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किस तरह हम रोज़मर्रा के जीवन में अपने व्यवहार से ग्रहों को खराब कर लेते हैं ? – कैसे हम इन्हें बिना कोई पैसा खर्च किये ठीक कर सकते हैं ? – एक सम्पूर्ण लेख – ऐसे लेख बहुत कम पढ़ने को मिलते हैं – HOW OUR DAILY BEHAVIOR IN LIFE AFFECTS OUR PLANETS ? – HOW CAN WE IMPROVE OUR PLANETS, WITHOUT SPENDING ANY MONEY ?

नौ ग्रहों का हमारे जीवन के हर क्षेत्र, शरीर के हर अंग और जीवन से जुडी हर बात पर प्रभाव होता हैं। हमारे जीवन में आने वाली विभिन्न परेशानियों का सम्बन्ध भी इन्हीं ग्रहों के हाथ होता है।

  1. सूर्य :
    सूर्य कुंडली के सबसे महत्वपूर्ण ग्रह है। ये मनुष्य का मान-सम्मान तय करता है। सूर्य अगर शुभ है तो सम्मान और प्रसिद्धि मिलती है, लेकिन अगर सूर्य अशुभ हो तो अपमान का सामना भी करना पड़ता है। अपयश, पिता के साथ कलह या वैचारिक मतभेद, आंख, हृदय या पेट का कोई रोग होना, मुंह में पानी आना, थूक गिरना और बलगम गिरना, यह कुपित सूर्य के लक्षण हैं.
    पिता को सम्मान न देना, झूठ बोलना, अन्न, कृषि पदार्थ और पशुओं पर क्रूरता, अत्यधिक नमक का प्रयोग, सूर्य को खराब करते हैं. कर में चोरी करने, किसी का धन वापस ना लौटाने से भी सूर्य खराब हो जाता है.
    इन बातों पर ध्यान देकर हम अपने सूर्य को ठीक कर सकते हैं.
  2. चंद्र :
    चंद्रमा का सम्बन्ध मन से है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्र शुभ हो तो वह शांत स्वभाव का होता है। घर में पानी के नलों का सूख जाना, पालतू दुधारू पशु की मृत्यु हो जाना, माता को कष्ट होना, मन में बार-बार आत्महत्या के विचारों का आना भी कमजोर चंद्रमा की ओर इशारा करता है। मां के साथ रिश्ते खराब होने से चंद्रमा खराब असर डालता है। जिस मां ने आपको जन्म दिया, तमाम मुश्किलें उठाकर आपको बड़ा किया, उस मां के साथ दुर्व्यवहार करने, उन्हें अपमानित करने से आपका चंद्रमा नाराज होगा जिससे आप मानसिक बीमारियों के शिकार होते हैं, आपकी तरक्की रुक जाती है और आर्थिक परेशानियों से घिर जाएंगे। पानी कम पीना, पानी की बर्बादी करने सभी चन्द्रमा कुपित होता है.
    इन बातों में सुधर लाकर, घर आये मेहमान को हमेशा जल प्रस्तुत करके, लीक करते नलों को ठीक रखकर, आप अपनी कुण्डली में चन्द्रमा को ठीक कर सकते हैं.
  3. मंगल :
    मंगल शुभ हो तो वो बेहद पराक्रमी और धैर्य वाला होता है। यदि मंगल कमजोर हो, तो व्यक्ति डरपोक और कमजोर हो जाता है। मंगल की वजह से आपके रिश्ते ससुराल वालों के साथ और चाचा, चाची, ताऊ और दूसरे रिश्तेदारों से अच्छे या बुरे होते हैं। मंगल आपके छोटे भाई बहन और उनसे बनते बिगड़ते रिश्तों को दिखाता है। भाई के साथ किसी भी प्रकार का धोखा करना मङ्गल को खराब करता है. बार-बार दुर्घटना होना, घर के बिजली के समान जल्दी खराब हो जाना, रक्त सम्बन्धी समस्यायें मंगल के कारण होती हैं. मंगल के दोषी होने पर रक्त समस्या, भाई से विवाद और अत्याधिक क्रोध जैसी स्थिति जन्म लेती है।
    इन रिश्तों में अच्छा व्यवहार करने, क्रोध को नियंत्रित करने से मङ्गल को ठीक किया जा सकता है.
  4. बुध :
    बुध वाणी और बुद्धि का प्रतीक है। यदि बुध ग्रह शुभ हो तो वाणी में प्रभाव होता है, लोगों को अपनी बात से कायल करने की कला होती है. अच्छा बुध बुद्धिमान और हिसाब-किताब में तेज बनाता है। अगर बुध ग्रह खराब हो तो मस्तिष्क से जुड़े काम करने में परेशानी आती है, दांत कमजोर रहते हैं, सूंघने की शक्ति कम हो जाती है और फालतू बोलने की आदत बनती है. ऐसे में बेटी, बहन, बुआ, मौसी आदि से सम्बन्ध ख़राब होते हैं.
    तुलसी की पूजा, बेटी, बहन, बुआ, मौसी आदि से ठीक सम्बन्ध रखने, इनके साथ अच्छा व्यवहार और कभी-2 इन्हें उपहार आदि देने से बुध अच्छा होता है.
  5. गुरु :
    गुरु ग्रह भाग्य का कारक है। यह हमारी धार्मिक भावनाओं को नियंत्रित करता है। यदि किसी की कुंडली में गुरु अशुभ हो तो छोटे से छोटे काम में भी अड़चन आती है। मेहनत का फल भी नहीं मिलता, असमय बाल झड़ने लगते हैं, व्यापार की स्थिति बदतर होती जाती है, घर में कलह का माहौल बनता है और बॉस हमेशा नाराज़ रहता है, तो यह सब निश्चित तौर पर यह कमजोर बृहस्पति की ओर इशारा करते हैं.
    बड़े-बुजुर्गों, जैसे पिता, दादा,नाना एवं अन्य वृद्ध लोगों, साधु-संतों, तथा गुरु/अध्यापक का असम्मान करने वाले लोगों का भी बृहस्पति कुपित हो जाता है। गुरु/बृहस्पति को शुभ बनाने के सबसे बढ़िया तरीका है, इन लोगों का सम्मान करना.
  6. शुक्र :
    शुक्र ग्रह सुंदरता, वैवाहिक तथा अन्य सांसारिक सुखों का कारक है। इसके शुभ होने से जातक को वैभव और हर तरह का सुख मिलता है। अच्छा घर/बड़े-2 बंगले, गाड़ियां, यह सब शुक्र की देन होती है. ज्योतिष के अनुसार शुक्र ग्रह मौज-मस्ती, भोग-विलास और आलीशान जीवन व्यतीत करवाता है। लेकिन अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में शुक्र सही नहीं है, तो जीवन में आभाव और अंधकार रहता है। व्यक्ति अपने धन का नाश करता है, उसे प्रजनन सम्बन्धी, रोग और स्वप्न दोष आदि होने की संभावना रहती है।
    साफ-सुथरे कपडे न पहनना, गन्दे रहना, अपने जीवन साथी, या विवाहित स्त्रियों का सम्मान न करना, रोज़ नए-2 प्रेम के रिश्ते बनाना – यह सब शुक्र को खराब करते हैं.
    इन बातों की ओर ध्यान देकर शुक्र को ठीक किया जा सकता है.
  7. शनि :
    यदि किसी की कुंडली में शनि शुभ होता है तो वह बड़े व्यापार/फैक्ट्रियों का मालिक, नौकर-चाकरों से सेवा करवाने वाला, और सभी सुखों को प्राप्त करने वाला होता है। लेकिन शनि की अशुभ स्थिति जीवन में कठिनाईयां और परेशानियां लाती हैं। शनि न्याय के देवता हैं और श्रम के पुजारी हैं। ऐसे में यदि हम किसी गरीब, मेहनत-मजदूरी करने वाले को, अपने नौकर-चाकरों, अधीनस्थ कर्मचारियों को सताते हैं, उनका हक़ मारते हैं, तृस्कार की दृष्टि से देखते हैं, तो शनि कुपित होता है. दूसरे की वस्तु को हथिया लेना या भूमि पर अवैध रूप से कब्जा करना भी शनि को नाराज़ करता है.
    अगर हम इन लोगों को तन, मन और धन से उचित सम्मान प्रदान करते हैं, उनकी मदद करते हैं तो शनिदेव प्रसन्न होंगे। उनकी कृपा से वो सभी दोष दूर हो जाएंगे जिनके कारण आपको परेशानी झेलनी पड़ रही है।
  8. राहु :
    सांप को मारने, सांप पालने वाले को कष्ट देने, ननिहाल पक्ष के लोगों के साथ दुर्व्यवहार करने, भाई और पिता को अपशब्द कहने वाले व्यक्ति को राहु की वजह से कष्ट भोगने पड़ते हैं। कुंडली में राहु के अशुभ होने से हाथ के नाखून टूटने लगते हैं, कुत्ते और सांप काटते हैं, वाहन से दुर्घटना, मस्तिष्क की पीड़ा, दिमागी संतुलन बिगड़ जाना, भोजन या किसी खाद्य पदार्थ में अकसर बाल दिखना, सामाजिक मानहानि होना, भी कुपित राहु के लक्षण हैं.
    राहु के अच्छे प्रभाव से कठोर, प्रबल और तेज बुद्धि वाला बनाता है।
    यदि आप राहु से संबंधित व्यक्ति जैसे कुष्ठ रोगी, निर्धन व्यक्ति, सफाई कर्मचारी आदि को भोजन आदि देकर प्रसन्न करते हैं तो आपको राहु की कृपा अवश्य मिलेगी। इस भोज में आप गरीब व्यक्ति को वनस्पति घी में बनी बड़ी साइज की पूड़ियां, गुड़ का हलवा, सब्जी के लिए छाछ के आलू और मूली का लच्छा रखें। निश्चित रूप से लाभ होगा। सापों को न मारना, उनकी रक्षा करना और पूजने से भी राहु प्रसन्न होते हैं.
  9. केतु :
    भतीजे या भांजे को धोखा देने, उनका दिल दुखाने मंदिर या मंदिर का ध्वज तोड़ने, झूठी गवाही देने से राहु-केतु, कुत्ते, पक्षियों को कष्ट देने से, दोनों का बुरा प्रभाव झेलना पड़ता है।
    ऊंचे पद से पतन, आर्थिक नुकसान, चर्म रोग, भ्रम का शिकार होना – यह सब ख़राब केतु के लक्षण हैं.
    शुभ केतु व्यक्ति को दयालु बनाता है। ऐसे लोग गरीबों का भला करते हैं। अगर केतु अशुभ है तो व्यक्ति के शत्रु जन्म लेते हैं।
    केतु को शुभ बनाने के लिए आप अपने बड़े-बुजुर्ग की सेवा करना प्रारंभ कर दें। साथ ही कुत्ते को मीठी रोटी खिलाएं। पक्षियों को दाना डालें.
    राहु दादा के लिए है और केतु नाना के लिए। राहु का संबंध आपके दादा के साथ साथ ससुराल पक्ष के लोगों के साथ भी जुड़ा है। उनसे बेहतर रिश्ते आपको जीवन में आकस्मिक लाभ और तरक्की के मौके देते हैं।

निष्कर्ष :
इस तरह आपके सभी नौ ग्रह किसी न किसी रिश्ते से जुड़े हैं। लोग हर ग्रह को अपने मन मुताबिक करने के लिए तमाम तरह के रत्न पहनते हैं, कई तरह के उपाय से लेकर पूजा पाठ तक करते हैं, लेकिन अपने रिश्तों में मिठास घोलकर भी आप इन तमाम ग्रहों को अपने लिए सकारात्मक असर देने वाला बना सकते हैं। जरूरत है अपने व्यवहार में शालीनता लाने की, अपनी सहनशक्ति मजबूत करने की और दूसरों को माफ करने और जरूरत पड़ने पर अपनी गलती मानकर कभी कभार माफी मांग लेने की। आपकी यही व्यावहारिकता आपको आज के जटिल दौर में भी बेहद सामाजिक और प्रतिष्ठित बना सकती है। इसलिए मन की गांठें खोल दीजिए और खुले दिमाग से अपने रिश्तों का किस्मत कनेक्शन मजबूत बनाइए।
नित्य हनुमान चालीसा, बजरंग बाण और हनुमानाष्टक का पाठ भी आपको तमाम ग्रहीय समस्याओं से उबारने का काम करता है.
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आप का आज का दिन मंगलमयी हो – आप स्वस्थ रहे, सुखी रहे – इस कामना के साथ।

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