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प्रश्न – जप करते समय माला कपड़े क्यों ढकते हैं? हम ऐसे ही ढक कर करते हैं, पर कारण नही पता?

उत्तर- आत्मीय साधक,

अनामिका में हृदय तक जाने वाली नस होती है, इसलिए सगाई में अंगूठी भी इसी उंगली में पहनाई जाती है। पूजन में तिलक इत्यादि प्रक्रिया भी अनामिका से ही की जाती है।

सूक्ष्म ऊर्जा उत्पादन हेतु मन्त्र जप माला से अनामिका, मध्यमा व अंगूठे की मदद से किया जाता है। साथ ही मन्त्र जप से ऊर्जा तरंग के छल्ले बनते हैं जो समानान्तर बार बार दोहराए मन्त्र शब्द का मैग्नेटिक फ़ील्ड बनाते हैं और शक्तियों को आकर्षित करते हैं। जैसे गुड़ रख दो तो चींटी स्वतः आ जाती है, वैसे मंत्रजप करने से सम्बन्धित देवी-देवता की ब्रह्माण्ड में व्याप्त शक्तियां आकृष्ट होकर साधक में प्रवेश करने लगती हैं, मन्त्र जप का घर्षण तर्जनी उंगली पर अधिक होने से वहाँ से हृदय तक मन्त्रतरँग रक्त में उपस्थित लौह अणुओं को उद्वेलित करती है। शक्ति को रक्त में प्रवेश करवाती है।

अतः ऊर्जा उत्पादन की इस आध्यात्मिक प्रयोग में कोई त्रुटि न हो, इसलिए कुश आसन, कम्बल/ऊनी आसन, मन्त्र दुप्पटा व माला को व्यक्तिगत रखनी चाहिए। दूसरे की स्पर्श माला नहीं जपनी चाहिए। दूसरे की दृष्टि का स्पर्श भी माला में नहीं चाहिए। इसलिए कपड़े से ढंककर जपते हैं।

हम आधुनिक स्थूल जगत के प्राणी केवल हाथ के स्पर्श को जानते हैं, दृष्टि से भी स्पर्श होता है, यह हम नहीं जानते। दृष्टि से किसी पर सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश या दृष्टि से किसी पर नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश का विज्ञान हम नहीं जानते। मगर हमारे पूर्वज दृष्टि की प्राण दाई व प्राण घातक स्पर्श से परिचित थे। अतः वो माला जैसा ऊर्जा उपकरण का स्पर्श किसी अन्य की दृष्टि से नहीं करवाते थे।

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