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🌻मिर्गी कारण, लक्षण और उपचार

🌺मिर्गी (एपिलेप्सी) Epilepsy / दिमाग यानि मस्तिष्क तंत्र से जुड़ी बीमारी है। जिसमें मस्तिष्क विघुत तरंग विघटन होने पर मस्तिष्क कोशिकओं का शरीर अंगों से अचानक तालमेल बिगड़ जाता है। जिसे र्मिगी दौरा माना जाता है। मिर्गी स्थिति में व्यक्ति अचेत, मूर्छित, शरीर झटपटाना, मुंह से झाग आना, बेहोशी में चला जाता है। और मिर्गी दौरा पड़ने पर व्यक्ति की मांसपेशियों शरीर अकड़ ऐठ जाता है। बार-बार इस तरह के संकेत होने पर उसे मिर्गी दौरा कहा जाता है। मिर्गी दौरे की कोई समय सीमा नहीं होती। मिर्गी दौरा कभी भी रोगी को पड़ सकता है। अकसर मिर्गी दो तरह से होती है। पहला आंशिक रूप, आंशिक रूप दौरा कुछ समय तक रहता है। शुरूआती तौर पर सामान्य लक्षण मौजूद होते हैं। आंशिक र्मिगी दौरे को नजरअंजाद ना करें, समय पर इलाज करवायें। और दूसरा तीब्र व्यापक रूप जिसमें व्यक्ति अचेतना के साथ शरीर हाथ पांव मारना, शरीर अंग अंग पर रगड़, गिरने से सिर, हाथ, पैर चोट लगना, मुंह झाग आदि शामिल है। Mirgi का इलाज मुख्यतय मिरगी रोधी दवाईयों और मस्तिक आॅपरेशन द्धारा किया जाता है। र्मिगी रोग का वक्त पर सही इलाज ना होने से व्यक्ति पागल हो सकता है।

🌺मिर्गी को लेकर तमाम भ्रांतियां है। अंधविश्वास के कायल ग्रामीण मिर्गी को शरीर का विष मान नीम के पत्ती का जूस या फिर ऐसी गाय जिसने बच्चा न जना हो उसका मूत्र पिलाते है। कहते हैं कि यदि नाक से उल्टी हो जाए तो बीमारी का ठीक होना तय है। लोगों को यह पता ही नही कि इलाज से मिर्गी की बीमारी ठीक हो सकती है।

🌹न्यूरोलॉजिस्ट का कहना है कि मिर्गी (एपिलेप्सी) दिमाग से जुड़ा एक सामान्य रोग है जिसका इलाज पूरी तरह संभव है। दवाओं के प्रयोग से 80फीसदी रोगी ठीक हो जाते हैं और बाकी 20फीसदी रोगियों को ऑपरेशन की जरूरत पड़ती है। इस रोग के पीछे कोई अभिशाप या भूत-प्रेत नहीं होता। डॉ खोस्या ने बताया कि पूरे देश के आंकड़ों पर गौर करें तो व्‍यस्‍कों में हर सौ पर एक व्‍यक्ति तो बच्‍चों में एक हजार पर एक मिर्गी रोग से पीडि़त है। डॉ खोस्या बताते  हैं कि समय पर इलाज हो जाने से दर्जनों युवक और युवतियों की शादी टूटने से बच गई।

🌻मिर्गी आने के कारण / Epilepsy Causes

🌼सिर में पुरानी चोट दर्द रहने से
🌾रक्त से ग्लूकोज मात्रा कम होना
🌻मस्तिष्क में आॅक्सीजन की कमी
🌾मस्तिष्क न्यूराॅन्स असंतुलन
🌾पूरी नींद नहीं लेना
🌾दवाईयों के दुष्परिणाम से
🌾ब्रेन ट्यूमर से
🥀शरीर में विषाक्त पदार्थों को ज्यादा बनना
🌸जेनेटिक स्क्रीनिंग
🌷🌷🌻मिर्गी जांच / Epilepsy Check up
🌾गिर्गी संकेत होने पर जांच E.E.G. 🥀Electroencephalogram तकनीक द्वारा
🍃Brain C.T. Scan द्वारा स्नेहा समूह
🌾C.T. Scan, Brain MRI द्वारा
🌺मिर्गी दौरा पीड़िता/ पीड़ित पर ध्यान देने वाली जरूरी बातें / Epilepsy Awareness टिप्स

🌻मिर्गी पीड़िता को कभी अकेला ना छोड़ें। हमेशा आसपास नजदीकी बना कर रखें।
मिर्गी दौरा पड़े व्यक्ति को जमीन पर ना लिटायें।
मिर्गी पीड़ित व्यक्ति को पानी, गीली जगह, लाल रंग से दूर रखें।
🌾मिर्गी ग्रसित व्यक्ति को दौरा पड़ने पर चोट लगने से बचायें।
🌻मिर्गी के दौरान व्यक्ति की जीभ दांतों में मध्य आने से बचायें।
🌻दांतों जकड़ने से बचायें, अकसर दांतों के बीच होंठ, जीभ जकड़ जाती है।
🌺मिर्गी दौरा पड़ने पर पीडिता को होश में लाने के लिए चेहरे पर ठंड़े पानी के छींटे मारे।
🥀बेहाशी अचेत अवस्था में पीड़ित को तुलसी पत्तें, लहसुन मसलकर सुंघायें तुलसी और
लहसुन बेहोशी तोड़ने में सहायक है।
मिर्गी दौरा पड़ने पर पीड़िता को पेट के बल पर लिटायें, जिससे झाग, लार नांक में जाने से बचायें। और गर्दन ऊपर की ओर रखें।
दौरा पीड़िता के गले, मुंह पर तंग, टाईट कपड़े से बचायें।
🍃मिर्गी दौरा पड़ने पर व्यक्ति के आस पास भीड़ ना करें। ताजी हवा खुला वातावरण बनायें।
मिर्गी पीड़िता को जूता अन्य तेज गंध ना सुघांयें।
व्यक्ति को प्राथमिक इलाज के लिए तुरन्त हस्पताल ले जायेेंं
मिर्गी से राहत पाने के घरेलू उपचार

💐तुलसी और सीताफल
तुलसी में काफी मात्रा में एंटी ऑक्सीडेंट पाए जाते हैं जो मस्तिष्क में फ्री रेडिकल्स को ठीक रखने में मदद करते हैं। मिर्गी से छुटकारा पाने के लिए रोगी को रोजाना 20 तुलसी के पत्ते खाने को दें। मिर्गी का दौरा पड़ने पर तुलसी का रस और सेंधा नमक मिलाकर रोगी के नाक में डालें। अगर तुलसी का पौधा न होने सीताफल के पत्ते का रस भी डाल सकते हैं।

🌻 करौंदा
मिर्गी के पीड़ित रोगी को करौंदे के पत्तों से चटनी बना कर खिलाएं। अगर वह इसे रोजाना खाएगा तो उसे बहुत जल्दी फायदा मिलेगा।

🥀 सफेद प्याज
मिर्गी के दौरे से छुटकारा पाने के लिए रोजाना सफेद प्याज के रस का 1 चम्मच रोगी को पिलाएं।

🌻 शहतूत और अंगूर का रस
शहतूत और अंगूर का रस मिर्गी के रोगी के लिए काफी फायदेमंद होता है। रोजाना सुबह रोगी को शहतूत और अंगूर का रस पीने को दें।

🌼पेठा या कद्दू
पेठे या कद्दू में ऐसे पोषक तत्व होते हैं जिससे मस्तिष्क के नाडी-रसायन संतुलित हो जाते हैं। इसके लिए आप रोगी को इसकी सब्जी बना कर भी खिला सकते हैं। इसका जूस बना कर पिलाने से रोगी को ज्यादा फायदा मिलेगा। अगल इसका टेस्ट अच्छा न लगे तो इसमें चीनी और मुलहटी का पाउडर मिक्स करके भी रोगी को दिया जा सकता है।

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