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संसार में हमें किसी का सहारा मिल जाना अच्छी बात है, किन्तु किसी का सहारा बन जाना उससे भी अच्छी बात है। संसार में हर कोई दूसरों से तो सहारा चाहता है मगर दूसरों को सहारा देना नहीं चाहता।। सच्ची शान्ति के लिए किसी बेसहारे का सहारा बन जाना सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। आप आश्चर्य करेंगे कि जिस आनंद और शांति के लिए हम दर- दर भटके है, जिसके लिए हमने तीर्थों के इतने चक्कर काटे है, आखिर वह आत्मसुख बहुत सस्ते में और आसानी से मिल गया है।। जो व्यक्ति दूसरों को सहारा देता है, उसे अपने लिए सहारा माँगना नहीं पड़ता, परमात्मा स्वतः ही दे देता है। किसी प्यासे को पानी पिलाने का, किसी गिरे हुए को उठाने का और किसी भूले को राह दिखाने का अवसर मिल जाये तो चूकना मत, क्योंकि ऐसा करने से हम बहुत ऋणों से मुक्त हो सकते है।।
राधे राधे

प्रश्न सत्य के मिलने या ना मिलने का नहीं है। सवाल तुम्हारे सत्य होने का है, तुम अभी सत्य को उपलब्ध हुए या नहीं। बिना सत्य को जीये परमात्मा मिलेगा भी नहीं।। जैसे पानी-पानी चिल्लाने से किसी की प्यास नहीं बुझ सकती। बैसे ही सत्य-सत्य कहने से कोई सत्य को अनुभव नहीं कर सकता। “”प्रकाशे क्वापि पात्रे ” नारद भक्ति सूत्र में वर्णन आया है कि वह प्रकाश किसी विरले ( पात्र ) को ही प्राप्त होता है।। तुम केवल अपने जीवन के असत्य को, गंदगी को, तमस को छोड़ने का चिंतन करो बस। सत्य खोजना नहीं है, तुम्हें सत्य होना है। तुम सत्य लेकर पैदा हुए हो, तुम उसे लिए बैठे हो। ईश्वर कोई दृश्य, वस्तु, या पदार्थ नहीं है जो तुरंत मिल जायेगा। ईश्वर अनुभूति का विषय है।। वह उन्हीं को मिलता है। जो जिन्दगी दांव पर लगाने का तैयार होते हैं।।

दोस्तो ,

जीवन में जब कठिनाईयां आती हैं तो कष्ट होता है, लेकिन जब यही कठिनाईयां जाती हैं तो प्रसन्नता के साथ-साथ एकआत्मविश्वास को भी जगा जाती हैं। जो कष्ट की तुलना में अधिक मूल्वान है। नाकामयाबी को सिर्फ सङक का एक स्पीड ब्रेकर समझें जिसके बाद हम पुनः अपनी आत्मशक्ति रूपी ऊर्जा से आगे बढें।

आत्मविश्वास रूपी बीज का अंकुरण अवश्य करें उसे अपनी सकारत्मक सोच और मेहनत की खाद से पोषित करें क्योंकि आत्मविश्वास सम्पूर्ण सफलताओं का आधार है।


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विद्वानों की विशेषताएँ
ज्ञानी पुरुष आर्थिक संपत्ति के बगैर भी अत्यंत धनी होते हैं
ज्ञान अद्भुत धन है
धन दौलत से ज्ञानियों को वश में करना असंभव है
आपसे आपकी क्षमता या कला कोई नहीं छीन सकता
केवल सुसंस्कृत और सुसज्जित वाणी ही मनुष्य की शोभा बढाती है। –
ज्ञान के बिना मनुष्य केवल एक पशु के समान है
इन गुणों में माहिर होकर आप भी सामाजिक प्रतिष्ठा हासिल कर सकते हैं
सज्जनों की संगती हमें क्या-क्या नहीं देती । उत्तम मनुष्य किसी कार्य को अधूरा नहीं छोड़ते
प्राण संकट की उपस्थिति में भी शक्तिशाली अपना नैसर्गिक गुण नहीं छोड़ते

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