सुबह सुबह जब आप व्हाट्सएप खोलते हैं , तो सुविचार भेजने वाले सब लोग बड़े सात्विक धार्मिक उपदेष्टा प्रवक्ता बन जाते हैं। ऐसा लगता है कि कहीं धार्मिक नगरी में पहुंच गए हैं । चारों और बड़ा धार्मिक वातावरण है । बड़ी उत्तम उत्तम परोपकार की बातें , ईश्वर भक्ति की बातें , सेवा की बातें पढ़ने देखने सुनने को मिलती हैं।
और जैसे-जैसे दिन चढ़ता है व्हाट्सएप का रंग भी बदलता है ।
सुबह 8:00 / 9:00 बजे के बाद व्यापार आदि की कुछ सांसारिक चर्चाएं शुरू हो जाती हैं।
दोपहर बाद कुछ राजनीतिक बातें भी आने लगती हैं ।
और शाम रात्रि तक तो ऐसा लगता है कि कहीं मॉल में पहुंच गए हैं। कहीं सिनेमा घर में आ गए हैं, और इस तरह के ऑडियो वीडियो व्हाट्सएप पर सुनने देखने को मिलते हैं, जिससे लगता है कि सारी दुनिया रंग बदल चुकी है। अब आप इस प्रवाह को रोक तो सकते नहीं ।
हां , इतना अवश्य कर सकते हैं कि आप इसमें से अपने अनुकूल चीजें छांट लें।
जैसे आप अखबार में सारी चीजें नहीं पढ़ते, जो आपके काम की होती हैं, उसी को पढ़ते हैं , बाकी सब छोड़ देते हैं ।
ऐसा ही व्हाट्सएप भी अखबार का दूसरा प्रतिनिधि है । इसमें भी ऐसा ही करें ।
अच्छी और आपके काम की बातों से लाभ उठाएं, व्यर्थ या फालतू बातों को छोड़ दें। यही बात फेसबुक पर भी लागू होती है
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