Phone

9140565719

Email

mindfulyogawithmeenu@gmail.com

Opening Hours

Mon - Fri: 7AM - 7PM

[सदैव श्रेष्ठ जनों की सलाह लेनी चाहिए। राजा का सचिव गलत सलाह देगा तो राजा का पतन होते देर न लगेगी। जैसे आपके सलाहकार होगें आपका जीवन उसी दिशा में निकल पड़ेगा।। आपके जैसे सलाहकार होते हैं वैसे ही आपके विचार होते हैं उसी अनुरूप आपके कर्म होते हैं। कर्म का फल भुगतना ही पड़ता हैं। अतः अच्छे जनों का संग करें। जिससे जीवन सद्मार्गीय हो। परिश्रमी हो।। जीवन मे कठिन परिश्रम के बिना आप कभी भी सफल नहीं हो सकते। यदि आपको बिना परिश्रम के प्राप्त हो भी जाये तो समाज में आपकी ज्यादा प्रतिष्ठा नहीं होगी।।

Զเधॆ Զเधॆ🙏🙏
[: हम इस संसार मे जो भी देते हैं वह भगवान से कई गुना होकर हमको वापस मिलता है। भगवान को समय देंगे तो भगवान के पास भी हमारे लिए समय होगा।। जिस प्रकार सम्पति का दसवाँ भाग परोपकार में लगाओ तो सम्पति की शुद्धि होती है उसी प्रकार समय का भी दसवाँ भाग सेवा में लगाओ तो समय की भी शुद्धि होती है।। चौबीस घण्टे में से दस प्रतिशत मानवता की सेवा के लिए, राष्ट्र की सेवा के लिए, धर्म की सेवा के लिए। समय का सदुपयोग करो। कुछ समय निकालकर सत्कर्म करो।।
[ दुनिया के महान व्यक्ति केवल इसीलिए सफल हो पाए क्योंकि प्रत्येक क्षण वो अपने उद्देश्य में, संकल्प में संलग्न रहे। अपने लक्ष्यों के प्रति हमेशा सजग रहो। कल के लिए कार्यों को कभी भी मत टालो। समय अनुकूल ना हो तो भी कर्म करना बंद मत करो। कर्म करने पर तो हार या जीत कुछ भी मिल सकती है पर कर्म ना करने पर केवल हार ही मिलती है।। पुरुषार्थी के पुरुषार्थ के आगे तो भाग्य भी विवश होकर फल देने के लिए बाध्य हो जाता है। प्रत्येक बड़ा आदमी कभी एक रोता हुआ बच्चा था। प्रत्येक भव्य इमारत सफ़ेद पेपर पर कभी मात्र एक कल्पना थी। यह मायने नहीं रखता कि आज आप कहाँ हैं ? महत्वपूर्ण ये है कि कल आप कहाँ होना चाहते हैं।। भागीरथ तो देवलोक से गंगाजी को ले आये थे जमीन पर। समय मत गवाओ, अपने प्रयत्न जारी रखो, सफलता बाँह फैलाकर आपका स्वागत करने के लिए खड़ी है।।

जय श्री कृष्ण🙏🙏
[: अनेक नास्तिक लोग धर्म की खिल्ली उड़ाते हैं। पुण्य कर्मों की खिल्ली उड़ाते हैं।। उनका विचार है कि ना कोई धर्म है ना अधर्म । न कोई पाप है, न कोई पुण्य ऐसे लोग स्वयं भटके हुए हैं। और दूसरों को जीवन में भटकाते हैं । स्वयं दिन-रात पापों में लगे रहते हैं और दूसरों को भी पापी बनाते हैं।। ऊपर से भले ही ये लोग धनवान दिखते हों, लेकिन अंदर से यह ईश्वरीय दंड को भोगते रहते हैं। वह दंड है तनाव आशंका भय आदि। उनकी यह मानसिक स्थिति सबको दिखाई नहीं देती। इसलिये दूसरे साधारण लोग भी उनकी ही नकल करने लगते हैं।।

Զเधॆ Զเधॆ🙏🙏

जिस समय इन सभी धर्मों की स्थापना हुई। उस समय इन्सान की बुनियादी आवश्यकताएँ सिर्फ भोजन, वस्त्र एवं घर थे, जो एक सदी पहले तक यही रहे उनमे किसी प्रकार की वृद्धि नहीं हुई।। परन्तु वर्तमान समय में इन्सान की आवश्यकताएँ इतनी अधिक हो गई हैं। कि इन्सान का जीवन समस्याओं का चक्रव्यूह बन गया है।। वर्तमान संसार में इतने आधुनिक उपकरण एवं संसाधन उपलब्ध हैं। जिन्हें प्राप्त करने तथा उनके रख रखाव व उनके उपयोग में होने वाला खर्च इन्सान को धन प्राप्ति की दौड़ में लगा देता है और इन्सान जीवन भर धन प्राप्ति के लिए दौड़ता रहता है।। ये आधुनिक उपकरण और संसाधन कुछ दशकों से ही इन्सान के जीवन में प्रविष्ट हुए हैं। परन्तु इनकी बढती आवश्यकता और इनके प्रति इन्सान का आकर्षण उसे जीवन भर व्यस्त रखता है।।
जय श्री कृष्ण🙏🙏
[: अहंकार का विष सभी को विषाक्त कर देता है
💧💙💧💙💧💙💧💙💧💙💧

अहंकार पीड़ा का स्रोत है। और उसी के कारण तुम अपने स्वभाव को नहीं पा सकते; न परमात्मा को पा सकते हो। आशीर्वाद तुम पर बरसेगा ही नहीं। अहंकार के कारण तुम उलटे घड़े हो।

वर्षा होती रहेगी तो भी तुम पर बूंद न पहुंचेगी। तुम खाली के खाली रह जाओगे। काश, तुम अहंकार से खाली हो जाओ तो तुम आज भर सकते हो, इसी क्षण भर सकते हो। कहीं कोई रुकावट नहीं है, तुम्हारे अतिरिक्त कहीं कोई बाधा नहीं है।

इसलिए गहरा सवाल प्रार्थना करने का नहीं है, गहरा सवाल यह जो करने वाला है, इसको मिटाने का है। नहीं तो यही दुकान चलाता है, यही प्रार्थना करेगा। यह मिट जाए, तो तुम्हारा जीवन प्रार्थना है।

कबीर उसी को सहज-योग कहते हैं। यह मिट जाए, तो तुम्हारा प्रतिपल पूजा है, परिक्रमा है, तो घर में ही स्नान, गंगा-स्नान है। तो तुम जहां हो, वहीं धर्म है, वहीं तीर्थ है। तो तुम्हारी श्वास-श्वास स्मरण है।

पर अहंकार मिट जाए। नहीं तो पूजा भी व्यर्थ, प्रार्थना भी व्यर्थ। अहंकार का विष सभी को विषाक्त कर देता है।
✍🏻

Recommended Articles

Leave A Comment