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व्यक्ति 24 घंटे तो काम करता नहीं। छह-सात घंटा प्रतिदिन सो भी जाए, तो भी 17 घंटे उसके पास जागृत अवस्था में रहते हैं। उन 17 घंटों में भी वह लगातार काम में व्यस्त नहीं रहता। काम पूरा होने पर बीच-बीच में उसे फुर्सत मिलती रहती है। जब जब उसे फुर्सत होती है, तो वह कुछ पुरानी बातों को याद करता है। कभी-कभी पुरानी अच्छी घटनाओं को व्यक्ति याद कर लेता है, तो वह प्रसन्न हो जाता है।
*परंतु अनेक बार व्यक्ति पुरानी बुरी घटनाओं को याद करता रहता है। और जितना जितना बुरी घटनाओं को अधिक याद करता है, उतना उतना उसका दुख बढ़ता जाता है। दुख बढ़ने के इस रहस्य को, अविद्या के कारण, व्यक्ति नहीं जानता। जिसका परिणाम यह होता है कि वह उन बुरी घटनाओं को याद कर कर के दुखी होता रहता है। बार-बार उसके मन में यही प्रश्न उठता है कि *उसने मेरे साथ ऐसा क्यों किया? मैंने उसका क्या बिगाड़ा था?* इस प्रश्न का उत्तर उसे मिलता नहीं. इसलिए वह दुखी रहता है।
यदि आप भी ऐसा करते हों, तो ऐसा ना करें। अन्यथा आपका भी दुख बढ़ेगा । आप अपनी अविद्या को दूर करें । उसके स्थान पर सत्य सिद्धांत को स्थापित करें। वह सिद्धांत यह है कि जितना आप अच्छी घटनाओं को याद करेंगे, उतना ही आपका सुख बढ़ेगा. इसलिए पुरानी दुखदायक घटनाओं को याद न करें। उसके स्थान पर सुखदायक घटनाओं को याद करें। इससे आपका सुख भी बढ़ेगा और आगे अच्छे काम करने का उत्साह भी बढ़ेगा , और आप दिनभर प्रसन्न रह सकेंगे

राधे राधे 🙏🏻

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