के बारे मे..

कमरुनाग जी (अन्य नाम वीर बर्बरीक, श्री खाटू श्याम जी, बबरुभान जी) को हिमाचल प्रदेश के मंडी ज़िला में बारिश के देवता के रूप में जाना जाता है। कमरूनाग जी का मंदिर एक घने जंगल के बीच में मंडी के कामराह नामक गांव में स्थित है। इस स्थान पर हर साल 14 जून को तीन दिवसीय मेले का आयोजन किया जाता है। पौराणिक परंपरा के अनुसार भक्त अपनी श्रद्धा भाव से सोने-चांदी इत्यादि के आभूषण, सिक्के एवं पैसे का चढ़ावा एक छोटी सी झील में विसर्जित कर देवता को अर्पित करते हैं । मंदिर का पुजारी नाग देवता की ओर से एक माध्यम के रूप में यहाँ कार्य करता है।

इस स्थान का पौराणिक इतिहास
हिमालय में हर दूसरे मंदिर, शिखर और झील की तरह, इस स्थान की भी एक कहानी है। ऐसा माना जाता है कि भगवान कमरुनाग महाभारत के महान युद्ध में भाग लेना चाहते थे। ये धरती के सबसे शक्तिशाली योद्धा थे। लेकिन ये भगवान श्री कृष्ण जी की नीति से हार गए थे। इन्होने कहा था कि कोरवों और पांडवों में जिसकी सेना हारने लगेगी वे उसका साथ देंगे। लेकिन भगवान् श्री कृष्ण ये जानते थे कि इस तरह अगर इन्होने कोरवों का साथ दे दिया तो पाण्डव जीत नहीं पायेंगे। श्री कृष्ण जी ने एक शर्त लगा कर इन्हे हरा दिया और बदले में इनका सिर मांग लिया। लेकिन कमरुनाग जी ने एक इच्छा जाहिर की कि वे महाभारत का युद्ध देखेंगे। इसलिए भगवान् कृष्ण ने इनके काटे हुए सिर को हिमालय के एक उंचे शिखर पर पहुंचा दिया। लेकिन जिस तरफ इनका सिर घूमता वह सेना जीत की ओर बढ्ने लगती। तब भगवान कृष्ण जी ने सिर को एक पत्थर से बाँध कर इन्हे पांडवों की तरफ घुमा दिया। इन्हें पानी की दिक्कत न हो इसलिए भीम ने यहाँ अपनी हथेली को गाड़ कर एक झील बना दी। यह भी कहा जाता है कि इस झील में सोना चांदी चढ़ानें से मन्नत पुरी होती है। लोग अपने शरीर का कोई भी गहना यहाँ चढ़ा देते हैं। झील पैसों से भरी रहती है, ये सोना-चांदी कभी भी झील से निकाला नहीं जाता क्योंकि ये देवताओं का होता है। ये भी मान्यता है कि ये झील सीधे पाताल लोक तक जाती है। इस में देवताओं का खजाना छिपा है। हर साल जून महीने में 14 और 15 जून को कमरुनाग जी भक्तों को दर्शन देते हैं। झील घने जंगल में है और इन दिनों के बाद यहाँ कोई भी पुजारी नहीं होता। यहाँ बर्फ भी पड़ जाती है।

सांस्कृतिक एवं धार्मिक महत्व
कमरुनाग झील काफी धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व रखती है। झील के किनारे स्थित कमरुनाग देव का मंदिर मंडी जिले के सबसे अधिक देखे जाने वाले मंदिरों में से एक है। हिंदू कथाओं के अनुसार यक्ष (धन के देवता) इस क्षेत्र में निवास करते थे। कमरुनाग का महान हिंदू महाकाव्य महाभारत में उल्लेख है। कमरुनाग देव को “बारिश के देवता” के रूप में भी जाना जाता है और लोग मौसम की अनुकूल परिस्थितियों के लिए बड़ी संख्या में मंदिर जाते हैं।

कैसे पहुँचा जाए कमरुनाग मंदिर
कमरुनाग के लिए कोई सीधी सड़क नहीं है, यहाँ केवल ट्रेकिंग द्वारा पहुंचा जा सकता है, निकटतम सड़क संपर्क रोहंडा में है जो मंडी से 55 किलोमीटर और सुंदरनगर से 35 किलोमीटर दूर है।
कमरुनाग झील सुंदरनगर-रोहंडा 35 किलोमीटर (सड़क मार्ग) से और उसके बाद रोहंडा-कमरुनाग 6 किलोमीटर (पैदल यात्रा)

       

Recommended Articles

Leave A Comment