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🔺 भोजन और पांच तत्व
- आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी तत्व से शरीर बना है़। यह ब्रह्मण्ड भी यह 5 तत्वों से बना है।
आपको यह तत्व के क्रमांक से खाना है। शरीर को धीरे धीरे आहार के रूपमे वजन देना है।
1️⃣ आकाश तत्व
- यह सूक्ष्म तत्व है़। यह खाया नहीं जाता।
– जब तक पेट कुछ खाली नहीं रखा जाए यह प्राप्त नहीं होता।
- उपवास से भी आकाश तत्व प्राप्त होता है़।
2️⃣ वायु तत्व
- वायु तत्व पतियों में होता है़।
- तुलसी तथा बेल की पत्तियां शरीर को शुद्व करती हैं।
- पुदीना, धनिया, सहजन पान, एलोवेरा, पालक, गेंहूके ज्वारे, सीसम पान, करीपत्ता से ग्रीन ज्युस बनाकर पिये।
3️⃣ अग्नि तत्व
- अग्नि तत्व में सूर्य की धूप का सेवन भी आवश्यक है।
- फ्रूट्स (फल) में अग्नि तत्व ज्यादा होता है़।
- फल धूप में रहते हैं।
- जब फल खाते हैं तो अग्नि तत्व हमारे शरीर में ज्यादा जाता है़।
- रसदार फलों में शरीर को शुद्व करने की शक्ति होती है़।
4️⃣ जल तत्व
- जल तत्व में सिर्फ सब्जियां आती हैं।
- ऐसी सब्जियां जो जमीन के ऊपर होती हैं।
- कददू , लौकी, परवल, तोरई, टिनड्डा’, गोभी आदि।
- इन सब्जियों में पानी अधिक होता है़ और इन में शरीर से मल निकालने की शक्ति होती है़।
-आलू, शक्कर कंदी आदि में जल तत्व कम और पृथ्वी तत्व अधिक होता है़।
5️⃣ पृथ्वी तत्व
सभी अनाज और दाले पृथ्वी तत्व में आते हैं।
- शारीरिक मेहनत करने वालो को पृथ्वी तत्व की अधिक जरूरत होती है़।
- बुद्वि से कार्य करने वालो को पृथ्वी तत्व की कम जरूरत होती है़।
25 वर्ष की आयु के बाद पृथ्वी तत्व के भोजन को आधा कर देना चाहिए।
भोजन से शरीर का निर्माण और टूट फूट की पूर्ति होती है़।
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