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||#गोचरमेंग्रहोकाफल|| गोचर का मतलब होता है वर्तमान समय में सौर मण्डल में भ्रमण कर रहे ग्रह कि कौन ग्रह किस राशि पर भ्रमण या गोचर कर रहा है?गोचर के ग्रहो का जन्मकुंडली के ग्रह,योगो और ग्रहो के फल देने पर बहुत गहरा प्रभाव रहता है इस कारण जब भी फलित किया जाता है तब उसमे ग्रहो की दशा और गोचर दोनों की स्थिति देखकर ही फलित किया जाता है।गोचर मतलब ग्रह की वर्तमान स्थिति कैसी चल रही है और इस ग्रह की इस गोचर स्थिति का प्रभाव जातक के जीवन पर पड़ता है,कैसे? कुछ उदाहरणों से बताता हूँ:- जो भी ग्रह दशा या जिस भी ग्रह की महादशा अन्तर्दशा चल रही होती है उस ग्रह की स्थिति गोचर में कैसी है? इसका बहुत प्रभाव होता है #जैसे:- जातक के ऊपर किसी बलवान और शुभ फल देने वाले ग्रह की दशा चल रही हो तब ऐसी स्थिति में उसके फल शुभ मिलेंगे लेकिन यदि वही गोचर में उस समय जिस समय जातक के ऊपर उस ग्रह की दशा चल रही है वह ग्रह गोचर में अस्त हो जाए, अपनी नीच राशि में चला जाए, पाप ग्रहो से पीड़ित हो या पाप ग्रह होकर अशुभ योग बना रहा तो तब ग्रह दशा बलवान और शुभ होने पर भी उस ग्रह की दशा कुछ खास अच्छा फल नही देगी क्योंकि कारण ग्रह गोचर में ख़राब स्थिति में है।। #जैसे:- जातक शारीरिक रूप से कितना भी स्वस्थ और बलवान क्यों न हो? लेकिन किसी समय वह बीमार पड़ जाए तब वह शारीरिक रूप से स्वास्थ्य और बलवान होकर भी वह जातक जिस समय बीमार होगा उस समय शारीरिक/मानसिक रूप से अच्छी स्थिति में नही होने से वह सही तरह से काम नही कर पाएगा।इसी तरह ग्रह का होता है जब वह गोचर में अस्त, नीच या पीड़ित हो जाता है तब ऐसे ग्रह की स्थिति कुंडली में अच्छी होने पर भी या उसकी अच्छी ग्रह चलने पर भी अच्छे फल उस समय नही देगा जब वह ग्रह गोचर में ख़राब स्थिति में होगा अगर अच्छी स्थिति में होगा तब फल बढ़िया देगा।। * दूसरा ग्रह गोचर समय में अपने फल देता है जैसे दशमेश गुरु हो और इसका शुभ गोचर दसम भाव पर हो या गोचर में दसवे भाव को देखेगा तब यह उस समय जातक को नोकरी या व्यवसाय में उन्नति देगा या नोकरी/व्यवसाय न होने पर नोकरी/व्यवसाय होने के रास्ते खोलेगा क्योंकि जन्मकुंडली में गुरु का सम्बन्ध दशम भाव से है और गोचर में भी यह दशम भाव को देखने से दशम भाव को प्रभावित करेगा इस कारण नोकरी या व्यवसाय में लाभ देगा आदि।अक्सर होता कि अमुक ग्रह का गोचर है यह फल देगा सप्तम भाव को गुरु देखेगा तो शादी के योग बना देगा ऐसा तब ही होता है ग्रह के गोचर में जब उस भाव से जन्मकुंडली में ग्रह का सम्बन्ध हो जिस भाव को वह गोचर में देखे या भाव में गोचर करे।। #जैसे:- अक्सर कह दिया जाता है गुरु जातक के सप्तम भाव को देखेगा गोचर में तो शादी करायेगा क्योंकि गुरु विवाह का कारक है लेकिन शादी गोचर में सप्तम भाव को देखने पर तब ही कराता है जब गुरु का सम्बन्ध जन्मकुंडली में सप्तम भाव या सप्तमेश से हो क्योंकि किसी भी ग्रह का गोचर फल तब ही ज्यादा फलित होता है जब वह जन्म समय पर भी उस भाव को प्रभावित कर रहा हो जिस भाव को गोचर में प्रभावित कर रहा है।इसी कारण हर एक जातक की कुंडली में जातक की कुंडली में ग्रहो की स्थिति क्या और कैसी है? उसी के अनुसार गोचर का ग्रह फल देता है।। इस तरह से ग्रह कागोचर और ग्रह की दशाये दोनों अनुकूल चल रहे हो तब सम्बंधित ग्रह के फल पूरी तरह से फलित होते है और फल बहुत गहराई से मिलता है आदि।कभी-कभी ऐसा होता है ग्रह दशा चल रही थी लेकिन फल उस ग्रह का नही मिला जो मिलना चाहिए था इसका मतलब यही होता है कि गोचर में वह ग्रह फल देने में सक्षम नही था आदि।।

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