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🌸प्रेम ही सुख-शांति का मूल है 🌸

👉 भगवान ने अपनी सृष्टि को सुंदर और सुव्यवस्थित बनाने के लिए जड़ और चेतन पदार्थों को एक दूसरे से संबंधित कर रखा है । निखिल विश्व ब्रह्मांड के ग्रह-नक्षत्र अपने-अपने सौरमंडलों में आकर्षण शक्ति के द्वारा एक-दूसरे से सम्बंधित हैं । यदि यह संबंध सूत्र टूट जाए तो किसी की कुछ स्थिरता न रहे । सारे ग्रह-नक्षत्र एक दूसरे से टकरा जाएँ और सम्पूर्ण व्यवस्था नष्ट हो जाए । इसी प्रकार आपसी प्रेम संबंध न हों तो जीवधारियों की सत्ता भी स्थिर न रह सकेगी । ज़रा कल्पना तो कीजिए, माता का बालक से प्रेम न हो, पति का पत्नी से प्रेम न हो, भाई का भाई से प्रेम न हो तो कुटुम्ब की कैसी दयनीय अवस्था हो जाए । यह भ्रातृ-भाव, स्नेह-संबंध नष्ट हो जाए तो सहयोग के आधार पर चलने वाली सारी सामाजिक व्यवस्था पूर्णतया नष्ट-भ्रष्ट हो जाए । सृष्टि का सारा सौंदर्य जाता रहे ।
👉 हर एक प्राणी के हृदय में प्रेम की अजस्र धारा बह रही है । यदि हम सुख, शांति और सम्पदा पसंद करते हैं, तो आवश्यक है कि प्रेमभाव को अपनाएँ । दूसरों से “उदारता,” “दया,” “मधुरता,” “भलमनसाहत” और “ईमानदारी” का बरताव करें । जिन लोगों ने अपनी जीवन नीति प्रेममय बना रखी है, वे ईश्वर प्रदत्त मानवोचित आज्ञा का पालन करने वाले धर्मात्मा हैं । ऐसे लोगों के लिए हर घड़ी सतयुग है । चूंकि वे स्वयं सतयुगी हैं, इसलिए दूसरे भी उनके साथ सतयुगी आचरण करने को विवश होते हैं ।
[कहते हैं, सावधानी हटी और दुर्घटना घटी यह वाक्य की केवल सड़क पर ही लिखने के लिए नहीं है, बल्कि जीवन के अन्य अनेक क्षेत्रों में भी यह काम आता है।। विशेष रुप से स्वास्थ्य के क्षेत्र में आजकल किसी भी व्यक्ति को किसी भी उम्र में कुछ भी रोग हो सकता है, क्योंकि खाना-पीना जलवायु आदि-आदि सब कुछ दूषित है। कुछ पैतृक रोग भी होते हैं इत्यादि, अनेक कारणों से कब किसको क्या रोग निकल आए इस बात का कोई भरोसा नहीं है।। यूं तो छोटी उम्र में भी शरीर का परीक्षण कराते रहना चाहिए। फिर भी यदि आपकी आयु 40 वर्ष हो गई है तो उसके बाद तो अवश्य ही सावधान हो जाएं।। प्रतिवर्ष शरीर का परीक्षण कराएँ। न जाने कब कौन सा रोग आपके शरीर में प्रकट हो जाए और जैसे ही किसी रोग का पता चले तत्काल उसकी विधिवत चिकित्सा वैद्य डॉक्टर आदि से करावें।। यदि आप समय पर सावधान रहेंगे तो स्वास्थ्य संबंधी दुर्घटना से बच जाएंगे। आपकी आयु बढ़ेगी और आप अपने जीवन का पूरा लाभ लें पाएंगे।। यदि लापरवाही की, और अचानक कोई गंभीर रोग प्रकट हो गया तथा उसकी चिकित्सा में यदि लापरवाही की, तो कोई भी स्वास्थ्य संबंधी छोटी बड़ी दुर्घटना हो सकती है।। यदि ऐसा हुआ, तो उसके बाद तो केवल पश्चाताप ही करना पड़ेगा। आयु भी शीघ्र समाप्त हो जाएगी।। इसलिए सावधान रहें। स्वस्थ रहें।। स्वास्थ्य परीक्षण कराते रहें। अपनी आयु को बढ़ाएं और मनुष्य जीवन का पूरा लाभ उठाएं।।

किसी से बदला लेने का नहीं अपितु स्वयं को बदल डालने का विचार ज्यादा श्रेष्ठ है, महत्वपूर्ण यह नहीं कि दूसरे आपको गलत समझते हैं। अपितु यह है कि आप गलत भाव से कोई कर्म नहीं करते हैं।। बदले की आग दूसरों को कम, स्वयं को ज्यादा जलाती है। बदले की आग उस मशाल की तरह है जिसे दूसरों को खाक करने से पहले स्वयं को राख होना पड़ता है। इसीलिए सहन शीलता के शीतल जल से जितना जल्दी हो सके इस आग को भड़कने से रोकना ही बुद्धिमत्ता है।। बदले की भावना केवल आपके समय को ही नष्ट नहीं करती अपितु आपके स्वास्थ्य को भी नष्ट कर जाती है। अत: प्रयास जरूर करो मगर बदला लेने का नहीं अपितु स्वयं को बदल डालने का।।

जय श्री कृष्णा
हमने जग की अजब तस्वीर देखी एक हँसता है दस रोते हैं ये प्रभु की अद्भुत जागीर देखी एक हँसता है, दस रोते हैं।। हमे हँसते मुखड़े चार मिले दुखियारे चेहरे हजार मिले यहाँ सुख से सौ गुनी पीड़ देखी एक हँसता है दस रोते हैं।। हमने जग की अजब तस्वीर देखी एक हँसता है, दस रोते हैं। दो एक सुखी यहाँ लाखों में आंसू है।। करोड़ों आँखों में हमने गिन गिन हर तकदीर देखी एक हँसता है, दस रोते हैं। हमने जग की अजब तस्वीर देखी एक हँसता है, दस रोते हैं।। कुछ बोल प्रभु ये क्या माया तेरा खेल समझ में ना आया हमने देखे महल रे कुटीर देखी एक हँसता है दस रोते हैं। हमने जग की अजब तस्वीर देखी एक हँसता है दस रोते हैं।।

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