फंगल संक्रमण (फंगल इन्फेक्शन)
शरीर के ऐसे भाग जो अधिक गर्म रहता है उस भाग में यह रोग होता है। यह रोग अधिकतर पेट, योनि, पैर के पंजे, कांख या नितम्ब आदि में होता है। यह रोग फंगी संक्रमण के कारण होता है जिसमें बहुकोशिकाएं, विश्रंखलित तंतु होते हैं। यह रोग एक से दूसरे को भी हो जाता है अर्थात छूने से भी यह रोग होता है।
लक्षण :- इस रोग में रोगग्रस्त स्थान में जलन होती है और खुजली होती है। जीभ, कान के भीतर एवं टखनों के बीच सफेद घाव हो जाता है।
रोग से बचाव का उपाय :-इस रोग में दिन में कम से कम एक बार स्नान अवश्य करना चाहिए और रोगग्रस्त भाग को अच्छी तरह साफ करना चाहिए। पैरों व कानों को कभी भी गीला न रहने दें क्योंकि इससे रोग फैलने की संभावना रहती है। इन भागों को सुखाने के लिए रगड़ना नहीं चाहिए बल्कि मुलायम तौलिए से आराम से साफ करना चाहिए। रोगी व्यक्ति के कपड़े को अलग ही साफ करें दूसरे के कपड़े में न मिलाएं। रोगी को सूती मोजे और सूती वस्त्र पहनना चाहिए ताकि शरीर से निकलने वाला पसीना सुखता रहे। ऐसे जूते पहने जिससे एड़ी व पंजों को हवा मिलती रहें और वह गर्म न हो। स्टरायड मलहम या मुख से लेने वाले स्टरायड गोलियों का प्रयोग न करें क्योंकि इससे रोग के लक्षणों में वृद्धि हो सकती है।
फंगल (कवक) संक्रमण के घरेलू उपाय आंतरिक व बाहरी शुद्धि सफाई
जिन्हें भी फंगल इन्फेक्शन की शिकायत हो उन्हें नियमित्त तौर पर सरल सा यह पेय बनाकर जरूर सेवन करें रोगमक्त होने के बाद भी कम से कम दो माह इसे बनाने के लिए 2 3 पत्ते तुलसी एक चम्मच त्रिफला दो चुटकी हल्दी एक गिलास पानी मे आधा रहने तक उबालकर सुबह शाम जरूर पियें
जैतून के पत्ते:-फंगल इंफेक्शन को दूर करने के लिए जैतून के 5-6 पत्तों व एक चुटकी हल्दीको पीसकर इसका पेस्ट बना लें। इसके बाद इसे इंफेक्शन वाली जगहें पर 30 मिनट के लिए लगाएं और इसके बाद धो लें। इंफेक्शन दूर होने तक इस पेस्ट लगाते रहें।
एलोवेरा जेल:-एलोवेरा जेल का इस्तेमाल इंफेक्शन को दूर करने के साथ आपको जलन, खुजली और रैशेज से राहत भी दिलाएगा। इसके लिए आप एलोवेरा जेल को त्वचा पर रगड़ें और इसके बाद इसे 30 मिनट के लिए छोड़ दें। अब इसे गुनगुने पानी से धो लें। इसमे निम्बू रस हल्दी भी मिला सकते हैं
दही:-दही में एसिड होने के कारण यह हानिकारक बैक्टीरिया को मार देता है। कॉटन की मदद से दही को इंफेक्शन वाली जगह पर लगाएं और कुछ देर बाद इसे धो लें। ध्यान रहे, इंफेक्शन वाली जगह को कभी भी हाथों से न छुएं क्योंकि ये इंफेक्शन संक्रामक होता है।
लहसुन:-एंटीफंगल गुणों से भरपूर लहसुन का इस्तेमाल आपकी इस समस्या को मिनटों में दूर कर देगा। इसके लिए लहसुन की 3-4 कलियों का पेस्ट बनाकर इंफेक्शन वाली जगह पर लगाएं। लहसुन लगाने से एक मिनट तक हल्की सी जलन हो सकती है लेकिन इससे यह इंफेक्शन धीरे-धीरे खत्म हो जाएगा। इसका पेस्ट हल्दी तुलसी युक्त भी बना सकते हैं
हल्दी:-कच्ची हल्दी को पीसकर इंफेक्शन वाली जगह पर 30 मिनट के लिए लगाएं। एंटीफंगल गुण होने के कारण यह फंगल इंफेक्शन और इससे होने वाले दाग-धब्बों को भी खत्म करती हैं। इसके पेस्ट में लहसुन तुलसी गेंदे के फूल एलोवेरा जो उपलब्ध हो उसे भी मिला सकते हैं
सेब का सिरका:-फंगल इंफेक्शन होने पर 1 कप गर्म पानी में 2 टेबलस्पून सेब का सिरका मिलाकर पीएं। इसका सेवन आपके खून में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया को खत्म करके इस प्रॉब्लम को दूर करेगा।
टी ट्री ऑयल:-एंटीसेप्टिक गुण होने के कारण टी ट्री ऑयल इंफेक्शन की समस्या को कुछ समय में ही दूर कर देता है। ट्री टी ऑयल, जैतून का तेल और बादाम के तेल को बराबर मात्रा में मिलाकर इंफेक्शन वाली जगह पर लगाएं। इंफेक्शन दूर होने तक रोजाना इसका इस्तेमाल करें।
सरसो का तेल:- फंगल इंफेक्शन को दूर करने के लिए सरसों का तेल व हल्दी इसका पेस्ट बना लें। इसके बाद इसे इंफेक्शन वाली जगहें पर 30 मिनट के लिए लगाएं और इसके बाद धो लें। इंफेक्शन दूर होने तक इस पेस्ट लगाते रहें।
अरण्ड का तेल:- फंगल इंफेक्शन को दूर करने के लिए अरण्ड का तेल व हल्दी इसका पेस्ट बना लें। इसके बाद इसे इंफेक्शन वाली जगहें पर 30 मिनट के लिए लगाएं और इसके बाद धो लें। इंफेक्शन दूर होने तक इस पेस्ट लगाते रहें।
गेंदे के फूल :- फंगल इंफेक्शन को दूर करने के लिए गेंदे के फूल व हल्दी इसका पेस्ट बना लें। इसके बाद इसे इंफेक्शन वाली जगहें पर 30 मिनट के लिए लगाएं और इसके बाद धो लें। इंफेक्शन दूर होने तक इस पेस्ट लगाते रहें।
निम का तेल:- फंगल इंफेक्शन को दूर करने के लिए निम का तेल इसे इंफेक्शन वाली जगहें पर 30 मिनट के लिए लगाएं और इसके बाद धो लें। इंफेक्शन दूर होने तक इस पेस्ट लगाते रहें।
सफाई हेतु फिटकिरी या निम के पत्ते या तुलसी के पत्ते या हल्दी :- दो तीन चम्मच फिटकिरी पाउडर या निम के पत्ते की चटनी या तुलसी के पत्ते की चटनी या हल्दी एक दो लीटर पानी मे उबालकर छानकर रखे व इस पानी से यथसम्भव सफाई करें
निरोगी रहने हेतु महामन्त्र
मन्त्र 1 :-
• भोजन व पानी के सेवन प्राकृतिक नियमानुसार करें
• रिफाइन्ड नमक,रिफाइन्ड तेल,रिफाइन्ड शक्कर (चीनी) व रिफाइन्ड आटा ( मैदा ) का सेवन न करें
• विकारों को पनपने न दें (काम,क्रोध, लोभ,मोह,इर्ष्या,)
• वेगो को न रोकें ( मल,मुत्र,प्यास,जंभाई, हंसी,अश्रु,वीर्य,अपानवायु, भूख,छींक,डकार,वमन,नींद,)
• एल्मुनियम बर्तन का उपयोग न करें ( मिट्टी के सर्वोत्तम)
• मोटे अनाज व छिलके वाली दालों का अत्यद्धिक सेवन करें
• भगवान में श्रद्धा व विश्वास रखें
मन्त्र 2 :-
• पथ्य भोजन ही करें ( जंक फूड न खाएं)
• भोजन को पचने दें ( भोजन करते समय पानी न पीयें एक या दो घुट भोजन के बाद जरूर पिये व डेढ़ घण्टे बाद पानी जरूर पिये)
• सुबह उठेते ही 2 से 3 गिलास गुनगुने पानी का सेवन कर शौच क्रिया को जाये
• ठंडा पानी बर्फ के पानी का सेवन न करें
• पानी हमेशा बैठ कर घुट घुट कर पिये
• बार बार भोजन न करें आर्थत एक भोजन पूर्णतः पचने के बाद ही दूसरा भोजन करें
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