*प्रणव_प्राणायाम…….*
*#प्रणव प्राणायाम सभी प्राणायामों में सबसे सूक्ष्म और सरल प्राणायाम है।*
*#प्रणव_प्राणायाम को सबसे अंतिम में किया जाता है। क्योंकि इसको करने के लिए मन बिलकुल शांत होना चाहिए।*
*#प्रणव_प्राणायाम में हम #ओमकार ध्वनि का प्रयोग करते है।*
*#प्रणव_प्राणायाम करते समय साँस लम्बा और सूक्ष्म होना चाहिए और हर साँस में मन – मन में ओमकार का जाप करे।*
*साँस इतना सूक्ष्म होना चाहिए की स्वयं को भी पता ना चले।*
*#प्रणव_प्राणायाम अभ्यास करने से हमे ध्यान की प्राप्ति भी होती है।*
*#प्रणव_प्राणायाम को करने का तरीका*
*#प्रणव_प्राणायाम अत्यंत पवित्र है इसलिए इसे सही करने से ही लाभ प्राप्त होता है।*
*सबसे पहले #प्रणव_प्राणायाम को करने के लिए अत्यंत शांत और पवित्र जगह का चयन करे और जगह प्रकृति के करीब हो तो प्रणव प्राणायाम को करने में और भी आनंद मिलता है।*
*#अपनी रीढ़ की हड्डी व गर्दन को सीधा करके किसी आरामदायक अवस्था में बैठ जाए।*
*अब लम्बे और सूक्ष्म साँस ले। साँस इतना सूक्ष्म होना चाहिए कि स्वयं को भी पता न चले।*
*साँस लेते समय अपने अन्तः करण में #ओमकार ध्वनि का उच्चारण करे और ओमकार भी सूक्ष्म होना चाहिए।*
*#साँस लेने में 10– 15सेकंड का समय ले और साँस छोड़ने में भी इतना ही समय ले।*
*#प्रणव_प्राणायाम करने के लाभ*
*#प्रणव_प्राणायाम को करने से मनुष्य बिलकुल पवित्र हो जाता है।*
*#प्रणव_प्राणायाम के नियंतर अभ्यास से मन अत्यंत शांत और पवित्र हो जाता है।*
*#प्रणव_प्राणायाम को करने से हमारे अंदर से सभी नकरात्मक विचार खत्म हो जाते है और ह्रदय करुणा और दया से भर जाता है।*
*#प्रणव_प्राणायाम करने से मानसिक रोगों से मुक्ति मिलती है।*
*#प्रणव_प्राणायाम एक ध्यान साधना भी है। जिससे हमारे अंदर आध्यात्मिकता का भी विकास होता है।*
*#परमात्मा को पाने के लिए #प्रणव प्राणायाम बहुत ही उपयोगी है।*
*एक योगी के लिए #प्रणव_प्राणायाम बहुत ही प्रभावकारी है।*
*#प्रणव प्राणायाम को करने से पहले बाकी के प्राणायामों का अभ्यास करना अनिवार्य है।*
*ग़र्भवति महिलायें भी प्रणव प्राणायाम का अभ्यास कर सकती है।*
*#प्रणव प्राणायाम को करने के लिए मन शांत होना चाहिए।*