यूं तो हर व्यक्ति चाहता है कि लोग मेरी प्रशंसा करें। परंतु केवल इच्छा से कार्य सिद्ध नहीं होता। यदि आप चाहते हैं कि लोग आपकी प्रशंसा करें , आपको याद करें , आपको अच्छा मानें, तो इसके लिए आपको अपने अंदर कुछ गुण उत्पन्न करने पड़ेंगे । कुछ तपस्या करनी पड़ेगी, तभी आप के अंदर कुछ गुण आएंगे ।
जब आपके गुणों से दूसरे लोग प्रभावित और लाभान्वित होंगे, तभी वे आपको अच्छा कहेंगे, मानेंगे और आपकी प्रशंसा करेंगे।
तो अपने जीवन को तपाएँ। अर्थात तपस्या करें। अच्छे अच्छे गुणों को धारण करें । अपने दोषों को दूर करें । इसके बिना आपका जीवन नहीं चमकेगा और ना ही सफल होगा , तथा दूसरों को आप सुख भी नहीं दे पाएंगे । जब तक दूसरों को सुख नहीं देंगे , तब तक वे लोग आपकी प्रशंसा नहीं करेंगे। सभी लोग तो फिर भी आपकी प्रशंसा नहीं करेंगे। क्योंकि संसार में कुछ लोग झूठे बेईमान पक्षपाती अन्यायकारी होते ही हैं । वे आपका सम्मान नहीं करेंगे। ना करें , कोई बात नहीं । उनकी आप चिंता ना करें । बस ईश्वर को साक्षी मानकर अपना काम करें और मस्त रहें । सारे लोग तो ईश्वर की भी प्रशंसा नहीं करते, फिर आपकी कैसे करेंगे? – स्वामी विवेकानंद परिव्राजक
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