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सुई, छोटी सी चीज है। उसमें धागा पिरोये बिना, उसे अकेली कहीं भी रखो, उसके खो जाने की पूरी संभावना बनी रहती है । परंतु यदि सुई में धागा पिरो दिया जाए, तो उस धागे की पकड़ में रहने के कारण , अब सुई के खोने की संभावना बहुत कम हो जाती है , अर्थात नहीं खोती।
इसी प्रकार से जो व्यक्ति बिना किसी वैदिक विद्वान चरित्रवान गुरु के अकेला रहता है , अपने गुरु जी से मार्गदर्शन नहीं लेता , उसके जीवन में भटकने की पूरी संभावना रहती है, बल्कि भटक ही जाता है। जो व्यक्ति अपने गुरु जी के मार्गदर्शन में चलता है, कठिनाइयों के समय पर, उनकी सलाह सम्मति का पालन करता है , वह कभी भी जीवन में भटकता नहीं है । और वह उसी तरह से सुरक्षित रहता है , जैसे किसी धागे में सुई रहती है, और कहीं खो नहीं जाती। तो *अपने जीवन को सुरक्षित और सफल बनाने के लिए यह आवश्यक है, कि किसी योग्य वेदों के विद्वान चरित्रवान गुरुजी को अपना मार्गदर्शक बनाएं। जैसे महर्षि दयानंद सरस्वती जी ने , स्वामी विरजानंद जी को अपना मार्गदर्शक बनाया और उनका जीवन सफल हो गया।

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