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एक अद्भुत संजोग में धर्म लाभ लेने का अवसर ।

शनैश्चरी,सर्वपित्र अमावस्या दिनांक
28।9।2019 शनिवार

                  अमावस्‍या की तिथि को धार्मिक दृष्टि से बेहद शुभ और पौराणिक दृष्टि से अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण माना जाता है। अमावस्‍या की तिथि यदि शनिवार को पड़ रही हो तो यह और भी मंगलकारी मानी जाती है। इस बार जातकों को इस विशेष संयोग का लाभ मिल रहा है। इस बार अमावस्‍या  साल की तीसरी और आखिरी शनिश्‍चरी सर्वपित्र  अमावस्‍या 28 सितंबर को है। आइए जानते हैं शनिश्‍चरी अमावस्‍या के दिन कैसे करें व्रत और पूजा…

शनिवार की सुबह स्नान आदि करने के बाद एक साफ स्थान पर बैठें। आप चाहें तो मंदिर जाकर भी शनिदेव की पूजा कर सकते हैं। कई जगहों पर मान्यता है कि शनिदेव की मूर्ति घर में नहीं रखते हैं इसलिए मन ही मन शनिदेव का ध्यान करें। शनिदेव की पूजा के लिए सरसों तेल का दीया जलाएं और शनिदेव को नीले फूल अर्पित करें।
रुद्राक्ष की माला से शनिदेव के मंत्रों का जप करें। बेहतर होगा कि आप 5 माला जप करें।

शनि देव का बीज मंत्र- ओम प्रां प्रीं प्रौं शः शनैश्चराय नमः’ आप चाहें तो शनि पत्नी मंत्र और तांत्रिक मंत्र से भी जप कर सकते हैं।

दशरथ कृत शनि स्तोत्र का 11 बार पाठ करना उत्तम रहेगा। इस अवसर पर पितरों को भी प्रसन्न करके आप जीवन में आ रही बाधाओं से मुक्ति पा सकते हैं। इसके लिए पीपल की पूजा करके पीपल के पत्तों पर 5 प्रकार की मिठाइयों को रखकर पितरों का ध्यान पूजन करें। पितरों को अर्पित किया गया प्रसाद घर नहीं लाएं, पूजन स्थल पर मौजूद लोगों में प्रसाद वितरण कर दें।

इन वस्‍तुओं का करें दान
शनि अमावस्या के दिन काले उड़द काले जूते, काले वस्‍त्र, तेल का दान और शनि महाराज की पूजा और दीपदान करना बहुत ही शुभ फलदायी कहा गया है। इससे शनि महाराज अपनी महादशा, अन्तर्दशा और गोचर के दौरान अधिक नहीं सताते हैं और परेशानियों का सामना करने की क्षमता भी देते हैं।

– इस दिन सुरमा, काले तिल, सौंफ आदि वस्‍तुओं से मिले जल से स्‍नान करने से ग्रहदशा दूर होती है।

-शनि अमावस्‍या के दिन शाम के वक्‍त पीपल के वृक्ष के चारों ओर 7 बार कच्‍चा सूत लपेटें। मन ही मन शनि मंत्र का जप करते रहें।

-यदि आपके ऊपर शनि की दशा चल रही है तो शनि अमावस्‍या के दिन काले घोड़े की नाल या नाव की सजह की कील का छल्‍ला बनाकर मध्‍यमा उंगली में धारण करें।

– शाम के वक्‍त पीपल के वृक्ष के नीचे तिल के तेल या फिर सरसों के तेल का दीपक जलाकर न्‍याय के देवता शनिदेव से क्षमा प्रार्थना करें।

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