भगवान विश्वकर्मा कौन है????
विश्वकर्मा को हिन्दु धार्मिक मान्यताओं और ग्रंथो के अनुसार निर्माण एवं सृजन का देवता माना जाता है ! ऐसा माना जाता है कि सोने की लंका का निर्माण इन्होने ही किया था ! भारतीय संस्कृति और पुराणो मे भगवान विश्वकर्मा को यंत्रो का अधिष्ठाता और देवता माना गया है !
उन्हे हिन्दु संस्कृति मे यंत्रो का देव माना जाता है, विश्वकर्मा ने मानव को सुख सुविधाए प्रदान करने के लिए अनेक यंत्रो व शक्ति सम्पन्न भौतिक साधनो का निर्माण किया ! इनके द्वारा मानव समाज भौतिक चरमोत्कर्ष को प्राप्त कर रहा है ! प्राचीन शास्त्रो मे वैमानकीय विद्या, नवविद्या, यंत्र निर्माण विद्या आदि का भगवान विश्वकर्मा ने उपदेश दिया है !
माना जाता है प्राचीन समय मे स्वर्गलोक,लंका, द्वारिका और हस्तिनापुर जैसे नगरो के निर्माणकर्ता भी विश्वकर्मा ही थें ! बहुत से विद्वान विश्वकर्मा इस नाम को एक उपाधी मानते हैं, क्योंकि संस्कृत साहित्य मे भी समकालीन कई विश्वकर्माओं का उल्लेख है, कालान्तर मे विश्वकर्मा एक उपाधी हो गई थी, परन्तु इसका यह अर्थ नही कि मूल पुरुष या आदि पुरुष हुआ ही न हो ! विद्वानो मे मतभेद इसपर भी है कि मूल पुरुष विश्वकर्मा कौन से हुए !
एक कथा के अनुसार यह मान्यता है कि सृष्टि के प्रारंभ मे सर्वपुथम नारायण अर्थात साक्षात "विष्णु भगवान क्षीर सागर मे शेषशैय्या पर आर्विभूत हुए, उनके नाभी कमल से चर्तुमुख ब्राह्मा दृष्टि गोचर हो रहे थे ! ब्राह्मा के पुत्र धर्म तथा धर्म के पुत्र वास्तुदेव हुए ! कहा जाता है कि धर्म की वस्तु नामक स्त्री से उत्पन्न वास्तु सातवें पुत्र वास्तुदेव हुए, जो शिल्पशास्त्र के आदि प्रवर्तक थे, उन्ही वास्तुदेव की अंगिरसी नामक पत्नी से विश्वकर्मा उत्पन्न हुए थे !
अपने पिता की भांति विश्वकर्मा भी आगे चलकर वास्तु कला के अद्वितीय आचार्य बने !
विश्वकर्मा रचना के पति है, देवताओं के विमान भी विश्वकर्मा बनाते है, इन्हे अमर भी कहते है ! रामायण के अनुसार विश्वकर्मा ने राक्षसो के लिए कि सृष्टि की, सूर्य की पत्नी संज्ञा इन्ही की पुत्री थी , सूर्य के ताप को संज्ञा सहन नही कर सकी, तब विश्वकर्मा ने सूर्य तेज का आठवां अंश काट उससे चक्र, वज्र आदि शस्त्र बनाकर देवताओं को प्रदान किए !
भगवान विश्वकर्मा के अनेक रुप बताए जाते है, उन्हे कही पर दो बाहु, कही चार, कही पर दस बाहुओं तथा एक मुख और कही चार मुख व पंचमुखो के साथ भी दिखाया गया है !
उनके पांच पुत्र
मनु
मय
त्वष्ठा
शिल्पी
एवं दैवज्ञ है !
यह भी मान्यता है कि ये पांचो वास्तु शिल्प की अलग अलग विद्याओं मे पारंगत थें ! और उन्होने कई वस्तुओ का आविष्कार भी वैदिक काल मे किया ! इस प्रसंग मे मनु को लोहे से, तो मय को लकडी से त्वष्ठा को कांसे एवं तांबे, शिल्पी को ईंट और दैवज्ञ को सोने चांदी से जोडा जाता है !
हिन्दु धर्मशास्त्रो और ग्रंथो मे विश्वकर्मा के पांच स्वरुपो और अवतारों का वर्णन मिलता है !
1- विराट विश्वकर्मा- सृष्टि के रचयीता !
2- धर्मवंशी विश्वकर्मा- महान शिल्प विज्ञान विधाता और प्रभात पुत्र !
3-- अंगिरसी विश्वकर्मा-- आदि विज्ञान विधाता वसु पुत्र !
4-- सुधन्वा विश्वकर्मा-- महान शिल्पाचार्य विज्ञान जन्मदाता अथवी ऋषि के पौत्र !
5-- भृगुवंशी विश्वकर्मा -- उत्कृष्ट शिल्प विज्ञानाचार्य ( शुक्राचार्य के पौत्र )