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: पेट में गैस बनने के लक्षण : gas ki bimari ke lakshan

✷ आध्मान के लक्षण होते हैं। अधिक गैस निकलना, पेट का फूलना, पेट दर्द होना; डकारे आना, आदि।
✷ प्रतिदिन प्रत्येक व्यक्ति के शरीर से डकार और अधोवायु (पाद) के रूप में गैस बाहर निकलती है। एक समय में कुछ निश्चित मात्रा में गैस पाचन संस्थान मार्ग (Gastro Intestinal Tract) में रहती है, खासकर अमाशय और बड़ी आंत में ।
✷ प्रतिदिन सामान्य व्यक्ति 10 से 25 बार गैस निष्कासित करता है, इससे अधिक आध्मान की स्थिति कही जाती है।
खाना खाते समय या बाद में डकार आना सामान्य बात है परन्तु यदि बार-बार डकार आती हो तो हो सकता है मुंह से ज्यादा हवा निगलने में आ रही हो। कुछ लोग जान बूझ कर हवा निगलते हैं ताकि डकार आये और उन्हें आमाशय के कष्ट से राहत मिले और फिर धीरे धीरे हवा निगलने की आदत पड़ जाती है। डकारें आने के पीछे कभी-कभी कोई गम्भीर रोग भी हो सकता है जैसे आमाशय में छाला (Peptic Ulcer), आमाशय का पक्षाघात (Gastro Paresis) आदि।
✷ वसायुक्त आहार आमाशय से धीमी गति से खाली होता है जिससे पेट फूलता है और कष्ट होता है परन्तु अधिक गैस बने यह आवश्यक नहीं।
✷ कुछ रोग भी पेट फुलाते हैं। जैसे शोभग्रस्त आंतों की अनियमित गति (Irritable Bowel Syndrome), बड़ी आंत का कैन्सर (Colon Cancer) आदि।
✷ यह दर्द बांयी तरफ़ होता है तब हृदय रोग का भ्रम पैदा करता है और जब दांयी तरफ़ होता है तो पित्ताशय की पथरी (Gall Stone) या अपेन्डिक्स का शोथ (Appendicitis) का भ्रम पैदा करता है।

ध्यान देने वाली बात यह है कि यदि गैस अधिक बनने के अलावा ऐंठनयुक्त दर्द, मल त्याग के समय में परिवर्तन, दस्त लगना, क़ब्ज़ होना, मल के साथ रक्त आना, बुखार, उलटी, पेट दर्द के साथ पेट में सूजन आदि में से कोई लक्षण भी हो तो चिकित्सकीय सलाह लेना आवश्यक हो जाता है।
इस के कारणों का त्याग करने के उपरान्त भी गैस अधिक बनती हो तो निम्नलिखित आयुर्वेदिक औषधियों के सेवन से लाभ होता है। आइये जाने पेट में गैस की समस्या का समाधान क्या है | आइये जाने पेट की गैस का रामबाण घरेलू इलाज क्या है ।

पेट की गैस का घरेलू उपाय : pet me gas ka gharelu upay

(1) भुनी हुई हींग पीसकर शाक-सब्जी में डालकर खाने से पेट की वायु मिट जाती है।
(2) थोड़ा-सा नमक, 3 कालीमिर्च और 3 लोंग पीसकर आधी कटोरी पानी में उबाल कर पीने से आराम मिलता है।
(3) 6 ग्राम नीबू का रस पीने से वायुगोला नष्ट हो जाता है।
(4) हरड़ का चूर्ण गुड़ में मिलाकर खाने से वात-रक्त के का होने वाली उदर-पीड़ा दूर हो जाती है।
(5) बच और सोनामाखी खाने से वायुगोला में लाभ होता है।
(6) 5 ग्राम अजवायन, 10 कालीमिर्च और 2 पीपल रात को पानी में भिगो दें। सुबह पीसकर शहद में मिलाकर 1 पाव पानी के साथ लेने से वायुगोला-दर्द मिट जाता है।
(7) घी के साथ काकजंघा मिलाकर पीने से वायु-विकार में लाभ होता है।
(8) बड़ी इलायची के दाने 1 पाव और इन्द्रायण की गिरी बिना बीजों के 1 तोला पीसकर बेर के बराबर गोलियाँ बना लें। सुबह-शाम यह गोलियाँ खाने से वायुगोला मिट जाता है।
(9) 6 माशा हिंगाष्टक चूर्ण पानी के साथ खाने से सभी प्रकार के वायु-विकार मिट जाते हैं। ( और पढ़े –
(10) अरण्डी का तेल 20 ग्राम और अदरख का रस 20 ग्रांम मिलाकर पी लें, ऊपर से थोड़ा-सा गरम पानी पी लेने से वायुगोला में तुरन्त लाभ होता है।
(11) तीन ग्राम सज्जीखार, 3 ग्राम पुराना गुड़ दोनों को रगड़कर गोली बना लें । प्रतिदिन सुबह 1 गोली खाने से रोग नष्ट हो जाता है।
(12) आक की जड़ छाया में सुखाकर पीस लें। 2 रत्ती से 4 रत्ती तक यह दवा खाकर ऊपर से दूध पी लें। इससे मन्दाग्नि और वायुगोला नष्ट होता है।
(13) 6 ग्राम अरण्डी के तेल में 6 ग्राम दही मिलाकर आधे-आधे घण्टे के अन्तर से रोगी को पिलाने से वायुगोला हमेशा के लिए नष्ट हो जाता है।
(14) ढाक के 20 पत्तों की घुण्डी ताजे पानी में पीसकर रोगी को पिला दें। यदि दर्द हल्का हो जाय तो एक बार फिर इसी मात्रा में दवा पिला दें, वायुगोला दुबारा नहीं उठेगा।
(15) 250 ग्राम गाय का दूध, 250 ग्राम पानी और 5 कालीमिर्च साबुत लेकर आग पर चढ़ा दें और जब पानी जल जाय, तब उतार कर छान लें। इसमें मिश्री मिलाकर पीने से भयंकर वायुगोला का दर्द भी मिट जाता है।
(16) सत्यानाशी की जड़ की छाल 10 ग्राम, कालीमिर्च 5 नग लेकर पानी में पीसकर पी लें। भयंकर पेट-दर्द भी शान्त हो जाती है।
(17) अंलसी के पत्तों की सब्जी बनाकर खाने से पेट की वादी मिट जाती है।

पेट में गैस की आयुर्वेदिक दवा : pet me gas ki ayurvedic dawa

अच्युताय हरिओम फार्मा द्वारा निर्मित पेट की गैस में शीघ्र राहत देने वाली लाभदायक आयुर्वेदिक औषधियां ।

1) हिंगादि हरड़ चूर्ण
2) हरड रसायन गोली
3) पुदीना अर्क

प्राप्ति-स्थान : सभी संत श्री आशारामजी आश्रमों( Sant Shri Asaram Bapu Ji Ashram ) व श्री योग वेदांत सेवा समितियों के सेवाकेंद्र से इसे प्राप्त किया जा सकता है ।

नोट :- किसी भी औषधि या जानकारी को व्यावहारिक रूप में आजमाने से पहले अपने चिकित्सक या सम्बंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ से राय अवश्य ले यह नितांत जरूरी है ।
खाना हजम न होना( अपच / बदहजमी )के 6 घरेलु उपचार

कारण : Apach Badhazmi ke karan :-अपच रोग से पीड़ित व्यक्ति का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार:-सीघ्र लाभ के लिए यह भी करें :

कारण : Apach Badhazmi ke karan :-

• प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार अपच रोग उस व्यक्ति को हो जाता है जो अपनी भूख से अधिक भोजन करता है, जल्दी-जल्दी भोजन करता है तथा खाना ठीक से चबाकर नहीं खाता है।
• अपच रोग कई प्रकार के गरिष्ठ (भारी तथा दूषित भोजन), तैलीय भोजन, बासी तथा सड़े-गले खाद्य पदार्थों का भोजन में उपयोग करने के कारण होता है।
• अपच रोग(बदहजमी) उन व्यक्तियों को भी हो जाता है जो भोजन करने के तुरंत बाद काम में लग जाते हैं।
• भय, चिंता, ईर्ष्या, क्रोध, तनाव से ग्रस्त व्यक्तियों को यह रोग जल्दी हो जाता है।
• भोजन के साथ-साथ पानी पीना, चाय का अधिक सेवन करना, कॉफी, साफ्ट ड्रिंक तथा शराब आदि का अधिक सेवन करने के कारण भी अपच रोग(Apach / Badhazmi) हो जाता है।
• अधिक धूम्रपान करने, सही समय पर भोजन न करने तथा काम न करने के कारण भी अपच रोग हो सकता है।
• बार-बार बिना भूख लगे ही खाना खाने के कारण भी यह रोग हो जाता है।
• ठीक समय पर खाना न खाने अथार्त खाने खाने का कोई निश्चित समय न होने के कारण भी अपच रोग (Apach / Badhazmi) हो जाता है।
• गलत तरीके से खान-पान तथा जल्दी-जल्दी खाना खाने तथा तनाव में खाना खाने के कारण भी यह रोग हो जाता है।
• भोजन करते समय कोई मानसिक परेशानी तथा भावनात्मक रूप से परेशान रहने के कारण भी अपच रोग हो जाता है।
• कब्ज बनने के कारण भी यह रोग हो सकता है।
• अत्यधिक सिगरेट पीने के कारण भी यह रोग हो जाता है।
• जब शरीर में भोजन को जल्दी पचाने वाले एन्जाइम में कमी हो जाती है तो भी यह रोग व्यक्ति को हो जाता है।

अपच रोग से पीड़ित व्यक्ति का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार:-

  1. प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार रोगी के अपच रोग(Apach / Badhazmi) को ठीक करने के लिए सबसे पहले इसके होने के कारणों को दूर करना चाहिए। फिर इसके बाद रोगी को 1 से 3 दिनों तक रसाहार (नारियल पानी, संतरा, अनन्नास, अनार, नींबू पानी और कई प्रकार के फलों का रस) पीकर उपवास रखना चाहिए। इसके बाद कुछ दिनों तक रोगी को फलों का सेवन करना चाहिए तथा इसके बाद सामान्य भोजन का सेवन करना चाहिए। जिसके फलस्वरूप यह रोग ठीक हो जाता है।
  2. रोगी व्यक्ति को मिर्च-मसाले, तले-भुने खाद्य, मिठाइयों, चीनी, मैदा आदि का भोजन में उपयोग नहीं करना चाहिए तभी अपच रोग पूरी तरह से ठीक हो सकता है।
  3. इस रोग से पीड़ित रोगी को बार-बार भोजन नहीं करना चाहिए बल्कि भोजन करने का समय बनाना चाहिए और उसी के अनुसार भोजन करना चाहिए। रोगी व्यक्ति को भोजन उतना ही करना चाहिए जितना कि उसकी भूख हो। भूख से अधिक भोजन कभी भी नहीं करना चाहिए। रोगी व्यक्ति को भोजन कर लेने के बाद सोंफ खानी चाहिए और तुरंत पेशाब करना चाहिए और इसके बाद वज्रासन पर बैठ जाना चाहिए। इससे रोगी व्यक्ति को बहुत अधिक लाभ मिलता है।
  4. रोगी व्यक्ति को अपनी पाचनशक्ति को बढ़ाने के लिएअच्युताय हरिओम तुलसी अर्क या अच्युताय हरिओम पुदीना अर्क पीना चाहिए। तुलसी या पुदीना के पत्तों का भी सेवन किया जा सकता है |
  5. रोगी व्यक्ति के रोग को ठीक करने के लिए पेट पर मिट्टी की गीली पट्टी करनी चाहिए तथा गुनगुने पानी से एनिमा क्रिया करनी चाहिए। इसके बाद रोगी को कटिस्नान कराना चाहिए। फिर रोगी को कुंजल क्रिया तथा जलनेति क्रिया करानी चाहिए। जिसके फलस्वरूप यह रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।
  6. प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार इस रोग को ठीक करने के लिए कई प्रकार के आसनों का उपयोग किया जा सकता है और ये आसन इस प्रकार हैं-
    • अर्धमत्स्येन्द्रासन,
    • उत्तानपादासन,
    • सुप्त पवनमुक्तासन
    • योगमुद्रासन,
    • सर्वांगासन
    • चक्रासन,
    • वज्रासन,
    • शवासन,
    • भुजंगासन
    इन सभी यौगिक क्रियाओं को करने से रोगी का अपच रोग ठीक हो जाता है तथा इसके अलावा योग मुद्रा, कपालभाति, लोम अनुलोम, उज्जायी प्राणायाम करने से भी रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है।

सीघ्र लाभ के लिए यह भी करें :

  1. अपच रोग से पीड़ित रोगी को अधिक मात्रा में पानी पीना चाहिए जिसके फलस्वरूप यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
  2. रोगी व्यक्ति को अपना उपचार कराने से पहले वसायुक्त खाद्य पदार्थ, कॉफी, चाय, शराब, धूम्रपान तथा उच्च प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों को सेवन नहीं करना चाहिए।
  3. इस रोग से पीड़ित रोगी को अपने पेट पर गर्म तथा ठण्डी सिंकाई करनी चाहिए। इसके फलस्वरूप पेट में दर्द तथा गैस बनना बंद हो जाती है तथा यह रोग ठीक हो जाता है।
    4.पेट के अवयवों में रक्त संचार को सुधारने के लिए मिट्टी लपेट का उपयोग करना चाहिए। इसके फलस्वरूप रक्त संचार में सुधार हो जाता है और इस रोग से पीड़ित रोगी को बहुत अधिक आराम मिलता है।
  4. इस रोग से पीड़ित रोगी को पेट के बल लेटना चाहिए तथा पवनमुक्तासन का अभ्यास करना चाहिए। इसके फलस्वरूप रोगी को बहुत अधिक आराम मिलता है।
  5. इस रोग से पीड़ित रोगी को सबसे पहले नींबू के रस में पानी को मिलाकर दिन में कम से कम 3-4 बार पीना चाहिए तथा कम से कम 3 दिन तक उपवास रखना चाहिए और कटिस्नान करना चाहिए। इसके साथ-साथ रोगी व्यक्ति को अपने पेट को साफ करने के लिए पानी से एनिमा क्रिया करनी चाहिए ताकि यह रोग जल्दी ही ठीक हो जाए।

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