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मानव जीवन में ना तो समस्याएं कभी खत्म हो सकती हैं और ना ही संघर्ष। समस्या में ही समाधान छिपा होता है। समस्या से भागना उसका सामना ना करना यह सबसे बड़ी समस्या है। छोटी- छोटी परेशानियां ही एक दिन बड़ी बन जाती हैं। कुछ लोग सुबह से शाम तक परेशानियों का रोना ही रोते रहते हैं साथ ही ईश्वर को भी कोसते रहते हैं। जितना समय वो रोने में लगाते हैं उतना समय यदि बिचार करके कर्म करने में लगा दें तो समस्या ही हल हो जायेगी।। ईश्वर ने हमें बहुत शक्तियाँ दी हैं, बस उनका प्रयोग करने की जरुरत है। सोई हुई शक्तियों को कोई जगाने वाला चाहिए। कृष्ण आकर अर्जुन को ना समझाते तो वह कभी भी ना जीत पाता। सब कुछ उसके पास था पर वह समस्या तुम्हारी तरह से भाग रहा था।।
[“हमारे सामाजिक जीवन में बल को बुद्धि से परास्त कर सकते हैं, किन्तु बुद्धि को बल से नहीं जीता जा सकता …कदाचित अपने किसी विरोधी को अपने सामने झुकता देखें तो आनन्दित न हों, धनुष की कमान जितना झुकती है उतनी ही कारगर होती है … बुद्धिमान आत्मरक्षा के लिए भी झुकता है और आक्रमण के लिए भी, झुकना बुद्धिशाली का गुण है और ना-झुकना बलशाली का स्वभाव…वैसे भी हम झुक कर, सरलता से लोगों के मनों को विजयी कर सकते है,उलझ के नहीं…तो आइए आज सभी अपनों को नमन करते हुए प्रभु से परस्पर प्रेम के संचार की प्रार्थना के साथ”
[कई बार प्राप्ति से नहीं अपितु आपके त्याग से आपके जीवन का मूल्यांकन किया जाता है। माना कि जीवन में पाने के लिए बहुत कुछ है मगर इतना ही पर्याप्त नहीं क्योंकि यहाँ खोने को भी बहुत कुछ है। बहुत चीजें जीवन में अवश्य प्राप्त कर लेनी चाहियें मगर बहुत सी चीजें जीवन में त्याग भी देनी चाहियें।। प्राप्ति ही जीवन की चुनौती नहीं, त्याग भी जीवन के लिए एक चुनौती है। अतः जीवन दो शर्तों पर जिया जाना चाहिए। पहली यह कि जीवन में कुछ प्राप्त करना और दूसरी यह कि जीवन में कुछ त्याग करना।। एक जीवन को पूर्ण करने के लिए आपको प्राप्त करना ही नहीं अपितु त्यागना भी है। और एक फूल को सबका प्रिय बनने के लिए खुशबू तो लुटानी ही पड़ती है।।

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