सूजन :-
अनेक कारणों से वात के दूषित होने पर रक्त पित कफ को बाहर की नसों में लाकर चाल को रोक देती है उनके चाल रुकने से त्वचा और मांस सख्त कठोर सूजन उत्तपन हो जाती है ।
सूजन 9 प्रकार के होते हैं
चार रोगों के उपद्रव के कारण सूजन होती है
पीलिया,लिवर,हृदय व मुत्र पिंड के रोग
रोगी को मल मूत्र साफ रखने की चेस्टा करनी चाहिए
अपथ्य :- खटाई,समुद्री नमक, नया गुड़,दही,चर्बी,दूध,घी,तेल,हवा में रहना,अधिक जल पीना, मल मुत्र को रोकना,विरुद्ध आहार,नए अन्न, दिन में सोना,शराब,सूखा माँस, सम्भोग व गरिष्ठ भोजन
घरेलू उपाय :-
कोष्ठबद्धता हो तो अरण्ड का तेल गर्म दूध के साथ
10 ग्राम त्रिफला गौमुत्र के साथ
हरड़ चूर्ण गौमुत्र के साथ
सौठ का काढ़ा से
बेल के पत्तो का 20 ml कपड़े से छानकर इसके सेवन से सभी प्रकार के सूजन खत्म होता है साथ इससे मधुमेह,उच्चरक्तचाप, मोटापा पीलिया व बवासीर में भी परम लाभकारी है इसी रस में सौठ काली मिर्च व पीपर चूर्ण मिलाकर सेवन करने से भी सूजन रोग नष्ट होते है
चिरायता व सौठ को पत्थर पर पीस कर गर्म पानी से
मात्र गौमुत्र के सेवन से
बेल की जड़ त्रिकुटा पीपर और चिता बराबर मात्रा 5 5 ग्राम दूध में उबालकर सेवन से हर प्रकार के सूजन नष्ट होता है
अदरक का रस पुराना गुड़ मिलाकर व ऊपर से बकरी का दूध पीने से सब तरहः का सूजन नष्ट होता है
अदरक व पुराने गुड़ के नियमित सेवन से 20 ग्राम से बढ़ते बढ़ते 200 ग्राम तक सेवन से सूजन गुल्म उदर खाँसी स्वाश पीनस पाण्डु बवासीर व हृदय रोग नष्ट होते हैं।
गौमुत्र को गर्म कर सिकाई करने से हर प्रकार का सृजन कम होता है
भैस के मख्खन व दूध में तिल को पीसकर लेपन से
सेहुंड के पत्ते के रस से मालिश करने से
अश्वगंधा को गौमुत्र में पीस कर लेपन से
अरण्ड की जड़ करंज आक की जड़ पुनर्नवा और नीम की छाल का काढ़ा गुनगुना सूजन पर सींचने से
धनिया को स्वमूत्र में पीसकर लेपन से
इसबगोल को पीसकर जल में घोलकर लेपन से
सिरस या धतूरे या अरण्ड या महुआ के पत्ते को गर्म कर बांधने से
गया के गोबर को बांधने से
अरण्ड या तिल के तेल को हल्का गर्म कर महुए के पत्ते बांधने से
पथ्य :- जुलाब वाली औषधि,उपवास करना,पसीने निकलना,पुराने चावल जौ गेहुँ , अरहर,मूंग,मसूर,पुराना घी,छाछ,शहद,बैगन,करेला,लहसुन,सौठ,गिलोय,चिता,निम,अरण्ड,चौलाई, गाजर,सभी कसैले रस