अध्यातम में हंस पक्षी का महत्तव
हंस : हिन्दू धर्म में मानव जीवन की अवस्थाओ को पदों में विभाजित किया गया है. जैसेकि अगर कोई व्यक्ति जब अपने आप को सिद्ध कर लेता है तो उस व्यक्ति के बारे में कहा जाता है कि उस व्यक्ति ने हंस पद को प्राप्त कर लिया है. हिन्दू धर्म में अगर कोई व्यक्ति समाधि करके अपने आप को समाधिस्थ कर लेता है तो कहा जाता है कि उस व्यक्ति ने परमहंस पद को प्राप्त कर लिया है. परमहंस पद को सबसे ऊँचे पद के रूप में जगह मिली है.
हंस सभी पक्षियों में महत्वपूर्ण जगह रखता है. कहा जाता है कि पक्षियों में हंस ऐसा पक्षी है जहाँ देव आत्माए को आश्रय प्राप्त होता है. अगर आपने अपने जीवन में पुण्यकर्म किये है और आपने सभी यम – नियमो का भी पालन किया है तो आपकी आत्मा को हंस योनि अपने घर के रूप में मिलेगा जहाँ आपके आत्मा देव आत्माओ के साथ वास करेगी. हंस योनि में कुछ समय तक रहने के बाद आपकी आत्मा अच्छे समय का इंतजार करके दुबारा मनुष्य योनि में जन्म ले सकती है ओर अंततः देव लोक में चली जाती है.
हंस को बहुत ही विवेकी, पवित्रता और प्यार का प्रतीक भी माना जाता है. माना जाता है कि हंस में ज्ञान का अर्जन हो सकता है इसीलिए मनुष्य के जीवन क्रम को ही हंस कहा गया है. हंस हिन्दू धर्म में ज्ञान की देवी सरस्वती का वाहन भी है. इन पक्षियों को ज्यादातर मानसरोवर य किसी एकांत झील और समुद्र के किनारे देखा जा सकता है, ये वहीँ एकांत में अपना जीवन व्यतीत करते है. इस पक्षी एक खास बात ये भी है कि ये दाम्पत्य जीवन का पूर्ण उदहारण है. हंस अपने पुरे जीवन को एक साथी के साथ व्यतीत करता है यदि उनमे से किसी एक की मृत्यु हो जाती है तो दूसरा जीवन भर अकेले हे अपने जीवन को गुजर देता है. इनमे एक और खास बात ये भी होती है कि ये अपने साथी का चयन अपनी सूझ बुझ के बल पर करते है, इनमें जंगल के नियमो के अनुसार मादा के लिए लड़ाई नही होती. इनमे अपने परिवार और समाज के लिए भी भावनाएं होती है. अगर आप किसी हंस को मार देते है तो हिन्दू धर्म में आपके इस कृत्य को पिता, देवता और गुरु की हत्या के समान माना जाता है और इस काम को करने वाले व्यक्ति को तीन जन्मो तक नर्क में अपना जीवन बिताना पड़ता है. सफ़ेद के अलावा काले रंग का हंस आपको ऑस्ट्रेलिया में दिखाई देता है.