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🥀शक्तिवर्धक कुछ खास प्रयोग जो दिमाग व शरीर को बनाते है मजबूत
🌸विद्यार्थियों के लिये बुद्धि वर्धक (buddhi vardhak) योग :

★ २५० ग्राम बबूल की गोंद घी में सेंककर बारीक पीस लें |
★ इसमें बराबर मात्रा में पिसी हुई मिश्री मिला लें |
★ १२५ ग्राम बीज निकाले हुए मुनक्के और ५०० ग्राम छिलके उतारे हुए भिगोये बादाम कूट के इसमें मिला लें |

🌷सुबह १ चम्मच (१० – १५ ग्राम) मिश्रण खूब चबा – चबाकर खायें | साथ में एक गिलास मिश्री डालकर दूध घूँट – घूँट पियें | इसके बाद २ घंटे तक कुछ नहीं खायें | जब खूब अच्छी भूख लगे, तभी भोजन करें | यह लोग हड्डियों की मजबूती के साथ ही दिमागी ताकत और तरावट के लिए भी बहुत गुणकारी है | बौद्धिक कार्य करनेवालों व विद्यार्थियों के लिए यह योग विशेष लाभकारी है |

🌼शक्तिवर्धक (shakti vardhak)पुष्टिकारक खीर :

★ २ छोटे चम्मच सिंघाड़े का आटा, २ चम्मच घी व स्वादानुसार मिश्री लें |स्नेहा आयुर्वेद ग्रुप
★ सिंघाड़े के आटे को मंद आँच पर लाल होने तक भुनें | जब अच्छी तरह भुन जाय,
★ तब ३०० मि. ली. दूध डालकर पकायें |
★ तैयार होने पर मिश्री, इलायची मिला लें |

🌾यह स्वादिष्ट तथा पौष्टिक खीर है | यह प्रयोग गर्भिणी व प्रसूता माताओं के लिए विशेष लाभदायी है |

🥀बल्य और पुष्टिकारक प्रयोग :

🌻★ पके हुए १ केले का गूदा, १ चम्मच शहद व थोड़ी – सी मिश्री एक साथ घोंट लें
★ और १ चम्मच आँवले का रस मिलाकर खायें |

🌾इससे वीर्यस्त्राव तथा वीर्य-विकार में लाभ होता है | बल बढ़ता(Bal vardhak) है व वीर्य गाढ़ा होता है |

🌻ध्यान दें : प्रयोगों में दिये गये द्रव्यों की मात्रा अपनी पाचनशक्ति के अनुसार लें | इन दिनों भोजन सुपाच्य व खुलकर भूख लगने पर ही करें | दूध के सेवन के बाद २ घंटे तक कुछ न लें ।
[: 🍁शरीर का कंपन या पार्किन्सन रोग क्या है ?

🌷★ हाथ-पैरों के डोलने का रोग वायु के कारण उत्पन्न होने वाला रोग है।
🌷★ इस रोग के होने पर रोगी का पूरा शरीर हिलता रहता है। इस रोग में रोगी का शरीर बाईं से दाईं और दाईं से बाईं ओर लुढ़कता रहता है।
🌷★ रोगी चलने के लिये कदम उठाता है तो अपने पैरों की अंगुलियों को जमीन पर घिसता हुआ चलता है। रोगी को अगर आंख बंद करके चलाया जाता है तो वह 2 कदम भी नहीं चल सकता है।

🌺हाथ पैर का हिलना रोग का आयुर्वेदिक घरेलु उपचार :

🥀1. ज्योतिष्मती- ज्योतिष्मती (मालकांगनी) के बीजों के काढ़े में 2 से 4 लोंग डालकर 40 मिलीलीटर की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से हाथ-पैरों के डोलने के रोग में लाभ पहुंचता है।

2🥀. सेंधानमक- 10 ग्राम सेंधानमक को 250 मिलीलीटर पानी में मिलाकर घोलकर उस घोल को पैरों के एक स्थान पर डालने से पैरो की मांसपेशियां काफी मजबूत होती है। इससे रोगी को काफी लाभ मिलता है। सेंधानमक रक्तसंचार (बल्डप्रेशर) को बढ़ाकर कोशिकाओं को स्वस्थ रखता है।

🍂3. अगर- लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग अगर को रोजाना सुबह-शाम सेवन करने से हाथ-पैरों के डोलने के रोगी को लाभ मिलता है।

4🏵️. कुसुम- कुसुम के पंचाग (तना, फूल, पत्ती, जड़ फल) से प्राप्त तेल को सरसों के तेल में मिलाकर हाथ-पैरों पर मालिश करने से हाथ-पैरों के डोलने के रोग में लाभ होता है।

🌷5. पीपल- पहले दिन पीपल को शहद और शर्करा में अच्छी तरह से मिलाकर रोगी को दें। उसके बाद प्रतिदिन 3 पीपलों की मात्रा बढ़ाते जाएं। इस तरह 10 दिन में 30 पीपलों को फेंट लें। इसके बाद ग्यारहवें दिन से 3 पीपल कम करते जायें। अन्तिम दिन 3 पीपलों को फेंट लें। इससे हाथ पैरों का डोलने का रोग ठीक हो जाता है।

🏵️6. लहसुन- बायविडंग में लहसुन के रस को पकाकर सेवन करने से हाथ-पैरों के डोलने के रोग में हाथ व पैर का हिलना बंद हो जाता है। लहसुन से प्राप्त तेल रोगी के लिये बहुत उपयोगी होता है।

🏵️7. कालीमिर्च- कालीमिर्च से प्राप्त तेल की मालिश रोगी के दोनों पैरों पर दिन में कम से कम 2 बार करने से हाथ-पैरों के डोलने के रोगी को आराम मिलता है।

8🌸. अमलतास- लुढ़ककर चलने वाले रोगी को अमलतास के पत्तों का रस 100 से 200 मिलीलीटर की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से लाभ होता है। इसके रस से पैरों की अच्छी तरह से मालिश करने से लाभ होता है।
[पेट के कीड़ों के लिए घरेलु उपचार
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गंदा और अशुद्ध भोजन के सेवन से आंत में कीड़े पड़ जाते हैं, इसके कारण पेट में गैस, बदहजमी, पेट में दर्द, बुखार जैसी समस्‍यायें होती हैं, इन कीड़ों को निकाने के लिए घरेलू उपचार आजमायें।

पेट में कीड़े पड़ जायें तो यह बहुत ही दुखदायी होता है। यह समस्‍या सबसे अधिक बच्‍चों में होती है लेकिन बड़ों की आंतों में भी कीड़े हो सकते हैं। ये कृमि लगभग 20 प्रकार के होते हैं जो अंतड़ियों में घाव पैदा कर सकते हैं।

इसके कारण रोगी को बेचैनी, पेट में गैस बनना, दिल की धड़कन असामान्‍य होना, बदहजमी, पेट में दर्द, बुखार जैसी कई प्रकार की समस्‍यायें होती हैं। इसके कारण रोगी को खाने में रुचि नहीं होती और उसे चक्‍कर भी आते हैं। गंदगी के कारण ही पेट में कीड़े होते हैं। अशुद्ध और खुला भोजन करने वालों को यह समस्‍या अधिक होती है। घरेलू उपचार के जरिये इस समस्‍या का इलाज किया जा सकता है।

अजवायन👇
अजवायन का सेवन करने से पेट के कीड़े मर जाते हैं। इसके लिए अजवायन का चूर्ण आधा ग्राम और उतना ही गुड़ में गोली बनाकर दिन में तीन बार इसका सेवन मरीज को करायें। अजवायन में एंटी-बैक्‍टीरियल तत्‍व पाये जाते हैं जो कीडों को समाप्‍त कर देते हैं। अजवायन का सेवन सेव 2-3 दिन करने पर कीड़े पेट से पूरी तरह से समाप्‍त हो जायेंगे।

काला नमक 👇
चुटकी भर काला नमक और आधा ग्राम अजवायन चूर्ण मिला लीजिए, इस चूर्ण को रात के समय रोजाना गर्म पानी से लेने से पेट के कीड़े निकल जाते हैं। अगर बड़ों को यह समस्‍या है तो काला नमक और अजवायन दोनों को बराबर मात्रा में लीजिए। सुबह-शाम इसका सेवन करने से पेट के कीड़े दूर हो जायेंगे।

अनार के छिलके 👇
बच्‍चों और बड़ों दोनों में पेट के कीड़े हो जायें तो यह बहुत ही फायदेमंद उपचार है। अनार के छिलकों को सुखाकर इसका चूर्ण बना लीजिए। यह चूर्ण दिन में तीन बार एक-एक चम्मच लीजिए। कुछ दिनों तक इसका सेवन करने से पेट के कीड़े पूरी तरह से नष्‍ट हो जाते हैं।

नीम के पत्‍ते 👇
नीम के पत्‍तों का सेवन करने से पेट की हर तरह की समस्‍या दूर हो जाती है। नीम के पत्‍ते एंटी-बॉयटिक होते हैं जो पेट के कीड़ों को नष्‍ट कर देते हैं। नीम के पत्‍तों को पीसकर उसमें शहद मिलकार पीने से जल्‍दी फायदा होता है और कीड़े नष्‍ट हो जाते हैं। सुबह के वक्‍त इनका सेवन करना अधिक फायदेमंद होता है।

टमाटर के जरिये 👇
टमाटर का प्रयोग खाने का स्‍वाद बढ़ाने के साथ-साथ पेट के कीड़ों को नष्‍ट करने के लिए कर सकते हैं। टमाटर को काटकर, उसमें सेंधा नमक और कालीमिर्च का चूर्ण मिलाकर इसका सेवन कीजिए। इस चूर्ण का सेवन करने के बाद पेट के कीड़े मर कर गुदामार्ग से बाहर निकल जाते हैं।

लहसुन की चटनी 👇
पेट की समस्‍या दूर करने के साथ आंतों को पूरी तरह से साफ करने के लिए लहसुन का प्रयोग करें। अगर बच्‍चे या बड़े किसी को भी पेट में कीड़े हैं तो उसे लहसुन की चटनी खिलायें। लहसुन की चटनी बनाकर उसमें थोड़ा सा सेंधा नमक मिलाकर सुबह-शाम खाने से पेट के कीड़े नष्ट होते हैं।

तुलसी के पत्‍ते 👇
तुलसी भी एंटी-बैक्‍टीरियल होती है, किसी भी प्रकार के संक्रमण के उपचार के लिए इसका प्रयोग कर सकते हैं। पेट में कीड़े होने पर तुलसी के पत्तों का एक चम्मच रस दिन में दो बार पीने से पेट के कीड़े मरकर मल के साथ बाहर निकल जाते हैं। इसका सेवन करने से आंत पूरी तरह से साफ हो जाती है और पेट में गैस और कब्‍ज की भी शिकायत नहीं होती है।

कच्‍चे आम की गुठली 👇
बच्‍चों या बड़ों की आंत में कीड़े पड़ गये हों तो कच्‍चे आम की गुठली का सेवन करने से कीड़े मल के रास्‍ते बाहर निकल जाते हैं। इसके लिए कच्चे आम की गुठली का चूर्ण दही या पानी के साथ सुबह-शाम सेवन करें। इसके नियमित सेवन से कुछ दिनों में ही आंत के कीड़े बाहर निकल जायेंगे।

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: 🍂अमृतधारा क्या है ?

🍂अमृत धारा आयुर्वेद की एक बहुत ही जानी-मानी औषधि है जो कई बीमारियों का आसानी से उपचार कर देती है ।
🌾बदलते मौसम ,गर्मी की तपन , लू, धूल भरी हवाओं, खान-पान में गड़बड़ी के कारण सिरदर्द, उल्टी, अपच, हैजा, दस्त, बुखार, शरीर में दर्द,अजीर्ण जैसे रोग घेर लेतें हैं। ऐसे में आयुर्वेदिक औषधि ‘अमृतधारा’ इन रोगों में रामबाण की तरह सहायक हो सकती है। इस दवा की दो-चार बूंदें एक कप सादे पानी में डालकर पीने मात्र से ही तुरन्त लाभ मिलता है। सिरदर्द हो, जहरीला ततैया काट ले तो इसे लगाने मात्र से ठीक हो जाता है। गले के दर्द व सूजन में गरारे करने पर तुरंत लाभ मिलता है । दवा पूरे परिवार के लिए लाभदायक है क्योंकि यह पूर्ण प्राकृतिक हैं।

🏵️अमृतधारा बनाने की विधि :

🌺पहली विधि :

✦सत पैदीना
✦सत अजवाइन
✦कपूर

🍂तीनो को बराबर मात्रा में मिलाने से औषधि बन जाती है।
ये तीनों किसी भी अत्तार की दुकान से उपलब्ध हो सकते हैं। एक काँच की शीशी में तीनों को सम मात्रा में मिलाकर ठण्डे स्थान पर रखें। प्लास्टिक की शीशी में इसे कदापि न रखें।

🌺दूसरी विधि :

✦50 ग्राम पिपरमेंट
✦50 ग्राम अजवाइन पाउडर
✦50 ग्राम लाल इलाइची
✦50 ग्राम देशी कपूर
✦20 मिली लीटर लौंग का तेल
✦20 मिली लीटर दालचीनी का तेल

🌻सारी समाग्री को मिलाकर शीशी में रख दें ।

🌷अमृतधारा सेवन विधि :

🌾अमृतधारा की 4 बूंदे 1 कप पानी में डालकर उपयोग करें |

🌹अमृतधारा के फायदे :

🌼1-अमृतधारा कई बीमारियों में दी जाती है, जैसे बदहजमी, हैजा और सिर-दर्द।

🌺2-बदहजमी-थोड़े से पानीमें तीन-चार बूंद अमृतधारा की डालकर पिलाने से बदहजमी, पेट-दर्द, दस्त, उलटी ठीक हो जाती है। चक्कर आने भी ठीक हो जाते हैं।

🌻3-हैजा-एक चम्मच प्याजके रसमें दो बूंद अमृतधारा डालकर पीने से हैजा में फायदा होता है। स्नेहा समूह

💐4- सिर दर्द-अमृतधाराकी दो बूंद ललाट और कान के आस-पास मसलने से सिर-दर्द में फायदा होता है।

💐5-छाती का दर्द-मीठे तेल में अमृतधारा मिलाकर छाती पर मालिश करने से छातीका दर्द ठीक हो जाता है।

🌹6- जुकाम- सूंघने पर साँस खुलकर आता है तथा जुकाम ठीक हो जाता है।स्नेहा आयुर्वेद ग्रुप

🍃7-मुह के छाले –थोड़े से पानीमें एक-दो बूंद अमृतधारा डालकर छालों पर लगानेसे फायदा होता है।

8🌸 -दाँत दर्द- दाँत-दर्द में अमृतधारा का फाया रखकर दबाये रखने से राहत मिलती है।

🌹9-खाँसी- चार-पाँच बूंद अमृतधारा हलके गर्म पानी में डालकर सुबह-शाम कुछ दिन पीने से श्वास, खाँसी, दमा और क्षय-रोग में फायदा होता है

1🌻0-हृदय रोग – आँवले के मुरब्बे में तीन-चार बूंद अमृतधारा डालकर खिलाने से दिल के रोग में राहत मिलती है।

1🍂1-पेट दर्द –बताशे में दो बूंद अमृतधारा डालकर खानेसे पेटके दर्द में आराम मिलता है।

🌷12-मन्दाग्नि-भोजन के बाद दोनों वक्त ठंडे पानी में दो-तीन बूंद अमृत धारा डालकर पीने से मन्दाग्नि, अजीर्ण, बादी,बदहजमी एवं गैस ठीक हो जाती है।

1🌹3 -कमजोरी-दस ग्राम गाय के मक्खन और पाँच ग्राम शहद में तीन बूंद अमृतधारा मिलाकर प्रतिदिन खानेसे शरीरको कमजोरी में फायदा होता है।

🏵️14-हिचकी-अमृतधारा की एक-दो बूंद जीभ में रखकर, मुँह बंद करके सूंघने से चार मिनटमें ही हिचकी में फायदा | होता है।

🌷15-खुजली-दस ग्राम नीम के तेल में पाँच बूंद अमृतधारा मिलाकर मालिश करनेसे, हर तरहकी खुजली में फायदा होता है।स्नेहा समूह

🏵️16-मधुमक्खी के काटने पर – ततैया, बिच्छू, भंवरा या मधुमक्खी के काटने की जगहपर अमृतधारा मसलने से दर्द में राहत मिलती है।

1🏵️7-बिवाई- दस ग्राम वैसलीनमें चार बूंद अमृतधार मिलाकर, शरीर के हर तरहके दर्दपर मालिश करने दर्द में फायदा होता है। फटी बिवाई और फटे होंठों पर लगानेसे दर्द ठीक हो जाता है तथा फटी चमडी जुड़ जाती है।

🥀18-यकृत की वृद्धि-अमृतधारा को सरसों के चौगुने तेल में मिलाकर जिगर-तिल्ली पर मालिश करने से यकृत की वृद्धि दूर होती है।

🍁अमृतधारा के नुकसान (दुष्प्रभाव) :

🥀• यह अधिक मात्रा में लेने पर दस्त का कारण बन सकता है।
🥀• कुछ लोगों को इसके उपयोग के कारण चक्कर आ सकते है।

💐सावधानियां :

• उपयोग करने से पहले चिकित्सक की सलाह आवश्यक है।
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(डॉयबिटीज) मधुमेह की प्रमाणिक व स्वानुभूत चिकित्सा विधि से आप स्वास्थ्य प्राप्त कर रोगमुक्त होंगे-

दिव्य वसन्त कुसुमाकर रस – 2 ग्राम
दिव्य अभ्रक भस्म – 5 ग्राम
दिव्य स्वर्णमाक्षिक भस्म – 5 ग्राम
दिव्य अमृतासत् – 20 ग्राम
दिव्य प्रवाल पंचामृत – 10 ग्राम
दिव्य मोती पिष्ठी – 4 ग्राम
इन सभी औषधियों को मिलाकर 60 पुड़ियां बनाएं – प्रातः नाश्ते एवं रात्रि-भोजन से आधा घण्टा पहले मलाई से सेवन करें।

दिव्य मधुनाशिनी वटी – 120 गोली
2-2 गोली प्रातः सायं खाली पेट चबाकर जल से सेवन करें।

दिव्य आरोग्यवर्धिनी वटी- 40 ग्राम
दिव्य गिलोय घनवटी- 40 ग्राम
1-1 गोली दिन में दो बार भोजन के आधे घण्टे बाद गुनगुने जल से सेवन करें।

दिव्य चन्द्रप्रभा वटी – 60 ग्राम
दिव्य मधुकल्प वटी – 60 ग्राम
2-2 गोली दिन में दो बार भोजन के आधे घण्टे बाद गुनगुने जल से सेवन करें।

दिव्य शिलाजित सत् – 60 ग्राम, 1-1 बूँद दूध से लें ।

नोट :- करञ्ज बीज चूर्ण को आधा-आधा चम्मच की मात्र में प्रातः सायं भोजन से पहले सेवन करने से विशेष लाभ होता है, रोगियों से प्रार्थना है की तीव्रता व जीर्णता की स्थिति में चिकित्सकीय परामर्श के अनुसार ही औषध सेवन करें,

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: 💐विभिन्न भाषाओं में जीरे के नाम :
संस्कृत जीरू।
🍃हिन्दी जीरा, सफेद जीरा।
🍁अग्रेजी क्यूमिसीड।
🌻गुजराती जीरू।
🌻मराठी जिर्रे।
🌺बंगाली जीरा।
🌻फारसी जीरए सफेद।
🌻तेलगू जीलकरी।
अरबी कम्मून, अव्यज।
🌷🌷विभिन्न रोगों में उपयोग :
🍁1. दांतों का दर्द:
काले जीरे के उबले हुए पानी से कुल्ला करने से दांतों का दर्द दूर होता है।
3 ग्राम जीरे को भूनकर चूर्ण बना लें तथा उसमें 3 ग्राम सेंधानमक मिलाकर बारीक पीसकर मंजन बना लें। इस मंजन को मसूढ़ों पर मलने से सूजन और दांतों का दर्द खत्म होता है।
🌷2. पेशाब का बार-बार आना: जीरा, जायफल और काला नमक 2-2 ग्राम की मात्रा में कूट पीसकर चूर्ण बना लें, फिर इस मिश्रण को अनन्नास के 100 मिलीलीटर रस के साथ खाने से लाभ मिलता है।
🌺3. मुंह की बदबू: मुंह में बदबू आती हो तो जीरे को भूनकर खाएं। इस प्रयोग से मुंह की बदबू दूर हो जाती है।
💐4. मलेरिया का बुखार:
एक चम्मच जीरे को पीसकर, 10 ग्राम गुड़ में मिला दें। इसकी 3 खुराक बनाकर बुखार चढ़ने से पहले, सुबह, दोपहर और शाम को दें।
1 चम्मच जीरा बिना सेंका हुआ पीस लें। इसका 3 गुना गुड़ इसमें मिलाकर 3 गोलियां बना लें। निश्चित समय पर ठण्ड लगकर आने वाले मलेरिया के बुखार के आने से पहले 1-1 घण्टे के बीच गोली खाएं कुछ दिन रोज इसका प्रयोग करें। इससे मलेरिया का बुखार ठीक हो जाता है।
काला जीरा, एलुआ, सोंठ, कालीमिर्च, बकायन के पेड़ की निंबौली तथा करंजवे की मींगी को पीसकर छोटी-छोटी गोलियां बना लें। इसे दिन में 3-3 घंटे के अन्तर से 1-1 गोली खाने से मलेरिया का बुखार दूर हो जाता है।
🌼5. पुराना बुखार: कच्चा पिसा हुआ जीरा 1 ग्राम इतने ही गुड़ में मिलाकर दिन में 3 बार लगातार सेवन करें। इससे पुराना से पुराना बुखार भी ठीक हो जाता है।
6🌻. पाचक चूरन: जीरा, सोंठ, सेंधानमक, पीपल, कालीमिर्च प्रत्येक सभी को समान मात्रा में लेकर बारीक पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 1 चम्मच खाना खाने के बाद ताजा पानी के साथ खाने से भोजन जल्दी पच जाता है।
💐7. खूनी बवासीर: जीरा, सौंफ, धनिया को एक-एक चम्मच लेकर 1 गिलास पानी में उबालें, जब आधा पानी बच जाये तो इसे छान लें, फिर इसमें 1 चम्मच देशी घी मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से बवासीर में रक्त गिरना बंद हो जाता है। यह गर्भवती स्त्रियों के बवासीर में ज्यादा फायदेमंद होता है।
🥀8. चेहरा साफ करने के लिए: जीरे को उबालकर उस पानी से मुंह धोएं इससे चेहरे की सुन्दरता बढ़ जाती है।
🌺9. खुजली और पित्ती: जीरे को पानी में उबालकर, उस पानी से शरीर को धोने से शरीर की खुजली और पित्ती मिट जाती है।
🥀10. पथरी, सूजन व मुत्रावरोध: इन कष्टों में जीरा और चीनी समान मात्रा में पीसकर 1-1 चम्मच भर ताजे पानी से रोज 3 बार खाने से लाभ होता है।
🌻11. स्तनों में गांठे: दूध पिलाने वाली महिलाओं के स्तन में गांठ पड़ जाये तो जीरे को पानी में पीसकर स्तन पर लगायें। फायदा पहुंचेगा।
1💐2. स्तनों का जमा हुआ दूध निकालना: जीरा 50 ग्राम को गाय के घी में भून पीसकर इसमें खांड 50 ग्राम की मात्रा में मिला देते हैं। इसे 5-5 ग्राम की मात्रा में सुबह दूध के साथ प्रयोग करना चाहिए। इससे गर्भाशय भी शुद्ध हो जाता है और छाती में दूध भी बढ़ जाता है।
🍁13. स्तनों में दूध की वृद्धि:
सफेद जीरा, सौंफ तथा मिश्री तीनों का अलग-अलग चूर्ण समान मात्रा में मिलाकर रख लें। इसे एक चम्मच की मात्रा में दूध के साथ दिन में तीन बार देने से प्रसूता स्त्री के दूध में अधिक वृद्धि होती है।
सफेद जीरा तथा सांठी के चावलों को दूध में पकाकर पीने से कुछ ही दिनों में स्तनों का दूध बढ़ जाता है।
125 ग्राम जीरा सेंककर उसमें 125 ग्राम पिसी हुई मिश्री मिला लें। इसको 1 चम्मच भर रोज सुबह और शाम को सेवन करें। इससे स्तनों में दूध की वृद्धि होती है।
🌺14. अजीर्ण: 3 से 6 ग्राम भुने जीरे एवं सेंधानमक के चूर्ण को गर्म पानी के साथ दिन में 3 बार जरूर लें। इससे अजीर्ण का रोग समाप्त हो जाता है।
1🌸5. पेचिश: सूखे जीरे का 1-2 ग्राम पाउडर, 250 मिलीलीटर मक्खन के साथ दिन में चार बार लें। इससे पेचिश ठीक हो जाती है।
1💐6. खट्टी डकारें: 5-10 ग्राम जीरे को घी में मिलाकर गर्म कर लें, इसे भोजन के समय चावल में मिलाकर खाने से खट्टी डकारे आना बंद हो जाती हैं।
🍁17. खांसी: जीरे का काढ़ा या इसके कुछ दानों को चबाकर खाने से खांसी एवं कफ दूर होता है।
💐18. रतौंधी:
जीरा, आंवला और कपास के पत्तों को मिलाकर ठण्डे पानी में पीसकर लेप बना लें। कुछ दिनों तक लगातार इस लेप को सिर पर लगाकर पट्टी बांधने से रतौंधी दूर होती है।
जीरे का चूर्ण बनाकर सेवन करने से रतौंधी (रात में दिखाई न देना) में लाभ होता है।
🌻19. बिच्छू का जहर: जीरे और नमक को पीसकर घी और शहद में मिलाकर थोड़ा-सा गर्म करके बिच्छू के डंक पर लगायें।
🍂20. बुखार: जीरे का 5 ग्राम चूर्ण पुराने गुड़ के साथ मिलाकर गोलियां बनाकर खाने से बुखार व जीर्ण बुखार उतर जाता है।
🌺21. अम्लपित्त के कारण सीने में जलन: अम्लपित्त के कारण भोजन के बाद होने वाली छाती की जलन में धनिया और जीरे का चूर्ण एक साथ लेने से लाभ मिलता है।
🌸22. आंख की रोशनी: जीरे को रोज खाने से गर्मी दूर होती हैं और आंखों की रोशनी भी बढ़ाती है।
2🌸3. विष: जीरा और शक्कर पानी में भिगोकर 7 दिनों तक सेवन करने से हरताल का विष नष्ट होता है। हरताल, सोमल, मन:शिला आदि के विष पर जीरे का उपयोग फायदेमंद है।
2🌷4. अंडकोष की सूजन:
10-10 ग्राम जीरा, कालीमिर्च पीसकर पानी में उबालकर उस पानी से अण्डकोषों को धोने से सूजन मिट जाती है।
10-10 ग्राम जीरा और अजवायन पानी में पीसकर थोड़ा गर्म कर अंडकोष पर लेप करने से अंडकोष की वृद्धि रुक जाती है।
🌺25. अंडकोष की जलन: सफेद जीरा के चूर्ण को शराब में मिलाकर लेप करने से अंडकोष की जलन, सूजन और दर्द में आराम मिलता है।
🌺26. दमा का रोग: दमा होने पर जीरा, कालीमिर्च, नमक और मट्ठा मिलाकर सेवन करना चाहिए।
🌻27. डकार आना: 1 चम्मच पिसा हुआ जीरा सेंककर, 1 चम्मच शहद में मिलाकर खाना खाने के बाद चाटने से डकारों में लाभ होता है।
2🍂8. गर्भाशय का बढ़ा हुआ मांस: काला जीरा और हाथी के नख को महीन पीसकर एरण्ड (अरण्डी) के तेल मिला लें। फिर उसमें रूई का फोहा भिगोकर तीन दिन तक योनि में रखना चाहिए। इससे गर्भाशय का बढ़ा हुआ मांस ठीक हो जाता है।
🍁29. बांझपन दूर करना:
अगर औरत की कमर में दर्द हो रहा हो समझ लेना चाहिए कि उसके गर्भाशय के अन्दर का मांस बढ़ गया है। इसके लिए हाथी के खुर को पूरी तरह जलाकर बिल्कुल बारीक पीसकर चूर्ण बना लें, फिर 5 ग्राम चूर्ण को काला जीरा के साथ मिलाकर इसमे अरण्डी का तेल भी मिला लें। इस तेल को एक रूई के फोये में लगाकर योनि में गर्भाशय के मुंह पर लगातार 3 दिन तक रखने से बांझपन दूर होता है।
यदि स्त्री के पेट में दर्द हो तो समझना चाहिए कि गर्भाशय में जाला है। इसके लिए काला जीरा, सुहागा भुना हुआ, बच, कूट 5-5 ग्राम लेकर बारीक पीस लें, फिर इस एक ग्राम दवा को पानी तरकर रूई में लगाकर योनि में गर्भाशय के मुंह पर तीन दिन तक लगातार रखना चाहिए।
3🥀0. कब्ज (कोष्ठबद्वता):
भुना जीरा 120 ग्राम, धनिया भुना हुआ 80 ग्राम, कालीमिर्च 40 ग्राम, नमक 100 ग्राम, दालचीनी 15 ग्राम, नींबू का रस 15 मिलीलीटर, देशी खांड 200 ग्राम आदि को बारीक पीसकर चूर्ण बना लें, इसमें से दो ग्राम की खुराक बनाकर सुबह के समय सेवन करने से कब्ज नष्ट होती है और भूख बढ़ती है।स्नेहा समूह
25 ग्राम काला और सफेद भुना हुआ जीरा, पीपल 25 ग्राम, सौंठ 25 ग्राम, कालीमिर्च 25 ग्राम और कालानमक 25 ग्राम को मिलाकर पीसकर रख लें, बाद में 10 ग्राम भुनी हुई हींग को पीसकर मिला दें। फिर इस बने चूर्ण में नींबू का रस मिलाकर छोटी-छोटी बराबर गोलियां बनाकर सुखाकर खाना खाने के बाद दो गोलियां खुराक के रूप में सेवन करें। इससे कब्ज दूर होती है।
🌺31. पेट की गैस बनना: जीरा, सोंठ, बच और भुनी हींग को पीसकर चूर्ण बनाकर रख लें। इस बने चूर्ण को 6 ग्राम की मात्रा में पानी के साथ सेवन करने से लाभ होता है।
3🍃2. वमन (उल्टी):
कदम के छाल के रस को अगर जीरे और मिश्री के साथ पिलाया जाए तो उल्टी के साथ-साथ बुखार और दस्त हो तो वह भी ठीक हो जाता है।
एक चम्मच भुने जीरे के बारीक चूर्ण में एक चम्मच शहद को मिलाकर रोजाना खाना खाने से बाद लें। इससे उल्टी ठीक होती है।
🍁33. मुंह के छाले: जीरा को भूनकर और सेंधानमक जीरे के बराबर मिलाकर पीस लें। इसे मुंह में लगाने से छाले ठीक होते हैं।
🍂34. दस्त:
सफेद जीरा के बारीक चूर्ण को आधा से 2 ग्राम की मात्रा में दही के साथ रोजाना 2 से 3 बार खायें। इससे दस्त, भोजन का न पचना और भूख के कम लगने की बीमारी ठीक होती है।
सेंके हुए जीरे में आधी चम्मच की मात्रा में शहद को डालकर रोजाना 1 दिन में चाटें।
पतले दस्त होने पर जीरे को सेंक कर, पीसकर आधा चम्मच शहद में मिलाकर 4 बार रोज चाटें।
खाना खाने के बाद छाछ में सेंका हुआ जीरा, कालानमक मिलाकर पीएं। इससे दस्त बंद हो जाएंगे।
खाना खाने के बाद छाछ में सिंका हुआ जीरा को काले नमक में डालकर खाने से दस्त में लाभ मिलता है।
एक चम्मच जीरा, 2 कली लहसुन की पुती, एक चम्मच सोंठ, एक चम्मच सौंफ, 2 लौंग और अनार के फल के 4 दानों को डालकर भूनकर पीस लें, फिर इस बने चूर्ण को आधी चम्मच की मात्रा में एक दिन में 3 बार सेवन करने से दस्त में लाभ मिलता है।
जीरा और चीनी को बारीक पीसकर चूर्ण बनाकर 1 चम्मच की मात्रा में छाछ के साथ पिलाने से अतिसार का बार-बार आना बंद हो जाता है।
🍂35. हिचकी का रोग:
आधा से 2 ग्राम सफेद जीरा सुबह-शाम घी के साथ सेवन करने से हिचकी की बीमारी दूर होती है।
जीरे की बीड़ी बनाकर पीने से हिचकी बंद हो जाती है।
सिरका में जीरा डालकर उबाल लें। इसे छानकर पीयें। इससे हिचकी में लाभ होता है।
जीरे और पिप्पली को पीसकर पाउडर बना लें। इसमें थोड़ा मोरपंख भस्म मिला लें। इसे लगभग 2 ग्राम शहद के साथ सेवन करें। इससे हिचकी आना बंद हो जायेगा।
आधे से 2 ग्राम सफेद जीरा घी के साथ सुबह-शाम सेवन करने से हिचकी में लाभ होता है। इसका धूम्रपान भी हिचकी में लाभदायक होता है।
🌷36. गर्भपात करना: काला जीरा 320 मिलीग्राम से 640 मिलीग्राम की मात्रा में पीसकर गर्म पानी के साथ पीने से रुकी हुई माहवारी शुरू हो जाती है इसे अधिक मात्रा में देने से गर्भपात हो जाता है।
🥀37. मुंह के रोग: मुंह के छाले में काला जीरा, कूठ एवं इन्द्रजौ इन सब को मिलाकर चबाने से मुंह के छाले, मुंह का घाव तथा दुर्गन्ध दूर होती है।
3🌺8. मुंह की दुर्गन्ध: जीरा को भूनकर खाने से मुंह व सांसों की बदबू खत्म हो जाती है।
🥀39. गर्भवती स्त्री की उल्टी: जीरे को रेशमी कपड़े में लपेटकर बत्ती बना लें। इसे जलाकर इसका धुंआ सूंघने से पुरानी उल्टी भी बंद हो जाती है।
🌹40. मूत्र के साथ खून आना: सफेद जीरा आधे से 2 ग्राम की मात्रा में मिश्री के साथ पानी में घोंटकर रोज 2-3 बार लेने से लाभ होता है।
4🥀1. कान से कम सुनाई देना: थोड़े से जीरे को दूध के साथ फांकने से कम सुनाई देने का रोग दूर हो जाता है।
🥀42. जी मिचलाना: जीरे को नींबू के रस में भिगोकर छाया में सुखा लेते हैं। इसके बाद इसके सेवन से गर्भवती स्त्री का जी मिचलाना बंद हो जाता है।
🍃43. बवासीर (अर्श):
स्याहजीरा (काला जीरा) का काढ़ा बनाकर इससे बवासीर के मस्से को धोने से बवासीर में लाभ होता है।
जीरा और मिश्री को कूटकर पानी के साथ खाने से बवासीर (अर्श) के दर्द में आराम रहता है।
जीरा, सौंफ और धनिया 1-1 चम्मच लेकर 1 गिलास पानी में मिलाकर आधा पानी खत्म होने तक उबालें, फिर पानी को छानकर उस में 1 चम्मच घी मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से बवासीर रोग में आराम मिलता है।
काली जीरी (काला जीरा) 25 ग्राम को भूनकर उसमें बिना भूनी काली जीरी 25 ग्राम मिलाकर कूट-छान कर चूर्ण बना लें। यह 3 ग्राम चूर्ण रोज सुबह पानी के साथ लें।
4🍂🍂4. संग्रहणी: 5 ग्राम जीरा, छोटी हरड़, लहसुन की भुनी हुई पुती तीनों को तवे पर भूनकर पीस लें। इसे गर्म पानी से या मट्ठा (लस्सी) के साथ सेवन करने से संग्रहणी अतिसार के रोगी का रोग दूर हो जाता है।
🌾45. गुर्दे के रोग: काला जीरा 20 ग्राम, अजवायन 10 ग्राम, काला नमक 5 ग्राम पीसकर सिरके में मिलाकर 3-3 ग्राम सुबह-शाम लें।
🥀46. मासिक-धर्म सम्बंधी परेशानियां:
काला जीरा 5 ग्राम, अरण्डी का गूदा 10 ग्राम, सोंठ 5 ग्राम तीनों को बारीक पीसकर लेप तैयार कर लें। इसे पन्द्रह दिनों तक पेट पर लेप करना चाहिए। यह उपचार पन्द्रह दिनों तक प्रतिदिन करना चाहिए। इससे मासिक-धर्म खुलकर आने लगता है तथा इससे नसों की पीड़ा भी नष्ट हो जाती है।
काला जीरा 6 ग्राम, दालचीनी 6 ग्राम, सोंठ, चित्रक (चीता), सौंफ 6-6 ग्राम की मात्रा में लेकर 100 मिलीलीटर में उस समय तक उबालें जब 25 मिलीमीटर की मात्रा में शेष रह जाए। इसे 30 से 50 मिलीमीटर की मात्रा में दिन में दो-तीन बार सेवन करने से मासिक-धर्म में दर्द नहीं होता है।
🏵️47. आंव रक्त (पेचिश): 3 ग्राम काला जीरा और अनार के पत्तों को पानी में डालकर पीने से खूनी पेचिश के रोगी का रोग दूर हो जाता है।
🌹48. अग्निमान्द्य (हाजमे की खराबी):
10 ग्राम जीरा, 10 ग्राम सोंठ, 15 दाने पीपल और 20 दाने कालीमिर्च को बारीक पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें थोड़ा-सा सेंधानमक मिलाकर आधा-आधा चम्मच की मात्रा में सुबह और शाम गुनगुने पानी के साथ सेवन करने से लाभ होता है।
2 चम्मच जीरे को पानी में उबाल लें, जब पानी एक कप आधा रह जाए, तो इसे दिन में 3 बार खुराक के रूप में लेने से लाभ होता है।
जीरा, सोंठ, बच, भुनी हींग, कालीमिर्च, लौंग को 10-10 ग्राम की मात्रा में लेकर पीसकर चूर्ण बना लें, फिर इस चूर्ण में से चुटकी भर चूर्ण पानी के साथ सेवन करें।
जीरा 10 ग्राम, सेंधानमक 10 ग्राम या सज्जीखार 10 ग्राम, सोंठ 10 ग्राम, पीपल 10 ग्राम, मिर्च 10 ग्राम, काला नमक 10 ग्राम, अजमोद 10 ग्राम, हींग 10 ग्राम और हरड 10 ग्राम की मात्रा में लेकर पीसकर बारीक चूर्ण बना लें, इस बने चूर्ण में 40 ग्राम निशोथ मिलाकर 3-3 ग्राम गर्म पानी से दिन में दो बार सेवन करने से पेट की पाचनशक्ति बढ़ती है।
4🌺9. प्रदर रोग:
2 ग्राम सफेद जीरे का चूर्ण और 1 ग्राम मिश्री के चूर्ण को कडुवे नीम की छाल के काढे़ में मिलाकर शहद के साथ सेवन करने से श्वेतप्रदर नष्ट होता है।
जीरा और मिश्री को बराबर मात्रा में पीसकर चूर्ण बनाकर रख लें, फिर इस चूर्ण को चावल के धोवन के साथ सेवन करने से श्वेतप्रदर में लाभ मिलता है।
1 चम्मच जीरा लेकर तवे पर भून लें। फिर इसे पीसकर थोड़ी-सी चीनी मिलाकर फांक लें। इससे श्वेतप्रदर मिट जाता है।
5🍁0. पथरी: जीरे और चीनी को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर चूर्ण बना लें। 1-1 चम्मच चूर्ण दिन में तीन बार ठण्डे पानी के साथ फांकी लेने से पथरी ठीक होती है।
5🌺1. अम्लपित्त:
जीरा, धनिया और मिश्री तीनों को बराबर मात्रा में पीसकर मिलाकर 2-2 चम्मच सुबह और शाम भोजन के बाद ठण्डे पानी से फंकी लेने से अम्लपित्त ठीक हो जाता है।
जीरे के 5 ग्राम चूर्ण को गुड़ के साथ मिलाकर सेवन करें।
1 ग्राम जीरे में 1 ग्राम धनिया मिलाकर, थोड़ी-सी मात्रा में मिश्री मिलाकर लेने से अम्लपित्त ठीक हो जाता है।
जीरा और चीनी को मिलाकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को आधा चम्मच की मात्रा में दूध के साथ सेवन करें।
🌹40 ग्राम सफेद जीरा और 40 ग्राम धनिया लेकर पानी के साथ पीसकर 320 ग्राम घी में मिलाकर पका लें। इस मिश्रण को 6 ग्राम से 20 ग्राम तक की मात्रा में सेवन करने से अम्लपित्त की शिकायत मिट जाती है।
सफेद जीरा, काला जीरा, बच, भुनी हींग और कालीमिर्च को बराबर मात्रा में पीसकर चूर्ण बनाकर आधा-आधा चम्मच चूर्ण पानी के साथ सेवन करें।
🥀52. दर्द व सूजन: दर्द होने पर दो चम्मच जीरा एक गिलास पानी में डालकर गर्म करके सेंक करने से लाभ होता है। सेंक के बाद जीरा को पीसकर दर्द वाली जगह लेप करने से लाभ होता है।
5💐3. गर्मी अधिक लगना: जीरा, मिश्री, रीठा की फांट आदि मिलाकर शर्बत की तरह घोंटकर प्रतिदिन दो तीन बार सेवन करने से शरीर की जलन, प्यास और गर्मी आदि से शान्ति मिलती है। इससे पेशाब खुलकर व साफ आता है। जिसके कारण शरीर की गर्मी भी निकल जाती है।
🌻54. शीतपित्त:
जीरे को पानी में उबालकर उस पानी से नहाने से बदन की खुजली और पित्ती मिट जाती है।
जीरा, धनिया और सोंठ को 5-5 ग्राम मात्रा में लेकर पानी में उबालकर काढ़ा बना लें और इस काढे़ को पीने से शीत पित्त जल्दी ही खत्म होता है।
स्नान करते समय पानी में दो चम्मच जीरे का चूर्ण या एक नींबू निचोड़कर नहाना चाहिए। कड़वे जीरा का चूर्ण गुड़ के साथ खाने से बहुत ही लाभ होता है।
55💐. स्तनों का दर्द और सूजन: सफेद जीरे को शराब के साथ पीसकर स्तन पर लगाने से स्तनों का दर्द और सूजन समाप्त हो जाती है।
🥀56. मधुमेह के रोग: 10 ग्राम काला जीरा, 10 ग्राम मिर्च तथा तुलसी के 10-12 पत्ते लेकर इन्हें पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें थोड़ी सी कालीमिर्च डालकर चने के बराबर की गोलियां बना लें। इसकी 2-2 गोलियां रोजाना पानी के साथ सुबह के समय सेवन करने से मधुमेह रोग में लाभ होता है।
🥀57. स्तनों का उभार: काला जीरा आधे से 2 ग्राम की मात्रा में लेकर थोड़ी-सी मिश्री को डालकर पीने से स्तन पूरी तरह से विकसित हो हैं।
5🌹8. गिल्टी (ट्यूमर): जीरा, हाऊबेर, कड़वा कूट, गेहूं और बेर-इनको कांजी में पीसकर लेप करने से रोग में लाभ मिलता है।
🍃59. पेट के कीड़े:
काले जीरा का चूर्ण शहद के साथ मिलाकर पीने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
स्याह जीरे को उबालकर काढ़ा बना लें, इस काढ़े को पीने से पेट के कीड़े मिट जाते हैं।
🍂60. सभी प्रकार के दर्द: सफेद जीरा 40 ग्राम, अम्लवेत 20 ग्राम, काला नमक 10 ग्राम और कालीमिर्च 80 ग्राम को बारीक पीसकर चूर्ण बनाकर रख लें, फिर इस चूर्ण को नींबू के रस में मिलाकर छोटी-छोटी गोलियां बनाकर दिन में 2 बार गर्म पानी के साथ लेने से सभी दर्दों में लाभ होता है।
🌺61. नाक के रोग: जीरे का चूर्ण, घी और शक्कर को एक साथ मिलाकर खाने से पीनस (जुकाम) दूर हो जाता है।
6🍁2. श्वेतप्रदर: जीरा और मिश्री को बराबर मात्रा में पीसकर चूर्ण बनाकर रख लें, फिर इस चूर्ण को चावल के धोवन के साथ प्रयोग करने से श्वेतप्रदर में लाभ मिलता है।
🌾63. पेट में दर्द:
पिसा हुआ जीरा 2 ग्राम को शहद के साथ गुनगुने पानी में मिलाकर पीने से पेट के दर्द में आराम होता है।
सफेद जीरा को शराब के साथ पीसकर पेट पर लेप करने से पेट के दर्द में आराम होता है।
बारीक पिसा हुआ जीरा 3-3 ग्राम को गर्म के पानी के साथ दिन में दो बार सेवन करने से बदन दर्द और पेट के दर्द से छुटकारा मिलता है।
भुना काला जीरा 120 मिलीग्राम शहद के साथ सेवन करने से लाभ होता हैं।
🌺64. स्तनों के आकार में वृद्धि: काला जीरा (स्याह जीरा) आधा से 2 ग्राम की मात्रा में एक दिन में सुबह और शाम खाने से स्तनों के आकार में वृद्वि होती है।
🌺65. स्तनों के रोग: सफेद जीरा 20 ग्राम, इलायची के बीज 10 ग्राम, खीरे की मींगी 20 तथा कद्दू के बीजों की मींगी 20 नग। इन सभी को कूट-पीसकर 4-6 ग्राम की मात्रा में जल अथवा दूध के साथ सेवन करने से स्तनों का दूध बढ़ जाता है तथा अशुद्ध दूध शुद्ध हो जाता है। शीतऋतु में यह चूर्ण 3 ग्राम की मात्रा में लेकर उसमें पिसी हुई मिश्री मिलाकर फांक लेते हैं और ऊपर से बकरी का दूध पीना चाहिए इससे बहुत लाभ मिलता है।
🌺66. एक्जिमा: 1 मिलीग्राम भुना हुआ जीरा, 10 ग्राम मिश्री के साथ नींबू का रस मिलाकर और पीसकर रोजाना सुबह और शाम पीने से एक्जिमा समाप्त हो जाता है।
6🎍7. मूत्ररोग: सफेद जीरा 10 ग्राम, कलमीशोरा 2 चुटकी, रेवंदचीनी आधा चम्मच। एक गिलास पानी में घोलकर छान लें। इसमें मिश्री मिलाकर रख लें इसको दिन भर में चार बार पीने से मूत्ररोग नष्ट हो जाता है।
🎑68. योनि रोग: जीरा, काला जीरा, पीपल, कलौंजी, सुगन्धिव बच, अडूसा, सेंधानमक, जवाखार और अजवायन को लेकर पीसकर चूर्ण बना लें, फिर इसमें खांड (कच्ची चीनी) को मिलाकर लड्डू बनाकर खाने से योनि के रोग दूर हो जाते हैं।
6🎊9. गठिया रोग: गठिया में 25 ग्राम सोंठ, 25 ग्राम कालीमिर्च, 15 ग्राम पीपल, 10 ग्राम लहसुन और 20 ग्राम सफेद जीरा आदि सभी को मिलाकर पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें से दो चुटकी चूर्ण सुबह को शहद के साथ सेवन करने से गठिया में लाभ मिलता है।
7🎋0. फोड़ा: पानी में काले जीरे को पीसकर फोड़े पर लगाने से फोड़ा ठीक हो जाता है।
✨71. त्वचा के रोग: जीरा, मोम, कांच, शहद और हरड़ को बराबर की मात्रा में लेकर पीस लें। इसे गाय के घी में मिलाकर फोड़े और फुंसियों पर लगाने से लाभ होता है।
🎆72. खाज-खुजली: जीरे को पानी में उबालकर उस पानी से नहाने से शरीर की खुजली और पित्ती (गर्मी) मिट जाती है।
🎇73. हृदय की दुर्बलता: जीरा सफेद पिसा 10 ग्राम को 100 ग्राम पानी में रात को भिगोयें। सुबह छानकर इसमें खांड मिलाकर पी लें।
🌷74. चेचक (बड़ी माता): 100 ग्राम कच्चा धनिया और 50 ग्राम जीरा को 12 घंटों तक पानी में भीगने के लिए रख दें। फिर दोनों को पानी में अच्छी तरह से मिला लें और इस पानी को छानकर बोतल में भर लें। चेचक के रोग में बच्चे को बार-बार प्यास लगने पर यही पानी पिलाने से लाभ होता है।
🌻75. तुंडिका शोथ (टांसिल): 3 ग्राम जीरी और 2 ग्राम गेरू को एक साथ पीसकर पानी के साथ गले पर लेप करने से गले की सूजन और दर्द दूर हो जाती है।
🍃76. विसर्प-फुंसियों का दल बनना: गर्म पानी के साथ जीरे को पीसकर खुजली, फुंसी, जलन, दर्द आदि त्वचा के रोगों में लेप करने से लाभ होता है।
🍁77. सफेद दाग:
10-10 ग्राम खादिर के वृक्ष की छाल (कत्था के पेड़ की खाल), काला जीरा, हरीतकी को लेकर बारीक चूर्ण बना लें। इस 3 ग्राम चूर्ण को खादिरसार के साथ भोजन करने के बाद सेवन करने से सफेद दाग नष्ट हो जाता है।
3 ग्राम काली जीरी को पीसकर 25 ग्राम शक्कर के साथ खाने से सफेद दाग ठीक हो जाते हैं।
🌺78. जल जाना: जीरे को पानी के साथ पीसकर जले अंग पर लेप करने से लाभ मिलता है।
7🌾9. लिंग दोष: 10-10 ग्राम कपूर, जीरा, जावित्री, लौंग और कपूर सभी को एक साथ पीसकर इसमें 40 ग्राम खांड मिला लें। इसे 5 ग्राम लेकर बासी पानी के साथ सेवन करने से लिंग की इन्द्रियों के दोष दूर हो जाते हैं।
🌷80. कण्ठमाला:
50 ग्राम कालीजीरी, 10 ग्राम शुद्ध तेल, 50 ग्राम गन्धक-आंवलासार को पीसकर और कपड़े में छानकर उसमें 30 ग्राम वैसलीन मिलाकर रख दें। इसे कण्ठमाला की बहती हुई गिल्टियों (गांठों में से मवाद बहना) में लगाने से लाभ मिलता है।
6-6 ग्राम निर्विषी, काली जीरी और 35 ग्राम अमलतास के गूदा को पीसकर पानी में गर्म कर लगाएं। ऊपर से एरण्ड का पत्ता बांध दें।
🌷81. शरीर में सूजन: जीरा और चीनी को बराबर मात्रा में लेकर पीस लें, और 1-1 चम्मच तीन बार फंकी के रूप में रोजाना लेने से सूजन दूर हो जाती है।
🌹82. बच्चों को प्यास अधिक लगना: अगर बच्चे को सिर्फ बार-बार प्यास लगने का रोग हो, तो अनार के दाने, जीरा और नागकेसर को बारीक पीसकर इनके चूर्ण में मिश्री और शहद मिलाकर चटाने से बच्चों की प्यास कम हो जाती है।
🌼83. गला बैठना: आधे से 2 ग्राम सफेद जीरे को रोजाना दो बार चबाने से स्वरभंग (बैठा हुआ गला) ठीक हो जाता है. : 🌹पेट की अनेक समस्याओं में

🌹 जीरा, काली मिर्च, छोटी हरड़, अजवायन व सेंधा नमक समभाग लें । जीरे को थोड़ा भून लें और शेष सामग्री के साथ पीस के महीन चूर्ण बना लें । 3 ग्राम चूर्ण गुनगुने पानी या शहद के साथ दिन में 1-2 बार लेने से अरुचि, अफरा, पेटदर्द, हिचकी, वातविकार, अपचन आदि में लाभ होता है । (अथवा आश्रम की समितियों के सेवाकेन्द्रों पर उपलब्ध संतकृपा चूर्ण सुबह-शाम 1-1 चम्मच गुनगुने पानी से लें, उपरोक्त समस्याओं में यह विशेष लाभदायी है ।)

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💪🏻🌱पुराना बुखार हो तो🌱👍🏻

👉तुलसी के ताजे पत्ते 6, काली मिर्च और मिश्री 10 ग्राम ये तीनों पानी के साथ पीस कर घोल बना के बीमार व्यक्ति को पिला दें। कितना भी पुराना बुखार हो, कुछ दिन यह प्रयोग करने से सदा के लिये मिट जायेगा।

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🌹मधुप्रमेह🌹

🌹प्रतिदिन सुबह मेथी की भाजी का 100 मि.ली. रस पी जायें। शक्कर की मात्रा ज्यादा हो तो सुबह शाम दो बार रस पियें। साथ ही भोजन में गेहूँ, चावल एवं चिकनी (घी-तेलयुक्त) तथा मीठी चीजों का सेवन न करने से शीघ्र लाभ होता है।

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-अनिद्रा के रोग में:

🌹३ ग्राम तरबूज के सफ़ेद बीज पीस के उसमें ३ ग्राम खसखस पीस के सुबह अथवा शाम को १ हफ्ते तक खाएं ।

🌹६ ग्राम खसखस २५० ग्राम पानी में पीस के छान लें और उसमें २०-२५ ग्राम मिश्री मिलाकर सुबह या शाम पियें । मीठे सेब का मुरब्बा खाएं । रात को दूध पियें ।

🌹रात को सोते समय ॐ का लम्बा उच्चारण १५ मिनट तक करें ।

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: 👉🏻वृक्क (गुर्दे) उपचार :-

  1. गुर्दे की खराबी से यदि पेशाब बनना बंद हो जाये तो मूली का 20-40 मिलीलीटर रस दिन में 2 से 3 बार पीने से पेशाब फिर से बनने लगता है।
  2. मूली के पत्तों के 10 से 20 मिलीलीटर रस में 1-2 ग्राम कलमीशोरा का रस मिलाकर रोगी को पिलाने से पेशाब साफ आता है।
  3. गुर्दे के दर्द में 10 ग्राम कलमीशोरा को 120 मिलीलीटर मूली के रस में घोंटकर रस सुखा दें। फिर इसकी गोलियां बनाकर 1-2 गोली दिन में 2 बार सेवन करने से मूत्राघात (पेशाब में धातु का आना) दूर हो जाता है

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: 👉🏻अति नींद और सुस्ती आती हो तोः

पढ़ते समय नींद आती हो और सिर दुखता हो तो पान में एक लौंग डालकर चबा लेना चाहिए। इससे सुस्ती और सिरदर्द में कमी होगी तथा नींद अधिक नहीं सतायेगी।

👉🏻 सहायक उपचारः

अति निद्रावालों के लिए वजासन का अभ्यास परमोपयोगी है। यह आसन मन की चंचलता दूर करने में भी सहायक है। जिन विद्यार्थियों का मन पढ़ाई में नहीं लगता उन्हें इस आसन में बैठकर पढ़ना चाहिए।

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[ एक बार जरूर अपनाये बीमार पड़ने के पहले , ये काम केवल प्रकृति चिकित्सा एवं आयुर्वेद ही कर सकता है

  1. केंसर होने का भय लगता हो तो रोज़ाना कढ़ीपत्ते का रस पीते रहें,,,
  2. हार्टअटेक का भय लगता हो तो रोज़ना अर्जुनासव या अर्जुनारिष्ट पीते रहिए,,
  3. बबासीर होने की सम्भावना लगती हो तो पथरचटे के हरे पत्ते रोजाना सबेरे चबा कर खाएँ,,,,
  4. किडनी फेल होने का डर हो तो हरे धनिये का रस प्रात: खाली पेट पिएँ,,,
  5. पित्त की शिकायत का भय हो तो रोज़ाना सुबह शाम आंवले का रस पिएँ,,,
  6. सर्दी – जुकाम की सम्भावना हो तो नियमित कुछ दिन गुनगुने पानी में थोड़ा सा हल्दी चूर्ण डालकर पिएँ,,,,
  7. गंजा होने का भय हो तो बड़ की जटाएँ कुचल कर नारियल के तेल में उबाल कर छान कर,रोज़ाना स्नान के पहले उस तेल की मालिश करें,,,
  8. दाँत गिरने से बचाने हों तो फ्रिज का पानी पीना बंद कर दें,,,,
  9. डायबिटीज से बचाव के लिए तनावमुक्त रहें, व्यायाम करें, रात को जल्दी सो जाएँ, चीनी नहीं खाएँ , गुड़ खाएँ,,,
  10. किसी चिन्ता या डर के कारण नींद नहीं आती हो तो रोज़ाना भोजन के दो घन्टे पूर्व 20 या 25 मि. ली. अश्वगन्धारिष्ट ,200 मि. ली. पानी में मिला कर पिएँ,,,,
  11. किसी बीमारी का भय नहीं हो तो भी — 15 मिनिट अनुलोम – विलोम, 15 मिनिट कपालभाती, 12 बार सूर्य नमस्कार करें,,,,

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[🍈आंवला के लाभ

विटामिन-सी से भरपूर आंवला, आंखों, बालों और त्वचा के लिए तो फायदेमंद है ही, इसके यह 10 अनमोल फायदे बिल्कुल अमृत के समान हैं। अगर आप नहीं जानते आंवले के यह फायदे, तो जरूर जानिए ..

  1. डायबिटीज के मरीजों के लिए आंवला बहुत काम की चीज है। पीड़ि‍त व्यक्ति अगर आंवले के रस का प्रतिदिन शहद के साथ सेवन करे तो बीमारी से राहत मिलती है।
  2. एसिडिटी की समस्या होने पर आंवला बेहद फायदेमंद होता है। आंवले का पाउडर, चीनी के साथ मिलाकर खाने या पानी में डालकर पीने से एसिडिटी से राहत मिलती है। इसके अलावा आंवले का जूस पीने से पेट की सारी समस्याओं से निजात मि‍लती है।
  3. पथरी की समस्या में भी आंवला कारगर उपाय साबित होता है। पथरी होने पर 40 दिन तक आंवले को सुखाकर उसका पाउडर बना लें, और उस पाउडर को प्रतिदिन मूली के रस में मिलाकर खाएं। इस प्रयोग से कुछ ही दिनों में पथरी गल जाएगी।
  4. रक्त में हीमोग्लोबिन की कमी होने पर, प्रतिदिन आंवले के रस का सेवन करना काफी लाभप्रद होता है। यह शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में सहायक होता है, और खून की कमी नहीं होने देता।
  5. आंखों के लिए आंवला अमृत समान है, यह आंखों की रौशनी को बढ़ाने में सहायक होता है। इसके लिए रोजाना एक चम्मच आंवला के पाउडर को शहद के साथ लेने से लाभ मिलता है और मोतियाबिंद की समस्या भी खत्म हो जाती है।
  6. बुखार से छुटकारा पाने के लिए आंवले के रस में छौंक लगाकर इसका सेवन करना चाहिए, इसके अलावा दांतों में दर्द और कैविटी होने पर आंवले के रस में थोड़ा सा कपूर मिला कर मसूड़ों पर लगाने से आराम मिलता है।
  7. शरीर में गर्मी बढ़ जाने पर आंवला सबसे बेहतर उपाय है। आंवले के रस का सेवन या आंवले को किसी भी रूप में खाने पर यह ठंडक प्रदान करता है। हिचकी तथा उल्टी होने की पर आंवले के रस को मिश्री के साथ दिन में दो-तीन बार सेवन करने से काफी राहत मिलेगी
  8. याददाश्त बढ़ाने में आंवला काफी फायदेमंद होता है। इसके लिए सुबह के समय आंवला के मुरब्बा गाय के दूध के साथ लेने से लाभ होता है, इसके अलावा आप प्रतिदिन आंवले के रस का प्रयोग भी कर सकते हैं।
  9. चेहरे के दाग-धब्बे हटाकर उसे खूबसूरत बनाने के लिए भी आंवला आपके लिए उपयोगी होता है। इसका पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगाने से त्वचा साफ, चमकदार होती है और झुर्रियां भी कम हो जाती हैं।
  10. बालों को काला, घना और चमकदार बनाने के लिए आंवले का प्रयोग होता है, इसके पाउडर से बाल धोने या फिर इसका सेवन करने से बालों की समस्याओं से निजात मिलती है।

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🌿मीठा नीम अगर नहीं करते पसंद, तो फायदे जानकर हर सब्जी में डालने लगेंगे

  1. सबसे पहले तो इसकी ताजा पत्तियों में एक अलग ही खुशबू होती है, जो फ्रिज में या बाहर रखने पर कम होती जाती है, इसलिए कोशिश रहे कि हमेशा ताजा करी पत्ते का इस्तेमाल करें। 
  2. कुछ लोग करी पत्ता सब्जी से बाहर निकालकर रख देते हैं, जबकि इसे खा लेना चाहिए। करी पत्ता बहुत पौष्टिक होता है। इसमें मैग्नेशियम, कैल्शियम, फॉस्फोरस, आयरन, कॉपर और विटामिन भी होता है। 
  3. लीवर शरीर का बहुत महत्‍वपूर्ण हिस्सा है और इसका निरंतर बिना रुके सही तरीके से काम करना जरुरी होता है। करी पत्ता लीवर को सशक्त बनाता है। यह लीवर को बैक्‍टीरिया तथा वायरल इंफेक्शन से बचाता है। इसके अलावा यह फ्री रेडिकल्स, हेपेटाइटिस, सिरोसिस जैसी कई बीमारियों से भी बचाता है। 
  4. करी पत्ता में पर्याप्त मात्रा में विटामिन A होता है। विटामिन A आंखों के स्वास्थ्‍य के लिए बहुत जरूरी होता है। इसकी कमी से आंखों की रोशनी कम होना जैसी कई समस्या हो सकती है। तो विटामिन A की कमी को पूरा करने के लिए भी आपको करी पत्ते का सेवन करना चाहिए। 
  5. करी पत्ते में LDL कोलेस्ट्रॉल कम करने की प्रकृति होती है। LDL कोलेस्ट्रॉल बढ़ने पर दिल की बीमारियां हो जाती हैं। इस तरह करी पत्ता दिल की बीमारियों से भी आपको दूर रखता है। 
  6. करी पत्ते में बालों को मॉइश्‍चराइजिंग करने वाले कई गुण मौजूद होते हैं। जो बालों को गहराई से साफ करते हैं और इन्‍हें बढ़ाने के साथ-साथ मजबूत भी बनाते हैं। करी पत्ते की सूखी पत्तियों का पाउडर बनाकर तिल या नारियल के तेल में मिला लें, फिर इस तेल को थोड़ा गर्म करके सिर में मसाज करें। इसे रातभर रखें और फिर सुबह शेंपू कर लें। इस प्रकार मालिश करने से बाल गिरना बंद हो जाएंगे और वह मजबूत भी होंगे।

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[🎈अनेक रोगों की एक प्राकृतिक औषधि-करेला🎈

🎈प्रकृति ने विभिन्न स्वाद एवं भिन्न भिन्न रंग के गुण के फल एवं सब्जियां प्रदान की हैं,, जिनमें करेला कड़वा होने पर भी सब्जी के रूप में उपयोगी है।। करेला भारतवर्ष में सर्वत्र होता है।। एंटी आक्सीडेंट होने के कारण तथा प्राकृतिक रूप से करेले में अनेक फाइटो-केमिकल्स होने से हमारे शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बड़ा गुणकारी है।। यह पारे के विषैले दुष्प्रभाव को भी मिटाता है।। इसमें पर्याप्त मात्रा में फास्फोरस होता है। यह कफ दोष को मिटाता है।। मधुमेह से बचाता है तथा रक्तशर्करा को नियंत्रित भी करता है।। जीवनी शक्ति बढ़ाने एवं रक्तशोधन में करेला की बड़ी भूमिका है। विटामिन ए,, सी तथा अनेक खनिज लवणों- लोहा, कैल्सियम,, फास्फोरस आदि का भंडार है।। लीवर को बल देता है।। मस्तिष्क,, हृदय व अस्थियों को स्वस्थ रखता है।। मंद जठराग्नि को जागृत करना,, मोटापा से बचाना,, सूजन दूर करना,, दरद मिटाना इसके प्रमुख गुण हैं।। मूत्रल स्वभाव होने से शारीरिक विषैले तत्वों,, जैव विष द्रवों को बाहर निकालने में उपयोगी है।। नेत्रों की ज्योति बढ़ाता है।। कृमि नाशक,, घाव भरने वाला,, कुष्ठ नाशक,, प्रमेह नाशक,, त्रिदोषनाशक है।। खून की कमी दूर करता है।। ज्वर विनाशक है।। पौष्टिक,, कामोद्दीपक,, स्तंभक होता है।। मूत्र विकार,, पेट की वायु विकृति तथा पथरी को नष्ट करता है।। आमवत एवं सुजाक को नष्ट करता है।। करेले की सब्जी का सेवन करने से चेचक एवं खसरे से बचाव होता है।।

               📍 विभिन्न प्रयोग📍

🎈पथरी में– करेले के पत्तों का रस पथरी को नष्ट करता है।। ४० ग्राम पत्तों के रस को २० ग्राम दही के साथ सेवन करना चाहिए,, तत्पश्चात १०० ग्राम छाछ पीने का क्रम नित्य प्रातः लम्बे समय तक बनाए रखें।। प्रात: उषापान (जल सेवन) में नींबू का रस निचोड़कर पीने का क्रम भी जोड़ देने से लाभ जल्दी होने लगता है।। दिन भर में कम से कम ३-४ लीटर पानी पीना चाहिए।।

🎈 आंत्रकृमि में– करेले के पत्तों का रस आधा कप प्रात:काल निराहार पीना चाहिए।। यह क्रम कुछ दिनों तक बनाए रखने से लाभ होता है।। पथ्य के रूप में छाछ,, दही,, फलों का रस उपयोगी होता है।।

🎈 यकृत के बढ़ने तथा जलोदर में– करेले के पत्तों का रस ३० ग्राम थोड़ा शहद मिलाकर पीने से यकृत बृद्धि तथा जलोदर में लाभ होता है।।

🎈संधिवात में– (१) करेला २०० ग्राम आग पर भून कर भुरता बना कर स्वादानुसार देशी खाँड मिलाकर गरमा गरम सुहाता हुआ रोगी को खिलाना चाहिए।। १५ दिन तक सेवन करने से नर्वस सिस्टम के कारण उत्पन्न संधिवात में लाभ होता है।।

🎈(२) गठिया एवं संधिवात के दरद में– संधियों के दरद स्थल पर करेले का रस निकालकर गरम लेप करने से दर्द से निवृत्ति होती है।।

🎈 त्वचा विकारों में– खाज,, खुजली इत्यादि त्वचागत दोषों में प्राय: रक्त की असुद्धि ही कारण होता है।। रक्त शोधक गुण होने के कारण करेला लाभ पहुंचाता है।। करेले को सुखाकर चूर्ण बनाकर ४ ग्राम चूर्ण शहद के साथ ४० दिन तक प्रात: निराहार चाटने से लाभ होता है।।

🎈 मधुमेह में– (१) करेले में विद्यमान बायोएक्टिव तत्वों द्वारा शर्करा को नियंत्रित करने में बड़ी मदद मिलती है।। इंसुलिन की निर्भरता वाले रोगों को ५ ग्राम करेले का चूर्ण पानी के साथ सेवन करने से लाभ होता है।।

(२) करेले के पत्तों का रस निकालकर ३० ग्राम रस नित्य पीने से लाभ होता है।।

(३) करेले की सब्जी मधुमेह के रोगी के लिए लाभदायक होती है।।

(४) नित्य दो करेले २ टमाटर एक खीरे का रस निकालकर पीने से शर्करा नियंत्रित रहती है,, किडनी को स्वस्थ रखने में मदद मिलती है।।

⭕️ तिल्ली बढ़ने पर– ३० ग्राम करेले का रस थोड़ी सी छाई और नमक मिलाकर नित्य पीने से लाभ होता है।।

⭕️ अम्लपित्त में– थोड़े से करेले के पत्ते एवं फूल घृत में भूनकर खाने से लाभ होता है।।

⭕️ पशुओं के मुख रोग में– गाय,, भैंस आदि के जीभ में कांटे निकल आने पर करेले के पत्तों को पीसकर जीभ पर लेप करने से लाभ होता है।।

⭕️कान दर्द में– करेले के पत्तों का रस या करेले के फलों का रस थोड़ा गरम करके ४-५ बूंद रूई में भिगो कर टपका देने से लाभ होता है।।

⭕️ ज्वर में– रविवार के दिन करेले की जड़ उखाड़ कर साफ पानी से धोकर एक टुकड़ा धागे के सहारे कमर में बांध देने से ज्वर दूर होता है।। नीम के पत्ते,, गिलोय गनवटी,, महासुदर्शन चूर्ण तथा अमृतारिष्ट इत्यादि कड़ुवे स्वाद वाली इन औषधियों का प्रभाव सभी ज्वर में होता है।। कालमेघ,, कुटकी,, चिरायता,, गिलोय चूर्ण को प्रमुखता से सभी ज्वरों में लाभप्रद पाया है।। अपामार्ग की जड़ भी दाहिने हाथ की कलाई पर बांध देने से लाभ होता है।।

⭕️ फोड़ा फुंसियों में– करेले की जड़ का उबटन २-३ बार लगाने से लाभ होता है।।

⭕️पारा के विष में– (१) पारे के विषैले दुष्प्रभाव को मिटाने के लिए करेले की २० ग्राम जड़ पानी में पीसकर कुछ दिन लगातार पिलाने से विष का दुष्प्रभाव निकल जाता है।

(२) पारा शरीर में जाने पर विषैला दुष्प्रभाव शारीरिक अंगों पर पड़ता है।। उस दुष्प्रभाव को नष्ट करने के लिए नित्य करेले का रस २० ग्राम सुबह शाम सेवन करें।।

⭕️बादी बवासीर में– करेले की जड़ पीसकर मस्से पर नियमित लेप करने से लाभ होता है।।

⭕️ खूनी बवासीर में– १० ग्राम करेले का रस ५ ग्राम देशी खाँड मिलाकर ३० दिन तक पीने से खून आना बंद हो जाता है।।

⭕️ मुंह के छालों में– करेले का रस २० ग्राम में थोड़ा शहद मिलाकर पीने से छाले मिट जाते हैं।।

⭕️हाथ पैरों की सूजन में– पत्ते या फल पानी में पीसकर लेप करने से लाभ होता है।। निर्गुंडी के पत्ते उपलब्ध हों तो पीसकर लेप में मिला सकते हैं।।

⭕️वमन में– बच्चों को उल्टी होने पर करेले के २ बीजों की मिंगी निकाल कर २ काली मिर्च पीसकर १ गिलास पानी में घोलकर छान लें,, इस पानी को थोड़ी मात्रा में ४_५ बार पिलाएं।।

⭕️ खसरा में– करेले के पत्तों का रस आधा कप लेकर थोड़ी हल्दी मिलाकर पीने से खसरा तथा अन्य विस्फोटक रोगों में लाभ होता है।।

⭕️ पाचन शक्ति कमजोर होने पर– वर्षा ऋतु में जठराग्नि मंद होने पर करेले की सब्जी खाने से जठराग्नि तेज होती है।।

⭕️ एग्जिमा की अचूक दवा– ५०० ग्राम तिल का तेल और ४५० ग्राम करेले के पत्तों का रस मिलाकर मंद आँच पर पकाएं,, ठंढ़ा होने पर शीशी में भरकर रख लें।। यह सिद्ध तेल लगाने से लाभ होता है।। सफेद नमक का सेवन न करें।।

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[ लौंग के फायदे और घरेलू नुस्खे – लौंग का सेवन शरीर की प्रतिरोधी क्षमता को बढ़ाता है और रक्त शुद्ध करता है। इसका इस्तेमाल मलेरिया, हैजा जैसे रोगों के उपचार के लिए दवाओं में किया जाता है। डायबिटीज में लौंग के सेवन से ग्लूकोज का स्तर कम होता है। लौंग का तेल पेन किलर के अलावा मच्छरों को भी दूर भगाने के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है।

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》क्या आप जानते हैं भोजन में क्यों डाले जाते हैं मसाले!

●भारत एक मात्र ऐसा देश है जहाँ तरह तरह के मसालेव मिलते हैं, जो भोजन में प्रयोग किये जाते है.

भोजन में मसाले का प्रयोग ज्यादातर लोग भोजन का स्वाद बढाने के लिए करते हैं, लेकिन इन मसालों में भोजन का स्वाद बढाने के अलावा और भी कई प्राकृतिक गुण छुपे हुए हैं, जो भोजन पाचन में मदद तो करते ही है साथ ही हमारे स्वास्थ्य और सेहत को भी सही रखते हैं

भारतीय भोजन, पकवान और खाने की चीजे ज्यादातर मसालेदार और चटपटी होती है, क्योंकि भारतियों को तीखा, मीठा, खट्टा, चटपटा और मसालेदार खाने ज्यादा पसंद आते हैं.

लेकिन खाने में मसाले का उपयोग सिर्फ खाने का स्वाद बढ़ने के लिए ही नहीं बल्कि और कई कारणों से किया जाता है.

तो आइये जानते हैं किस मसाले में क्या गुण पाया जाता है

1) हल्दी

ज्यादातर लोगों को लगता है कि भोजन में हल्दी का उपयोग सिर्फ रंग देने के लिए किया जाता है लेकिन ऐसा नहीं है. प्राचीन समय से भारतीय पूर्वजों को हल्दी के गुणों का ज्ञान था. हल्दी के अंदर करक्यूमिन नामक प्राकृतिक तत्व पाया जाता है, जो एक एंटीऑक्सिडेंट की तरह काम करता है, जिससे शरीर के अंदर कई बिमारी और जहरीले पदार्थो को बाहर करके शरीर को स्वास्थ्य बनाए रखता है. हल्दी में एंटी-कार्सिनोजेन और एंटी बैक्टीरियल के गुणों पाए जाते हैं

हल्दी में मौजूद औषधिक गुण सब्जी के विषैलता को ख़त्म करने के साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाने का गुण भी होता है. इसलिए हर सब्जी में हल्दी का प्रयोग किया जाता है.

2) नमक

नमक का उपयोग भोजन में स्वाद लाने के लिए ही नहीं किया जाता बल्कि शरीर में आयोडीन की मात्रा को पूरा करने के लिए किया जाता है. प्रचीन समय में खड़ा नमक मिलता था, जिसमे आयोडीन की प्रचुर मात्रा होती थी. नमक का स्वाद बहुत ज्यादा कहर होने से उसको सीधे खा पाना मुश्किल था. इसलिए सब्जी और खाने की चीजों में डालकर नमक का उपयोग किया जाने लगा.

3) लाल मिर्च

लाल मिर्च में एंटीऑक्सिडेंट, रक्तचाप नियन्त्र और संचरण क्षमता, जिससे कोलेस्ट्रॉल रोकने व बचाव में मदद मिलती है.इसके साथ शरीर की कैलोरी जलाने में सहायक होती है. इसलिए लाल मिर्ची का प्रयोग भोजन में करते हैं क्योकि खाली मिर्ची खाना संभव नहीं.

4) हिंग

हिंग एक तरह का पत्थर होता है, जिसमे भोजन को पचाने और पेट साफ़ करने की प्राकृतिक क्षमता होती है. हिंग का उपयोग हर भोजन में नहीं किया जाता क्योकि हिंग एक उतेजक और तीव्र गुणों वाला तत्व है. हिंग का अधिकतर प्रयोग जल्दी न पचने वाले पदार्थों में या पेट को ख़राब करने से रोकने के लिए किया जाता है.

5) जीरा

इसमें लोह तत्व उपस्थित रहता है. इसके साथ जीरा शरीर की इम्यून सिस्टम को सही रखने में मदद करता है. साथ ही खाने का स्वाद बढाता है.

6) सरसों

भोजन में तेल की कमी को पूरा करता है और भोजन के पाचन में मदद करता है. इसलिए सरसों का उपयोग मसाले के रूप में किया जाता है.

7) अदरक

अदरक शरीर में रक्त को तरल और पतला बनाने के साथ रक्त के संचरण को भी सही बनाए रखता है. इसके अलावा कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर भी नियंत्रित रखता है. साथ ही अदरक शरीर को गर्म करने में मदद करता है. इसलिए खाने में अदरक का प्रयोग मसाले की भांति करते है.

8) धनिया पत्ती

धनिया की पत्तियों में विटामिन ए, बी- 16, सी, के, कैल्शियम, पोटेशिय, मैगनीज, आयरन और फोलेट्स होता है. साथ ही फाइबर और एंटीऑक्सिडेंट्स गुण भी होता है, जो शरीर के लिए फायदेमंद होता है. धनिया भी तीव्र गंध वाली पत्तियों के कारण सीधे नहीं खाये जाते, इसलिए खानों में मसाले की भांति इसका प्रयोग किया जाता है.

9) लहसुन

लहसुन से शरीर के बैक्टीरिया ख़त्म होते है. लहसुन झनझनाहट और हाइपरटेंशन दूर रखता है, रक्त संचार तीव्र होता है, कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित करता है, और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ता है. लहसुन में इतने सारे औषधिक गुणों होने के कारण उसका प्रयोग मसाले की भांति किया जाता है

10) इलायची

इलायची में विटामिन सी, आयरन, तांबा और रबोफ्लेविन पाया जाता है. इसमें पाचन की तीव्र क्षमता होती है. इलायची में प्राकृतिक एंटीओक्सिडेंट पाया जाता है, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ता है और तंत्रिकाओं को शांत रखने में मदद करता है. सांस से होने वाली बदबू की समस्या को खत्म करता है और पाचन की क्रिया को सही करता है.

हर सब्जी में हर मसाले का उपयोग नहीं होता. सब्जी की प्रकृति, गुणवत्ता और विषाक्त के अनुसार मासालों का चुनाव किया जाता है और भोजन में मिलाया जाता है.

सही मसालों का सही उपयोग सेहत के लिए फायदेमंद होता है. मसाले से स्वास्थ संबंधित समस्याएं ख़त्म होती हैं.

तुलसी, कच्चा लहसुन और अदरक को चबाने से दांतों के एनेमल को हानि होती है. इसलिए इन सब का काढ़ा पीना फायदेमंद रहता है.

बाजार में मिलने वाले मासलों के पाउडर मिलावटी होते है, इसलिए उनसे फायदे कम और नुक्सान ज्यादा होते है.

इसलिए खड़े मसाले का प्रयोग कर सकते हैं या घर में मिक्सी में पीस कर उपयोग में लाना फायदेमंद होगा.

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[लीवर की सूजन और कमज़ोरी दूर करने के लिये हर रोज सुबह शाम 1 गिलास पानी में 1 चमचा शहद और 1 चम्मच सेब का सिरका मिला कर पियें। लिवर को ताक़त देने और गर्मी दूर करने का ये रामबाण उपाय है।
[: खाना खाते समय याद रखें 5 टिप्स

अच्छी डाइट और व्यायाम बेहतर सेहत और जीवन के लिए हमेशा लाभकारी होती है, लेकिन इसके साथ ही आपके खान-पान और जीने का तरीका भी आपकी को काफी हद तक प्रभावित करता है। अगर आप अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाना चाहते हैं तो भोजन करने से जुड़े यह 5 सूत्र आपको पता होना चाहिए –

1 पहला सूत्र है, खाने को चबा-चबाकर खाना। यह सिर्फ कहने की बात नहीं है बल्कि प्रत्यक्ष तौर पर आपकी सेहत पर असर डालती है। आयुर्वेद में भी कहा गया है कि हमारे मुंह में जितने दांत हैं, हर निवाले को उतनी बार यानि 32 बार चबाना चाहिए। आप भी कोशिश कीजिए कि ज्यादा से ज्यादा चबाकर खाएं।

2 खाना खाने के दौरान पानी बिल्कुल न पिएं। पानी का सेवन खाना खाने के आधा घंटा पहले व बाद में ही करेंगे तो यह पाचन के लिए भी फायदेमंद होगा और आपकी सेहत के लिए भी।

3 रात के खाने को लेकर सतर्क रहेंगे, तो स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां कम होंगी। ज्यादातर समस्याएं पेट के कारण होती है, और अगर आप देर रात खाना खाते हैं तो वह सही तरीक से पच नहीं पाता जिससे कई स्वास्थ्य समस्या पैदा होती हैं। कोशिश कीजिए सोने से कम से कम दो घंटे पहले ही भोजन कर लें और हल्का भोजन लें।

4 खाना खाने के तुरंत बाद आइसक्रीम, ठंडा पानी आदि का सेवन न करें अन्यथा आपको पाचन संबंधी समस्या व कब्ज हो सकता है। इसका कारण है आपकी पाचन अग्नि का समाप्त होना। इसका आपकी सेहत पर गलत असर पड़ता है।

5 खाने के साथ कभी फलों का सेवन न करें, यह पाचन तंत्र की प्रक्रिया को बिगाड़ कर रख देता है और फिर आपको पाचन व पेट से जुड़ी समस्याएं होती हैं। फलों का सेवन हमेशा भोजन के आधा या एक घंटा पहले ही कर लें।

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[: दुनिया में झूठे बेईमान लोग जैसे तैसे छल कपट से चालाकी से बहुत सा धन भी इकट्ठा कर लेते हैं, और उनके बड़े-बड़े शौक भी पूरे हो जाते हैं, पर ये शौक पूरा करने में जो सुख मिलता है, वह क्षणिक होता है, उसमें तृप्ति का अनुभव नहीं होता, और प्रभु कृपा से वंचित रहते हैं।
जो ईमानदारी से जीते हैं, थोड़े साधन संपत्ति कमाते हैं, उसमें उसके शौक पूरे नहीं होते फिर भी संतोष से जीते हैं और आनंदित रहते हैं, और प्रभु कृपा के अधिकारी बनते हैं।
हमें सोचना है कि हमें कैसा जीवन जीना हैं, प्रभु कृपा के अधिकारी बनना हैं ?

*Զเधॆ Զเधॆ*🙏🙏

[: हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे

तीन मुट्ठी चावल का फल

जब भगवान श्री कृष्ण ने सुदामा जी को तीनों लोको का स्वामी बना दिया तो सुदामा जी की संपत्ति देखकर यमराज से रहा न गया !

यम भगवान को नियम कानूनों का पाठ पढ़ाने के लिए अपने बहीखाते लेकर द्वारिका पहुंच गये !

भगवान से कहने लगे कि – अपराध क्षमा करें भगवन लेकिन सत्य तो ये है कि यमपुरी में शायद अब मेरी कोई आवश्यकता नही रह गयी है इसलिए में पृथ्वी लोक के प्राणियों के कर्मों का बहीखाता आपको सौंपने आया हूँ !

इस प्रकार यमराज ने सारे बहीखाते भगवान के सामने रख दिये भगवान मुस्कुराए बोले – यमराज जी आखिर ऐसी क्या बात है जो इतना चिंतित लग रहे हो ?

यमराज कहने लगे – प्रभु आपके क्षमा कर देने से अनेक पापी एक तो यमपुरी आते ही नही है वे सीधे ही आपके धाम को चले जाते हैं और फिर आपने अभी अभी सुदामा जी को तीनों लोक दान दे दिए हैं । सो अब हम कहाँ जाएं ?

यमराज भगवान से कहने लगे – प्रभु ! सुदामा जी के प्रारब्ध में तो जीवन भर दरिद्रता ही लिखी हुई थी लेकिन आपने उन्हें तीनों लोकों की संपत्ति देकर विधि के बनाये हुए विधान को ही बदलकर रख दिया है !

अब कर्मों की प्रधानता तो लगभग समाप्त ही हो गयी है !

भगवान बोले – यम तुमने कैसे जाना कि सुदामा के भाग्य में आजीवन दरिद्रता का योग है ?

यमराज ने अपना बही खाता खोला तो सुदामा जी के भाग्य वाले स्थान पर देखा तो चकित रह गए देखते हैं कि जहां श्रीक्षय’ सम्पत्ति का क्षय लिखा हुआ था !

वहां स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने उन्ही अक्षरों को उलटकर ‘उनके स्थान पर यक्षश्री’ लिख दिया अर्थात कुबेर की संपत्ति !

भगवान बोले – यमराज जी ! शायद आपकी जानकारी पूरी नही है क्या आप जानते हैं कि सुदामा ने मुझे अपना सर्वस्व अपर्ण कर दिया था ! मैने तो सुदामा के केवल उसी उपकार का प्रतिफल उसे दिया है !

यमराज बोले – भगवन ऐसी कौनसी सम्पत्ति सुदामा ने आपको अर्पण कर दी उसके पास तो कुछ भी नही !

भगवान बोले – सुदामा ने अपनी कुल पूंजी के रूप में बड़े ही प्रेम से मुझे चावल अर्पण किये थे जो मैंने और देवी लक्ष्मी ने बड़े प्रेम से खाये थे !

जो मुझे प्रेम से कुछ खिलाता है उसे सम्पूर्ण विश्व को भोजन कराने जितना पुण्य प्राप्त होता है.बस उसी का प्रतिफल सुदामा को मैंने दिया है !

ऐसे दयालु हैं हमारे प्रभु श्रीकृष्ण भगवान जिन्होंने न केवल सुदामा जी पर कृपा की बल्कि द्रौपदी की बटलोई से बचे हुए साग के पत्ते को भी बड़े चाव से खाकर दुर्वासा ऋषि और उनके शिष्यों सहित सम्पूर्ण विश्व को तृप्त कर दिया था ओर पांडवो को श्राप से बचाया था !!

हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे
हरे कृष्ण दंडवत प्रणाम और मेरा नमस्कार हरे कृष्ण
[ अंधा घोड़ा

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शहर के नज़दीक बने एक फार्म हाउस में दो घोड़े रहते थे. दूर से देखने पर वो दोनों बिलकुल एक जैसे दीखते थे , पर पास जाने पर पता चलता था कि उनमे से एक घोड़ा अँधा है. पर अंधे होने के बावजूद फार्म के मालिक ने उसे वहां से निकाला नहीं था बल्कि उसे और भी अधिक सुरक्षा और आराम के साथ रखा था. अगर कोई थोडा और ध्यान देता तो उसे ये भी पता चलता कि मालिक ने दूसरे घोड़े के गले में एक घंटी बाँध रखी थी, जिसकी आवाज़ सुनकर अँधा घोड़ा उसके पास पहुंच जाता और उसके पीछे-पीछे बाड़े में घूमता. घंटी वाला घोड़ा भी अपने अंधे मित्र की परेशानी समझता, वह बीच-बीच में पीछे मुड़कर देखता और इस बात को सुनिश्चित करता कि कहीं वो रास्ते से भटक ना जाए. वह ये भी सुनिश्चित करता कि उसका मित्र सुरक्षित; वापस अपने स्थान पर पहुच जाए, और उसके बाद ही वो अपनी जगह की ओर बढ़ता.

मित्रों बाड़े के मालिक की तरह ही भगवान हमें बस इसलिए नहीं छोड़ देते कि हमारे अन्दर कोई दोष या कमियां हैं. वो हमारा ख्याल रखते हैं और हमें जब भी ज़रुरत होती है तो किसी ना किसी को हमारी मदद के लिए भेज देते हैं. कभी-कभी हम वो अंधे घोड़े होते हैं, जो भगवान द्वारा बांधी गयी घंटी की मदद से अपनी परेशानियों से पार पाते हैं तो कभी हम अपने गले में बंधी घंटी द्वारा दूसरों को रास्ता दिखाने के काम आते हैं.

🌹🙏🏻🚩 जय सियाराम 🚩🙏🏻🌹
🚩🙏🏻 जय श्री महाकाल 🙏🏻🚩
🌹🙏🏻 जय श्री पेड़ा हनुमान 🙏🏻🌹
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: बाँट कर खाने वाला कभी भूखा नही मरता

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एक डलिया में संतरे बेचती बूढ़ी औरत से एक युवा अक्सर संतरे
खरीदता । अक्सर, खरीदे संतरों से एक संतरा निकाल उसकी एक फाँक
चखता और कहता – “ये कम मीठा लग रहा है, देखो !”
बूढ़ी औरत संतरे को चखती और प्रतिवाद करती – “ना बाबू मीठा तो है!”
वो उस संतरे को वही छोड़,बाकी संतरे ले गर्दन झटकते आगे बढ़
जाता।

युवा अक्सर अपनी पत्नी के साथ होता था, एक दिन पत्नी नें पूछा “ये संतरे हमेशा मीठे ही होते हैं, पर यह नौटंकी तुम हमेशा क्यों करते हो ?
युवा ने पत्नी को एक मधुर मुस्कान के साथ बताया – “वो बूढ़ी माँ संतरे बहुत मीठे बेचती है, पर खुद कभी नहीं खाती, इस तरह मै उसे संतरा खिला देता हूँ ।
एक दिन, बूढ़ी माँ से, उसके पड़ोस में सब्जी बेचनें वाली औरत ने
सवाल किया- ” ये झक्की लड़का संतरे लेते इतनी चख चख करता है, पर संतरे तौलते हुए मै तेरे पलड़े को देखती हूँ, तुम हमेशा उसकी चख चख में, उसे ज्यादा संतरे तौल देती हो ।

बूढ़ी माँ अपने साथ सब्जी बेचने वाली से कहा – “उसकी चख चख संतरे के लिए नहीं, मुझे संतरा खिलानें को लेकर होती है, वो समझता है मैं उसकी बात समझती नही,लेकिन मै बस उसका प्रेम देखती हूँ, पलड़ो पर संतरे अपनें आप बढ़ जाते
.
मेरी हैसीयत से ज्यादा मेरी थाली मे तूने परोसा है.
तू लाख मुश्किलें भी दे दे मालिक, मुझे तुझपे भरोसा है.
एक बात तो पक्की है कि
छीन कर खानेवालों का कभी पेट नहीं भरता और बाँट कर खाने वाला कभी भूखा नही मरता!!
🌹🙏🏻🚩 जय सियाराम 🚩🙏🏻🌹
🚩🙏🏻 जय श्री महाकाल 🙏🏻🚩
🌹🙏🏻 जय श्री पेड़ा हनुमान 🙏🏻🌹
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: आज ही क्यों नहीं ?

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एक बार की बात है कि एक शिष्य अपने गुरु का बहुत आदर-सम्मान किया करता था |गुरु भी अपने इस शिष्य से बहुत स्नेह करते थे लेकिन वह शिष्य अपने अध्ययन के प्रति आलसी और स्वभाव से दीर्घसूत्री था |सदा स्वाध्याय से दूर भागने की कोशिश करता तथा आज के काम को कल के लिए छोड़ दिया करता था | अब गुरूजी कुछ चिंतित रहने लगे कि कहीं उनका यह शिष्य जीवन-संग्राम में पराजित न हो जाये|आलस्य में व्यक्ति को अकर्मण्य बनाने की पूरी सामर्थ्य होती है |ऐसा व्यक्ति बिना परिश्रम के ही फलोपभोग की कामना करता है| वह शीघ्र निर्णय नहीं ले सकता और यदि ले भी लेता है,तो उसे कार्यान्वित नहीं कर पाता| यहाँ तक कि अपने पर्यावरण के प्रति भी सजग नहीं रहता है और न भाग्य द्वारा प्रदत्त सुअवसरों का लाभ उठाने की कला में ही प्रवीण हो पता है | उन्होंने मन ही मन अपने शिष्य के कल्याण के लिए एक योजना बना ली |एक दिन एक काले पत्थर का एक टुकड़ा उसके हाथ में देते हुए गुरु जी ने कहा –‘मैं तुम्हें यह जादुई पत्थर का टुकड़ा, दो दिन के लिए दे कर, कहीं दूसरे गाँव जा रहा हूँ| जिस भी लोहे की वस्तु को तुम इससे स्पर्श करोगे, वह स्वर्ण में परिवर्तित हो जायेगी| पर याद रहे कि दूसरे दिन सूर्यास्त के पश्चात मैं इसे तुमसे वापस ले लूँगा|’

शिष्य इस सुअवसर को पाकर बड़ा प्रसन्न हुआ लेकिन आलसी होने के कारण उसने अपना पहला दिन यह कल्पना करते-करते बिता दिया कि जब उसके पास बहुत सारा स्वर्ण होगा तब वह कितना प्रसन्न, सुखी,समृद्ध और संतुष्ट रहेगा, इतने नौकर-चाकर होंगे कि उसे पानी पीने के लिए भी नहीं उठाना पड़ेगा | फिर दूसरे दिन जब वह प्रातःकाल जागा,उसे अच्छी तरह से स्मरण था कि आज स्वर्ण पाने का दूसरा और अंतिम दिन है |उसने मन में पक्का विचार किया कि आज वह गुरूजी द्वारा दिए गये काले पत्थर का लाभ ज़रूर उठाएगा | उसने निश्चय किया कि वो बाज़ार से लोहे के बड़े-बड़े सामान खरीद कर लायेगा और उन्हें स्वर्ण में परिवर्तित कर देगा. दिन बीतता गया, पर वह इसी सोच में बैठा रहा की अभी तो बहुत समय है, कभी भी बाज़ार जाकर सामान लेता आएगा. उसने सोचा कि अब तो दोपहर का भोजन करने के पश्चात ही सामान लेने निकलूंगा.पर भोजन करने के बाद उसे विश्राम करने की आदत थी , और उसने बजाये उठ के मेहनत करने के थोड़ी देर आराम करना उचित समझा. पर आलस्य से परिपूर्ण उसका शरीर नीद की गहराइयों में खो गया, और जब वो उठा तो सूर्यास्त होने को था. अब वह जल्दी-जल्दी बाज़ार की तरफ भागने लगा, पर रास्ते में ही उसे गुरूजी मिल गए उनको देखते ही वह उनके चरणों पर गिरकर, उस जादुई पत्थर को एक दिन और अपने पास रखने के लिए याचना करने लगा लेकिन गुरूजी नहीं माने और उस शिष्य का धनी होने का सपना चूर-चूर हो गया | पर इस घटना की वजह से शिष्य को एक बहुत बड़ी सीख मिल गयी: उसे अपने आलस्य पर पछतावा होने लगा, वह समझ गया कि आलस्य उसके जीवन के लिए एक अभिशाप है और उसने प्रण किया कि अब वो कभी भी काम से जी नहीं चुराएगा और एक कर्मठ, सजग और सक्रिय व्यक्ति बन कर दिखायेगा.

जीवन में हर किसी को एक से बढ़कर एक अवसर मिलते हैं , पर कई लोग इन्हें बस अपने आलस्य के कारण गवां देते हैं. यदि आप सफल, सुखी, भाग्यशाली, धनी अथवा महान बनना चाहते हैं तो आलस्य और दीर्घसूत्रता को त्यागकर, अपने अंदर विवेक, कष्टसाध्य श्रम,और सतत् जागरूकता जैसे गुणों को विकसित कीजिये और जब कभी आपके मन में किसी आवश्यक काम को टालने का विचार आये तो स्वयं से एक प्रश्न कीजिये – “आज ही क्यों नहीं ?”

🌹🙏🏻🚩 जय सियाराम 🚩🙏🏻🌹
🚩🙏🏻 जय श्री महाकाल 🙏🏻🚩
🌹🙏🏻 जय श्री पेड़ा हनुमान 🙏🏻🌹
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स्वार्थ भरी सलाह

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एक बार एक आदमी अपने छोटे से बालक के साथ एक घने जंगल से जा रहा था! तभी रास्ते मे उस बालक को प्यास लगी, और उसे पानी पिलाने उसका पिता उसे एक नदी पर ले गया , नदी पर पानी पीते पीते अचानक वो बालक पानी मे गिर गया, और डूबने से उसके प्राण निकल गए! वो आदमी बड़ा दुखी हुआ, और उसने सोचा की इस घने जंगल मे इस बालक की अंतिम क्रिया किस प्रकार करूँ ! तभी उसका रोना सुनकर एक गिद्ध , सियार और नदी से एक कछुआ वहा आ गए , और उस आदमी से सहानुभूति व्यक्त करने लगे, आदमी की परेशानी जान कर सब अपनी अपनी सलाह देने लगे!

सियार ने लार टपकाते हुए कहा , ऐसा करो इस बालक के शरीर को इस जंगल मे ही किसी चट्टान के ऊपर छोड़ जाओ, धरती माता इसका उद्धार कर देगी! तभी गिद्ध अपनी ख़ुशी छुपाते हुए बोला, नहीं धरती पर तो इसको जानवर खा जाएँगे, ऐसा करो इसे किसी वृक्ष के ऊपर डाल दो , ताकि सूरज की गर्मी से इसकी अंतिम गति अच्छी होजाएगी! उन दोनों की बाते सुनकर कछुआ भी अपनी भूख को छुपाते हुआ बोला ,नहीं आप इन दोनों की बातो मे मत आओ, इस बालक की जान पानी मे गई है, इसलिए आप इसे नदी मे ही बहा दो !

और इसके बाद तीनो अपने अपने कहे अनुसार उस आदमी पर जोर डालने लगे ! तब उस आदमी ने अपने विवेक का सहारा लिया और उन तीनो से कहा , तुम तीनो की सहानुभूति भरी सलाह मे मुझे तुम्हारे स्वार्थ की गंध आ रही है, सियार चाहता है की मैं इस बालक के शरीर को ऐसे ही जमीन पर छोड़ दूँ ताकि ये उसे आराम से खा सके, और गिद्ध तुम किसी पेड़ पर इस बालक के शरीर को इसलिए रखने की सलाह दे रहे हो ताकि इस सियार और कछुआ से बच कर आराम से तुम दावत उड़ा सको , और कछुआ तुम नदी के अन्दर रहते हो इसलिए नदी मे अपनी दावत का इंतजाम कर रहे हो ! तुम्हे सलाह देने के लिए धन्यवाद , लेकिन मै इस बालक के शरीर को अग्नि को समर्पित करूँगा , ना की तुम्हारा भोजन बनने दूंगा! यह सुन कर वो तीनो अपना सा मुह लेकर वहा से चले गए!

मै यह नहीं कह रहा हूँ की हर व्यक्ति आपको स्वार्थ भरी सलाह ही देगा , लेकिन आज के इस स्पर्धा के युग मे हम अगर अपने विवेक की छलनी से किसी सलाह को छान ले तो शायद ज्यादा सही रहेगा ! हो सकता है की आप लोग मेरी बात से पूरी तरह सहमत ना हो ,पर कहीं ना कहीं आज के युग में ये भी तो सच है कि

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🚩🙏🏻 जय श्री महाकाल 🙏🏻🚩
🌹🙏🏻 जय श्री पेड़ा हनुमान 🙏🏻🌹
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हम लोग हवेली में या मंदिर में दर्शन करने जाते हैं,। दर्शन करने के बाद बाहर आकर मंदिर की पैड़ी पर या ओटले पर थोड़ी देर बैठते हैं। इस परंपरा का कारण क्या है ?

अभी तो लोग वहां बैठकर अपने घर की, व्यापार की, राजनीति की चर्चा करते हैं। परंतु यह परंपरा एक विशेष उद्देश्य के लिए बनाई गई है।

वास्तव में वहां मंदिर की पैड़ी पर बैठ कर के और एक श्लोक बोलना चाहिए ।यह श्लोक हम भूल गए हैं। इस श्लोक को सुने और याद करें ।और आने वाली पीढ़ी को भी इसे बता कर जाएं ।
श्लोक इस प्रकार है

अनायासेन मरणम ,बिना दैन्येन जीवनम ।
देहान्ते तव सानिध्यम ,देहिमे परमेश्वरम।।

जब हम मंदिर में दर्शन करने जाएं तो खुली आंखों से त्रं जी का दर्शन करें । कुछ लोग वहां नेत्र बंद करके खड़े रहते हैं ।आंखें बंद क्यों करना ।हम तो दर्शन करने आए हैं । प्रभु जी के स्वरूप का ,श्री चरणों, का मुखारविंद का ,श्रंगार का संपूर्ण आनंद लें । आंखों में भर लें इस स्वरूप को । दर्शन करें और दर्शन करने के बाद जब बाहर आकर बैठें तब नेत्र बंद करके ,जो दर्शन किए हैं, उस स्वरूप का ध्यान करें ।मंदिर में नैत्र नहीं बंद करना, बाहर आने के बाद पैड़ी पर बैठकर जब ठाकुर जी का ध्यान करें तब नेत्र बंद करें, और अगर ठाकुर जी का स्वरूप ध्यान में नहीं आए तो दोबारा मंदिर में जाएं ।

यह प्रार्थना है याचना नहीं है। याचना सांसारिक पदार्थों के लिए होती है, घर ,व्यापार ,नौकरी ,पुत्र पुत्री, दुकान ,सांसारिक सुख या अन्य बातों के लिए जो मांग की जाती है, वह याचना है ।वह भीख है ।

हम प्रार्थना करते हैं। प्रार्थना का विशेष अर्थ है ।
प्र अर्थात विशिष्ट, श्रेष्ठ ।अर्थना अर्थात निवेदन ।प्रुभ जी से प्रार्थना करें ,और प्रार्थना क्या करना है ,यह श्लोक बोलना है ।

श्लोक का अर्थ है

“अनायासेना मरणम” अर्थात बिना तकलीफ के हमारी मृत्यु हो, बीमार होकर बिस्तर पर पड़े पड़े ,कष्ट उठाकर मृत्यु नहीं चाहिए ।चलते चलते ही श्री जी शरण हो जाएं।

” बिना दैन्येन जीवनम ” अर्थात परवशता का जीवन न हो। किसी के सहारे न रहना पड़े ,।जैसे लकवा हो जाता है ,और व्यक्ति पर आश्रित हो जाता है ।वैसे परवश, बेबस न हों। ठाकुर जी की कृपा से बिना भीख मांगे जीवन बसर हो सके।

” देहान्ते तव सानिध्यम ” अर्थात जब मृत्यु हो तब ठाकुर जी सन्मुख खड़े हो। जब प्राण तन से निकले , आप सामने खड़े हों। जैसे भीष्म पितामह की मृत्यु के समय स्वयं श्री प्रभु जी उनके सम्मुख जाकर खड़े हो गए । उनके दर्शन करते हुए प्राण निकले।

यह प्रार्थना करें । गाड़ी ,लाड़ी ,लड़का, लड़की पति, पत्नी ,घर ,धन यह मांगना नहीं ।यह तो श्री भगवान जी आपकी पात्रता के हिसाब से खुद आपको दे देते हैं ।तो दर्शन करने के बाद बाहर बैठकर यह प्रार्थना अवश्य पढ़ें ।

🌹ॐ शान्ति🌹🙏

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संसार में प्रायः सभी लोग दूसरों को प्रभावित करना चाहते हैं। कोई अपने धन से, कोई बल से, कोई रूप सौंदर्य से, कोई मोटर गाड़ी से, कोई बंगले से, कोई अपने लंबे चौड़े परिवार से, कोई घर की साज सज्जा से।
दूसरों को प्रभावित करने के लिए ये सब उपाय हल्के हैं। संसार में अधिकांश लोग इन्हीं चीजों से प्रभावित होते हैं। और आजकल तो यह फैशन और भी अधिक बढ़ गया है, कि अपनी भौतिक संपदाओं से लोगों को प्रभावित किया जाए।
ऐसा करने से लोग सुख का अनुभव करते हैं, जो कि क्षणिक है।
यदि आप वास्तव में दूसरों को प्रभावित करना चाहते हैं, तो ईश्वर प्रदत्त अपने उत्तम गुणों से प्रभावित करें। जैसे सेवा, नम्रता, परोपकार, दान, दया, ईश्वरोपासना, व्यवहार में ईमानदारी, सत्य का पालन इत्यादि, ये जो ईश्वरीय गुण आपको प्राप्त हुए हैं , उन गुणों से दूसरों को प्रभावित करें। यह उपाय अधिक अच्छा है। इससे आपको अधिक आंतरिक सुख शांति मिलेगी।
यदि आप में ईश्वरीय गुण इतनी मात्रा में न हों, तो अपने अंदर इन ईश्वरीय गुणों को बढ़ाएं ; और फिर उन गुणों से दूसरों को प्रभावित करें। इससे आपका भी कल्याण होगा और दूसरों का भी।

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