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गठिया होने का कारण, लक्षण और इसे जड़ से खत्म करने का सबसे आसान घरेलू उपाय

गठिया रोग को आमवात, संधिवात आदि नामों से भी जाना जाता है। इस रोग में सबसे पहले शरीर में निर्बलता और भारीपन के लक्षण दिखाई देते हैं। इस रोग के होने पर हाथ के बीच की उंगलियों में दर्द होता है। अगर इसका इलाज नही किया जाता तो हाथ की दूसरी उंगलियों में भी सूजन व दर्द होने लगता है। गठिया रोग होने पर शरीर की हडि्डयों में दर्द होता है, जिसके कारण रात को रोगी सो भी नहीं पाता है।

गठिया होने का कारण :

तेज मसालों से बना भोजन (फास्ट फूड), गर्म भोजन, ठंडी चीजों का अधिक सेवन करने से पेट में गैस पैदा होती है जिसके कारण यह रोग उत्पन्न होता है। जब भोजन आमाशय में जाकर अधपचा रह जाता है तो भोजन का अपरिपक्व रस जिसे `आम´ कहते हैं वो त्रिक ( रीढ की हड्डी का निचला हिस्सा) की हडि्डयों में जाकर वायु के साथ दर्द उत्पन्न करता है। इसी रोग को गठिया का रोग कहते हैं। चिकित्सकों के अनुसार- यह रोग भोजन के ठीक से पचने से पहले पुन: भोजन कर लेने से, प्रकृति-विरूद्ध पदार्थों को खाने से, अधिक शीतल और वसायुक्त खाद्य-पदार्थों का सेवन करने से उत्पन्न होता है।

गठिया का रोग दांत गन्दे रहना, भय , अशान्ति, शोक, चिन्ता, अनिच्छा का काम, पानी में भीगना, ठंड लगना, आतशक , सूजाक , ठंडी रूखी चीजें खाना, रात को अधिक जागना, मल-मूत्र के वेग को रोकना , चोट लगना, अधिक खून बहना, अधिक श्रम, मोटापा आदि कारणों से होता है। यह रोग खून की कमी , शारीरिक कमजोरी तथा बुढ़ापे में हड्डियों की चिकनाई कम होने के कारण भी उत्पन्न होता है। इस रोग में दर्द या तो बाएं या दाएं घुटने में अथवा दोनों घुटनों में होता है। रोगी को बैठने के बाद खड़े होने में तकलीफ होती है और रात के समय रोग बढ़ जाता है। सर्दी तथा वर्षा के मौसम में यह रोग दर्द के साथ रोगी को व्याकुल कर देता है एवं चलने-फिरने, उठने-बैठने में तकलीफ पैदा करता है। रोगी के घुटने कड़े हो जाते हैं और उनमें कभी-कभी सूजन भी हो जाती है।

गठिया होने के लक्षण :

भोजन का अच्छा न लगना, अधिक आलस आना, बुखार से शरीर के विभिन्न अंगों में सूजन, कमर और घुटनों में तेज दर्द जिसके कारण रोगी रात को सो नही पाता है आदि गठिया रोग में होने वाले लक्षण है। इसके अलावा इस रोग में रोगी के हाथ-पांव की अंगुलियों में सूजन होती है जिससे अंगुलियां सीधी नही होती है, शरीर के दूसरे भागों में सूजन व दर्द रहता है। इस रोग के होने पर जोड़ो व मांसपेशियों में दर्द रहता है।

*गठिया से निज़ात पाने के घरेलू उपाय *

अजवायन :गठिया के रोग में अजवायन के चूर्ण की पोटली बनाकर सिंकाई करने से रोगी के दर्द में आराम पहुंचता है।जंगली अजावयन को एरण्ड के तेल के साथ पीसकर लगाने से गठिया का दर्द ठीक हो जाता है।अजवायन का रस आधा कप पानी में मिलाकर आधा चम्मच पिसी सोंठ खाने के बाद ऊपर से पीने से गठिया के रोग में लाभ होता है।1 ग्राम पिसी हुई दालचीनी में 3 बूंद अजवायन का तेल डालकर सुबह-शाम सेवन करने से गठिया का दर्द ठीक हो जाता है।

सरसो :सरसों के तेल में सफेद प्याज के रस को पकाकर गठिया के दर्द वाले स्थान में मलने से गठिया के दर्द और सूजन में आराम मिलता है।गठिया का दर्द दूर करने के लिये सरसों के तेल में कपूर मिलाकर मालिश करने से लाभ मिलता है।

हरड़ :

हरड़ और सोंठ को 3-3 ग्राम की मात्रा में पानी के साथ लेने से गठिया के दर्द में लाभ होता है। 60 ग्राम हरड़ का छिलका, 40 ग्राम मीठी सुरंज और 20 ग्राम सोंठ को कूटकर और छानकर चूर्ण बना लें। 3 ग्राम की मात्रा में इस चूर्ण को रोजाना सुबह-शाम गर्म पानी के साथ लेने से गठिया रोग कुछ ही समय में ठीक हो जाता है।

हरड़ को गौमूत्र में रातभर भिगोकर सुबह साँवली छाँव में सुखाकर अरण्ड के तेल में भूनकर इसका पाउडर बना ले भोजन के बाद आधा चम्मच गुनगुने जल के साथ लेने से हरप्रकार के आमवात (गठिया जोड़ो का दर्द , कब्जियत ) का नाश होता है 3 से 6 माह लगातार

चोपचीनी :चोपचीनी को दूध में उबालकर इसमें 3 से 6 ग्राम मस्तगी, इलायची और दालचीनी को मिलाकर सुबह-शाम रोगी को देने से गठिया के दर्द में आराम मिलता है।

कायफल :गठिया के रोग में कायफल के तेल से मालिश करने से हड्डियों में होने वाले दर्द में लाभ मिलता है।पैरों व अंगुलियों के दर्द में कायफल के तेल से मालिश करने से आराम मिलता है।

गुग्गुल :

लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लगभग 1 ग्राम गुग्गुल को शिलाजीत के साथ मिलाकर 2-3 खुराक के रूप में लेने से गठिया का दर्द ठीक हो जाता है। सलई गुग्गुल को गर्म पानी में घिसकर गठिया के दर्द व सूजन वाले भाग पर लगाने से लाभ मिलता है।

10 ग्राम गुग्गुल को लेकर 20 ग्राम गुड़ में मिलाकर और पीसकर इसकी छोटी-छोटी गोलिया बना लें। सुबह-शाम कुछ दिनों तक यह 1-1 गोली घी के साथ लेने से घुटनों का दर्द दूर हो जाता है।

सहजना :

गठिया के दर्द में सहजना (मुनगा) के जड़ की छाल और 2 से 4 ग्राम हींग एवं सेंधानमक मिलाकर रोगी को देने से गठिया रोग में भूख खुलकर लगती है तथा कमजोरी के कारण होने वाला दर्द भी दूर हो जाता है।

सहजना की ताजी छाल को पीसकर गर्म-गर्म ही दर्द वाले स्थान पर लेप करने से गठिया के रोगी को लाभ मिलता है।

सहजना के बीजों की मालिश करने से रोगी का गठिया रोग जल्दी ठीक हो जाता है।

पीपल :

पीपल और बेलिया के पत्ते व छाल को एक साथ पीसकर लेप बना लें। इसका लेप अंगुलियों व घुटनों पर करने से अंगुलियों व घुटनों की हड्डियां मजबूत होती है।

घुटनों के दर्द में त्रिफला, पीपल की जड़, सोंठ, कालीमिर्च और पीपल को 10-10 ग्राम की मात्रा में लेकर पीसकर चूर्ण बना लें। यह 2 चुटकी चूर्ण शहद के साथ सुबह-शाम लेने से घुटनों का दर्द दूर हो जाता है।

10 ग्राम पीपल के पेड़ की छाल का काढ़ा बनाकर उसमें शहद डालकर सेवन करने से गठिया रोग ठीक हो जाता है।

उड़द :उड़द को एरण्ड की छाल के साथ उबालकर चबाने से गठिया रोग में हड्डी के अन्दर होने वाली कमजोरी दूर हो जाती है।

मेथी :

मेथी की सब्जी को खाने से खून साफ और शुद्ध होता है। वात रोग में मेथी के आटे को छाछ में मिलाकर पीने से लाभ मिलता है। इसके सेवन से वायु, कफ और बुखार शांत हो जाता है। मेथी पेट के कीड़ो, दर्द, सन्धिवात, पेट में वायु की गांठ, कमर का दर्द और शारीरक पीड़ा को दूर करती है। मेथी को पित्तनाशक, वायुनाशक और स्तनपान कराने वाली स्त्री के स्तनों में दूध को बढ़ाने वाली मानी जाती है। मेथी हृदय के लिए काफी लाभदायक होती है। मेथी में पेट का दर्द मिटाने, भोजन को पचाने और कामवासना को रोकने के गुण होते हैं। इसके सेवन से स्त्रियों की कमजोरी दूर होती है। यह भूख को बढ़ाती है। प्रसूति होने के बाद गर्भाशय में कोई कसर रह गई हो, गर्भाशय ठीक से संकुचित न हुआ हो तो मेथी को पकाकर खाने से लाभ होता हैं। स्त्रियो को होने वाली बीमारी जैसे- दस्त, बदहजमी, अरूचि (भोजन की इच्छा न करना) और जोड़ों के दर्द में मेथी के लड्डुओं का सेवन किया जाता है। घरेलू औषधि के रूप में मेथी बहुत उपयोगी मानी जाती है।

मेथी एक वायुनाशक सब्जी है। रोजाना सुबह खाली पेट मेथी का 1 लड्डू 10 दिन तक खाने से वात रोग के कारण अकड़े हुए अंग स्वस्थ हो जाते हैं और हाथ-पैर का दर्द दूर हो जाता है।

50-50 ग्राम मेथी, सूखा आंवला और 10 ग्राम काला नमक को एकसाथ मिलाकर 2 चम्मच पानी से 2 बार फंकी के रूप में लेने से वात व गठिया रोग में लाभ होता है।

मेथी, सोंठ और हल्दी को बराबर मात्रा में मिलाकर तथा पीसकर रोजाना सुबह-शाम खाना खाने के बाद गर्म पानी से 2-2 चम्मच फंकी लेने से लाभ होता है।

रोजाना सुबह खाली पेट 1 चम्मच कुटी हुई दाना मेथी में 1 ग्राम कलौंजी को मिलाकर एक बार फंकी लेते रहने से 2 सप्ताह में घुटनों के दर्द में लाभ होता है।

दाना मेथी हमेशा सुबह खाली पेट, दोपहर में तथा रात को भोजन के बाद आधा चम्मच की मात्रा में पानी के साथ फंकी के रूप में लेने से सभी हडि्डयों के सभी जोड़ मजबूत होते हैं, दर्द नहीं होता और घुटनों व एड़ी के दर्द में लाभ होता है।

हल्दी, गुड़, पिसी दाना मेथी और पानी को बराबर मात्रा में मिलाकर गर्म करके गर्म-गर्म ही लेप के रूप में रात को घुटनों पर लगाकर इसके ऊपर पट्टी को बांधकर सो जाएं और इस पट्टी को सुबह ही खोलें।

दाना मेथी, कालीमिर्च, सुरन्जान मीठी को 50 ग्राम की मात्रा में एकसाथ मिलाकर दिन में 2 बार पानी से 1-1 चम्मच फंकी लें। गुड़ में मेथी को पकाकर खाने से गठिया रोग मिट जाता है।

2चम्मच दाना मेथी को रात को 1 गिलास पानी में भिगो दें। सुबह पानी को छानकर गुनगुना गर्म करके पीयें। भीगी मेथी को गीले कपडे़ मे पोटली बांधकर रख दें। फिर 24 घण्टे बाद पोटली को खोलें। इसमें अंकुर निकल आयेगें। इस अंकुरित मेथी को खा लें। ध्यान रहें कि इसमें नमक-मिर्च आदि अन्य चीज न मिलायें। इसका सेवन कुछ महीने तक करते रहने से वात, गठिया के दर्द में लाभ होता है।

100 ग्राम दानामेथी को पीसकर स्वादानुसार इसमें 20 ग्राम पिसी कालीमिर्च और 10 ग्राम सेंधानमक को मिलाकर 2 चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम भोजन करने के बाद पानी के साथ फंकी लेने से वात रोग, जोड़ों का दर्द, कमर दर्द और पेट दर्द मे लाभ होता है।

250 ग्राम मेथीदाना और 1 ग्राम आंबाहल्दी को भेड़ के दूध में उबालकर कांच की गोली के आकार की गोलियां बनाकर सुखा लें। यह 1 गोली हलवे के साथ रोजाना खाने से जोड़ों का दर्द ठीक हो जाता है।

10 ग्राम मेथी के दानों को पीसकर हल्के गर्म पानी के साथ खाने से गठिया रोग ठीक हो जाता है।

कुछ श्वेतसार (बादी बनाने वाले खाद्य पदार्थ) ऐसे होते हैं जिन्हें खाने से जोड़ों का दर्द बढ़ जाता है जैसे- आलू, चावल, भिण्डी, अरबी, फूलगोभी, उड़द की दाल, बेसन से बनी सब्जियां- कढ़ी, गट्टे आदि। इनके सेवन से होने वाले दर्द को मेथी दूर करती हैं। खाद्य पदार्थों से बादी करने वाला दोष दूर करने के लिए मेथीदाना, कलौंजी, जीरा, सौंफ और राई को बराबर मात्रा में मिलाकर इमामदस्ते में हल्का सा कूटकर बारीक कर लें। बादी पैदा करने वाली सब्जियों में इन पांचों चीजों को मिलाकर छोंका लगाए। सब्जी में छोंका देने के लिए जितनी मात्रा में जीरा डाला जाता है, उतनी ही मात्रा में यह पांचों चीजें डाल लें।

1 चम्मच दाना मेथी की सुबह-शाम पानी से फंकी लेने से गठिया, जोड़ों का दर्द, कमरदर्द और साइटिका आदि रोगों में लाभ होता है।

1 चम्मच मेथी को कूटकर 25 ग्राम गुड़ के साथ एक गिलास पानी में उबालकर रोजाना 2 बार पीने से गठिया, जोड़ों का दर्द, कमर दर्द, साइटिका आदि रोगों में होने वाला दर्द कम हो जाता है।

रोजाना 2 बार अंकुरित मेथी खाने से भी गठिया, जोंड़ों का दर्द, कमर दर्द, साइटिका में लाभ होता है।

गठिया के रोग को दूर करने के लिए मेथी को पीसकर उसकी फंकी लेने से 40 दिन के अन्दर बुढ़ापे के कारण उत्पन्न घुटनों के दर्द में आराम मिलता है।

1 गिलास पानी में 2 चम्मच दानामेथी को रात में सोने से पहले भिगों दें। फिर सुबह उठकर इसे तेज उबालकर और छानकर इस पानी को पी लें। इससे आंव (मल में एक तरह का सफेद चिकना पदार्थ) बाहर निकल जाता है और गठिया रोग में लाभ मिलता है।

1 चम्मच दानामेथी की फंकी गर्म दूध के साथ लेने से पेट की चिकनाई साफ होकर वायु का प्रकोप कम हो जाता है।

100 ग्राम दानामेथी को सेंक कर बारीक कूट लें। इसमें 25 ग्राम कालानमक मिलाकर रोजाना 2 चम्मच की मात्रा में गर्म पानी के साथ फंकी लेने से गठिया रोग में लाभ होता है।

2 चम्मच कुटी हुई दानामेथी को 1 गिलास पानी में उबालकर और छानकर उसमें स्वादानुसार पिसी हुई कालीमिर्च तथा सेंधानमक डालकर रोजाना 2 बार पीने से गठिया रोग में आराम मिलता है।

अखरोट :सुबह खाली पेट 5 ग्राम अखरोट की गिरी और 5 ग्राम पिसी हुई सोंठ को 1 चम्मच एरण्ड के तेल में पीसकर गुनगुने पानी से लेने से रोगी के घुटनों का दर्द दूर हो जाता है।गठिया रोग में होने वाले दर्द को दूर करने के लिये अखरोट का तेल जोड़ों पर लगाने से रोगी को लाभ मिलता है।

आलू :गर्म राख में 4 आलू सेंक ले। फिर उनका छिलका उतारकर उनमें नमक-मिर्च डालकर रोजाना खाने से गठिया का रोग ठीक हो जाता हैं।पाजामे या पतलून की दोनों जेबों में हर समय 1 छोटा-सा आलू रखें। यह प्रयोग गठिया रोग से रक्षा करता है। आलू खाने में भी बहुत लाभदायक होता है।कच्चे आलू को पीसकर घुटनों पर लगाने से घुटनों का दर्द ठीक हो जाता है।

हल्दी :गठिया के रोग में हल्दी के लड्डू खाने से लाभ होता है।हल्दी, चूना और गुड़ का लेप बनाकर कई दिन तक रोगी के गठिया रोगग्रस्त अंगों पर करने से कलाई और जोड़ों का दर्द मिट जाता है।

दालचीनी :10 ग्राम शहद, 20 मिलीलीटर गुनगुना पानी और 1 छोटा चम्मच दालचीनी पाउडर को एक साथ मिलाकर रख लें। जिस जोड़ में दर्द कर रहा हो, उस पर धीरे-धीरे इसकी मालिश करें। इससे दर्द कुछ ही मिनटों में मिट जाएगा।1 गिलास दूध में 1 गिलास पानी मिलाएं। फिर इसमें 1 चम्मच पिसी हुई दालचीनी, 4 छोटी इलायची, 1-1 चम्मच सोंठ व हरड़ तथा लहसुन की 3 कली के छोटे-छोटे टुकडे़ डालकर उबालें। जब दूध पकने के बाद आधा शेष रह जाएं तो इसे गर्म-गर्म ही पीना चाहिए। लहसुन को भी दूध के साथ ही निगल जाना चाहिए। इससे आमवात व गठिया रोग में लाभ मिलता है।

जायफल :10 ग्राम जायफल के तेल और 40 मिलीलीटर सरसों के तेल को मिलाकर जोड़ो के दर्द, सूजन और मोच पर 2-3 बार मालिश करने से लाभ मिलता है।गठिया के दर्द में जायफल के तेल की मालिश करने से लाभ मिलता है।जायफल की बनी गोली का लौंग के साथ काढ़ा बनाकर सेवन करने से गठिया रोग में लाभ मिलता है।

आंवला:
20 ग्राम सूखे आंवले और 20 ग्राम गुड़ को 500 मिलीलीटर पानी में मिलाकर उबाल लें। उबलने पर जब पानी लगभग 250 मिलीलीटर की मात्रा में रह जाए तो इस पानी को छानकर सुबह-शाम गठिया रोग से ग्रस्त रोगी को पिलाने से लाभ होता है। रोगी को गठिया रोग की चिकित्सा के दौरान नमक बिल्कुल छोड़ देना चाहिए।

आंवला और हरड़ को एक साथ पीसकर बनें चूर्ण को 3-3 ग्राम की मात्रा में गर्म पानी के साथ रोजाना सुबह-शाम सेवन करने से गठिया का दर्द खत्म हो जाता है।

सूखे आंवले को कूटकर पीस लें। फिर इस चूर्ण में इससे 2 गुनी मात्रा में गुड़ मिलाकर बेर के आकार की गोलियां बना लें। यह 3 गोलियां रोजाना खाने से जोड़ों का दर्द खत्म हो जाता है। एक गिलास पानी में 25 ग्राम सूखे आंवले और 50 ग्राम गुड़ को डालकर उबाल लें। उबलने पर यह चौथाई भाग पानी बाकी रहने पर इसे छानकर रोजाना 2 बार रोगी को पिलाएं। इस रोग की चिकित्सा के दौरान रोगी को बिना नमक की रोटी तथा मूंग की दाल में सेंधानमक और कालीमिर्च डालकर खिलाना चाहिए।

मूली :मूली के रस में 10-12 बूंद लहसुन का रस मिलाकर दिन में 2 से 3 बार पीने से जोड़ों के दर्द मे लाभ मिलता है।जोड़ों के, कंधे के और घुटने के दर्द में मूली का सेवन करने से हडि्डयों की जकड़न खुल जाती है।

अदरक :अदरक के 500 मिलीलीटर रस और 250 मिलीलीटर तिल के तेल को एक साथ मिलाकर आग पर पकाएं। जब रस जलकर खत्म हो जाए तो इस तेल को छानकर रख लें। इस तेल की मालिश करने से जोड़ो की सूजन में बहुत लाभ होता है। अदरक के रस में नारियल का तेल भी पकाकर इस्तेमाल कर सकते हैं।अदरक को पीसकर जोड़ो की सूजन और पैरों के जोड़ों पर लेप करने से सूजन और दर्द जल्दी ठीक हो जाते हैं।

सोंठ :

10 ग्राम सोंठ को 100 मिलीलीटर पानी में उबालकर ठण्डा होने पर शहद या शक्कर के साथ मिलाकर सेवन करने से गठिया रोग में होने वाला घुटनों का दर्द समाप्त हो जाता है।

1 चम्मच सोंठ और आधा टुकड़ा जायफल को एकसाथ पीसकर तिल के तेल में मिलाकर इसमें कपड़ा भिगोकर जोड़ों पर पट्टी बांधने से जोड़ो के दर्द में आराम होता है।

3 ग्राम सोंठ को 3 ग्राम कचूर के साथ मिलाकर पीस लें। पुनर्नवा के 100 मिलीलीटर काढ़े के साथ इस चूर्ण को खाने से गठिया (घुटनों का दर्द) रोग से ग्रस्त रोगी को लाभ मिलता है।

आधा कप अजवायन के रस में पानी मिलाकर रोजाना सुबह-शाम भोजन करने के बाद लगातार 15 दिन तक सेवन करने से गठिया के रोग में हडि्डयों में कमजोरी के कारण उत्पन्न दर्द दूर हो जाता है।

सोंठ और हरड़ का चूर्ण अथवा सोंठ और गिलोय का चूर्ण बनाकर खाने से गठिया का रोग नष्ट हो जाता है तथा दर्द में आराम मिलता है।

सोंठ को फेंटकर प्रतिदिन रात को सोते समय सेवन करने से गठिया के रोगी को आराम मिलता है।

सोंठ और जायफल को 10-10 ग्राम की मात्रा में मोटा-मोटा कूटकर 75 मिलीलीटर तिल के तेल के साथ मिलाकर गर्म कर लें। फिर इस तेल के जल जाने पर ठण्डा करके छान लें। इस तेल की जोड़ों पर मालिश करने से गठिया रोग में होने वाला दर्द जल्दी ठीक हो जाता है।

घुटने के दर्द को नष्ट करने के लिए 10 ग्राम सोंठ, 10 ग्राम कालीमिर्च, 5 ग्राम बायबिडंग और 5 ग्राम सेंधानमक को एकसाथ मिलाकर कूटकर और पीसकर चूर्ण बनाकर 1 छोटी बोतल में भर लें। इस चूर्ण में आधा चम्मच शहद मिलाकर चाटने से गठिया रोग से ग्रस्त रोगी का दर्द दूर हो जाता है।

10 ग्राम सोंठ और 10 ग्राम अजवायन को 200 मिलीलीटर सरसों के तेल में डालकर आग पर गर्म कर लें। सोंठ और अजवायन भुनकर जब लाल हो जाए तो तेल को आग से उतार लें। यह तेल सुबह-शाम दोनों घुटनों पर मलने से रोगी के घुटनों का दर्द दूर हो जाता है।

कलौंजी :1 चम्मच सिरका, आधा चम्मच कलौंजी का तेल और 2 चम्मच शहद को मिलाकर दिन में 2 बार सुबह खाली पेट और रात में सोते समय रोगी को पिलाने से गठिया रोग में आराम मिलता है। मोटी-मोटी कुटी हुई 1 चम्मच दानामेथी में 21 दाने कलौंजी के मिलाकर सुबह खाली पेट तथा रात को सोते समय ठंडे पानी से रोजाना फंकी लेने से घुटनों के दर्द में आराम होता है।

गिलोय : 2 से 4 ग्राम गिलोय के चूर्ण को दूध के साथ दिन में 2-3 बार सेवन करने से गठिया और मूत्र की अम्लता का रोग ठीक हो जाता है।

गिलोय और सोंठ को बराबर मात्रा में लेकर उसका काढ़ा बनाकर पीने से पुराने से पुराने गठिया रोग में आराम मिलता है।

*लहसुन : लहसुन की कलियों को शुद्ध घी में तलकर रोजाना खाने से आमवात या गठिया का दर्द दूर हो जाता है।लहसुन के रस की 10 से 30 बूंदों को 2 से 3 ग्राम शहद के साथ सेवन करने से गठिया (घुटनों का दर्द) का दर्द दूर हो जाता है। लहसुन को सरसों के तेल में पकाकर गठिया रोग से ग्रस्त अंगों पर मालिश करने से जोड़ों का दर्द ठीक हो जाता है। भोजन के साथ लहसुन खाने से कुछ दिनों में ही घुटनों का दर्द दूर हो जाता है।

हरड़े को गौमूत्र में भिगो कर रखे व सुबह साँवली छाव में सुखाकर अरण्ड के तेल में भून कर पाउडर बना ले एक चम्मच सुबह शाम भोजन के पश्चात लेने से सभी प्रकार के सन्धिवात, आमवात,गठिया रोग दूर होते हैं।

हरसिंगार:-

हरसिंगार, पारिजात,रातरानी, शेफालिका,शिवली,मल्लिका,स्वर्ण मल्लिका

यह एक दिव्य वृक्ष है,पुराणों के आधार पर ये पौधा भगवान श्री कृष्ण अपने साथ लाये थे इसके पुष्प से श्री हरि का श्रृंगार किया जाता है इस लिए इसे हरसिंगार कहा जाता है। यह इच्छा पूर्ति वृक्ष है साथ ही ये प्रेम का वृक्ष है। हरिवंश पुराण के अनुसार पारिजात नाम की राजकुमारी को सूर्य देव से प्रेम हुया व प्रेम स्वीकृत न होने पर प्राण त्याग दी जिस स्थान पर राजकुमारी का अंतिम संस्कार हुया वँहा इस दिव्य वृक्ष की उतपत्ति हुई जो सिर्फ रात को ही पुष्प खिलते हैं व सुबह जमीन पर गिरे मिलते हैं इसलिये इसे पारिजात नाम से जाना जाता है।

यह वृक्ष औषधि गुणों से परिपूर्ण है।सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में सबसे क्षारीय है

इसके पत्तों का जूस :-रक्त शुद्धि,मधुमेह,पाचनशक्ति, मलेरिया,अन्य बुखार, में रामबाण है।

पत्तो का लेप :- घाव, अस्थिभंग,चर्म रोग

तनाव :- इसके पुष्प की सूंघना

सुखी खाँसी :- पत्तो का रस शहद के साथ

बवासिर:- इसके बीज का चूर्ण पानी के साथ

बाल की हर समस्या :- फूलों का रस पीना

सूजन को कम करे:- पुष्प का लेप

गठिया :- पुष्प,तना, पत्तो का मिश्रित रस का सेवन

महिलाओं की मासिकधर्म की सभी समस्या:- इसके पुष्प की कली व काली मिर्च का सेवन

जब घुटने बदलने की नौबत आये तो विनती है एक बार इस दिव्य औषधी का उपयोग जरूर करें 5 6 पत्ते की चटनी रात को एक गिलास पानी मे उबाले जब पानी आधा रह जाये तो ढक कर रख दे सुबह इसे खाली पेट पिये बिना छाने 3 महीना लगातार करें अदभुत परिणाम है।सम्भव हो तो इसके इस काढ़े बनाने की प्रक्रिया में पानी की जगह गौमूत्र का उपयोग करें व सुबह ही बनाये ताजे देशी गौमूत्र से अतिअद्भूत परिणाम है।

गठिया में भोजन तथा परहेज :

एक वर्ष पुराने चावल, एरण्डी का तेल , पुरानी शराब, लहसुन , करेला , परवल , बैंगन, सहजना , लस्सी , गोमूत्र, गर्म पानी, अदरक , कड़वे एवं भूख बढ़ाने वाले पदार्थ, साबूदाना , तथा बिना चुपड़ी रोटी का सेवन करना गठिया रोग में लाभकारी है। इस रोग में फलों का सेवन और सुबह नंगे पैर घास पर टहलना रोगी के लिए लाभकारी होता है। गठिया रोग में रात को सोते समय एक गिलास दूध में जरा-सी हल्दी डालकर पीने से लाभ मिलता है।

उड़द की पिट्ठी की कचौडी,मांसाहारी भोजन, दूध, दही , पानी, गर्म (मसालेदार) भोजन, रात को अधिक देर तक जागना, मल-मूत्र के वेग को रोकना आदि गठिया रोग में हानिकारक है। मूली, केला, अमरूद, कटहल, चावल, लस्सी एवं गुड़ आदि का प्रयोग भी इस रोग मेंहानिकारक है। इस रोग में रोगी को भूख से एक रोटी कम खानी चाहिए और ठंडी वस्तुओं का सेवन कम करने चाहिए। रोगी को शरीर को अधिक थकाने वाले कार्य नहीं करने चाहिए तथा खाने के बाद बैठकर पढ़ने-लिखने का कार्य भी अधिक नहीं करना चाहिए।

ग्वारपाठा / घृतकुमारी का गूदा 1 किलो लेकर आधा लिटर एरण्ड के तेल में पकावें । जब यह लाल हो जाये , तब 2 किलो खाण्ड या मिश्री की चाशनी बनाकर यह मिलायें । इसके अतिरिक्त मेथी के बीजों का चूर्ण , अश्वगन्धा चूर्ण और सोंठ ( प्रत्येक 250 – 250 ग्राम ) भी चाशनी में मिलाये और सभी को घोटकर थाली में जमायें इसको 10 – 10 ग्राम की मात्रा में दिन में 2 बार ( प्रात : – सायं ) सेवन कर से गृध्रसी रोग दूर हो जाता है

जय माता दी

एक अपील अनुरोध आग्रह विनती
स्वथ्य शरीर से धन कमाया जा सकता है लेकिन धन से स्वथ्य शरीर नहीँ
आप से बेहतर आप के शरीर को कोई नही जान सकता
85% रोगों का इलाज आप स्वम कर सकते हैं
आपको अपने भोजन को पहचानने की जरूरत है

साथ ही ये नियम का पालन करे

  1. खाना खाने के 90 मिनट बाद पानी पिये
  2. फ्रीज या बर्फ (ठंडा) का पानी न पिये
  3. पानी को हमेशा घुट घुट कर पिये ( गर्म दूध की तरह)
  4. सुबह उठते ही बिना कुल्ला किये गुनगुना पानी पिये
    5.खाना खाने से 48 मिनट पहले पानी पिये
  5. सुबह में खाना खाने के तुरंत बाद पीना हो तो जूस पिये
  6. दोपहर में खाना खाने के तुरंत बाद पीना हो तो मठ्ठा पिये
  7. रात्रि में खाना खाने के तुरंत बाद पीना हो तो दूध पिये
  8. उरद की दाल के साथ दही न खाए (उरद की दाल का दही बडा )
    10.हमेशा दक्षिण या पूर्व में सर करके सोये
  9. खाना हमेशा जमीन पर सुखासन में बैठ कर खाये
  10. अलमुनियम के बर्तन का बना खाना न खाए(प्रेशर कुकर का )
    13.कभी भी मूत्र मल जम्हाई प्यास छिक नींद इस तरह के 13 वेग को न रोकें
  11. दूध को खड़े हो कर पानी को बैठ कर पिये
  12. मैदा चीनी रिफाइंड तेल और सफेद नमक का प्रयोग न करे ( इसकी जगह पर गुड , काला या सेंधा नमक का प्रयोग करे)

आप से विनती है कि आप ऊपर के पांच नियम का पालन जरूर करेंगे क्योंकि स्वथ्य शरीर बहुत ही ज्यादा कीमती है

स्वथ्य शरीर से पैसा और खुशियाँ पाया जा सकता है लेकिन पैसा और समय से स्वस्थ शरीर नहीं

अब आप को स्वयं चिकसक बनने की जरूरत है

आप अपने शरीर को जितना जानते हैं उतना डॉक्टर नही

आप अपने सगे संबंधियों व जाने अनजाने दोस्तों अर्थात हर इंसान तक इस संदेश को पहुँचाये।
वन्देमातरम

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