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शरद पूर्णिमा पर करें हनुमान पूजा ,जानिए ऐसे ही 10 रहस्य(संपूर्ण जानकारी)
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हिंदू धर्म में पूर्णिमा का अमावस्या से भी ज्यादा महत्व है। वर्ष में 24 पूर्णिमा होती हैं, जिनमें से कार्तिक पूर्णिमा, माघ पूर्णिमा, शरद पूर्णिमा, गुरु पूर्णिमा, बुद्ध पूर्णिमा का महत्व ज्यादा है। आश्विन मास में आने वाली शरद पूर्णिमा के संबंध में 10 महत्वपूर्ण बातें आज जानते हैं।
🌷 पूर्णिमा का मनोविज्ञान पूर्णिमा की रात मन ज्यादा बेचैन रहता है और नींद कम ही आती है। कमजोर दिमाग वाले लोगों के मन में आत्महत्या या हत्या करने की विचार बढ़ जाते हैं।
🌷 ज्वारभाटा चांद का धरती के जल से संबंध है। जब पूर्णिमा आती है तो समुद्र में ज्वार भाटा उत्पन्न होता है। क्योंकि चंद्रमा समुद्र के जल को ऊपर की ओर खींचता। मानव के शरीर में भी लगभग 85% जल रहता है। पूर्णिमा के दिन इस जल की गति और गुण बदल जाते हैं।
🌷 न्यरोन सेल्स-वैज्ञानिकों के अनुसार इस दिन चंद्रमा का प्रभाव काफी तेज होता है। इन कारणों से शरीर के अंदर रक्त में न्यूरोन सेल्स क्रियाशील हो जाते हैं और ऐसी स्थिति में इंसान ज्यादा उत्तेजित या भावुक रहता है। एक बार नहीं प्रत्येक पूर्णिमा को ऐसा होता रहता है।
🌷 वर्जित भोजन-इस दिन किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दिन शराब, आदि नशे से भी दूर रहना चाहिए। इसकी शरीर पर ही नहीं आपके भविष्य पर भी दुष्परिणाम हो सकते हैं। जानकार लोग तो यह कहते हैं कि चौदस, पूर्णिमा और प्रतिपदा उक्त 3 दिन पवित्र बने रहने में ही भलाई है
🌷 शरद पूर्णिमा का महत्व-पौराणिक मान्यता के अनुसार शरद पूर्णिमा की रात को चांद पूरी 16 कलाओं से पूर्ण होता है। इस दिन चांदनी सबसे तेज प्रकाश वाली होती है। माना जाता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत गिरता है। यह किरणें सेहत के लिए काफी लाभदायक मानी जाती हैं।
🌷 शरद पूर्णिमा के दिन क्या करें-शरद पूर्णिमा की चांद में छत या गैलरी पर चांद की रोशनी में चांदी के बर्तन में दूध या खीर को रखा जाता है। फिर उस दूध को भगवान को अर्पित करने के बाद पिया जाता है। कुछ लोग पूर्ण चंद्रमा की आकाश के मध्य स्थित होने पर उनका पूजन करते हैं और खीर का नैवेद्य अर्पण करने के बाद रात को खीर से भरा बर्तन खुली चांदनी में रखकर दूसरे दिन उसका भोजन करते हैं।
🌷 शरद पूर्णिमा पर करें इनका पूजन-शरद पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी, चंद्रदेव, भगवान शिव, कुबेर और भगवान श्री कृष्ण की आराधना की जाती है। शरद पूर्णिमा की रात में की गई चंद्र पूजन और आराधना से साल भर के लिए लक्ष्मी और कुबेर की कृपा प्राप्त होती है।
🌷 शरद पूर्णिमा का नीला चांद-शरद पूर्णिमा को कोजागिरी पूर्णिमा भी कहते हैं। पश्चिमी जगत में इसे ब्लू मून कहा जाता है। कहते हैं कि नीला चांद वर्ष में एक बार ही दिखाई देता है। एक शताब्दी में लगभग 41 बार नीला चांद दिखता है।
🌷 सर्दी का प्रारंभ-शरद पूर्णिमा के दौरान चतुर्मास लगा होता है। जिसमें भगवान विष्णु सो रहे होते हैं। चतुर्मास का यह अंतिम चरण होता है। शरद पूर्णिमा इसलिए कहा जाता है क्योंकि इन दिनों से सुबह और शाम को सर्दी का एहसास होने लगता है।
🌷 हनुमान जी की पूजा-शरद पूर्णिमा की रात में हनुमान जी के सामने चौमुखा दीपक जलाएं। इसके लिए आप मिट्टी का एक दीपक लें और उसमें चमेली का तेल या घी भरें। इससे आपको हनुमान जी की विशेष कृपा प्राप्त होगी। साथ में अपनी श्रद्धा के अनुसार सुंदरकांड या हनुमान चालीसा का पाठ करें।
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🌷🌷जय मां पीताम्बरा🌷🌷

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