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: आधासीसी (Migraine)-

🌹 पहला प्रयोगः सूर्योदय से पूर्व नारियल एवं गुड़ के साथ छोटे चने बराबर मात्रा में कपूर मिलाकर तीन दिन खाने से आधासीसी का दर्द मिटता है।

🌹दूसरा प्रयोगः पीपर (पाखर) एवं वच का आधा-आधा ग्राम चूर्ण मिलाकर शहद के साथ चाटने से आधासीसी (आधे सिर का दर्द) में लाभ होता है।

🌹तीसरा प्रयोगः  गाय का शुद्ध ताजा घी सुबह-शाम 2-2 बूँद नाक में डालने से दर्द में लाभ होता है।

*🌹चौथा प्रयोगः दही, चावल व मिश्री मिलाकर सूर्योदय से पहले खाने से सूर्योदय के साथ बढ़ने-घटने वाला सिरदर्द ठीक हो जाता है। यह प्रयोग कम-से-कम छः दिन करें।

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पित्त-संबंधी समस्याओं हेतु

🌹१] जिनको पित्तवृद्धि की तकलीफ है वे अगर थोड़ी भी भुखमरी करें तो उनके मणिपुर केंद्र में क्षोम पैदा होता है और पित्त बढ़ता है | स्वभाव में क्रोध, आँखों में जलन आदि समस्याएँ उनको घेर लेती हैं | ऐसे लोग पित्त-शमन के लिए घी व मिश्री मिश्रित भोजन लें व बेल या ताड़ का फल खाकर पानी पियें |

🌹२] पित्तजन्य व्याधियों मिटाने के लिए २ चम्मच पिसा हुआ धनिया और थोड़ी मिश्री ठंडे पानी में घोलकर पीने से कितना भी बढ़ा हुआ पित्त हो, उसका शमन हो जायेगा |

🌹३] २ – ३ ग्राम तिल का चूर्ण और मिश्री मिलाकर चबा-चबा के खायें | तिल पचने में भारी होते हैं लेकिन पित्तवाले के लिए तिल और मिश्री का मिश्रण चबा के खाना पित्तशामक होता है |

🌹४] पित्त के कारण सिर में दर्द हो तो गाय के शुद्ध घी को गुनगुना करके नस्य लें | इससे पित्त शमन होता है, सिरदर्द गायब हो जायेगा |

🌹५] दही खट्टा न हो और उसमें थोड़ी-सी मिश्री मिली हो तो वह भी पित्तशमन करेगा
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🌹रुचिकर, भूखवर्धक, उदररोगनाशक प्रयोग

🌻१०० ग्राम अदरक की चटनी बनायें एवं १०० ग्राम घी में उसे सेंक लें | लाल होने पर उसमे २०० ग्राम गुड़ डालें व हलवे की तरह गाढ़ा बना लें | (घी न हो तो २०० ग्राम अदरक को कद्दूकश करके २०० ग्राम मिश्री मिलाकर पाक बना लें |) इसमें लौंग, इलायची, जायपत्री का चूर्ण मीलायें तो और भी लाभ होगा | वर्षा ऋतू में ५ से १० ग्राम एवं शीत ऋतू में १०-१० ग्राम मिश्रण सुबह-शाम खाने से अरुचि, मंदाग्नि, आमवृद्धि, गले व पेट के रोग, खाँसी, जुकाम, दमा आदि अनेक तकलीफों में लाभ होता है | भूख खुलकर लगती है | बारिश के कारण उत्पन्न बीमरियों में यह अति लाभदायी है |

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: किस रोग में कौन सा रस लेंगे
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भूख लगाने के हेतुः-
प्रातःकाल खाली पेट नींबू का पानी पियें।
खाने से पहले अदरक को कद्दूकस करके
सैंधा नमक के साथ लें।

रक्तशुद्धि हेतु :-
नींबू, गाजर, गोभी, चुकन्दर, पालक, सेव, तुलसी, नीम और बेल के पत्तों का रस प्रयोग करें ।

दमाः-
लहसुन, अदरक, तुलसी, चुकन्दर, गोभी, गाजर, मीठी द्राक्ष का रस, भाजी का सूप अथवा मूँग का सूप और बकरी का शुद्ध दूध लाभदायक है। घी, तेल, मक्खन वर्जित है।

उच्च रक्तचापः-
गाजर, अंगूर, मोसम्मी और ज्वारों का रस।मानसिक तथा शारीरिक आराम आवश्यक है।

निम्न रक्तचापः-
मीठे फलों का रस लें, किन्तु खट्टे फलों का
उपयोग ना करें। अंगूर और मोसम्मी का रस अथवा दूध भी लाभदायक है।

पीलियाः-
अंगूर, सेव, रसभरी, मोसम्मी, अंगूर की अनुपलब्धि पर लाल मुनक्के तथा किसमिस का पानी। गन्ने को चूसकर उसका रस पियें। केले में 1.5 ग्राम चूना लगाकर कुछ समय रखकर फिर खायें।

मुहाँसों के दागः-
गाजर, तरबूज, प्याज, तुलसी , घृतकुमारी और पालक का रस ।

एसीडिटीः-
गाजर, पालक, ककड़ी, तुलसी का रस, फलों का रस अधिक लें। अंगूर मोसम्मी तथा दूध भी लाभदायक है।

कैंसरः-
गेहूँ के ज्वारे, गाजर और अंगूर का रस।

सुन्दर बनने के लिएः-
सुबह-दोपहर नारियल का पानी या बबूल का रस लें। नारियल के पानी से चेहरा साफ करें।

फोड़े-फुन्सियाँ:-
गाजर, पालक, ककड़ी, गोभी और नारियल का रस।

कोलाइटिसः-
गाजर, पालक और अन्नानास का रस। 70
प्रतिशत गाजर के रस के साथ अन्य रस समप्राण।चुकन्दर, नारियल, ककड़ी, गोभी के रस का मिश्रण भी उपयोगी है।

अल्सरः-
अंगूर, गाजर, गोभी का रस, केवल दुग्धाहार पर रहना आवश्यक है, खूब गर्म दूध में 2 चम्मच देशी गाय का घी डालकर मिक्स करके पियें ।

सर्दी-कफः-
मूली, अदरक, लहसुन, तुलसी, गाजर का रस, मूँग अथवा भाजी का सूप।

ब्रोन्काइटिसः-
पपीता, गाजर, अदरक, तुलसी, अनन्नास का रस, मूँग का सूप। स्टार्चवाली खुराक वर्जित।

दाँत निकलते बच्चे के लिएः-
अन्नानास का रस थोड़ा नींबू डालकर रोज
चार औंस(100-125 ग्राम)।

रक्तवृद्धि के लिएः-
मोसम्मी, अंगूर, पालक, टमाटर, चुकन्दर, सेव,रसभरी का रस रात को। भिगोया
हुआ खजूर का पानी सुबह में। इलायची के साथ केले भी उपयोगी हैं।

स्त्रियों को मासिक धर्म कष्टः-
अंगूर, अन्नानास तथा रसभरी का रस।

आँखों के तेज के लिएः-
गाजर का रस तथा हरे धनिया का रस श्रेष्ठ है।

अनिद्राः-
अंगूर और सेव का रस। पीपरामूल शहद के साथ।

वजन बढ़ाने के लिएः-
पालक, गाजर, चुकन्दर, नारियल और गोभी के रस का मिश्रण, दूध, दही,सूखा मेवा, अंगूर और सेवों का रस।

डायबिटीजः-
गोभी, गाजर, नारियल, करेला और पालक का रस।

पथरीः-
पत्तों वाली शब्जी, पालक, टमाटर ना लें।
ककड़ी का रस श्रेष्ठ है। सेव अथवा गाजर या कद्दू का रस भी सहायक है। जौ एवं सहजने का सूप भी लाभदायक है।

सिरदर्दः-
ककड़ी, चुकन्दर, गाजर, गोभी और नारियल के रस का मिश्रण।

किडनी का दर्दः-
गाजर, पालक, ककड़ी, अदरक और नारियल का रस।

फ्लूः-
अदरक, तुलसी, गाजर का रस।
वजन घटाने के लिएः-अन्नानास, गोभी, तरबूज का रस, नींबू का रस।

पायरियाः-
गेहूँ के ज्वारे, गाजर, नारियल, ककड़ी, पालक और सोया की भाजी का रस। कच्चा अधिक खायें।

बवासीरः-
मूली का रस, अदरक का रस घी डालकर, नारियल पानी ।
: 🌹मिल का आटा स्वास्थ्य के लिए हानिकारक

🌹आजकल बड़ी-बड़ी मिलों से बनकर आने वाले आटे का उपयोग अधिक होता है किंतु यह आटा खाने वाले के स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचाता है। मिलों के आटे की अपेक्षा घरेलू मशीनों का आटा अच्छा रहता है लेकिन हाथ की चक्की द्वारा बनाया गया आटा सर्वोत्तम होता है। आटे की मिलों में प्रतिदिन टनों की मात्रा में गेहूँ पीसा जाता है। अतः इतने सारे गेहूँ की ठीक से सफाई नहीं हो पाती। फलतः गेहूँ के साथ उसमें चूहों द्वारा पैदा की गयी गंदगी तथा गेहूँ में लगे कीड़े आदि भी घिस जाते हैं। साधकों के लिए इसे शुद्ध एवं सात्त्विक अन्न नहीं कहा जा सकता। इसलिए जहाँ तक हो सके गेहूँ को साफ करके स्वयं चक्की में पीसना चाहिए और उस आटे को सात दिन से अधिक समय तक नहीं रखना चाहिए क्योंकि आटा सात दिन तक ही पौष्टिक रहता है। सात दिनों के बाद उसके पौष्टिक तत्त्व मरने लगते हैं। इस प्रकार का पोषकतत्त्वविहीन आटा खाने से मोटापा, पथरी तथा कमजोरी होने की सम्भावना रहती है।
आटे को छानकर उसका चापड़ा (चोकर) फेंके नहीं, वरन् चोकरयुक्त आटे का सेवन करें।

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