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हिन्दू संस्कृति का रहस्य और विज्ञान ?

हिंदू संस्कृति की सबसे बड़ी खूबी यह है – कि यह अपने लोगों को अपने हिसाब से पूजने की आजादी देती है। दूसरी तमाम संस्कृतियों ने वहां के लोगों को ऐसी आजादी नहीं दी। शायद यही वजह है कि हिंदू संस्कृति को अध्यात्म के लिए सबसे उत्तम माना जाता है।

  1. नदी मे सिक्के डालना….आप ने अपने बडो से सुना होगा की बहती नदी मे सिक्के डालने चाहिएवैज्ञानिक कारण है, पहले जब सिक्के बनाये जाते थे तो वे तांबे के होते थे जो कि हमारे शरीर के लिए एक बहुतउपयोगी होते है लेकिन आज के समय में यह सिक्के तांबे के नहीं स्टेनलेस स्टील के बनते हैं, जिसे पानी में डालने से पानी में कोई फरक नहीं पड़ता है।
  2. चूड़ियों का महत्व….पुराने समय मे ज्यादातर महिलाये सोने-चांदी की चूड़ियाँ पहना करती थी माना जाता है की सोने-चांदी के घर्षणसे शरीर को इनके शक्तिशाली तत्व प्राप्त होते हैं, जिससे महिलाओं को स्वास्थ्य लाभ मिलता है। महिलाये पुरुषों से कमजोर होती है | चूड़ियाँ उनके हाथो को मजबूत और शक्तिशाली बनती है
  3. सिंदूर लगाना….सिंदूर हल्दी, नींबू और पारा के मिश्रण से तैयार किया जाता है। सिंदूर महिला के रक्तचाप को नियंत्रित करनेके अलावा उनकी सेक्सुअल ड्राइव को भी बढाता है। इसे उस जगह पर लगाया जाता है , जहां पर पिट्यूटरी ग्रंथि होती है, जहां पर सारे हार्मोन डेवलप होते हैं। इसके अलावा सिंदूर तनाव से भी महिलाओं को दूर रखता है।
  4. बच्चों का कान छेदन….विज्ञान कहता है कि कर्णभेद से मस्तिष्क में रक्त का संचार समुचित प्रकार से होता है। इससे बौद्घिक योग्यता बढ़ती है। और बच्चो के चेहरे पर चमक आती है | इसके कारण बच्चा बेहतर ज्ञान प्राप्त कर लेता है

5 ज़मीन पर बैठ कर भोजन करना….इस तरह से चरणर्-स्पश करने से अपने से बड़ों की विद्युत चुम्बकीय ऊर्जा शक्ति हमारे शरीर को नयी ऊर्जा प्रदान कर ऊर्जावान, निरोगी और सकारात्मक विचारों से परिपूर्ण कर देती है। सुखासन से पूरे शरीर में रक्त-संचार समान रूप से होने लगता है। जिससे शरीर अधिक ऊर्जावान हो जाता है।

  1. हाथों में मेहंदी लगाना….विज्ञान कहता है की मेंहदी बहुत ठंडी होती है इस लगाने से दिमाग ठंडा रहता है और तनाव भी कम होता है इसलिये शादी के दिन दुल्हने मेंहदी लगाती हैं, जिससे उन्हें शादी का तनाव ना हो पाए।
  2. सर पे चोटी रखना….सिर पर चोंटी रखने की परंपरा को हिन्दुत्व की पहचान तक माना जाता है । असल में जिस स्थान पर शिखा यानि कि चोंटी रखने की परंपरा है, वहा पर सिर के बीचों-बीच सुषुम्ना नाड़ी का स्थान होता है।सुषुम्रा नाड़ी इंसान के हर तरह के विकास में बड़ी ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। चोटी सुषुम्रा नाड़ी को हानिकारक प्रभावों से बचाती है.
  3. भोजन के अंत में मिठाई खाना….जब हम कुछ मसालेदार भोजन खाते हैं, तो हमारे शरीर एसिड बने लगता है जिससे हमारा खाना पचता है और यह एसिड ज्यादा ना बने इसके लिए आखिर में मिठाई खाई जाती है जो पाचन प्रक्रिया शांत करती है।
  4. तुलसी के पेड़ की क्यों पूजा होती है….तुलसी में विद्यमान रसायन वस्तुतः उतने ही गुणकारी हैं, जितना वर्णन शास्रों में किया गया है। यह कीटनाशक है, कीटप्रतिकारक तथा खतरनाक जीवाणुनाशक है। विशेषकर एनांफिलिस जाति के मच्छरों के विरुद्ध इसका कीटनाशी प्रभाव उल्लेखनीय है।
  5. पीपल के वृक्ष की पूजा….पीपल की उपयोगिता और महत्ता वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दोनों कारणों से है। यह वृक्ष अन्य वृक्षों की तुलना में वातावरण में ऑक्सीजन की अधिक-से-अधिक मात्रा में अभिवृद्धि करता है। यह प्रदूषित वायु को स्वच्छ करताहै और आस-पास के वातावरण में सात्विकता की वृद्धि भी करता है। इसके संसर्ग में आते ही तन-मन स्वतः हर्षित और पुलकित हो जाता है।

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