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द्वितीय (धन) भाव मे शुक्र का अनुभव आधारित फल
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द्वितीय (धन भाव)- इस भाव में शुक्र जातक को धनवान, मीठा अधिक पसन्द
करने वाला, समाज में यश व सम्मान पाने वाला, सुखी, रत्नों से आर्थिक लाभ लेने
वाला, कुटुम्ब युक्त, साहसी, कविता करने वाला तथा अत्यधिक मधुर बोलने वाला
सुन्दर नेत्र युक्त व कर्त्तव्य परायण बनाता है। ऐसे जातक का जीवनसाथी प्रत्येक क्षेत्र
में उसका सहयोग करता है। जातक स्वयं भी श्रृंगार अथवा भौतिक -विलास की
वस्तुओं से अधिक आर्थिक लाभ लेता है। जातक की रुचि सुस्वादु पेय पदार्थ पीने में
अधिक होती है। स्त्री जातक की पत्रिका में यदि राहू अधिक पाप प्रभाव में हो तो
उसका पति उच्च स्तर का जुआरी होता है। यहां पर शुक्र यदि वायु तत्व (मिथुन, तुला
व कुंभ) राशि में हो तो जातक व्यापार के क्षेत्र में अत्यधिक सफल होता है। अच्छा भोग करता है परन्तु वह पुत्र न होने की पीड़ा भी भोगता है। शुक्र जल तत्व (कर्क, वृश्चिक व मीन) राशि में होने पर जातक के दाम्पत्य सुख में कमी व कन्या सन्तति अधिक होती है। जातक की रुचि लेखन में होती है। वह इस क्षेत्र में सम्मान भी पाता है। उसके दूसरे विवाह का भी योग होता है। पृथ्वी तत्व (वृषभ, कन्या व मकर) राशि का शुक्र जातक को पैतृक सम्पत्ति से दूर रखता है। जातक की आय का अधिक हिस्सा जीवनसाथी की बीमारी में व्यय होता है । वह सरकारी नौकरी में उन्नति करता है। उसे जल्दी से जल्दी धनवान बनने की इच्छा रहती है, इस कारण उसका मन जुए-सट्टे की ओर मुड़ जाता है। बचा हुआ धन वह इसमें बरबाद कर देता है। इसलिये ऐसे जातक को अपनी नौकरी में विशेष ध्यान देना चाहिये अन्यथा उसे रोटी के भी लाले पड़ जाते हैं। यदि धनेश अर्थात् इस भाव का स्वामी भी निर्बल हो तथा शुक्र के साथ चन्द्र बैठा हो तो नेत्र रोग की सम्भावना रहती है। यदि शनि का साथ हो तो जातक को धन की कमी सदैव रहती है। मैंने अपने इस शोध में देखा है कि शुक्र के प्रभावी होने पर जातक अत्यधिक लाभ ले सकता है लेकिन शुक्र जरा भी पाप प्रभाव में हो तो जातक को अनेक प्रकार की समस्यायें भोगनी पड़ सकती हैं । उसकी इस स्थिति का जिम्मेदार जातक स्वयं होता है। यदि वह अपने जीवनसाथी की सलाह से चले तो उसको कम समस्याओं का सामना करना पड़ेगा ।


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[ कौन सा ग्रह क्या अशुभ फल देता है
सूर्य
सरकारी नौकरी या सरकारी कार्यों में परेशानी, सिर दर्द, नेत्र रोग, हृदय रोग, अस्थि रोग, चर्म रोग, पिता से अनबन आदि।

चंद्र
मानसिक परेशानियां, अनिद्रा, दमा, कफ, सर्दी, जुकाम, मूत्र रोग, स्त्रियों को मासिक धर्म, निमोनिया।

मंगल
अधिक क्रोध आना, दुर्घटना, रक्त विकार, कुष्ठ रोग, बवासीर, भाइयों से अनबन आदि।

बुध
गले, नाक और कान के रोग, स्मृति रोग, व्यवसाय में हानि, मामा से अनबन आदि।

गुरु
धन व्यय, आय में कमी, विवाह में देरी, संतान में देरी, उदर विकार, गठिया, कब्ज, गुरु व देवता में अविश्वास आदि।

शुक्र
जीवन साथी के सुख में बाधा, प्रेम में असफलता, भौतिक सुखों में कमी व अरुचि, नपुंसकता, मधुमेह, धातु व मूत्र रोग आदि।

शनि
वायु विकार, लकवा, कैंसर, कुष्ठ रोग, मिर्गी, पैरों में दर्द, नौकरी में परेशानी आदि।

राहु
त्वचा रोग, कुष्ठ, मस्तिष्क रोग, भूत प्रेत वाधा, दादा से परेशानी आदि।

केतु
नाना से परेशानी, भूत-प्रेत, जादू टोने से परेशानी, रक्त विकार, चेचक आदि।

इस प्रकार ग्रहों के कारकत्व को ध्यान में रखते हुए शास्त्र सम्मत उपाय करना चाहिय । 🙏🌷🙏🌷🙏
जड़ों का रत्नों की तरह करें इस्तेमाल

वनस्पतियां रत्नों की भाँति प्रयोग की जा सकती हैं. वनस्पति की जड़ों को रत्नों की तरह इस्तेमाल करके बहुत से लाभ मिल सकते हैं. आइए जानते हैं कैसे करें वनस्पतियों का रत्नों की तरह इस्तेमाल…

  • हर वनस्पति के अंदर अलग अलग तरह के गुण और सुगंध पायी जाती है.
  • इसके अलावा हर वनस्पति के अंदर एक विशेष तरंग होती है.
  • यह तरंग किसी विशेष नक्षत्र में ज्यादा प्रभावशाली हो जाती है.
  • इस तरंग के कारण वनस्पति सम्बंधित ग्रह की पीड़ा को दूर कर देती है.
  • यह वनस्पति इतनी ज्यादा ताक़तवर हो जाती है कि कीमती रत्नों की तरह काम करती है

किस ग्रह से लिए कौन सी वनस्पति का प्रयोग करें ?

सूर्य

  • सूर्य के लिए बेल की जड़ धारण करनी चाहिए
  • इसे कृत्तिका नक्षत्र में ले आएं
  • इसे गुलाबी धागे में बांधकर रविवार प्रातः गले में धारण करें
  • इसे धारण करने से सूर्य सम्बंधित समस्याएं दूर होंगी

चन्द्रमा

  • चन्द्रमा के लिए खिरनी की जड़ धारण करनी चाहिए
  • इसे रोहिणी नक्षत्र में ले आएं
  • इसे सफ़ेद रेशमी धागे में बांधकर सोमवार रात्रि गले में धारण करें
  • इसे धारण करने से चन्द्रमा सम्बंधित समस्याएं दूर होंगी

मंगल

  • मंगल के लिए अनन्तमूल की जड़ धारण करनी चाहिए
  • इसे चित्रा नक्षत्र में ले आएं
  • इसे लाल धागे में बांधकर गले में या कमर में मंगलवार को धारण करें
  • इससे आपका मंगल मजबूत होगा

बुध

  • बुध के लिए विधारा की जड़ धारण करनी चाहिए
  • इसे ज्येष्ठा नक्षत्र में ले आएं
  • इसे हरे धागे में बांधकर बुधवार को गले में धारण करें
  • इससे आपका बुध शक्तिशाली होगा

बृहस्पति

  • बृहस्पति के लिए केले की जड़ धारण करनी चाहिए
  • इसे विशाखा नक्षत्र में ले आएं
  • इसे पीले धागे या पीली धातु में भरकर बृहस्पतिवार को गले में धारण करें
  • इससे आपका वृहस्पति मजबूत होगा

शुक्र

  • शुक्र के लिए सरपोंखे की जड़ धारण करनी चाहिए
  • इसे पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में ले आएं
  • इसे चांदी के लॉकेट में या चांदी की चेन में शुक्रवार को धारण करें
  • आपकी शुक्र सम्बंधित समस्याएं दूर होंगी

शनि

  • शनि के लिए धतूरा धारण करना चाहिए
  • इसे पुष्य नक्षत्र में ले आएं
  • इसे काले धागे में शनिवार को गले में धारण करें
  • शनि की पीड़ा से राहत मिलेगी

राहु

  • राहु के लिए सफ़ेद चन्दन धारण करना चाहिए
  • इसे पुष्य नक्षत्र में ले आएं और बुधवार को धारण करें
  • इसे नीले धागे में गले में धारण करें

केतु

  • केतु के लिए अश्वगंधा की जड़ धारण करें
  • इसे पुष्य नक्षत्र में ले आएं और बृहस्पतिवार को धारण करें
  • इसे पीले धागे में गले में धारण करें

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